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अमरूद के बागों में एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन कैसे करें, जानिए उपयोगी जानकारी

Author by Bhupender 1 Comment

अमरूद के बागों में एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन

अमरूद के बागों या पौधों से नियमित और अच्छी उपज लेने के लिए यह आवश्यक होता है, कि उन्हें स्वस्थ और अच्छी हालत में रखा जाये| किसी भी पौधे को स्वस्थ रखने के लिए अनेक बातों का ध्यान रखना पड़ता है, जैसे- मिट्टी को अच्छी दशा में रखना जिससे उसकी उर्वरता दीर्घकाल तक बनी रहे, पानी का उचित प्रबंध, उपलब्धता एवं निकास हो, जिससे पौधे को आवश्यकता के अनुरूप उचित नमी मिलती रहे एवं बाग में अन्य कृषि क्रियायें जैसे- सधाई और कृतन, गुड़ाई, खरपरवारों की साफ-सफाई आदि का ध्यान रखना और समयानुसार उचित पोषक तत्व प्रबंधन करके हम दीर्घकाल तक अच्छी उपज तथा गुणवत्तायुक्त उपज प्राप्त कर सकते हैं| अमरूद की बागवानी या खेती की पूरी जानकारी के लिए यहां पढ़ें- अमरूद की खेती कैसे करें, जानिए उपयुक्त जलवायु, किस्में, रोग रोकथाम, पैदावार

एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन

हमारे देश में अभी भी एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन का पूर्ण रूप से चलन नहीं है और अभी भी किसान भाई बागों का मिट्टी परीक्षण नहीं करवाते है, जो आज के परिवेश में नितांत आवश्यक है| यदि उचित समय पर उचित मात्रा में संतुलित पोषक तत्व पौधों को उपलब्ध हो जाये तो मिट्टी का स्वास्थ भी ठीक रहता है और उपज भी अच्छी मिलती है|

आजकल कार्बनिक खादों का प्रयोग कम और रसायनिक खादों का प्रयोग अधिक हो रहा है, जिससे जमीन में कुछ तत्वों की मात्रा बढ़ रही है, तो कुछ तत्व जैसे- बोरोन, जस्ता, लोहा, कॉपर, मॉलिबिडनम, मैग्नीज तथा कैल्शियम आदि की मात्रा घट रही है| इन पोषक तत्वों का फलवृक्षों को आवश्यकतानुसार उपलब्धता न होने से अधिकांश क्षेत्रों में अमरूद के उत्पादन में ठहराव आ गया है और अब इन सूक्ष्म तत्वों की कमी के लक्षण उजागर होने लगे है| इसलिए यह अति-आवश्यक हो गया है, कि मुख्य और सूक्ष्म पोषक तत्वों का समयानुसार तथा निर्धारित मात्रा में प्रयोग किया जाये|

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इसके लिए आवश्यकतानुसार कार्बनिक और अकार्बनिक स्रोतों से फल-वृक्षों को पोषक तत्वों का निश्चित अनुपात में उपलब्ध कराना आवश्यक है, क्योंकि प्रत्येक पोषक तत्व का फलों में भिन्न-भिन्न कार्य और महत्व है तथा कोई एक तत्व दूसरे तत्व का पूरक नहीं है| यह संतुलन बिगाड़ने पर पौधों की विभिन्न लाभकारी क्रियाओं जैसे भोजन बनाना, रोग प्रतिरोधक क्षमता इत्यादि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है| जिससे फलों की उपज और गुणवत्ता सीधे प्रभावित होती है|

इसलिए इस प्रकार की व्यवस्था जिसमें रासायनिक उर्वरक, कार्बनिक खाद एवं जैविक खादों द्वारा एक साथ पोषक तत्व दिये जायें, जिससे भरपूर टिकाऊ उत्पादन हो और अच्छे गुणवत्तायुक्त फल पैदा हो तथा मिट्टी व वातावरण पर भी बुरा प्रभाव न पड़े बल्कि सुधार हो, ऐसे प्रबंधन को एकीकृत या समन्वित पोषक प्रबंधन कहते हैं, जो कि नितांत आवश्यक है|

हालाँकि अमरूद के बागों या किसी भी फल वृक्ष में पोषक तत्वों के इस्तेमाल के पहले मिट्टी परीक्षण अति आवश्यक है| इसलिए अमरूद के बाग लगाने के पहले मिट्टी में उपलब्ध कार्बनिक पदार्थ और पोषक तत्वों का स्तर एवं पी एच मान अवश्य जान लें| क्योंकि पी एच मान से तत्वों की घुलनशीलता और उपलब्धता प्रभावित होती है| आमतौर पर 6.5 से 7.5 पी एच मान वाली मिट्टी बहुत अच्छी मानी जाती है, लेकिन अमरूद के बागों को 8.5 पी एच तक आसानी से उगा सकते है|

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खाद और उर्वरक की मात्रा

अमरूद के बागों में खाद और उर्वरक की मात्रा एवं समय विभिन्न परिक्षणों के बाद निर्धारित किया गया है, जो पौधों की उम्र के अनुसार दिये जाते है, वैसे तो उर्वरकों की मात्रा मिट्टी के उपजाऊपन एवं परीक्षण के हिसाब से तय होती है, फिर भी अमरूद के बागों या उत्पादित क्षेत्रों के लिए 75 ग्राम नाइट्रोजन, 65 ग्राम फास्फोरस और 50 ग्राम पोटाश प्रति पेड़ प्रति वर्ष के हिसाब से 6 वर्ष तक बढ़ाकर देना उपयुक्त पाया गया है, एवं छः वर्ष पश्चात् 450 ग्राम नाइट्रोजन, 400 ग्राम फॉस्फोरस और 300 ग्राम पोटाश प्रति वर्ष देने की संस्तुति की गई है|

अमरूद के बागों हेतु यह मात्रा मिट्टी के परिक्षण के बाद आंशिक रूप से परिवर्तित की जा सकती है| अमरूद की खुराक खींचने वाली जड़े पौधे के तने से 2 से 2.5 मीटर दूरी तक और 30 से 35 सेंटीमीटर गहराई तक आमतौर पर पायी जाती है, इसलिए उर्वरक पौधे के घेरे के अन्दर उसकी उम्र और कैनोपी (छत्रक) के अनुसार थोड़ी गहराई पर देना उचित है|

अमरूद के बागों के बागवान या उत्पादक किसानों के लिए यह उचित रहेगा की अकार्बनिक उर्वरकों के साथ-साथ पूर्ण विकसित पेड़ में 50 से 60 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति पेड़ प्रति वर्ष प्रयोग करें| गोबर की खाद फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा वर्ष में एक बार विशेष रूप से दिसम्बर से जनवरी में देना चाहिए| नत्रजन की आधी मात्रा जून से जुलाई और शेष आधी मात्रा अक्टूबर के माह में देना उचित रहता है|

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परन्तु यदि किसान अमरूद में बहार नियंत्रण करके शरद ऋतु की गुणवत्तायुक्त फलत ले रहा है, तो गोबर की सड़ी हुई खाद की पूरी मात्रा दिसम्बर से जनवरी, फॉस्फोरस, पोटाश और नत्रजन की आधी मात्रा जून से जुलाई एवं शेष नाइट्रोजन की आधी मात्रा अक्टूबर में देनी चाहिए|

अमरूद के गुणवत्तायुक्त फल उत्पादन के लिए सूक्ष्म-तत्वों का भी बहुत महत्व है| जिसमें बोरॉन, जिंक आदि अत्यधिक आवश्यक है| बोरॉन की कमी को दूर करने के लिए 0.7 से 0.8 प्रतिशत बोरेक्स (सुहागा) गर्म पानी में घोल के दो छिड़काव आवश्यक है| पहला छिड़काव तब करे जब अमरूद में सभी फल बन गये हो जुलाई से अगस्त और दूसरा छिड़काव 20 से 25 दिन बाद करें| बोरेक्स को हम 250 ग्राम प्रति पौधा प्रति वर्ष (5 वर्ष तथा उसके पश्चात) दिसम्बर से जनवरी में उर्वरकों की तरह जमीन में भी दे सकते है|

अमरूद के बागों में जस्ते की कमी भी देखी गयी है, इसकी कमी को दूर करने के लिए 0.3 से 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट का पहला छिड़काव फूल आने के 25 से 30 दिन पहले तथा दूसरा 15 दिन पहले करना लाभकारी पाया गया है| जिंक के पेड़ में सल्फेट को हम 600 ग्राम प्रति पौधा (छः वर्ष) प्रति वर्ष फूल आने के 15 से 20 दिन पहले मिट्टी में भी मिला के भी दे सकते है|

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गोबर की खाद और पेड़-पौधों की सूखी, सड़ी गली पत्तियाँ आदि डालने से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और साथ ही साथ सूक्ष्म तत्वों की भी पूर्ती हो जाती है एवं यदि हम इनके साथ जैविक खादों का सम्मिश्रण करके पौधों को दें, तो फिर रसायनिक उर्वरकों की कम मात्रा से ही अमरूद के बागों से गुणवक्तायुक्त उत्पादन मिलता रहेगा| आजकल विभिन्न प्रकार के जैविक खाद जैसे- राइजोबियम, एजोटोबेक्टर, ऐजोस्पाइरिलम, ऐसीटोबेक्टर, एसपरजिलस आदि बाजार में उपलब्ध हैं, और इनका उपयोग फल-विशेष के लिए ही लाभप्रद पाया गया है|

इसलिए अमरूद के नये बागों में अन्त:सस्यन करके इनका प्रयोग किया जा सकता है, जिससे अमरूद के बाग की मिट्टी भी उपजाऊ बनी रहेगी| इसके अतिरिक्त खेत में तैयार खाद, हरी खाद, फसलों के अवशेष, बायोगैस प्लांट से निकला मलवा, केंचुए की खाद और कम्पोस्ट खाद के इस्तेमाल से भी भूमि की उर्वरता को बढ़ाया जा सकता है|

भूमि को परिष्कृत करने वाली इन चीजों का उपयोग भूमि की सूक्ष्मरंध्रता, वायुसंचार, तापमान, जलशोषण क्षमता और सूक्ष्मजीवों (जीवाणुओं) में बढ़ोत्तरी करता है, जिससे पौधे के जड़ मण्डल (राइजोस्फियर) के वातावरण में बदलाव के साथ-साथ फसलों के लिए आवश्यक तत्व पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होते है| जो कि गुणवत्तायुक्त फल उत्पादन में सहायक होते है|

इसलिए उपरोक्त जानकारी के आधार पर हम कह सकते है, की अमरूद के बागों से गुणवत्तायुक्त और अधिक उत्पादन लेने के लिए एकीकृत पोषण प्रबंधन अति आवश्यक है|

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Comments

  1. डॉ अनिल कुमार त्यागी says

    जुलाई 29, 2019 at 9:39 अपराह्न

    बहुत अच्छा लेख है। मैं इससे सहमत हूँ।

    प्रतिक्रिया

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