गुलदाउदी का प्रवर्धन के बारें में जानेगे, लेकिन उससे पहले आतंरिक तथा बाहरी सज्जा के लिए फूलों का अपना अलग ही महत्व है| अब चाहे फूल कैसा भी हो| गुलदाउदी के फूलों की बनावट, आकार-प्रकार और रंगों में इतनी अधिक विभिन्नता है, कि शायद ही किसी अन्य फूल में हो|
इसमें सुगन्ध तो नहीं होती, साथ ही फूलने का समय भी कम होता है, फिर भी, इसके फूल की बनावट इतनी सुन्दर और आकर्षक होती है, कि शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो इसे देखकर मुग्ध न हो जाये| इस फूल की विभिन्न किस्मों के चटकीले रंग तथा इसकी बनावट इसके साज श्रृंगार में चार चांद लगा देती है| गुलदाउदी के फूलों में विभिन्नताओं के कारण ही इसे ‘फूलों की रानी’ का खिताब प्रदान किया गया है| गुलदाउदी की वैज्ञानिक तकनीक से खेती कैसे करें, की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- गुलदाउदी की खेती कैसे करें
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गुलदाउदी का प्रवर्धन
गुलदाउदी का प्रवर्धन बीज, वानस्पतिक और ऊतक संवर्धन विधि द्वारा किया जाता है| गुलदाउदी का व्यावसायिक प्रवर्धन वानस्पतिक विधि द्वारा किया जाता हैं, जैसे-
प्रवर्धन बीज द्वारा-
बीज द्वारा प्रवर्धन नई किस्मों को विकसित करने के लिए पौध प्रजनन विधि में किया जाता हैं, विकसित प्रजातियों का प्रवर्धन बीज द्वारा करने से पौध की गुणवत्ता में गिरावट आती है|
वानस्पतिक विधि द्वारा-
गुलदाउदी का प्रवर्धन वानस्पतिक विधि द्वारा तैयार किये गये पौधे कठोर व आनुवंशिक तौर पर एक समान होते हैं, वानस्पतिक विधि में मूलस्तरों और कलम विधि आता है|
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मूलस्तरी विधि द्वारा-
गुलदाउदी का प्रवर्धन की यह बहुत ही पुरानी विधि है, आज भी कुछ पुष्प उत्पादक इस विधि का इस्तेमाल पौध प्रवर्धन में करते हैं| कलम विधि द्वारा तैयार किये गये पौध सामग्री के अपेक्षाकृत इस विधि द्वारा तैयार किए गए पौधों से पुष्प छोटे आकार के उत्पादित होते हैं|
पौधों से फूल समाप्त होने के 1 से 12 माह बाद जड़ को मातृ पौधों से तना और पत्ती के साथ अलग करते हैं तथा मूलस्तरी को नर्सरी या क्यारी में छायादार स्थान पर लगाने से पहले लम्बी जड़े 1.5 से 2.0 सेंटीमीटर छोड़ कर काट देते हैं|
अगर मुलस्तरी पर अधिक पत्तियाँ हों, तो ऊपर की 5 से 6 पत्तियाँ छोड़कर नीचे की पत्तियाँ नर्सरी या क्यारी में लगाने से पहले काट देते हैं|
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कलम विधि द्वारा-
व्यावसायिक रूप से गुलदाउदी के पौधों का प्रवर्धन तना के शीर्षस्थ भाग से तैयार किया जाता है| प्रवर्धन के लिए प्रतिवर्ष मातृ पौधों का रोपण करने से अच्छी गुणवत्तायुक्त कलमें प्राप्त होती हैं| यदि मातृ पौधों को 21 से 27 सेंटीग्रेड तापमान पर उगाया जाए, तो कलमें अधिक मात्रा में मिलती हैं|
मातृ पौधों को पुष्पोत्पादन के उपरान्त जनवरी माह के अंतिम सप्ताह या फरवरी के प्रथम सप्ताह में क्यारी की सतह से 12 से 15 सेंटीमीटर निचला भाग छोड़कर शेष भाग को काट देते हैं| यह देखा गया है, कि मध्य मार्च तक कलमें नर्सरी में लगाने के लिए तैयार हो जाती हैं| इस प्रकार मातृ पौधों से मार्च से लेकर जून तक दो से तीन बार तक कलमें लेते हैं|
आमतौर 4 से 6 पत्तियों के साथ 10 से 12 सेंटीमीटर लम्बी और 3 से 5 मिली मीटर व्यास वाली कलमें अधिकत्तर अच्छी होती हैं| जल्दी एवं अच्छी जड़ें विकसित करने के लिए कलमों के निचले हिस्सों में सेरेडेक्स ‘बी’ पाउडर लगाया जाता है, या 2000 पीपीएम सांद्रता वाली इण्डोल ब्यूटेरिक एसिड आईबीए के घोल में 0.5 सेंटीमीटर निचला हिस्सा डुबोकर तुरन्त निकाल लेते हैं|
इसके उपरान्त बालू की क्यारी में 2.0 से 2.5 सेंटीमीटर गहरा, कलम से कलम 1.5 से 2.0 सेंटीमीटर और पंक्ति से पंक्ति 2.0 से 2.5 सेंटीमीटर का फासला रखते हुए कलमें लगाते हैं| कलम लगाने के बाद हजारा या स्प्रंकलर सिंचाई विधि द्वारा दिन में 5 से 6 बार हल्की सिंचाई पत्तियों पर करते रहते हैं| इस प्रकार कलमें लगाने के 20 से 25 दिनों बाद पौध रोपण के लिए तैयार हो जाती हैं|
उपरोक्त विधियों से कृषक बन्धु गुलदाउदी का प्रवर्धन उपयोगी एवं आधुनिक व्यावसायिक विधियों से कर के फूलों की उन्नत पैदावार प्राप्त कर सकते है|
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