
दीपावली हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है| खुशी और रोशनी का यह पर्व दीपावली कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाता है| Deepawali को दीवाली भी कहा जाता है, दीवाली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के दो शब्दों से हुई है ‘दीप’ अर्थात ‘दिया’ और ‘आवली’ अर्थात ‘श्रृंखला’ से| दीपावली की अलग-अलग धर्मों में पोराणिक कहानियों कथाओं के अनुसार अलग-अलग मान्यता है| हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार यह पर्व या त्यौहार ‘लक्ष्मीजी’ और ‘विष्णु’ भगवान के अवतार श्री ‘राम’ से जुड़ा हुआ है| तो चलिए शास्त्रों और कथाओं के माध्य से Deepawali पर विस्तार से प्रकाश डालते है|
दीपावली हिन्दू पर्व के पीछे कथा (Story Behind Deepawali Hindu Festival)
अयोध्यावासियों ने अपने प्रिय राजा श्री राम के वनवास समाप्त होने की खुशी में कार्तिक अमावस्या की रात्रि में घी के दीपक जलाकर उत्सव मनाया था| तभी से हर साल Deepawali का त्यौहार मनाया जाने लगा| इस पर्व का का वर्णन विष्णु पुराण के साथ-साथ संस्कृत के पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में भी मिलता है|
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन (Lakshmi Puja on Deepawali)
हिन्दू मान्यता के अनुसार Deepawali के दिन लक्ष्मी व गणेश जी की भी पूजा की जाती है| मान्यतानुसार इस दिन अमावस्या की रात्रि में लक्ष्मी जी धरती का भ्रमण करती है| और लोगों को वैभव, शुख और समृधि का आशीर्वाद देती है| इस दिन श्री गणेश की पूजा का तो ग्रंथो में कोई वर्णन नही है लेकिन मान्यतानुसार उनकी पूजा के बिना हर पूजा अधूरी मानी जाती है| इसलिए इस दिन लक्ष्मी जी के साथ श्री गणेश जी की पूजा की जाती है|
दीपावली पर दीपदान (Deep Donations on Deepawali)
नारदपुराण के अनुसार इस दिन घर, मन्दिर, बगीचा, नदी, वृक्ष, गोशाला तथा बाजार आदि में दीपदान करना शुभ माना जाता है| इसलिए Deepawali के दिन दीपदान का विशेष महत्व माना जाता है|
इस दिन कोई भी अपने साफ सुथरे घर में लक्ष्मी जी की श्रद्धापूर्वक पूजा करता है| तो उसके घर में लक्ष्मी जी कभी भी दरिद्रता का वास नही होने देती|
Deepawali का पर्व भारतीय सभ्यता की एक अनोखी संस्कृति को पेश करता है| भलें ही आज पटाखों की आवाज और शोरशराबे में माता लक्ष्मी की आरती का शोर कम हो गया हो| लेकिन इसके पीछे की मूल भावना आज भी बनी हुई है|
जैन धर्म और दीपावली (Jainism and Deepawali)
जैन धर्म के अनुयाइयों के अनुसार वे दीपावली को इसलिए मनाते है क्यों की उनके चौबीसवें तीर्थकर, महावीर स्वामी को इस दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई थी|
सिख धर्म और दीपावली (Sikhism and Deepawali)
सिक्खों के लिए भी दीपावली महत्वपूर्ण है| क्यों की इस दिन ही अमृतसर में 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था| और 1619 में Deepawali के दिन सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को जेल से रिहा किया गया था|
Deepawali का पर्व अन्य धर्मों में भी अपनी-अपनी मान्यता और परम्परा के अनुसार मनाया जाता है|
प्रातिक्रिया दे