भारतवर्ष में उगाये जाने वाले विभिन्न फलों में नींबू वर्गीय फलों का महत्वपूर्ण स्थान है| नींबू वर्गीय फलों में विटामिन-ए, बी, सी और खनिज तत्व प्रचूर मात्रा में पाये जाते हैं, विटामिन सी सभी जातियों में अधिकता से पाई जाती है| नींबू वर्गीय फलों में मौसमी, मालटा, सन्तरा और नींबू आदि प्रमुख है|
उपयुक्त जलवायु
नींबू वर्गीय फलों को विभिन्न प्रकार की जलवायु में उगा सकते हैं| मौसमी और मालटा के उत्पादन के लिये गर्मी में अच्छी गर्मी एवं सर्दियों में अच्छी सर्दी और शुष्क जलवायु, जहां पर वर्षा 50 से 60 सेन्टीमीटर हो, उपयुक्त रहती है| पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, गुजरात जम्मू और कश्मीर आदि की जलवायु इनकी खेती के लिये अच्छी है| सन्तरा और नींबू के लिये गर्म, पाला रहित और नम जलवायू जहां वर्षा 100 से 150 सेन्टीमीटर होती है, उपयुक्त रहती है| इसलिए नींबू वर्गीय फलों को पुरे भारत में उगाया जा सकता है|
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उपयुक्त भूमि
नींबू वर्गीय फलों की खेती कई प्रकार की भूमि में की जा सकती है, लेकिन अधिक उपजाऊ दोमट भूमि जो दो से सवा दो मीटर गहरी हो, इसकी खेती के लिये उपयुक्त है| सन्तरा, मौसमी और मालटा के लिये बलुई मिट्टी जिसमें जल धारण क्षमता नहीं होती है, इसके लिये विशेष उपयुक्त नहीं है| जल निकाय युक्त चिकनी मिट्टी में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है| इन फलो की खेती के लिये भूमि का चुनाव करते समय इस बात का विशेष ध्यान देना चाहिये, कि जमीन लवणीय या क्षारीय नहीं हो|
पौधों का प्रवर्द्धन
नींबू वर्गीय फलों के पौधों का प्रवर्द्धन बीज और वानस्पतिक दोनों ही तरीकों द्वारा किया जाता है| नींबू वर्गीय बीज द्वारा पौधे तैयार करने के लिये उन्हें जुलाई, अगस्त या फरवरी में बोते हैं| नींबू में गूटी लगाने का उपयुक्त समय जुलाई का महीना है| मौसमी और मालटा के पौधों को कलिकाओं से तैयार किया जाता है| इसके लिये पहले बीज से मूलवृन्त तैयार करते है|
बीज हमेशा रफलेमन (जमबेरी तथा जट्टी खट्टी) के स्वस्थ और पके फलों से लेना चाहिये| नींबू वर्गीय बीजों को फलों से निकालने के बाद उन्हें तुरन्त क्यारियों में बो देना चाहिये| बीज बोने हेतु फरवरी का समय उपयुक्त रहता है| नींबू वर्गीय फलों के पौधों का प्रवर्धन की अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें- नींबूवर्गीय पौधों का प्रवर्धन कैसे करें
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नींबू वर्गीय फलों की किस्में
संतरा- नागपुर और किन्ने
माल्टा- हेमलिन, पाइनएपल, वाशिंगटन नेवल, वेलन्सिया लेट, मालटा ब्लडरेड, मौसमी और जाफा
नींबू- कागजी, बारहमासी, प्रमालिनी, विक्रम, सीडलेस लाइम नवीन किस्में हैं जो अपने नजदीकी कृषि विश्वविद्यालय से प्राप्त की जा सकती है|
माल्टा वर्ग-
जाफा- इस नींबू वर्गीय फल का आकार गोल, लम्बाई में 6.37 सेन्टीमीटर और चौड़ाई में 6.51 सेन्टीमीटर और पकने पर लाल नारंगी रंग हो जाता है, औसत वजन 140 से 190 ग्राम, रस की मात्रा 30 से 35 प्रतिशत होती है, कुल घुलनशील तत्व 9 से 10 प्रतिशत होते हैं और बीजों की संख्या 5 से 10 तक होती है, छिलके की मोटाई 0.40 सेन्टीमीटर होती है तथा फल नवम्बर से दिसम्बर में पकते है, फल उत्पादन 125 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होता है|
पाइन एपल- यह नींबू वर्गीय फल मध्यम से बड़े आकार का और लम्बा गोल, फल की लम्बाई 5.75 से 6.75 सेन्टीमीटर और नारंगी रंग का होता है, फल का औसत वजन 125 से 175 ग्राम होता है, फल के छिलके की मोटाई 0.30 से 0.40 सेन्टीमीटर होती है तथा फल नवम्बर से दिसम्बर माह में पकते है, रस की मात्रा 35 से 40 प्रतिशत होती है, कुल घुलनशील तत्व 9 से 10 प्रतिशत होते हैं और बीजों की संख्या 10 से 12 तक प्रति फल होती है, फल उत्पादन 125 से 150 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होता है|
मौसबी- फल छोटे से मध्यम आकार का जिसकी लम्बाई 6.07 सेन्टीमीटर और चौड़ाई 6.25 सेन्टीमीटर होती है, फल चिकना होता है, जिसके ऊपर लम्बाई में धारियां और तले पर गोल छल्ला होता है, फल पूर्ण पकने पर गहरे पीले रंग के हो जाते हैं, जिनमें रस की मात्रा 30 से 35 प्रतिशत होती है, छिलके की मोटाई 0.35 सेन्टीमीटर होती है, फल में खटास केवल 0.25 प्रतिशत और मिठास 10 से 12 प्रतिशत होती है, यह किस्म नवम्बर से दिसम्बर माह में पकती है, फलों की उपज 85 से 100 प्रति हैक्टेयर होती है|
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संतरा वर्ग-
किन्नो- इसका फल गोल, मध्यम और चपटापन लिये हुए नारंगी रंग का होता है, फल का वजन 125 से 175 ग्राम तक होता है, पकने पर छिलका पतला, चमकदार होता है, गूदा नारंगी, पीला और रस की मात्रा 40 से 45 प्रतिशत होती है, इसकी सुगन्ध मनमोहक, घुलनशील लवण 9 से 15 प्रतिशत, अम्लता 0.75 से 1.20 प्रतिशत तक होती है, फल जनवरी में पकते है और पैदावार 125 किलो से 150 किलो प्रति पौधा होती है, जो छः वर्ष की उम्र के पश्चात् होती है|
नींबू वर्ग-
कागजी नींबू- इसकी दो प्रचलित किस्में कागजी गोल और कागजी लम्बा गोल है, इनके फल मध्यम गोल आकार के होते हैं, छिलका पतला 0.24 सेन्टीमीटर और रस की मात्रा 45 प्रतिशत होती है, इसमें घुलनशील लवण 7 प्रतिशत और अम्लता 3 से 5 प्रतिशत होती है, फल पकने का समय जुलाई से अगस्त और फरवरी से मार्च होता है, पैदावार 40 से 50 किलो प्रति पौधा होती है|
किसान और बागवान भाई यदि नींबू वर्गीय फलों की खेती की सम्पूर्ण जानकारी चाहते है, तो निचे दिए गये क्रमवार लिंक पर क्लिक कर के पढ़े-
नींबू की बागवानी के लिए यहां पढ़ें- नींबू की खेती कैसे करें, जानिए उपयुक्त जलवायु, भूमि, किस्में, रोग रोकथाम, पैदावार
किन्नू या माल्टा की बागवानी के लिए यहां पढ़ें- किन्नू की खेती कैसे करें, जानिए उपयुक्त जलवायु, किस्में, रोग रोकथाम, पैदावार
मौसंबी की बागवानी के लिए यहां पढ़ें- मौसंबी की खेती कैसे करें, जानिए उपयुक्त जलवायु, किस्में, रोग रोकथाम, पैदावार
संतरे की बागवानी के लिए यहां पढ़ें- संतरे की खेती कैसे करें, जानिए उपयुक्त जलवायु, किस्में, रोग रोकथाम, पैदावार
कागजी नींबू की बागवानी के लिए यहाँ पढ़ें- कागजी नींबू की खेती कैसे करें, जानिए उत्पादन की वैज्ञानिक तकनीक
उपरोक्त लिंक की जानकारी के आधार पर बागवान भाई नींबू वर्गीय फलों की वैज्ञानिक बागवानी सफलतापुर्वक कर सकते है|
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