हमारे देश में कपास एक महत्वपूर्ण फसल है| किसी भी प्रकार की कपास की खेती से अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर बोने, अपने क्षेत्र की प्रचलित किस्म चुनने, उपयुक्त खाद देने और समय पर पौध संरक्षण उपाय अपनाने की ओर विशेष ध्यान देने के साथ साथ किसानों को भूमि व बीज उपचार की और भी ध्यान देना आवश्यक है| इस लेख में कपास के अधिक उत्पादन के लिए भूमि व बीज उपचार कैसे करें का उल्लेख है| कपास की खेती की अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- कपास की खेती कैसे करें
कपास के अधिक उत्पादन के लिए भूमि उपचार
जड़गलन- जडगलन की समस्या वाले खेतों में बुवाई से पूर्व 6 किलोग्राम व्यापारिक जिंक सल्फेट प्रति बीघा की दर से मिट्टी में डालकर मिला दें| जिन खेतों में जड़ गलन का रोग का प्रकोप अधिक है, उन खेतों के लिए बुवाई के पूर्व 2.5 किलोग्राम ट्राईकोडर्मा हरजेनियम को 50 किलो आर्द्रता युक्त गोबर की खाद (एफ वाई एम) में अच्छी तरह मिलाकर 10 से 15 दिनों के लिए छाया में रख दें| इस मिश्रण को बुवाई के समय एक बीघा में पलेवा करते समय मिट्टी में मिला दें|
दीमक- यदि भूमि में दीमक का प्रकोप है, तो खेत में क्लोरोपाइरीफास 20 ई सी 3 से 5 लीटर को 50 किलोग्राम सूखी मिट्टी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर में बिखेरकर मिटटी में मिला दें|
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कपास के अधिक उत्पादन के लिए बीज उपचार
1. कपास के बीज में छुपी हुई गुलाबी सुंडी को नष्ट करने के लिये बीजों को धूमित कर लीजिये| 40 किलो तक बीज को धूमित करने के लिये एल्यूमीनियम फॉस्फॉइड की एक गोली बीज में डालकर उसे हवा रोधी बनाकर चौबीस घण्टे तक बन्द रखें| धूमित करना सम्भव न हो तो तेज धूप में बीजों को पतली तह के रूप में फैलाकर 6 घण्टे तक तपने देवें|
2. कपास के बीजों से रेशे हटाने के लिये जहां सम्भव हो 10 किलो बीज के लिये एक लीटर व्यापारिक गंधक का तेजाब पर्याप्त होता है| मिट्टी या प्लास्टिक के बर्तन में बीज डालकर तेजाब डालिये व एक दो मिनट तक लकड़ी से हिलाईये| बीज काला पड़ते ही तुरन्त बीज को बहते हुए पानी में धो डालिये तथा ऊपर तैरते हुए बीज को अलग कर दीजिये| गंधक के तेजाब से बीज के उपचार से अंकुरण अच्छा होगा| यह उपचार कर लेने पर बीज को प्रधूमन की आवश्यकता नहीं रहेगी|
3. कपास के बीज को जनित रोग से बचने के लिये बीज को 10 लीटर पानी में एक ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन या ढाई ग्राम एग्रीमाइसिन के घोल में 8 से 10 घण्टे तक भिगोकर सुखा लीजिये एवं फिर बोने के काम में लें|
4. जहाँ पर जड़ गलन रोग का प्रकोप होता है, ट्राइकोड़मा हारजेनियम या सूडोमोनास फ्लूरोसेन्स जीव नियन्त्रक से 10 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें या रासायनिक फफूंदनाशी जैसे कार्बोक्सिन 70 डब्ल्यू पी, 3 ग्राम प्रति किलो बीज या कार्बेन्डेजिम 50 डब्ल्यू पी से 2 ग्राम या थाईरम 3 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें|
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5. रेशे रहित एक किलोग्राम नरमे के बीज को 5 ग्राम इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्ल्यू एस या 4 ग्राम थायोमिथोक्साम 70 डब्ल्यू एस से उपचारित कर पत्ती रस चूसक हानिकारक कीट और पत्ती मरोड़ वायरस को कम किया जा सकता है|
6. असिंचित स्थितियों में कपास की बुवाई के लिये प्रति किलो बीज को 10 ग्राम एजेक्टोबेक्टर कल्चर से उपचारित कर बोने से उपज में वृद्धि होती है|
7. कपास के जीवाणु अंगमारी रोग की रोकथाम के लिए बोये जाने वाले प्रति बीघा बीज को एक ग्राम स्ट्रेप्टोसाईक्लिन या 10 ग्राम प्लांटोमाईसीन दवा के 100 पी पी एम सक्रिय तत्व, 1 लीटर पानी के घोल में 8 से 10 घण्टे भिगोयें, रेशे सहित बीज को दो घण्टे से अधिक नहीं भिगोयें|
विशेष- कपास के कीट व बीमारी दोनों की रोकथाम के लिए बीजोपचार आवश्यक होने पर पहले फरूंदनाशी / ऐन्टीबायोटिक (स्ट्रेप्टोसाइक्लिन) से उपचारित करें| फिर उसके बाद कीटनाशी रासायन से बीज उपचार करें| कपास के पौधे मुरझाते ही उन्हें जड़ सहित खींच कर निकाल कर जला दें, ऐसा करने से रोग आगे नहीं बढ़ेगा|
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