तरबूज की स्थानीय और उन्नत किस्में बहुत हैं, जो अपने क्षेत्र विशेष में अधिक प्रचलित हैं| तरबूज की स्थानीय किस्मों में उत्पादकता एवं गुणवत्ता स्थिर नहीं होने के उपरान्त भी इनका उपयोग जारी है| जबकि देश में क्षेत्रवार तरबूज की उन्नत किस्में उपलब्ध हैं| उन्नत एवं संकर किस्मों में अधिक उत्पादन एवं सुनिश्चित गुणवत्ता युक्त उपज निश्चित है|
जिससे बाजार में एक समान रूप के विश्वसनीय फल उपलब्ध कराए जा सकते हैं| इस लेख में कृषकों के लिए कुछ तरबूज की उन्नत किस्में तथा उनकी विशेषताएं और पैदावार की जानकारी का उल्लेख किया गया है| तरबूज की वैज्ञानिक तकनीक से खेती कैसे करें की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- तरबूज की खेती की जानकारी
तरबूज की उन्नत किस्में
सुगर बेबी
इस तरबूज प्रजाति की बेलें (लता) औसत लम्बाई की होती हैं और फलों का औसत वजन 2 से 5 किलोग्राम तक होता है| फल का ऊपरी छिलका गहरे हरे रंग का तथा उन पर धूमिल सी धारियाँ होती हैं| फल का आकार गोल तथा गूदे का रंग गहरा लाल होता है| इसके फलों में 11 से 13 प्रतिशत टी एस एस होता है| यह शीघ्र पकने वाली किस्म है| बीज छोटे, भूरे रंग के होते हैं| जिनका शिरा काला होता है| औसत उपज 400 से 450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| इस किस्म को पककर तैयार होने में लगभग 85 दिन लगते हैं|
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दुर्गापुर केसर
यह तरबूज की देर से पकने वाली प्रजाति है, तना 3 मीटर लम्बा, फलों का औसत वजन 6 से 8 किलोग्राम, गूदे का रंग पीला तथा छिलका हरे रंग का व धारीदार होता है| बीज बड़े व पीले रंग के होते हैं| इसकी औसत पैदावार 350 से 450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती हैं|
अर्को मानिक
इस तरबूज किस्म के फल गोल, अण्डाकार व छिलका हरा जिस पर गहरी हरी धारियां होती हैं और गूदा गुलाबी रंग का होता है| औसत फल वजन 6 किलोग्राम, मिठास 12 से 15 प्रतिशत एवं गूदा सुगन्धित होता है| फलों में बीज एक पंक्ति में लगे रहते हैं| जिससे खाने में काफी सुविधा होती है| इसकी भण्डारण एवं परिवहन क्षमता अच्छी है| यह चूर्णिल आसिता, मृदुरोमिल आसिता एवं एन्छेक्नोज रोग के प्रति अवरोधी है| औसत पैदावार 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर 110 से 115 दिन में प्राप्त की जा सकती है|
दुर्गापुर मीठा
इस तरबूज की किस्म के फल गोल हल्के हरे होते है| फल का औसत वजन 7 से 8 किलोग्राम तथा मिठास 11 प्रतिशत होती है| इसकी औसत पैदावार 400 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है| इस किस्म को तैयार होने में लगभग 125 दिन लगते हैं|
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काशी पीताम्बर
इस तरबूज किस्म के फल गोल, अण्डाकार व छिलका पीले रंग का होता है और गूदा गुलाबी रंग का होता है| औसत फल वजन 2.5 से 3.5 किलोग्राम होता हैं| औसत पैदावार 400 से 450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है|
पूसा वेदना
इस किस्म का विकास भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान नई दिल्ली द्वारा किया गया है| इस किस्म की सबसे बड़ी विशेषता यह की इसके फलों में बीज नहीं होते है| फल में गुदा गुलाबी, रसदार व अधिक मीठा होता है| यह किस्म 85 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है|
अर्का ज्योति
इस किस्म का विकास भारतीय बागवानी अनुसन्धान संस्थान बंगलौर द्वारा एक अमेरिकन और एक देशी किस्म के संकरण से विकसित किया गया है| फल का भार 6 से 9 किलोग्राम तक होता है| इसका गुदा चमकीले लाल रंग का होता है| इसका खाने योग्य गुदा अन्य किस्मों की तुलना में अधिक होता है| फलों की भण्डारण क्षमता भी अधिक होती है| इसकी 350 से 450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार मिल जाती है|
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डब्ल्यू- 19
यह तरबूज की मध्य समय 75 से 80 दिन में तैयार होने वाली किस्म है| इसके फल पर हलके हरे से रंग की धारियां पाई जाती है| इसका गुदा गहरा गुलाबी और ठोस होता है| यह गुणवत्ता में श्रेष्ठ और स्वाद में मीठा होता है| यह किस्म उच्च तापमान सहिष्णु है| यह किस्म एन आर सी एच द्वारा गर्म शुष्क क्षेत्रों में खेती के लिए जारी की गई है| यह प्रति हेक्टेयर 450 से 500 क्विंटल तक उपज दे देती है|
न्यू हेम्पशायर मिडगट
यह तरबूज की एक उन्नत किस्म है, इसके फलों का औसत भार 13 से 20 किलोग्राम होता है| इस किस्म के फल 80 से 85 दिनों में खाने योग्य हो जाते है| इसका छिलका हरा और हलकी धारियों वाला होता है|
आशायी यामातो
यह तरबूज की जापानी किस्म किस्म है, इस किस्म के फल का औसत भार 6 से 8 किलोग्राम होता है| इसका छिलका हरा और मामूली धारीदार होता है| इसका गुदा गहरा गुलाबी मीठा होता है| इसके बीज छोटे होते है| यह प्रति हेक्टेयर 250 क्विंटल तक उपज दे देती है|
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