प्रधान मंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान, पीएम कुसुम (PM KUSUM) योजना भारत सरकार द्वारा किसानों की आय बढ़ाने और सिंचाई के लिए स्रोत प्रदान करने और कृषि क्षेत्र को डी-डीजलाइज करने के लिए शुरू की गई थी| पीएम कुसुम (PM KUSUM) योजना को मार्च 2019 में अपनी प्रशासनिक स्वीकृति मिली और जुलाई 2019 में दिशानिर्देश तैयार किए गए|
यह योजना नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा पूरे देश में सौर पंप और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए शुरू की गई थी| इस लेख में कुसुम योजना से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों की चर्चा आगे की गई है|
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न?
प्रश्न: क्या है पीएम कुसुम योजना?
उत्तर: प्रधान मंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान (कुसुम) योजना भारत सरकार द्वारा किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र को सिंचाई और डी-डीजलाइज़ करने के लिए स्रोत प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी|
प्रश्न: कुसुम योजना के लिए सब्सिडी कितनी है?
उत्तर: केंद्र सरकार सौर पंप की कुल लागत पर पात्र किसानों को 60% सब्सिडी प्रदान करेगी, और शेष 30% लागत बैंकों द्वारा क्रेडिट के रूप में प्रदान की जाएगी|
प्रश्न: किसने ने शुरू की पीएम कुसुम योजना?
उत्तर: नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने देश में सौर पंपों और ग्रिड से जुड़े सौर और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए किसानों के लिए प्रधान मंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान (पीएम कुसुम) योजना शुरू की है|
प्रश्न: पीएम कुसुम का फुल फॉर्म क्या है?
उत्तर: प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना|
प्रश्न: मैं पीएम कुसुम के लिए पंजीकरण कैसे करूं?
उत्तर: आधिकारिक वेबसाइट पीएम कुसुम योजना पर ऑनलाइन पंजीकरण फॉर्म अप्लाई किया जा सकता है| यदि ऑनलाइन काम नहीं कर रहा है| तो, कोई भी व्यक्ति जो पीएम कुसुम योजना में सहायता चाहता है, वह अब 011-2436-0707, 011-2436-0404 (टोल फ्री: 1800-180-3333) पर संपर्क कर सकता है या आधिकारिक वेबसाइट mnre.gov.in पर जा सकता है|
प्रश्न: क्या पीएम कुसुम केंद्र प्रायोजित है?
उत्तर: उत्तर-पूर्व, हिमाचल, उत्तराखंड, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लिए, 50% परियोजना लागत केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित की जाएगी, शेष 30% राज्य द्वारा, और 10% लागत बैंकों द्वारा ऋण के रूप में दी जानी है|
प्रश्न: सोलर पंप कैसे काम करता है?
उत्तर: जब सौर ऊर्जा पीवी पैनलों पर सूर्य की किरणों को गिराती है तो सौर पैनल पीवी पैनलों के भीतर तय सी वेफर्स की मदद से किरणों को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है| फिर सौर ऊर्जा विद्युत मोटर को केबल का उपयोग करके पंपिंग सिस्टम को संचालित करने के लिए आपूर्ति करती है|
प्रश्न: पीएम कुसुम योजना के घटक क्या है?
उत्तर: पीएम कुसुम योजना के तीन घटक हैं और इन घटकों के तहत वर्ष 2022 तक 30.8 गीगावाट की अतिरिक्त सौर क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है, जैसे-
1. भूमि पर स्थापित 10,000 मेगावाट के विकेंद्रीकृत ग्रिडों को नवीकरणीय
ऊर्जा संयंत्रों से जोड़ना|
2. 20 लाख सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों की स्थापना|
3. ग्रिड से जुड़े 15 लाख सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों का सौरीकरण|
इस योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा कुल 34,000 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी|
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प्रश्न: पीएम कुसुम योजना के अपेक्षित लाभ क्या है?
उत्तर:-
डिस्कॉम की सहायता: वर्तमान में कृषि क्षेत्र के लिये बिजली पर अत्यधिक सब्सिडी दी जाती है, इसके लिये अधिकांशतःभूजल स्तर की तीव्र गिरावट और डिस्कॉम की खराब वित्तीय स्थिति को प्रमुख कारण माना जाता है|
इस योजना के तहत सौर ऊर्जा चालित पंपों की स्थापना से सिंचाई के लिये ग्रिडों से होने वाली विद्युत आपूर्ति पर किसानों की निर्भरता कम होगी| इस प्रकार यह योजना कृषि क्षेत्र में सब्सिडी के बोझ को कम करते हुए डिस्कॉम की वित्तीय स्थिति को सुधारने में सहायक होगी|
राज्यों की सहायता: इस योजना के तहत विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे आपूर्ति के दौरान होने वाली विद्युत क्षति या ट्रांसमिटान हानि को कम किया जा सकेगा, जैसे-
1. राज्य सरकारों के लिये यह योजना सिंचाई पर सब्सिडी के रूप में होने वाले परिव्यय को कम करने का एक संभावित विकल्प हो सकती है|
2. इसके अलावा यह योजना राज्यों को अपने ‘अक्षय खटीद दायित्त्वों (RPO) के लक्ष्यों को पूरा करने में सहायक होगी|
किसानों की सहायता: यदि किसान अपने सौर ऊर्जा संयंत्रों से उत्पादित अधिोष विद्युत को बेचने में सक्षम होते हैं, तो इससे उन्हें बिजली बचाने के लिये प्रोत्साहित किया जा सकेगा और भूजल का उचित एवं कुल उपयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा|
यह योजना किसानों को सौर जल पंपों (ऑफ-ग्रिड और ग्रिड-कनेक्टेड दोनों) के माध्यम से जल सुरक्षा प्रदान करने में सहायक हो सकती है|
पर्यावरण के संदर्भ में: इस योजना के तहत कृषि क्षेत्र में सिंचाई के लिये सौर चालित पंपों की स्थापना के माध्यम से सिंचित क्षेत्र में वृद्धि के साथ ही प्रदूषण में वृद्धि करने वाले डीज़ल पंपों के प्रयोग में कमी लाने में सफलता प्राप्त होगी|
साथ ही यह योजना छतों और बड़े संयंत्रों के बीच मध्यवर्ती स्तर सौर ऊर्जा उत्पादन के रिक्त स्थान को भरने में सहायक होगी|
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प्रश्न: पीएम कुसुम योजना की चुनौतियाँ क्या है?
उत्तर:-
संसाधन और उपकरणों की उपलब्धता: इस योजना को व्यापक स्तर पर लागू किये जाने के मार्ग में एक बड़ी बाधा उपकरणों की स्थानीय अनुपलब्धता है। वर्तमान में स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं के लिये पारंपरिक विधुत या डीज़ल पंप की तुलना में सोलर पंप की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
इसके अलावा ‘घरेलू सामग्री आवश्यकता’ (DCR) संबंधी नियमों की सख्ती के कारण सौर ऊर्जा उपकरणों के आपूर्तिकर्ताओं को स्थानीय सोलर सेल निमाताओं पर निर्भर रहना पड़ता है, हालाँकि वर्तमान में देश में स्थानीय स्तर पर पयप्ति घरेलू सोलर सेल निमणि क्षमता नहीं विकसित की जा सकी है|
छोटे और सीमांत किसानों की अनदेखी: इस योजना में छोटे और सीमांत किसानों की अनदेखी किये जाने का आरोप भी लगता रहा है, क्योंकि यह योजना 3 हॉर्स पावट (HP) और उससे उच्च क्षमता वाले पंपों पर केंद्रित है|
इस योजना के तहत किसानों की एक बड़ी आबादी तक सौर पंपों की पहुँच सुनिश्चित नहीं की जा सकी है क्योंकि वर्तमान में देश के लगभग 85% किसान छोटे और सीमांत श्रेणी में आते हैं|
विशेषकर उत्तर भारत और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में भू-जल स्तर में हो रही गिटावट किसानों के लिये छोटे पंपों की उपयोगिता को सीमित करती है|
भू-जल स्तर में गिरावट:-
1. केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, वर्तमान में देश में लगभग 30 मिलियन कृषि पंप संचालित हैं जिनमें से लगभग 22 मिलियन विद्युत चालित, जबकि 8 मिलियन डीज़ल पंप चालित हैं|
2. गौरतलब है कि वर्तमान में देश के कृषि क्षेत्र में वार्षिक विद्युत खपत लगभग 200 बिलियन यूनिट है, जो कि देश की कुल विद्युत खपत का लगभग 18% है|
3. कृषि क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति को लेकर सरकार द्वारा भाटी सब्सिडी दिये जाने के कारण सिंचाई के लिये खर्च की जाने वाली विद्युत की लागत बहुत ही कम होती है, जिसके कारण कई किसान अनावश्यक रूप से जल का दोहन करते रहते हैं| कृषि क्षेत्र में भूजल का यह अनियंत्रित दोहन जल स्तर में गिरावट का एक प्रमुख कारण है|
4. सिंचाई के लिये सौर ऊर्जा प्रणाली की स्थापना करने के बाद भू-जल स्तर में गिरावट की स्थिति में उच्च क्षमता के पंपों को लगाना और भी कठिन तथा खर्चीला कार्य होगा, क्योंकि इसके लिये किसानों को पंप से साथ-साथ बढ़ी हुई क्षमता के लिये सोलर पैनलों की संख्या में वृद्धि करनी होगी|
क्रियान्वयन में देरी: गौरतलब है तत्कालीन केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री द्वारा वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट की घोषणा के 20 दिनों के अंदर ही मार्च 2018 में इस योजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने की बात कही गई थी जबकि इस योजना के लिये केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूटी फरवटी 2019 में प्राप्त हुई|
हालाँकि वित्तीय वर्ष 2020-21 में केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा इसके तहत 20 लाख किसानों को सोलर पंप स्थापित करने और अन्य 15 लाख किसानों को अपने विद्युत चालित पंप के सौटीकरण में सहयोग देने की बात कहते हुए इस योजना के दायरे को बढ़ाने की घोषणा की गई|
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प्रश्न: पीएम कुसुम योजना की आगे की राह क्या है?
उत्तर:-
राज्यों को एक साथ लाना: इस विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा योजना की सफलता के लिये केंद्र और राज्यों के बीच आम सहमति का होना बहुत ही आवश्यक है|
भारत में ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ा कोई भी सुधार तब तक प्रभावी रूप से लागू नहीं किया जा सकता जब तक कि केंद्र, राज्य और अन्य सभी हितधारकों के बीच इस संदर्भ में आम सहमति न बन जाए|
संधारणीय कृषि: सिंचाई के लिये पारंपरिक डीज़ल या विद्युत चालित पंपों से सौर पंपों की तरफ बढ़ने के साथ ही किसानों को ‘ड्रिप इर्टिगेशन’ (Drip irrigation) जैसे आधुनिक उपायों को भी अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये, जो फसल उत्पादन में वृद्धि के साथ ही पानी और बिजली की बचत भी करती है|
आकर्षक सौर ऊर्जा मूल्य निर्धारण: इस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन और हितधारकों की इस पहल में गंभीरता के साथ भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये कार्यान्वयन की उच्च लागत और व्यापक रखरखाव की चुनौतियों को देखते हुए योजना की बेंचमार्क कीमतों को अधिक आकर्षक बनाना होगा|
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