गिनी घास (Guinea grass) बहुवर्षीय चारा है, चारे की फसलों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है| यह सिंचित स्थिति में पूरे वर्ष भर इससे चारा प्राप्त होता है| जबकि शुष्क दशा में केवल वर्षा काल में ही इससे हरा चारा उपलब्ध होता है| इस फसल को देश के सभी भागों में उगाया जाता है| इस लेख में गिनी घास की खेती कैसे करें और पशुओं हेतु हरा चारा कई साल तक कैसे मिलेगा का उल्लेख है|
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गिनी घास की खेती के लिए भूमि और तैयारी
गिनी घास के लिए उचित जल निकास वाली सभी प्रकार की भूमि में इसको उगाया जा सकता है| पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करके दो से तीन जुताई कल्टीवेटर या हैरो से करने के बाद पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभूरी कर खेत तैयार करना चाहिए|
गिनी घास की खेती के लिए उन्नत किस्में
बुन्देल गिनी- 1, 2, मेकौनी, हामिल, को- 1, को- 2, पी जी जी- 1, 9, 19, 101, गिनी गटन-1 और 9 आदि|
गिनी घास की खेती के लिए बुवाई का समय
गिनी घास की नर्सरी तैयार करने के लिए फरवरी से मार्च में क्यारियां बनाकर बीज डाल देना चाहिए| इसके लिए 1 से 1.5 मीटर चौड़ी क्यारी बनानी चाहिए, एक हेक्टेयर के लिए आठ मीटर लम्बी लगभग 15 क्यारियों की आवश्यकता होती है| जबकि सीधे खेत में बुवाई करने के लिए मानसून से पहले बुवाई कर लेनी चाहिए|
गिनी की बुवाई पंक्ति में करनी चाहिए एवं पंक्ति से पंक्ति की दूरी 1 मीटर और पौधे से पौधे की दूरी 50 सेंटीमीटर रखनी चाहिए| बड़े भू–भाग में बुवाई सीड पैलेट द्वारा करना सस्ता और सुलभ रहता है|
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गिनी घास की खेती के लिए बीज मात्रा और बुवाई
गिनी घास को सीधे खेत में बीज डालकर या नर्सरी लगाकर लगाया जाता है| दोनो विधियों में लगभग 2.5 से 3 किलो ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के लिए पर्याप्त होता है, जबकि जड़ों द्वारा बुवाई के लिए 25000 से 66000 जड़े एक हेक्टेयर के लिए पर्याप्त होती हैं| नर्सरी में पौध तैयार करने के लिए लगभग 6 महीने पुराना बीज एक सेंटीमीटर गहराई पर डालना चाहिए| इसके बाद क्यारियों को जूट बैग से ढक कर पानी लगाना चाहिए|
गिनी घास की खेती के लिए खाद और उर्वरक
गिनी घास की खेती हेतु अच्छी प्रकार सड़ी हुई गोबर की खाद 25 टन प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होती है| बुवाई के समय 60 किलो ग्राम नत्रजन, 40 किलो ग्राम फास्फोरस, और 40 किलो ग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से रोपाई पूर्व खेत में फर्टीलाइजर ड्रील से डालना चाहिए| इसके बाद प्रत्येक कटाई के बाद 40 किलो ग्राम नत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए|
गिनी घास की खेती में खरपतवार रोकथाम
गिनी घास की खेती में शुरू के 30 से 40 दिनों में खरपतवारों की भरमार होती है| इसलिए 2, 4-डी 1.0 किलोग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टर की दर से 500 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करना चाहिए| प्रथम रोपाई के समय लोबिया की अन्तर फसल से भी खरपतवार रोकथाम किया जा सकता है, साथ ही गुणवत्तायुक्त हरा चारा भी आसानी से प्राप्त किया जा सकता है|
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गिनी घास की खेती के लिए सिंचाई प्रबंधन
सिंचाई उपलब्ध होने पर गर्मी के दिनों में सिंचाई करनी चाहिए| मार्च से जून तक 20 दिन के अंतराल पर सिंचाई करने से वर्ष भर चारा उपलब्ध रहता है| खरीफ में सामान्यता सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है|
गिनी घास फसल की कटाई और पैदावार
गिनी घास की फसल 60 से 65 दिन पर पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है| सिंचित दशा में 50 दिन के बाद फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है| इस प्रकार लगभग 100 से 150 टन प्रति हेक्टेयर हरा चारा उपलब्ध होता हैं|
असिंचित दशा में सिर्फ मानसून पर आधारित खेती से दो-तीन बार कटाई की जाती है, जो अगस्त से लेकर दिसम्बर तक प्राप्त होती है| इसलिए इसको चारा वाले वृक्षों के बीच लगाकर (छाया सहनशीलता के कारण) भी चारा उत्पादन किया जा सकता है|
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