नवंबर की हल्की जलवायु भारत में विभिन्न प्रकार की सब्जियों की बुआई के लिए अनुकूल है| नवंबर के महीने में ठंड अपनी दस्तक देना आरंभ कर देती है, इन दिनों हल्की-हल्की ठंडी हवाए चलना शुरू कर देती है| सामान्य तौर पर तो किसान भाई सभी तरह की खेती कर सकते है| लेकिन कुछ सब्जियां ऐसी है, जिन्हे सर्दियों के मौसम में विशेषकर उगाया जाता है|
नवंबर के महीने में आप इन प्रमुख सब्जियों को उगाकर बेहतर मुनाफा ले सकते है| लेकिन हमे नवंबर के मौसम में कौनसी सब्जियों की खेती करना चाहिए, ताकि लाभ कमा सकते है| यह लेख आपको नवंबर से दिसंबर महीने में उगाई जाने वाली शीर्ष सब्जियों और साथ ही बागवानी कृषि कार्य के बारे में भी अवगत करवाएगा|
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नवंबर महीने में किये जाने वाले सब्जियों और बागवानी कृषि कार्य
उद्यानिकी क्रियाएँ
1. नवंबर महीने में गाजर और मूली खुदाई करने योग्य हो जाती है अतः बिना विलंब करे समय पर ही खुदाई करें|
2. टमाटर में फूल आने पर पीसीपीए (पेराक्लोरो फिनोक्सि ऐसिटिक एसिड) का 50-100 पीपीएम का पर्णिय छिङकाव करें| इस माह में 2 बार 0.3 प्रतिशत बोरेक्स का पर्णिय छिड़काव करें जिससे फलों की गुणवत्ता व फल फटने की समस्या न आवे| नियमित रूप से 7-10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करे| खेत में ज्यादा नमी न होवे अन्यथा लीफ कर्लिंग का प्रकोप होता है| फूल आने व फल पकने पर 0.5 प्रतिशत युरिया का पर्णिय छिङकाव करें|
3. इस माह में फूलगोभी और पत्तागोभी में नत्रजन की 25 प्रतिशत मात्रा जिसमें 15 किलो युरिया प्रति हैक्टेयर छिटकाव विधि (टॉप ड्रेसिंग) द्वारा सिंचाई के तुरंत बाद दें| सप्ताह में एक बार आवश्यकतानुसार सिंचाई करें| नियमित रूप से निराई-गुडाई करें| 1-2 प्रतिशत युरिया पर्णिय छिङकाव करें जिससे वृद्धि अच्छी होवे व बटनिंग की समस्या न आवे|
4. रबी प्याज की फसल के लिए पौध तैयार करने के लिए मध्य अक्टूबर से मध्य नवंबर महीने तक बुवाई करें| पौघशाला में बुवाई करने के बाद नियमित रूप से झारे से पानी देवें| बीज अंकुरण के बाद 0.2 प्रतिशत कैपटान सिंचाई के साथ देवें|
5. अमरूद में यह मृग बहार का मौसम है, अतः इसमें अच्छे पुष्पन व फलन के लिए 2-3 सप्ताह में एक बार अमरूद के पेङों को पानी दिया जाना चाहिए|
6. अनार में फल पकने के समय हल्की व नियमित रूप से सिंचाई करें| अनार में मृग बहार में फलों के फटने के कार्यिकी विकार के उचित प्रबन्धन के लिए फल बनने से पकने तक नियमित सिंचाई की व्यवस्था 0.1 प्रतिशत बोरेक्स का पर्णीय छिडकाव व अनार के बगीचे के चारो ओर वायु अवरोधी पौधे लगाना काफी प्रभावी रहता है|
7. बेर में फूलों और अपरिपक्व फलों के गिरनें को रोकने एवं उत्तम गुणवत्ता युक्त अधिक उपज के लिए नियमित 10-15 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करें| इस माह बेर में फल मटर के आकार की अवस्था आने पर नत्रजन की 50 प्रतिशत मात्रा जिसमें 500 ग्राम युरिया प्रति पौधा देकर तुरंत सिंचाई करें| फल झङन की रोकथाम हेतु एनएए का 20 पीपीएम का मटर के आकार की अवस्था पर 15 दिन के अंतराल पर दो छिङकाव करें| फल मक्खी के नियंत्रण के लिए डाईमिथोएट 30 ईसी का 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव करें| दूसरा छिड़काव इसके 15 दिन बाद करें|
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रोग नियंत्रण क्रियाएँ
1. मिर्च में एन्थ्रेकनोज रोग के कारण पत्तियों पर छोटे-छोटे काले धब्बे बनते है व पत्तियाँ झङने लगती हैं तथा उग्र अवस्था में शाखाएं शीर्ष से नीचे की तरफ सूखने लगती हैं| पके फलों पर भी बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं| रोकथाम हेतु कार्बेण्डाजिम 0.5 ग्राम या 0.5 मिलीलीटर डाईफेनकोनाजोल या 2 ग्राम मेन्कोजेब या जाइब प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें| आवश्यकतानुसार 15 दिन बाद दोहरायें|
2. मिर्च में छाछ्या रोग के प्रकोप से पत्तियों पर सफेद चूर्णी धब्बे दिखाई देते हैं तथा अधिक होने पर रोग ग्रसित पत्तिया पीली पडकर झड़ जाती हैं| रोकथाम हेतु डाईनोकेप एल सी 1 मिलीलीटर या 0.5 ग्राम माईक्लोब्युटेनिल प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें| आवश्यकता पड़ने पर 15 दिन बाद दोहरावें|
3. नवंबर के महीने मिर्च में विषाणु रोग फैलाने वाले कीडों का नियंत्रण भी करें|
4. बेर में छाछ्या रोग की रोकथाम के लिए रोग के लक्षण दिखाई देते ही डाईनोकेप 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें|
5. अनार में वातावरण में अधिक नमी होने पर फलों पर धब्बे बन जाते हैं तथा धीरे-धीरे रोगी फल झड जाते हैं| रोकथाम हेतु थायोफनेट मिथाईल – एम 0.1 प्रतिशत या जाइनेब 0.2 प्रतिशत के हिसाब से 15 दिन के अन्तर पर छिड़काव करें|
6. सब्जियों में रोग नियंत्रण समय पर करें| प्याज में गुलाबी जड़ सड़न, गोभी में काला सड़न, जैसे रोगों का छोटी अवस्था से ही नियंत्रण करें|
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कीट नियंत्रण क्रियाएँ
1. नवंबर महीने में फसल की समय पर निगरानी रखना आवश्यक हैं| समय पर बुवाई नहीं होने पर कीट प्रकोप बढ सकता हैं| अतः यदि किसी कीट विशेष का आक्रमण हो तो तुरन्त रोकथाम के उपाय करना श्रेयकर रहता है|
2. मिर्च में रस चूसक कीटों के विरूद्ध मिथाईल डेमेटोन 25 ईसी या ऐसीफेट 75 एसपी 500 से 600 ग्राम प्रति 500 लीटर पानी में घोल कर छिडकें| 15-20 दिन बाद आवश्यकतानुसार छिडकाव दोहरावे| फली छेदक का आक्रमण होने पर स्पाइनोसेड 45 एससी 200 मिली प्रति हैक्टेयर दर से फूल आने पर छिड़कें|
3. बेर में जब फल मटर के आकार के हो तो फसल पर डाईमिथोएट 30 ईसी का 10 मिली /10 लीटर की दर से करें|
4. अनार में यदि कच्चे फलों पर फल छेदक लट का प्रकोप नजर आये तो वृक्षों पर डाईमिथोएट 30 ईसी 10 मिली प्रति 10 लीटर पानी का छिडकाव करें|
5. गोभीवर्गीय सब्जियों में पत्तीभक्षक लटों की रोकथाम हेतु फसल पर मैलाथियान 5 प्रतिशत चूर्ण का भुरकाव 20 किलो प्रति हेक्टर की दर से भुरकाव करें|
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नवंबर माह के सब्जियों और बागवानी कार्यों पर त्वरित नज़र
1. धनियां की उन्नत किस्में: सीएस 6, आरसीआर 436, आरकेडी 18, आरसीआर 480, आरसीआर 684, प्रताप राज धनिया 1 और आरडी 385 की बुवाई करें|
2. धनिये में लौंगिया रोग से बचाव हेतु हेक्साकोनाजॉल 5 ईसी प्रोपीकोनाजॉल 25 ईसी 2 मिली प्रति किग्रा बीज की दर से बीजोपचार कर 30 अक्टूबर से 15 नवम्बर बुवाई करें|
3. सिंचित धनिये हेतु 50 किग्रा नत्रजन, 30 किग्रा फॉस्फोरस तथा 20 किग्रा पोटाश प्रति हैक्ट देवें|
4. मक्खनघास को हरे चारे हेतु 14 किग्रा प्रति हैक्टर बीज दर से बुवाई करें|
5. रबी प्याज की पौध का खेत में रोपण कर देवें|
6. बरसीम व रिजका की बिजाई माह के मध्य तक अवश्य पूरी कर लें|
7. पशुओं को बिछावन सूखा होना चाहिए तथा प्रतिदिन बदल लें|
8. तीन वर्ष में एक बार पीपीआर का टीका भेड़ और बकरियों को अवश्य लगवाएं|
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