जुलाई माह में किसी भी बाग या बगीचे में फलों के पेड़ों को अच्छे स्वास्थ्य में रखने के लिए उन पर ध्यान दिया जाना चाहिए| जुलाई गहन गतिविधि का समय है, और फलों के पेड़ों को विभिन्न प्रकार के कीटों से सुरक्षा की आवश्यकता होती है| शाखाओं को टूटने से बचाने के लिए सेब, प्लम और नाशपाती को पतला कर देना चाहिए| कुछ फलों की तुड़ाई शुरू हो जायेगी|
गर्मियों में सेब और नाशपाती की छंटाई करनी चाहिए| आवश्यकतानुसार पानी देना जारी रखें| जुलाई माह नये बाग स्थापित करने का भी सही समय है| साल के इस समय में, यह भी जरूरी है कि आप फलों के पेड़ों की देखभाल करते रहें, ताकि आप उनको कीट संक्रमण, बीमारी और मौसम संबंधी समस्याओं से बचा सकें| जुलाई माह में बागों की देखभाल और कृषि कार्यों का विवरण इस प्रकार है|
अंगूर के बागों के लिए
फल तोड़ने के बाद जो बढ़वार आती है उसको 1/2 से 3/4 मीटर रखने के बाद सिरे से तोड़ते रहें| नई बेलों में 25-50 ग्राम यूरिया प्रति बेल डाल दें और अगर वर्षा न हो तो खाद डालने के बाद सिंचाई अवश्य करें| खरपतवार नियंत्रण के पश्चात नमी को बनाए रखने के लिए काली पॉलीथीन शीट बिछाएं|
थ्रिप्स व हरा तेला के रस चूसने से पौधा पीला व भूरा-लाल हो जाता है| इनकी रोकथाम के लिए आधा लीटर मैलाथियान 50 ईसी या 150 मिली फैनवालरेट 20 ईसी को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें| अंगूर में एन्थ्रेक्नोज़ बीमारी की रोकथाम के लिए बाविस्टिन 0.2 प्रतिशत का छिड़काव जुलाई माह के अंतिम सप्ताह में करें| अंगूर बागवानी की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- अंगूर की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
संतरा, माल्टा के बागों के लिए
हर सप्ताह सिंचाई का प्रबंध करें| इन पौधों को तेला (सिल्ला), पौधों में सुरंग बनाने वाले कीट, सफेद मक्खी और पत्ते खाने वाली सूण्डी से बचाने के लिए 625 मिली रोगोर 30 ईसी या 500 मिली मोनोक्रोटोफोस 36 डब्ल्यूएससी को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें|
बरसात की पहली बौछार के तुरंत बाद 0.3 प्रतिशत कॉपर- ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें| फलों को गिरने से रोकने के लिए पेड़ों पर 6 ग्राम 2, 4-डी, 3 किग्रा जिंक सल्फेट, 12 ग्राम ओरियोफिन्जिन और 1.5 किग्रा चूने को 550 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ जून-जुलाई माह में पहला छिड़काव व दूसरा छिड़काव सितम्बर के दूसरे सप्ताह में करें|
अगर बाग के पास कपास खड़ी है तो 2,4-डी का छिड़काव न करें| इस परिस्थिति में 20 मिग्रा एनएए को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें| अगर पौधों में जस्ते की कमी हो तो 500 मिग्रा प्लान्टोमाइसिन और 2 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का प्रति लीटर पानी की दर से जुलाई, अक्तूबर, दिसम्बर व फरवरी में छिड़काव करें| संतरा, माल्टा बागवानी की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- संतरे की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
बेर के बागों के लिए
प्रति पौधा 50 किलोग्राम गोबर की खाद अगर काट-छांट के बाद न डाली हो तो जुलाई माह में ज़रूर डालें और 625 ग्राम यूरिया व 2.5 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट भी प्रति पेड़ डालकर गुड़ाई करें और फिर सिंचाई करें| इस महीने देसी पौधों पर चस्पा / पैच विधि द्वारा पौधे तैयार कर सकते हैं| बेर बागवानी की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- बेर की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
अमरूद के बागों के लिए
750 ग्राम यूरिया, 625 ग्राम सुपर फास्फेट, 250 ग्राम सल्फेट ऑफ पोटाश एवं बाकी आधी बची खाद इसी माह में डालकर अच्छी तरह मिलाकर सिंचाई करें| जो कीड़े अंगूर में लगते हैं वही अमरूद में लगते हैं| इसलिए अंगूर वाले कार्यक्रम को अपनाएं| अमरुद बागवानी की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- अमरूद की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
आम के बागों के लिए
फल तोड़कर मंडी भेजना शुरू कर दें| फल तोड़ते समय यह ध्यान रखें कि ‘नाकू’ फल के साथ अवश्य रखें| आम की बागवानी की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- आम की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
नींबू वर्गीय फलों के लिए
नींबू वर्गीय फलों में बारिश के दौरान कैंकर रोग तेजी से फैलता है| इसकी रोकथाम करने के लिये 2 – ब्रोमो – 2 – नाइट्रो प्रोपेन- 1, 3 – डाईऑल 0.25 ग्राम + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर प्रथम छिड़काव पत्तियों पर कैंकर रोग के लक्षण दिखाई देने पर एवं द्वितीय और तृतीय छिड़काव आवश्यकतानुसार 15 दिन के अन्तराल पर करें| नींबू वर्गीय फलों की बागवानी की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- नींबू वर्गीय फलों की खेती: लाभप्रद बागवानी
अन्य फलों के बागों के लिए
आडू, अलूचा और नाशपाती में सप्ताह के अंतराल पर हल्की सिंचाई अवश्य करें| बाग के इर्द-गिर्द पौधों को गर्म एवं शुष्क हवाओं से बचाने के लिए शीशम, जामुन, पोपलर व सफेदा व करोंदा आदि के पेड़ लगाएं|
जब बगीचों में फल लग रहे हों तब उनकी कतारों के बीच फसल नहीं बोनी चाहिए लेकिन जिन बगीचों में पेड़ अभी छोटे हों और फल न लगे हों वहां पंक्तियों के बीच उड़द, लोबिया, मूंग, ग्वार आदि फसलें बोई जा सकती हैं| इन फसलों को ज़रूरत के अनुसार खाद की अतिरिक्त मात्रा भी देनी चाहिए| यदि ज़मीन कमज़ोर है तो हरी खाद के लिए ग्वार या ढैचा अवश्य बीजें| ढैचा को बिजाई के 45 दिन बाद जुताई करके मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें| अन्य फलों की बागवानी की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें-
आड़ू की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
आलूबुखारा या प्लम की खेती: किस्में, देखभाल, पैदावार
नाशपाती की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल, पैदावार
नोट: किसान बागों में रोटावेटर को न चलाएं| रोटावेटर की जुताई से पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंचता है और जड़ें कट जाती हैं और पौधे को पूरी खुराक नहीं मिलती व धीरे-धीरे पौधे सूखने लगते हैं|
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