यह गोभी वर्गीय महत्वपूर्ण सब्जी की एक फसल है| पत्ता गोभी (बंद गोभी) की खेती विभिन्न ऋतुओं में लगभग पुरे वर्ष हमारे देश में की जाती है| किसानों को कृषि सस्य क्रियाओं, पोषक प्रबंधन, खरपतवार नियंत्रण और पौध संरक्षण के साथ साथ पत्ता गोभी की अपने क्षेत्र की प्रचलित व उन्नत तथा अधिक पैदावार देने वाली किस्म के चयन पर भी ध्यान देना चाहिए| ताकि उनको अधिकतम पैदावार प्राप्त हो सके| पत्तागोभी की बहुमुखीयता को इसके फल के रंग तथा परिपक्वता के आधार पर विभाजित किया जा सकता है|
भारत में, सफेद पत्तागोभी लोकप्रिय है| पत्तागोभी की किस्में नोकदार, गोल व चपटे आकार की होती हैं| पत्तागोभी की सामान्य रूप से उगाई जाने वाली किस्में तथा उनकी विशेषताएं अलग-अलग हैं| इस लेख में पत्ता गोभी की किस्मों एवं उनकी विशेषताओं और पैदावार की जानकारी का उल्लेख है| पत्ता गोभी की उन्नत खेती की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- पत्ता गोभी की उन्नत खेती कैसे करें
पत्ता गोभी की उन्नत किस्में
अगेती किस्में- प्राइड ऑफ इण्डिया, गोल्डन एकर क्रांति, एवं मित्रा (संकर) आदि प्रमुख किस्में हैं, इनकी बुवाई का समय सितम्बर माह हैं|
मध्यम व पछेती किस्में- पूसा ड्रम हैड, लेट ड्रम हैड, कोपेनहेगेन मार्किट, सितम्बर अर्ली, मिडसीजन मार्किट, श्री गणेश गोल, क्विस्टो, हरी रानी गोल, सलेक्शन- 8, हाईब्रिड- 10 (संकर) आदि प्रमुख किस्में हैं, इनके बोने का समय अक्टूम्बर माह हैं|
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पत्ता गोभी की किस्मों की विशेषताएं और पैदावार
गोल्डन एकर- यह पत्ता गोभी की जल्दी तैयार होने वाली छोटे गोल फल वाली किस्म होती है, पत्तों का रंग बाहर से हल्का हरा तथा अंदर से गहरा हरा होता है| प्रत्येक पत्तागोभी के फल का वजन 1 से 1.5 किलोग्राम तक होता है, यह रोपण से 60 से 65 दिनों के अंदर तैयार हो जाती है| कटाई देर से करने पर पत्तागोभी के सिरों में दरारें आने लगती हैं| औसत पैदावार 20 से 24 टन प्रति हक्टेयर है|
प्राइड ऑफ इंडिया- यह पत्ता गोभी की जल्दी तैयार होने वाली, मध्य से बड़े आकार के फल, जिसका वजन 1 से 1.5 किलोग्राम होता है, वाली किस्म है| यह रोपण से 70 से 80 दिनों में तैयार हो जाती है| औसत पैदावार 20 से 28 टन प्रति हेक्टयेर है|
कोपेनहेगेन मार्किट- यह पत्ता गोभी की देर से पकने वाली किस्म है| यह किस्म पश्चिम बंगाल में लोकप्रिय है| इसके फल का आकार बहुत बड़ा होता है| इसका वजन 2.5 से 3 किलोग्राम तक होता है| यह रोपण के बाद 75 से 80 दिनों के भीतर तैयार हो जाती है|
पूसा मुक्ता- इस पत्ता गोभी की किस्म का आकार सपाट गोल होता है, यह मध्यम आकार की होती है तथा बाहर के पत्ते हल्के हरे रंग के होते हैं| प्रत्येक फल का वजन 1.5 से 2 किलोग्राम तक होता है| यह काली सडन रोग के प्रति सहनशील होती है| औसत पैदावार 25 से 30 टन प्रति हेक्टेयर है|
पूसा सिंथेटिक- इस पत्ता गोभी की किस्म का आकार मध्यम होता है| यह अत्याधिक पैदावार देने वाली किस्म है| औसत उपज 43 से 45 टन प्रति हेक्टेयर तक है|
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मिडसीजन मार्किट- यह पत्ता गोभी की मध्य मौसम की किस्म है| इसके फल गोल होते हैं तथा वजन 2 से 4 किलोग्राम तक होता है| यह रोपण के बाद 80 से 90 दिनों के भीतर तैयार हो जाती है|
सितम्बर अर्ली- यह पत्ता गोभी की मध्य मौसम की फसल है| जो नीलगिरी में प्रसिद्ध है| फल ठोस, नीले हरे पत्तों के साथ चपटा दीर्घाकार होता है| इसका वजन 4 से 6 किलोग्राम तक होता है| यह रोपण के 105 से 110 दिनों के भीतर तैयार हो जाती है| यह काली सडन रोग के प्रति संवेदनशील है| इसकी औसत पैदावार 40 से 50 टन प्रति हेक्टयेर है| इस किस्म को पकने के बाद, कटाई से पहले खेत में रखा जा सकता है, इसके फल में कोई दरारें नहीं पडती|
पूसा ड्रम हेड- यह पत्ता गोभी की मौसम की विलंबित किस्म है| इसके फल बड़े, चपटे, कुछ हद तक ढीले तथा ड्रम के आकार के होते हैं| प्रत्येक फल का वजन 3 से 5 किलोग्राम तक होता है| बाहर के पत्ते हल्के हरे रंग के होते है, जिन पर उभरी हुई नसें होती है| अच्छी फसल के लिए लम्बी सर्दी का मौसम चाहिए| यह ब्लैक लैग रोग के प्रति सहनीय है| औसत उपज 50 से 54 टन प्रति हेक्टयेर है|
अर्ली ड्रम हेड- यह पत्ता गोभी की जल्दी पकने वाली, चपटे फल, मध्य-बड़ी, 2 से 3 किलोग्राम वजन वाली किस्म है| औसत पैदावार 20 से 30 टन प्रति हेक्टेयर है|
लेट लार्ज ड्रम हेड- यह पत्ता गोभी की देर से पकने वाली घनी, चपटी, तथा आकार में बराबर किस्म है| रोपण के बाद से 100 से 110 दिनों के भीतर तैयार हो जाती है| औसत पैदावार 20 से 30 टन प्रति हेक्टेयर है|
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के- 1- इस पत्ता गोभी के फल बड़े आकार के होते है, और अंदर के पत्ते सफेद रंग के होते हैं| यह काले सडन रोग के प्रति सहनीय होती है| इसकी औसत पैदावार 20 से 30 टन प्रति हेक्टेयर है|
क्विस्टो- यह पत्ता गोभी की रोपाई के 80 से 85 दिन बाद तैयार होने वाली संकर किस्म है| इसके फल का वजन 3 से 5 किलोग्राम तक गोलाकार व बहुत सख्त होता है| इसकी महत्वपूर्ण विशेषता यह है, कि यह अपनी अवधि 80 से 85 दिनों तक बिना खिले व फटे उत्तम अवस्था में रह सकती है| प्रति हैक्टेयर औसत पैदावार 35 से 40 टन है|
श्री गणेश गोल- यह पत्ता गोभी की किस्म रोपण के लगभग 80 दिन बाद तैयार हो जाती है| इसके फल आकार में काफी बड़े गोलाकार ठोस व अधिक पैदावार देने वाले होते हैं, जो तैयार होने के बाद बहुत दिनों तक नहीं फटते तथा प्रति हेक्टेयर औसत पैदावार 35 टन है|
हरी रानी गोल- पत्ता गोभी की यह संकर किस्म रोपण के 90 से 95 दिन बाद तैयार हो जाने वाली है| इसके फल का औसतन वजन 2 से 3 किलोग्राम तक होता है| औसत पैदावार 35 से 40 टन प्रति हैक्टेयर है|
क्रांति- यह पत्ता गोभी की किस्म रोपाई के 60 से 65 दिन में तैयार होने वाली संकर किस्म है| इसके फल का वजन लगभग 1 किलोग्राम होता है| इस किस्म को खेत में कम दुरी पर लगाते हैं| इसकी औसत पैदावार लगभग 20 टन प्रति हेक्टेयर है|
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