अरहर खरीफ मौसम की प्रमुख दलहनी फसल है| जहां तक अरहर की उन्नत किस्मों की बात है, इसकी उन्नत खेती और अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्मों का चुनाव करना आवश्यक है| बहुफसलीय उत्पादन पद्धति में और हल्की ढलान वाली असिंचित भूमि में जल्दी पकने वाली किस्मे बोनी चाहिए|
मध्यम गहरी भूमि में जहाँ पर्याप्त वर्षा होती हो, सिंचित तथा असिंचित दोनो स्थिति में मध्यम अवधि की किस्में बोनी चाहिए| इस लेख में अरहर की उन्नत किस्में और क्षेत्रवार विशेषताएं एवं पैदावार की जानकारी का उल्लेख है| अरहर की उन्नत खेती की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- अरहर की खेती- किस्में, रोकथाम और पैदावार
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अरहर की किस्में
बांझपन रोग प्रतिरोधी किस्में- बी आर जी- 2, टी जे टी- 501, बी डी एन- 711, बी डी एन- 708, एन डी ए- 2, बी एस एम आर- 853, पूसा- 992, बी एस एम आर- 736 आदि प्रमुख है|
शीघ्र पकने वाली किस्में- पूसा- 855, पूसा- 33, पूसा अगेती, पी ए यू- 881, (ए एल- 1507) पंत, अरहर- 291, जाग्रति (आई सी पी एल- 151), आई सी पी एल- 84031 (दुर्गा) आदि प्रमुख है|
मध्यम समय में पकने वाली किस्में- टाइप- 21, जवाहर अरहर- 4, आई सी पी एल- 87119 (आशा) आदि प्रमुख है|
देर से पकने वाली किस्में- बहार, एम ए एल-13, पूसा- 9, शरद (डी ए- 11) आदि प्रमुख है|
हाईब्रिड किस्में- पी पी एच- 4, आई सी पी एच- 8, जी टी एच- 1, आई सी पी एच- 2671, आई सी पी एच- 2740 आदि प्रमुख है|
उकटा प्रतिरोधी किस्में- वी एल अरहर- 1, बी डी एन- 2, बी डी एन- 708, विपुला, जे के एम- 189, जी टी- 101, पूसा- 991, आजाद (के- 91-25), बी एस एम आर- 736, एम ए- 6 आदि प्रमुख है|
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अरहर की क्षेत्रवार उन्नत किस्में
मध्यप्रदेश- जे के एम-189, टी जे टी- 501, जे के एम- 7, टी टी- 401, आई सी पी एल- 87119 आदि प्रमुख है|
हरियाणा- पारस, पूसा- 992, उपास- 120, ए एल- 201, मानक, पूसा- 855, पी ए यू- 8817 आदि प्रमुख है|
आन्ध्रप्रदेश- लक्ष्मी, एल आर जी- 41, एल आर जी- 38, डब्लू आर जी- 27, डब्लू आर जी- 53, बहार, एन डी ए-1, डब्लू आर जी- 65, (एम आर जी- 1004) इत्यादि मुख्य है|
बिहार- एम ए- 6, आजाद, डी ए- 11, आई पी ए- 203, बहार, पूसा- 9, नरेंद्र अरहर- 2 आदि प्रमुख है|
छत्तीसगढ़- राजीव लोचन, एम ए- 3, आई सी पी एल- 87119, विपुला, बी एस आर- 853 इत्यादि मुख्य है|
पंजाब- ए एल- 201, पी ए यू- 881,पूसा- 992, उपास- 120 इत्यादि मुख्य है|
उत्तर प्रदेश- बहार, एन डी ए- 1, एन डी ए- 2, अमर, एम ए- 6, एम ए एल- 13, आई पी ए- 203, उपास- 12011, ग्वालियर 3 इत्यादि मुख्य है|
राजस्थान- उपास- 120, पी ए- 291, पूसा- 992, आशा (आई सी पी एल- 87119), वी एल ए- 1 इत्यादि मुख्य है|
गुजरात- जी टी- 100, जी टी- 101, बानस, बी डी एन- 2, बी एस एम आर- 853, ए जी टी- 2 इत्यादि मुख्य है|
झारखंड- बहार, आशा, एम ए- 3 इत्यादि मुख्य है|
उत्तराखंड- वी एल ए-1, पी ए- 291, उपास- 120 इत्यादि मुख्य है|
कर्नाटक- वांबन- 3, सी ओ आर जी- 9701, आई सी पी एल- 84031, बी आर जी- 2, मारूती (आई सी पी- 8863), डब्लू आर पी- 1, आशा (आई सी पी एल- 87119), टी एस- 3 इत्यादि मुख्य है|
महाराष्ट्र- बी डी एन- 711, बी एस एम आर- 736, ए के टी- 8811, पी के वी तारा, विपुला, बी डी एन- 708, आई सी पी एल- 87119, बी एस एम आर- 175, वैशाली (बी एस एम आर- 853) इत्यादि मुख्य है|
तमिलनाडू- को- 6, सी ओ आर जी- 9701, वंबन- 3, आई सी पी एल- 151, वंबन- 1 व 2 इत्यादि मुख्य है|
रबी बुवाई के लिए उपयुक्त किस्में- बहार, शरद (डी ए- 11), पूसा- 9, डब्लूबी- 20 अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन अन्तर्गत शीघ्र, मध्यम व देर से पकने वाली उन्नत किस्मों ने विभिन्न स्थानीय और पुरानी किस्मों की अपेक्षा कमशः लगभग 92, 37 और 17 प्रतिशत अधिक पैदावार देती हैं|
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अरहर की उन्नत किस्मों विशेषताएं और पैदावार
अरहर की कुछ उन्नत किस्मों की विशेषताएं और पैदावार इस प्रकार है, जैसे-
प्रभात- यह अरहर की उन्नत किस्म 115 से 120 दिन में पकती है| इसके दानों का रंग पीला तथा 1000 दानों का वजन 50 से 55 ग्राम होता हैं| इसकी पैदावार 12 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टर होती हैं|
ग्वालियर 3- यह अरहर की उन्नत किस्म 180 से 250 दिन में पक कर तैयार होती हैं| इसकी ऊंचाई 225 से 275 सेन्टीमीटर और पैदावार 10 से 15 किंवटल प्रति हेक्टर होती हैं|
यू पी ए एस 120- 120 से 140 दिन में पकने वाली इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 150 से 200 सेन्टीमीटर और पैदावार 10 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टर होती हैं|
आई सी पी एल 151- यह एक शीघ्र पकने वाली किस्म हैं| मध्यम 120 से 145 दिन में पकती हैं| इसमें पकाव एक साथ आता है यानि की डिटरमिनेट टाईप की किस्म हैं| ऊंचाई 100 से 120 सेन्टीमीटर होती हैं| इसका दाना बड़ा तथा हल्का पीले रंग का होता हैं| भारी मिट्टी वाले क्षेत्रों के लिये उपयुक्त हैं| इस किस्म की पैदावार 12 से 20 किंवटल प्रति हेक्टर होती हैं|
आई सी पी एल 87- यह मध्यम समय 140 से 150 दिन में पकने वाली बौनी किस्म हैं| इसकी ऊंचाई 90 से 100 सेन्टीमीटर और पैदावार 15 से 20 किंवटल प्रति हेक्टर होती हैं| फलियां मोटी एवं लम्बी होती हैं और गुच्छों में आती हैं तथा एक साथ पकती हैं| इसके बाद गेहूं बोया जा सकता हैं| यह झुलसा रोगरोधी हैं|
आई सी पी एल 88039- यह किस्म 140 से 150 दिन में पक कर 14 से 16 किंवटल प्रति हेक्टर पैदावार देती हैं| इसके पोधों की ऊंचाई 200 से 225 सेंटीमीटर दानों का रंग भूरा और 100 दानों का वनज 9 से 10 ग्राम होता हैं|
बहार- यह 267 से 275 दिनों में तैयार होने वाली अरहर की उन्नत किस्म है| इसकी बुआई जुलाई से 31 जुलाई तक एवं मक्का के साथ मिश्रित फसल के रूप में जून माह में की जाती है| इसकी पैदावार क्षमता 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
पूसा 9- यह 260 से 270 दिनों में तैयार होने वाली अरहर की उन्नत किस्म है, जिसकी बुआई जुलाई से सितम्बर (शरदकाल) तक की जाती है| इसकी पैदावार क्षमता 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि शरदकाल में 16 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
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शरद- यह शरदकालीन बुवाई के लिये उपयुक्त अरहर की उन्नत किस्म है| पैदावार क्षमता 15 से 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
बी आर 265- यह 200 से 220 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है| इसकी बुआई 15 जून से 10 जुलाई तक की जा सकती है| उपज क्षमता 16 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
नरेन्द्र अरहर 1- यह अरहर की उन्नत किस्म 175 से 180 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है| उपज क्षमता 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
मालवीय अरहर 13- यह किस्म 170 से 185 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है| उपज क्षमता 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| बुआई का समय 15 जून से 31 जुलाई है| यह मैदानी क्षेत्रों के लिये विशेष रुप से उपयुक्त है|
नरेन्द्र अरहर 2- इस अरहर की उन्नत किस्म की फसल पकने की अवधि 250 से 260 दिन है, इसकी औसत पैदावार 28 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
आजाद अरहर- यह किस्म 260 से 270 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है| पैदावार क्षमता 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
अमर- इस अरहर की उन्नत किस्म की फसल पकने की अवधि 200 से 270 दिन है, इसकी औसत पैदावार 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
उपास 120- इस किस्म की फसल पकने की अवधि 130 से 135 दिन है, इसकी औसत पैदावार 16 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
पारस- यह अरहर की उन्नत किस्म 130 से 135 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है| पैदावार क्षमता 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
मानक- इस अरहर की उन्नत किस्म की फसल पकने की अवधि 135 से 140 दिन है, इसकी औसत पैदावार 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
टाईप 21- यह किस्म 160 से 170 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है| पैदावार क्षमता 16 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
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