जुलाई के महीने में देश के कई इलाकों में बारिश का मौसम शुरू हो जाता है| यह समय कृषि संबंधी कई कार्यों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है| इस समय मुख्य खेत में कई फसलें लगी होती हैं| अगर आप कृषि व्यवसाय से जुड़े हैं तो इस समय किए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण कृषि कार्यों के बारे में जानना जरूरी है| आइये इस विषय के बारे में विस्तार से जानते हैं|
बाजरा फसल के लिए
संकर बाजरे की किस्में, एच एच बी 50, एच एच बी 60, एच एच बी 94, एच एच बी 67 (संशोधित), एच एच बी 117, एच एच बी 146, एच एच बी 197, एच एच बी 216, एच एच बी 223 व एच एच बी 226, एच एच बी 234, एच एच बी 272, एच एच बी 299, एच एच बी 311 या कम्पोज़िट किस्में, एच सी 10 व एच सी 20 की बुआई करें| संकर बाजरे का बीज हर साल नया ही लेकर बुआई करें| बिजाई के लिए जुलाई का प्रथम पखवाड़ा सबसे उत्तम समय है परंतु बारानी इलाकों में मानसून की पहली वर्षा होने पर ही बिजाई करें|
खेत को 2 या 3 बार जोतकर फौरन सुहागा लगाकर अच्छी तरह तैयार करें ताकि घासफूस न रहे| बारानी क्षेत्रों में वर्षा से पहले खेत के चारों तरफ खूब मज़बूत डोलें बनाएं ताकि खेत में पानी जमा हो जाए जो आगामी फसल के काम आएगा| एक एकड़ के लिए 1.5 से 2 किलोग्राम बीज चाहिए| खेत में सही उगाव के लिए बिजाई खूडों में इस तरह करें कि बीज के ऊपर 2.0 से 3.0 सैंमी से अधिक मिट्टी न पड़े| दो खूडों का फासला 45 सैंमी रखें| वर्षा के मौसम में मेड़ों पर बिजाई करना अच्छा होता है| इस तरीके से बिजाई के लिए मेड़ों पर बीजने वाले हल का प्रयोग करें|
आम उपजाऊ व सिंचाई की सुविधा वाली भूमि में प्रति एकड़ 62.5 किलोग्राम नाइट्रोजन ( 135 किग्रा यूरिया), 25 किग्रा फास्फोरस (150 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट) तथा 10 किग्रा जिंक सल्फेट डाली जानी चाहिए| आधी नाइट्रोजन बिजाई के समय ड्रिल करें व शेष दो बार दें – एक छंटाई के समय व दूसरी सिट्टे बनते समय| असिंचित बाजरे में 16 किग्रा नाइट्रोजन (35 किग्रा यूरिया) व 8 किग्रा फास्फोरस (50 किग्रा एसएसपी) प्रति एकड़ बिजाई के समय ड्रिल करें| सिंचित बाजरा में फास्फोरस व जिंक सल्फेट बिजाई के समय पोरें|
भूमि में यदि लौह तत्व की कमी है (डीटीपीए निष्कर्षणीय लौह तत्व 4.5 पीपीएम से कम है) तो 0.5 प्रतिशत हरा कशीश (आयरन सल्फेट) के घोल का छिड़काव बाजरा की बिजाई के 25-30 दिन बाद (फुटाव अवस्था) करें| चेपा या अरगट रोग से बचाव हेतु बीज को 10 प्रतिशत नमक के घोल (10 लीटर पानी में 1 किलोग्राम नमक) में डुबो लें और तैरते हुए पिण्डों व अन्य पदार्थों को बाहर निकाल कर जला दें| नीचे बैठे हुए बीज को साफ पानी में 3-4 बार धोकर सुखा लें और 4 ग्राम थाइरम प्रति किलोग्राम बीज के मिश्रण से बीजोपचार करके बिजाई करें|
यदि बीज पहले से उपचारित न हो तो डाऊनी मिल्ड्यू (जोगिया या हरे बालों वाला रोग) की शुरुआती रोकथाम के लिए बीज को मैटालेक्सिल 35 प्रतिशत से 6 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें| बाजरे की बिजाई के 3 और 5 सप्ताह बाद निराई-गुड़ाई करें| खरपतवारों की रोकथाम रसायनों द्वारा भी की जा सकती है| बिजाई के तुरंत बाद 400 ग्राम एट्राजीन (50 प्रतिशत घुपा) प्रति एकड़ 250 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें| यदि बिजाई के तुरन्त बाद एट्राजीन का प्रयोग न कर सकें तो बिजाई के बाद 10-15 दिन के बीच में भी उतनी ही मात्रा प्रयोग कर सकते हैं|
ज्योंही खेत में कोढिया या डाऊनी मिल्ड्यू दिखाई दे प्रभावित पौधे उखाड़ कर नष्ट कर दें और वहां स्वस्थ पौध रोप दें ताकि खेत में पौधों की संख्या पूरी बनी रहे| पछेती दशा में बाजरे की रोपाई करने के लिए जुलाई माह के पहले सप्ताह में नर्सरी में क्यारियों में बिजाई करें| नर्सरी के लिए क्यारियां ऐसी जगह बनाएं जहां वर्षा के न होने पर भी सिंचाई के लिए पानी का साधन हो| वर्षा की हालत में बीज छिटक कर तथा सूखी अवस्था में तंग कतारों में बोएं| नर्सरी में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें| खेत में रोपाई के लिए लगभग तीन हफ्ते में पौध तैयार हो जाती है| बाजरा फसल की अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- बाजरे की खेती: जलवायु, किस्में, देखभाल और पैदावार
मक्का फसल के लिए
संकर मक्का की एच एच एम – 1, एच एच एम 2, एच एम-4, एच एम-5, एच एम – 10, एच एम – 11, एच क्यू पी एम 1, एच क्यू पी एम 5, एचक्यू पी एम 4 किस्मों की बुआई कर सकते है| इनकी बिजाई कतारों में 75 सैंमी की दूरी पर 20 जुलाई तक पूरी कर लें| बिजाई के 10 दिन बाद फालतू पौधे निकाल कर पौधे से पौधे की दूरी 20 सैंमी रखें| बीज की गहराई 3 से 5 सैंमी हो| साधारणतया 80 किग्रा बीज प्रति एकड़ बिजाई के लिए काफी होता है| मक्की में खरपतवारों को कल्टीवेटर, व्हील हैंड या खुरपे / कसोले द्वारा निराई करके या खरपतवारनाशक दवाइयों से नष्ट किया जा सकता है|
बिजाई के तुरन्त बाद 400-600 ग्राम एट्राजीन (50 प्रतिशत घुपा) प्रति एकड़ 250 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें| मक्की में सभी तरह के खरपतवारों के नियन्त्रण के लिए टैम्बोट्रायोन (लोडिस 34.4 प्रतिशत) का 115 मिली तैयार शुद्ध मिश्रण + 400 मिली चिपचिपे पदार्थ को 200 लीटर पानी में घोलकर बिजाई के 10-15 दिन बाद या खरपतवार की 2-3 पत्ती की अवस्था पर प्रति एकड़ छिड़कें|
20 किग्रा नाइट्रोजन (43 किग्रा यूरिया), 24 किग्रा फास्फोरस (150 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट), 24 किग्रा पोटाश (40 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश), 10 किग्रा जिंक सल्फेट प्रति एकड़ बिजाई पर पोरें| 20 किग्रा नाइट्रोजन ( 43 किग्रा यूरिया) / एकड़ पौधों के घुटने तक बड़ा होने पर व इतना ही झंडे आने से कुछ पहले दें| मक्का फसल की अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- मक्का की खेती: जलवायु, किस्में, देखभाल और पैदावार
धान फसल के लिए
धान की आई आर – 64, एच के आर – 46, एच के आर – 47, पी आर -106, जया, एच के आर-120, एच के आर – 126, एच के आर – 127 व हरियाणा संकर धान – 1 की रोपाई 7 जुलाई तक पूरी कर लें| कम अवधि वाली किस्म गोविन्द व एच के आर 48 की रोपाई जुलाई अन्त तक कर सकते हैं| धान की अन्य किस्में, लंबी बासमती जैसे तरावड़ी बासमती, सी एस आर – 30, बासमती – 370 व बौनी बासमती जैसे हरियाणा बासमती-1, पूसा बासमती-1, पूसा बासमती – 4 (पूसा 1121) की रोपाई भी जुलाई के मध्य में पूरी कर लें| इसमें ब्लास्ट या बदरा रोग कम लगता है|
खेत में अच्छी तरह से पौध चलने के लिए व पानी बनाए रखने के लिए खेत को अच्छी तरह कद्दू करके एकसार कर लें| रोपाई के लिए कम समय वाली बौनी किस्मों हेतु 25-30 दिन पुरानी पौध प्रयोग करें| धान की समय पर रोपाई के लिए लंबी किस्मों में कतारों में 20 सैंमी व पौधों में 15 सैंमी दूरी रखें| जबकि देर से रोपाई हेतु यह दूरी 15-15 सैंमी रखें| एक जगह कम से कम 2-3 पौध सीधी लगाएं लेकिन 2-3 सैंमी से अधिक गहरी नहीं| कल्लर वाले खेतों में एक जगह कम से कम 3-4 पौध लगाएं|
धान की बौनी मध्यम, मध्यम काट अवधि व संकर धान वाली किस्मों जैसे जया, पी आर 106, एच के आर 120, एच के आर 126 एच के आर 127 व हरियाणा संकर धान -1 में 60 किग्रा नाइट्रोजन (130 किग्रा यूरिया), 24 किलोग्राम फास्फोरस ( 150 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट), 24 किलोग्राम पोटाश (43 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश) व 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति एकड़ का प्रयोग करें जबकि कम अवधि वाली गोबिन्द में 48 किलोग्राम नाइट्रोजन व ऊपर दी गई फास्फोरस, पोटाश व जिंक सल्फेट की मात्रा प्रयोग करें|
नाइट्रोजन की 1/3 मात्रा, फास्फोरस, पोटाश व जिंक सल्फेट की पूरी मात्रा रोपाई के समय खेत में डालें| 1/3 नाइट्रोजन की मात्रा रोपाई के 21 दिन बाद और बाकी 1/3 नाइट्रोजन रोपाई के 42 दिन बाद खेत में डालें| रोपाई पर डालने वाली 1/3 नाइट्रोजन की मात्रा रोपाई के एक सप्ताह के अंदर भी डाली जा सकती है| अगर खेत में ढैचे की हरी खाद का प्रयोग किया गया है तो नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश की 2/3 मात्रा का ही प्रयोग करें| लम्बी बासमती धान में 24 किलोग्राम नाइट्रोजन (50 किग्रा यूरिया), 12 किलोग्राम फास्फोरस (75 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट) व 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति एकड़ दें|
नाइट्रोजन रोपाई के 21 व 42 दिन बाद दो बार डालें| बौनी बासमती धान में 36 किलोग्राम नाइट्रोजन ( 80 किग्रा यूरिया), 12 किलोग्राम फास्फोरस (75 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट) व 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट दें| नाइट्रोजन की 1/3 मात्रा व फास्फोरस की पूरी मात्रा पौध लगाते समय दें| बाकी 1/3 मात्रा 21 दिन बाद व 1/3 मात्रा 42 दिन बाद दें| धान की फसल में सांवक और मोथा बहुतायत में पाए जाते हैं|
इनकी रोकथाम के लिए ब्यूटाक्लोर ( मचौटी, डेक्लोर ईसी व मिलक्लोर, नर्वदाक्लोर, कैपक्लोर, ट्रैप, तीर हिल्टाक्लोर, ईसी) 1.2 लीटर प्रति एकड़ 60 किलोग्राम सूखी रेत में मिलाकर पौध रोपण के 2-3 दिन उपरांत 4-5 सैंमी गहरे पानी में एकसार बिखेर दें| इसके अतिरिक्त अन्य खरपतवार-नाशकों का प्रयोग भी समग्र सिफारिशों के अनुरूप करें|
रोपाई के (6 से 10 दिन) बाद जब पौधे ठीक प्रकार से जड़ पकड़ लें तो पानी रोक लें ताकि पौधों की जड़ें विकसित हो जाएं| एक बार में 5-6 सैंमी से अधिक गहरा पानी न लगाएं| धान की जड़ की सूण्डी के आक्रमण से पौधे पीले हो जाते हैं व फुटाव भी कम होता है जिससे पौधे छोटे भी रह जाते हैं| इसके नियंत्रण के लिए 10 किलोग्राम कार्बोफ्यूरान 3 – जी या 4 किलोग्राम फोरेट (थिमेट) 10 जी प्रति एकड़ डालें| यदि पत्ता लपेट सूण्डी का आक्रमण हो तो 200 मिली मोनोक्रोटोफास 36 एसएल या 400 मिली क्विनलफॉस 20 एएफ को 200 लीटर पानी में प्रति एकड़ फसल पर छिड़कें| धान फसल की अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- धान की खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार
कपास फसल के लिए
यदि कपास की बिजाई किसी कारण देर से की हो तो जुलाई के पहले सप्ताह में फसल को पानी लगाएं तथा फालतू पौधों को निकाल दें जिससे कि एक कतार में पौधे से पौधे का फासला 30 सैंमी रह जाए| कोणदार धब्बों से बचाव हेतु जुलाई के पहले सप्ताह में 6-8 ग्राम स्ट्रैप्टोसाइक्लिन व कॉपर ऑक्सीक्लोराईड ( 600 – 800 ग्राम प्रति एकड़) को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर 15-20 दिन के अंतर पर लगभग 4 छिड़काव करें|
नरमा में नाइट्रोजन 35 किग्रा, फास्फोरस 12 किग्रा, देसी कपास में नाइट्रोजन 20 किग्रा व संकर कपास में नाइट्रोजन 70 किग्रा, फास्फोरस 24 किग्रा व पोटाश 24 किग्रा प्रति एकड़ की सिफारिश है| नाइट्रोजन की खाद आधी बौकी आने (जुलाई- अंत) के समय तथा आधी फूल आने के समय डालें| संकर किस्मों में इन दोनों समय पर नाइट्रोजन 1/3 की दर से डालनी चाहिए| बेहतर होगा कि सारा फास्फोरस व 10 किग्रा जिंक सल्फेट बिजाई के समय डालें|
2, 4-डी कपास के लिए घातक
इसके प्रभाव से कपास की पत्तियों में बारीक कटाव (हथेली जैसा) आ जाता है, फूल गिर जाते हैं और टिण्डे नहीं बनते| इसलिए ध्यान रखें कि जिस स्प्रेयर से 2, 4-डी प्रयोग में लाया गया हो उसे बीमारी व कीड़े मारने वाली दवाओं के छिड़काव के लिए प्रयोग में न लाएं| साथ ही 2, 4-डी का संपर्क कपास की फसल में प्रयोग में लाए जाने वाले कीटनाशकों और फफूंदनाशकों के साथ न होने पाए| कीट या फफूंदनाशकों के छिड़काव के लिए घोल बनाने से पूर्व बोतल या टीन का लेबल ध्यान से देख लें|
2, 4 – डी से प्रभावित पौधों की समस्या हो जाने पर प्रभावित कोंपलों को 15 सेमी काट दें और इसके बाद 2.5 प्रतिशत यूरिया तथा 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट के घोल का छिड़काव करें| खरपतवार नियंत्रण के लिए पहली गोड़ाई पहली सिंचाई से पहले कसौला से करें| बाद में हर सिंचाई के बाद समायोज्य कल्टीवेटर से निराई-गोड़ाई करें|
पहली सिंचाई जितनी देर से की जाए अच्छी है| आमतौर पर बिजाई के 40-45 दिन बाद सिंचाई करें| कपास में बिजाई के 40-45 दिनों के बाद सूखी गुड़ाई के बाद स्टोम्प 30 ईसी की 1.25 लीटर मात्रा प्रति एकड़ को 200-250 लीटर पानी में घोल से उपचार के बाद सिंचाई करने से भी वार्षिक खरपतवारों का उचित नियन्त्रण हो जाता है|
हरा तेला की रोकथाम के लिए एक से दो छिड़काव 40 मिली कोन्फीडोर या 40 ग्राम एकतारा या 250-350 मिली रोगोर 30 ईसी को 120 से 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ 15 दिन के अंतर पर छिड़कें| पहला छिड़काव तब करें जब 20 प्रतिशत पूरे विकसित पत्ते किनारों से पीले होकर मुड़ने लगें| सफेद मक्खी का भी यही इलाज है|
यदि बालों वाली सूण्डी, पत्ता लपेट सूण्डी, कुब्बड़ कीड़े या चित्तीदार सूण्डी का भी आक्रमण जुलाई अंत से मध्य अगस्त तक हो तो 600 मिली क्विनलफॉस (एकालक्स) 25 ईसी या 75 मिली स्पाईनोसैड (ट्रैसर) 75 एस सी या 1 लीटर नीम (अचूक निम्बीसीडीन) का प्रयोग करें| मीली – बग बचाव के लिए खेतों के आसपास उगे खरपतवारों, विशेषकर कांग्रेस घास, कंघी बूटी, जंगली भ्रुट आदि को काट कर जला दें| कपास फसल की अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- कपास की खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार
मूँगफली फसल के लिए
मूँगफली की बिजाई इस माह के मध्य तक पूरी कर लें| पंजाब मूंगफली नं. 1, एम एच -4 की बिजाई क्रमश: 30×22.5 व 30 -15 सैंमी पर करें| बीज ‘केरा’ विधि से खूड़ों में 5 सैंमी की गहराई पर डालें| पंजाब मूंगफली नं. 1 के लिए 34 किलोग्राम व एम एच -4 के लिए 32 किलोग्राम गिरी एक एकड़ के लिए काफी होगी| बोने से पूर्व स्वस्थ गिरियों का कैप्टान या थाइरम 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज से उपचार करें| सफेद लट व दीमक से फसल को बचाने के लिए 15 मिली क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी या क्विनलफॉस 25 ईसी प्रति किलोग्राम बीज का बुवाई से 4-5 घंटे पहले उपचार करें|
मूंगफली में 6 किलोग्राम नाइट्रोजन (13 किग्रा यूरिया), 20 किलोग्राम फास्फोरस (125 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट), 10 किलोग्राम पोटाश ( 16 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश)व 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट/एकड़ बिजाई के समय ड्रिल करें| मूंगफली में जिप्सम का प्रयोग लाभदायक पाया गया है| बिजाई के 21 व 42 दिन पर निराई-गुड़ाई द्वारा खरपतवार नियंत्रण करें| पहली सिंचाई 30-35 दिन बाद तथा एक सिंचाई फूल आने पर करें| मूंगफली फसल की अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- मूंगफली की खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार
मूंग, उड़द व लोबिया फसल के लिए
मूँग मुस्कान, सत्या, बसंती, एम एच 421, एम एच 318, उड़द यू एच-1 तथा लोबिया एफ एस-68, एच सी 46 किस्में बोएं| मूँग व उड़द के लिए 6 से 8 किलोग्राम तथा लोबिया के लिए 12 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ डालें और बीज गलन व पौध अंगमारी से बचाव हेतु बीज में 4 ग्राम थाइरम प्रति किलोग्राम बीज मिलाएं| बिजाई जुलाई के पहले पखवाड़े तक 30 व 45 सैंमी (क्रमश: सिंचित व असिंचित क्षेत्र के लिए) की दूरी पर कतारों में करें|
दो बार निराई-गोड़ाई करें| इन सभी दलहनी फसलों में बिजाई के समय 6-8 किलोग्राम नाइट्रोजन (13 – 17.5 किग्रा यूरिया) प्रारंभिक मात्रा के रूप में तथा 16 किलोग्राम फास्फोरस (100 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट) प्रति एकड़ खेत में पोर दें| सभी फसलों को राइजोबियम के टीके से उपचारित करके बोएं| मूंग, उड़द व लोबिया फसल की अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें-
मूंग की खेती: जलवायु, किस्में, देखभाल और पैदावार
उड़द की खेती: किस्में, जलवायु, देखभाल और पैदावार
लोबिया की खेती: किस्में, बुआई, देखभाल, पैदावार
सोयाबीन फसल के लिए
सोयाबीन की पी के – 416, पी के – 564 व पी के 472 किस्में उत्तम हैं| इसकी बिजाई जून के आखिरी या जुलाई के प्रथम सप्ताह में करें| राईजोबियम के टीके से उपचारित 30 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ डालें| कतार का फासला 45 सैंमी रखकर ढाई सैंमी गहरी बिजाई करें| अधिक उपज पाने के लिए 10 किलोग्राम नाइट्रोजन (22 किग्रा यूरिया) तथा 32 किलोग्राम फास्फोरस ( 200 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट) प्रति एकड़ बिजाई के समय डालें| 15 व 35 दिन बाद इसकी निराई-गोड़ाई करें| सोयाबीन फसल की अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- सोयाबीन की खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार
अरहर फसल के लिए
अरहर की कम समय में पकने वाली यू पी एस-120 या मानक या पारस की बिजाई शीघ्र ही जुलाई के प्रथम सप्ताह में पूरी कर लें| एक एकड़ के लिए लगभग 5-6 किलोग्राम बीज डालें| इन सभी किस्मों की बिजाई कतारों में 40 सैंमी की दूरी रखकर करें| बीज को राईजोबियम के टीके से उपचारित करके ही बोएं तथा 8 किलोग्राम नाइट्रोजन ( 17.5 किग्रा यूरिया) व 16 किग्रा फास्फोरस (100 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट) प्रति एकड़ बिजाई के समय डालें| अरहर फसल की अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- अरहर की खेती: जलवायु, किस्में, देखभाल और पैदावार
गन्ना फसल के लिए
चोटी (अगोला) बेधक कीट के लिए जून में कीटनाशक न डाली हो तो अब तुरंत 13 किलोग्राम फ्यूराडान 3 – जी या 8 किलोग्राम फोरेट 10-जी को खाद के साथ मिलाकर प्रति एकड़ डालें व इसके तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें| यदि नाइट्रोजन खाद की शेष आधी मात्रा लगानी रहती है तो उसे पूरा कर लें| बसन्तकालीन फसल में 60 किग्रा नाइट्रोजन ( 130 किग्रा यूरिया), 20 किग्रा फास्फोरस (125 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट) व 20 किग्रा पोटाश (35 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश) बिजाई के समय, 1/3 नाइट्रोजन दूसरी तथा 1/3 नाइट्रोजन चौथी सिंचाई के साथ डालें| गन्ना फसल की अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- गन्ना की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
तिल फसल के लिए
हरियाणा तिल नं. 1 व हरियाणा तिल नंबर 2 को जुलाई के पहले पखवाड़े में 4-5 सैंमी गहराई व 30 सैंमी. का फासला रखकर खूडों में पौधे से पौधे का फासला 15 सैंमी रखें| दो किलोग्राम प्रति एकड़ बीज प्रयोग करें| बिजाई से पूर्व प्रति किलोग्राम बीज में 3 ग्राम कैप्टान या थाइरम मिलाकर बिजाई करें| कम उपजाऊ व हल्की ज़मीन में 15 किलोग्राम नाइट्रोजन (35 किग्रा यूरिया) व 10 टन गोबर की सड़ी खाद प्रति एकड़ बिजाई से पहले ड्रिल करें| तिल फसल की अधिक जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- तिल की खेती: जलवायु, किस्में, देखभाल और पैदावार
फसलों के जुलाई माह के अन्य कृषि कार्य
1. सोयाबीन फसल में संकरी एवं चौड़ी पत्तियों वाले खरपतवारों के नियंत्रण हेतु अंकुरण से पूर्व पेन्डीमिथेलीन 30 ईसी, इमेजाथायपर 2 ईसी (मिश्रित उत्पाद ) का 960 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर (व्यवसायिक दर 3000 मिली प्रति हेक्टेयर) या सल्फेन्ट्राजोन, क्लोमेजोन 58 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण (मिश्रित उत्पाद ) का 725 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर ( व्यवसायिक दर 1250 मिली प्रति हेक्टेयर) को 500 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें|
2. सोयाबीन की खड़ी फसल में खरपतवार नियंत्रण हेतु सोडियम एसीफ्लोरफेन 16.5 प्रतिशत + क्लोड़िनाफॉप प्रोपारजिल 8 प्रतिशत (मिश्रित उत्पाद ) 1000 मिलीलीटर प्रति हैक्टर या प्रोपेक्यूजाफॉप 25 प्रतिशत + इमेजाथापायर 3.75 प्रतिशत एमई (मिश्रित उत्पाद) को 2 लीटर को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टर की दर से बुवाई के 15-20 दिन बाद छिड़काव करें|
3. मक्का में खरपतवार नियंत्रण हेतु बुवाई के तुरन्त बाद एट्राजिन 50 डब्ल्यूपी 500 ग्राम सक्रिय तत्व को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें|
4. मक्का की खड़ी फसल में टॉपरामेजॉन 33.6 प्रतिशत एससी का 25.2 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर या टेम्बोट्राइन 42 प्रतिशत एससी का 120.75 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के 15-20 दिन बाद छिड़काव करने पर संकरी व चौड़ी पत्तियों वाले खरपतवारों का नियंत्रण होता है|
5. उडद की उन्नत किस्में: प्रताप उडद 1, मुकन्दरा उडद 2, कोटा उड़द 3, कोटा उड़द 4, पन्त यू 31, पन्त यू 19 व केयू 96-3 की बुवाई करें|
6. तिल की उन्नत किस्म प्रताप, आरटी 46, आरटी 125, आरटी 103, आरटी 346 व आरटी 351 की बुवाई करें|
7. कम एवं अधिक वर्षा की स्थिति में सोयाबीन, उड़द एवं मूंग को चौड़ी मेड़ एवं कँड पद्धति (बीबीएफ) विधि से तीन पंक्तियों में बुवाई करें|
8. उडद की फसल में अंकुरण से पूर्व पेण्डीमिथेलीन 30 ईसी 1.0 किग्रा सक्रिय तत्व प्रति हैक्टर (व्यवसायिक दर 3.3 लीटर) का छिडकाव करके खरपतवारों की प्रभावी रोकथाम की जा सकती है|
9. जुलाई में उड़द की खड़ी फसल में खरपतवार नियंत्रण हेतु इमेजाथायपर 10 प्रतिशत एसएल 55 ग्राम सक्रिय तत्व या सोडियम एसीफ्लोरफेन 16.5 प्रतिशत + क्लोडिनाफॉप प्रोपारजिल 8 प्रतिशत (मिश्रित उत्पाद ) 187.5 ग्राम सक्रिय तत्व (व्यवसायिक मात्रा 750 मिलीलीटर प्रति हैक्टर) को 500 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के 15-20 दिन बाद (खरपतवार 3-4 पत्ती अवस्था) भूमि में पर्याप्त नमी की स्थिति में प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करें|
अगर आपको यह लेख पसंद आया है, तो कृपया वीडियो ट्यूटोरियल के लिए हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें| आप हमारे साथ Twitter और Facebook के द्वारा भी जुड़ सकते हैं|
Leave a Reply