
पीला बुखार को पीत-ज्वर भी कहते है| पीला बुखार (पीत-ज्वर) एक वायरल संक्रमण है जो की एक संक्रमित मच्छर से फैलता है| पीला बुखार (पीत-ज्वर) का रोग ज्यादातर गर्मी वाले क्षत्रों में पाया जाता है| लेकिन आज कल ये रोग अनेक जगहों पर हो गया है| बढ़ रहा है संकरमण, जलवायु परिवर्तन, शहरों में आबादी घनत्व और प्रदुषण के कारण मानव की प्रतिरक्षा शक्ति कम हुई है|
पीला बुखार (पीत-ज्वर) रोग किसी को भी संक्रमित कर सकता है| परन्तु यह बच्चें व बूढों को ज्यादा अपनी चपेट में लेता है| पीला बुखार (पीत-ज्वर) रोग बहुत ही भयंकर है| इसे रोगी को पीलिया हो जाता है जिसे यह यकृत व शरीर के अन्य अंगों को भी नुक्सान पहुचाता है|
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पीला बुखार (पीत-ज्वर) के दो अहम लक्षण है त्वचा का पीला पड़ना और तेज बुखार अन्य भी बहुत कारण और लक्षण है ठण्ड लगना, शरीर दर्द करना, उलटी होना इस बारे में अधिक जानकारी के लिए ये लेख पढिए- कारण, लक्षण और इलाज
पीला बुखार (पीत-ज्वर) के इलाज के लिए आयुर्वेदिक ओषधि और घरेलू नुस्खे भी प्रभावी हो सकते है| अगर इनको अच्छे से इस्तेमाल में लाया जाए तो इस रोग से छुटकारा मिल सकता है| आइए जाने कैसे
पीत-ज्वर(पीला बुखार) का आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic Treatment of Yellow Fever)
आयुर्वेद ज्यादातर उपवास या हल्का भोजन खाने का सुझाव देता है| जिससें रोग के मूल कारणों का पता लगाया जा सके और उसको नियंत्रित किया जा सके| उसके बाद दवा और दवा व रोग के अनुसार आहार का सुझाव देता है|
पीला बुखार (Yellow Fever) के लिए आयुर्वेद में कुछ दवा निर्देशित की गईं है वो इस प्रकार है| जिनको चिकित्सक की देखरेख में ही ले स्वयं डॉक्टर ना बने नही तो विपरीत परिणाम हो सकते है|
इन्दुकेंथ कश्यम (Indukantham Kashayam)
यह आयुर्वेदिक दवा बुखार के लिए निर्देशित की गई है| यह शरीर की प्रतिरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने मे उल्लेखनी कार्य करती है और अन्य रोग के साथ पुराने रोगों को भी खत्म करती है|
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अग्स्थ्म रसायनम (Agasthya Rasayanam)
यह हर्बल की दवा खासी कफ व अन्य रोगों के लिए निर्देशित की गई है
कनाकसवं (Kanakasavam)
यह हर्बल की दवा सांस के रोग और अन्य रोगों के लिए निर्देशित की गई है| बुखार में सांस लेने में समस्या आती है तब इसका प्रयोग किया जाता है|
आमलाक्यादी चूर्ण (Amyloid Powder)
यह चूर्ण किसी भी प्रकार की बुखार के लिए एक बेहतरीन दवा है| यह बुखार के साथ साथ भूख को बढ़ाता है और कफ आदि का नाश करता है| यह बाजार में उपलब्द है नही तो इसको बना भी सकते है|
विधि- आवला, चिता की जड़, हरड, पीपरी और सेंधा नमक सब को बराबर मात्रा में ले कर चूर्ण बना ले| अब एक छोटा चम्मच खाएं और उपर से गुनगुना पानी पी ले|
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पीत-ज्वर (पीला बुखार) के इलाज के लिए घरेलू नुस्खे (Home Remedies for Yellow Fever)
नमक और निम्बू (Salt and Lemon)
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को निर्जलीकरण के कारण अत्यधिक थकान महसूस होती है| इसके लिए एक गिलास गुनगुने पानी में निम्बू रस और चुटकीभर नमक मिलाकर रोगी को पिलाएं| यह पानी निर्जलीकरण की समस्या को पूरा करेगा और रोगी को आराम मिलेगा| दिन में 2 से 3 बार ये प्रयोग करें|
नारयल पानी (Coconut Water)
नारयल पानी भी निर्जलीकरण की समस्या को दूर करता है| रोगी को 2 से 3 बार दिन में नारयल पानी पीना चाहिए| यह अन्य रोगों में भी रोगी को आराम देता है|
जौ का पानी (Barley Water)
जौ में विटामिन B व E और अन्य पोषक तत्व पाए जाते है| इसलिए यह रोगी के तेज बुखार और सुजन को कम करता है| जौ को आयुर्वेद में एक सम्पूर्ण अनाज माना जाता है| रोगी को इसका पानी आवश्यकता अनुसार पीते रहना चाहिए|
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तुलसी और काली मिर्च (Basil and Black Pepper)
तुलसी और काली मिर्च का मिश्रण पीत-ज्वर (Yellow Fever) रोग में रोगी के लिए बहुत उपयोगी है| तुलसी के पत्तों को पानी में उबाल ले जैसे 1 लिटर पानी आधा लिटर हो जाय तब तक| अब इस मे 1 छोटा चम्मच काली मिर्च और 3 से 4 चम्मच शहद की डाले अब इसका काढ़ा बना ले और आवश्यता अनुसार दिन मे तीन बार ले बुखार में आराम मिलेगा और रोगी को उर्जा मिलेगी|
लहसुन (Garlic)
यदि रोगी को उलटी हो रही है तो लहसुन की 5 से 10 कची कली चबाएं| लहसुन वायरस और विषाणु रोधक भी है| इसे रोगी का प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है|
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