धान की खेती (Paddy farming) के लिए अपने क्षेत्र विशेष की परिचलित और वहां की परिस्थितियों एवं भूमि के अनुसार उन्नत किस्मों का ही प्रयोग करना चाहिए| जिससे कि अधिक से अधिक पैदावार ली जा सके| इसके लिए इस लेख में धान की उन्नत किस्मों का समय तथा क्षेत्रवार के अनुसार कुछ प्रमुख का उल्लेख इस प्रकार है| धान की खेती की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- धान (चावल) की खेती कैसे करें
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धान की किस्में
अगेती किस्में (110 से 115 दिन)- इनमें मुख्य रूप से पी एन आर- 381, पी एन आर- 162, नरेन्द्र धान- 86, गोविन्द, साकेत- 4 एवं नरेन्द्र धान-97 आदि किस्में प्रमुख हैं| इनकी नर्सरी का समय 15 मई से 15 जून तक है एवं इन धान की उन्नत किस्मों की औसत पैदावार लगभग 45 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है|
मध्यम अवधि की किस्में (120 से 125 दिन)- इनमें मुख्य किस्में सरजू- 52, पंत धान- 10, पंत धान- 12, आई आर- 64 आदि प्रमुख हैं| इन धान की उन्नत किस्मों की औसत उपज लगभग 55 से 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
लम्बी अवधि वाली किस्में ( 130 से 140 दिन)- इस वर्ग में पूसा- 44, पी आर- 106, मालवीय- 36, नरेन्द्र- 359, महसुरी आदि प्रमुख किस्में हैं| इनकी औसत उपज लगभग 60 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| इन धान की उन्नत किस्मों के अतिरिक्त देश के विभिन्न भागों में लगाई जाने वाली कुछ प्रमुख किस्में जैसे- आई आर- 36, एम टी यू- 7029 (स्वर्णा), एम टी यू- 1001 (विजेता), एम टी यू- 1010 (काटन डोरा संहालू), बी पी टी- 5204 (साम्भा महसुरी), उन्नत सांभा महसुरी (पत्ती के झुलसा रोग के प्रतिरोधी), ललाट, ए डी टी- 43 आदि हैं|
संकर किस्में- इनमें प्रमुख रूप से पंत संकर धान- 1, के आर एच- 2, पी एस डी- 3, जी के- 5003, पी ए- 6444, पी ए- 6201, पी ए- 6219, डी आर आर एच- 3, इंदिरा सोना, सुरूचि, नरेन्द्र संकर धान- 2, प्रो एग्रो- 6201, पी एच बी – 71, एच आर आई – 120, आर एच- 204 एवं विश्व का प्रथम बासमती संकर धान पूसा राइस हाइब्रिड- 10 (पी आर एच – 10) आदि धान की उन्नत संकर किस्में प्रमुख है|
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धान की बासमती किस्में
बासमती एवं नवीनतम संकर किस्में- पूसा बासमती, कस्तूरी, हरियाणा बासमती, आई ई टी- 15391, आई ई टी- 15392, आई ई टी- 13846, आई ई टी- 13548, आई ई टी- 13549, आई ई टी- 14131, आई ई टी- 14132, आई ई टी- 15833, बासमती- 370 (पंजाब बासमती) , तराओरी बासमती (एच बी सी- 19), टाईप 3 (देहरादून बासमती) और करनाल आदि धान की उन्नत बासमती किस्में प्रमुख है|
बासमती किस्में- स्थानीय, बासमती- 385 एवं बासमती- 386 आदि धान की उन्नत बासमती किस्में प्रमुख है|
संकर किस्में- डी आर आर एच- 1, एच आर- 1-120, सी ओ आर एच- 1, पी एच बी- 1, पी एच बी – 71, पी ए – 6201, के आर एच – 1, सी ओ आर आर एच- 2, के आर एच – 2, एच- 2, पंत संकर धान- 1, सहयाद्रि, ए डी टी आर एच- 1, ए पी एच आर- 1, एम जी आर- 1, पी एच आर – 10 और सी आर एच- 1 आदि धान की उन्नत संकर किस्में प्रमुख है|
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धान की गैर-बासमती सुगन्धित किस्में
क्षेत्र के लिए उपयुक्त- उत्तर पश्चिमी क्षेत्र (पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हि.प्रदेश, जम्मुं काश्मीर एवं अन्य)
लोकप्रिय व्यावसायिक किस्में- जया, पी आर- 103, पी आर- 106, पी आर- 113,पी आर- 114, पी आर- 115, पी आर- 116,आई आर- 8,आई आर- 64 एच के आर- 126 विकास, पंत धान- 16, पूसा- 44, पूजा- 677, रत्ना, बीके- 190, जया, चम्बल, कावेरी, विवेक धान- 82, पालम धान- 957, चाइना- 1039 एवं रत्ना आई ई टी- 1410 आदि धान की उन्नत किस्में प्रमुख है|
गैर-बासमती सुगन्धित किस्में- केसर, कमोद, काला बादल, नवाबी, कोलम, मधुमती मुस्ख, बुदगी एवं खुशबु इत्यादि धान की उन्नत किस्में प्रमुख है|
क्षेत्र के लिए उपयुक्त- उत्तर पूर्व क्षेत्र (उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, असम, पं. बंगाल एवं अन्य)
लोकप्रिय व्यावसायिक किस्में- पंत धान- 4, पंत धान- 12, पंत धान- 16 विकास सरजू – 52, पूसा- 834, द्रपूसा- 221, नरेंद्र ऊसर- 3, नरेन्द्र- 97, नरेन्द्र- 359, मालवीय- 36, महसूरी, कुशल, बहादूर, रणजित, किरण, सुधा, गौतम,राजेन्द्र धान- 201,टुराटा, प्रभात, कणक, जानकी, राजश्री, वन्दना, आनन्द, सुभद्रा, अन्नपूर्णा, सत्कि पंकज, टी- 90, बी ए म- 6, पारिजात, सी आर- 1009, सी आर- 1014, महालक्ष्मी, माणिका, आई आर- 36, आई आर- 42, आई आर- 64, मानसरोवर, प्रणव, भुपेन एवं हीरा आदि धान की उन्नत किस्में प्रमुख है|
गैर-बासमती सुगन्धित किस्में- दुनियापेट, काला सुखदास, कालानमक, हंसराज, तिलक चन्दन, बिन्दली, विष्णुपराग, सक्करचीनी, लालमती, बादशाह पसंद, बादशाह भोग, प्रसाद भोग, मलभोग, रामतुलसी, मोहन भोग, तुलसी मन्जरी, एन पी- 49 टी- 812, रनधूनीपागल, कटरी भोग, बासमती, सीताभोग, गोपाल भोग, गोविन्दा भोग एवं कामिनी भोग आदि धान की उन्नत किस्में प्रमुख है|
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क्षेत्र के लिए उपयुक्त- मध्य क्षेत्र (मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र एवं अन्य)
लोकप्रिय व्यावसायिक किस्में- कलिंग- 3, महामाया, आई आर- 36, आई आर- 64, क्रांती आर एस- 74-11, आनन्द, आदित्य, जया, कर्जत- 3, कर्जत- 184, रत्नागिरी- 1, रत्नागिरी- 24, रत्नागिरी- 71, रत्नागिरी- 185-2, साकोली- 1 एवं पालघर- 1 धान की उन्नत किस्में प्रमुख है|
गैर-बासमती सुगन्धित किस्में- छत्तरी, दुबई, चिनूर, काली कमोद, बासपतरी, काली मूछ, कमोद- 118, पंखली- 203, कोल्हापूर सेन्टिड, अम्बिमोहर- 102, अम्बिमोहर- 157, अम्बिमोहर- 159, कृष्णासल, पंखली- 203, कमोद एवं जीरासेल इत्यादि धान की उन्नत किस्में प्रमुख है|
क्षेत्र के लिए उपयुक्त- प्रायद्विपीय क्षेत्र (आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक एवं अन्य)
लोकप्रिय व्यावसायिक किस्में- पूसा- 834, मोरूते- सन्नालु, (आई ई टी- 14348) जया, एन एल आर- 30491, सुरक्षा, आर जी एल- 2538, भद्रकाली, भद्र, के ए यु- 1531, स्वर्ण प्रभा, ज्योति मसूरी, मंगला, प्रकाश, आई आई टी- 7575, आई आई टी- 8116, आई आर- 30864, पुष्पा, हेमावती, के एच पी- 5, आकाश, कर्जाना, महात्रिवेणी, कैराली, ए डी टी- 38, ए डी टी- 40, ए डी टी- 43, पी एम के- 1, पी एम के- 2, टी के एम- 11, सीओ- 47, आई आर- 20 और आई आर- 50 आदिधान की उन्नत किस्में प्रमुख है|
गैर-बासमती सुगन्धित किस्में- आमृतसरी (एच आर- 22), सुखदा (एच आर- 47), काकी रेखालु (एच आर- 59), कागसली, सिन्दिगी, लोकल एवं जीरागा साम्बा आदि धान की उन्नत किस्में प्रमुख है|
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धान की अंतराष्ट्रीय मांगवाली किस्में
विशेष अंतराष्ट्रीय मांगवाली किस्में- भारत, बासमती और गैर बासमती दोनों किस्में के चावल का निर्यात करता है| परन्तु भारत का बासमती चावल दुनिया भर में प्रसिद्ध है| जिन किस्मों की अच्छी मांग है, उनका ब्यौरा इस प्रकार है, जैसे-
अंर्तराष्ट्रीय मांगवाली परम्परागत किस्में- बासमती – 370, बासमती- 386, किस्म- 3, बासमती (एच बी सी- 19) , बासमती- 217 एवं रणबीर बासमती (आई ई टी- 11348) इत्यादि धान की उन्नत किस्में प्रमुख है|
अंर्तराष्ट्रीय मांगवाली नई किस्में- पूसा बासमती (अई ई टी- 13064) , पंजाब बासमती- 1, (बोनी बासमती) हरियाणा बासमती 1, (एच के आर228/आई ई टी- 10367) माही-सुगंध तथा कस्तुरी (आई ई टी-8580) धान की उन्नत किस्में प्रमुख है|
विशेष- उपरोक्त किस्मों का विस्तृत विवरण किसान भाइयों की जानकारी के लिए अगले आने वाले अन्य लेखों में किया जायेगा, तो अन्य जानकारी किसान बन्धु वहां से प्राप्त कर सकते है|
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