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पॉलीहाउस में टमाटर व शिमला मिर्च के कीट का एकीकृत प्रबंधन

April 19, 2019 by Bhupender Choudhary Leave a Comment

पॉलीहाउस में टमाटर और शिमला मिर्च का पुरे साल उत्पादन किया जा सकता है| इस पॉलीहाउस तकनीक द्वारा उगाई गई टमाटर व शिमला मिर्च की गुणवता बहुत अच्छी होती है एवं अच्छे भाव भी मिलते हैं, खासकर जब बेमौसम में इनकी काश्त की जाये| इसलिए यह तकनीक हमारे देश में टमाटर व शिमला मिर्च उत्पादकों के लिए फायदेमंद सिद्ध हो रही है तथा तेजी से प्रचलित भी हो रही है| पॉलीहाउस का वातावरण खुले वातावरण की अपेक्षा टमाटर व शिमला मिर्च के उत्पादन को बढ़ाने के लिए तो अनुकूल है, लेकिन इसके साथ-साथ यह वातावरण कीटों के लिए भी उतना ही अनुकूल है| जिसके कारण उत्पादकों का काफी खर्च इस पर आता है|

एकीकृत प्रबंधन द्वारा पॉलीहाउस में टमाटर व शिमला मिर्च के खर्च को कम किया जा सकता है| जिससे रसायनों का प्रयोग कम होगा तो पर्यावरण साथ साथ उपभोक्ता को भी फायदा होगा| इस लेख में पॉलीहाउस में टमाटर व शिमला मिर्च के रोग और उनका एकीकृत प्रबंधन कैसे करें का विस्तृत उल्लेख किया गया है| लेकिन इस प्रक्रिया की शुरुवात पहले सब्जी उत्पादकों को इस लेख से करनी होगी उसके बाद इस लेख की प्रक्रिया को आगे बढायें पहले यहाँ से पढ़ें- पॉलीहाउस में सब्जियों के कीट एवं रोग प्रबंधन हेतु भूमि उपचार कैसे करें

पॉलीहाउस में टमाटर और शिमला मिर्च के कीटों का एकीकृत प्रबन्धन

तेला एवं शिप्स- तेला और थ्रिप्स कोमल पत्तों का रस चूसकर पौधों को हानि पहुंचाते हैं| तेला विषाणु रोग को भी फैलाता है, तेला शिमला मिर्च पर हानि पहुंचाता है|

प्रबंधन-

1. तेला हमारे वस्त्रों में चिपक कर पॉलीहाऊस में प्रवेश करता हैं और वहां वृद्धि करता हैं| इसलिए आगनतुकों को बिना ऐप्रान के पॉलीहाऊस के अन्दर मत जाने दें|

2. जैसे ही आपको एक- दो कीट नजर आए तो नीम बाण (0.03 प्रतिशत सांद्रता वाला) की 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें|

3. यदि फिर भी इस कीट की रोकथाम न हो तो मैलाथियान 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें और इसके बाद फील्ड फॉर्मूलेशन अथवा कड़वी के घोल का छिड़काव जारी रखें|

यह भी पढ़ें- पॉलीहाउस में शिमला मिर्च व टमाटर के रोग और उनका प्रबंधन

माईट- शिशु व व्यसक माईट पत्तियों से रस चूसते हैं, जिसके कारण पत्तियों का हरा रंग फीका पड़ जाता है तथा बाद में हल्के पीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं| जो बाद में भूरे रंग के हो जाते हैं| इससे शिमला मिर्च तथा टमाटर की उत्पादकता पर बुरा असर पड़ता है|

प्रबंधन-

1. जब भी आपको दो-तीन शत्रु माईट प्रति पत्ता नजर आएं तो तुरन्त 30 प्रतिशत पौधों पर मित्र माईट छोडे| ये धीरे-धीरे माईट को अपना शिकार बनाकर नियंत्रित करते हैं|

2. नीम बाण (0.03 प्रतिशत सांद्रता वाला) की 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर एक छिड़काव करें| फील्ड फॉर्मूलेशन का 10 प्रतिशत सांद्रता वाले घोल का छिड़काव 15 दिन के अन्तराल पर जारी रखें या कड़वी के पत्तों के रस का (10 प्रतिशत सांद्रता वाला) घोल बनाकर 15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करें|

3. यदि फिर भी माईट नियंत्रित न हो तो प्रोपेनोफॉस 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर एक छिड़काव करें और उपरोक्त फील्ड फॉर्मूलेशन का छिड़काव जारी रखें|

यह भी पढ़ें- शिमला मिर्च की उन्नत खेती कैसे करें

सफेद मक्खी- यह मक्खी बहुत छोटे आकार की होती हैं, जिसके पंख सफेद होते हैं| यह पत्ते के नीचे छिपी रहती है तथा पत्तों पर एक या दो समूहों में अण्डे देती है| इसके शिशु व प्रौढ़ दोनों पत्तों से रस चूसते है, जिसके कारण पौधे पीले पड़ जाते हैं| इसके अतिरिक्त यह मक्खी पत्तों पर एक शहद रूपी पदार्थ छोड़ती है, जिस पर बाद में काली फफूंद पैदा होती है और इससे प्रकाश संशलेषण की क्रिया बाधित होती है| जिसका सीधा असर उपज पर पड़ता है|

प्रबंधन-

1. पॉलीहाउस में टमाटर व शिमला मिर्च फसल पर जेसे ही सफेद मक्खी का प्रकोप दिखे तो पीले ट्रेप लगाएं|

2. यदि ज्यादा समस्या हो तो इमीडेक्लोप्रीड 0.75 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर एक छिड़काव करें और उसके पश्चात् फील्ड फॉर्मूलेशन का छिड़काव 15 दिन के अन्तराल पर करें|

फल छेदक कीट- इस कीट की दो जातियां हैं, हैलिकोवरपा आरमीजिरा और स्पोडोपटेरा लिटूरा इन दोनों कीटों की सुड़ियां शुरू में पत्तों को खाती हैं तथा बाद में फलों में छिद्र कर उसके अन्दर प्रवेश कर जाती हैं और अन्दर ही अन्दर फल को खाती रहती हैं| इस प्रकार फल बिकने योग्य नहीं रहते, यह कीट टमाटर तथा शिमला मिर्च दोनों को नुक्सान करते हैं|

हैलिकोवरपा आरमीजिरा की पहचान- सुण्डियां हरे से भूरे रंग की होती है और ये अपना एक तिहाई हिस्सा फल में प्रवेश करती हैं| इसके शरीर के साईड में टूटी हुई भूरी लाईनें होती हैं| इसकी लम्बाई 5 से 6 सेंटीमीटर होती है|

यह भी पढ़ें- ग्रीनहाउस में टमाटर की बेमौसमी खेती कैसे करें

स्पोडोप्टेरा लिटुरा की पहचान- इसकी सुंडियां भूरे रंग की होती हैं और इनके शरीर पर काले धब्बे होते हैं| इनकी लम्बाई भी 5 से 6 सेंटीमीटर के लगभग होती हैं|

यह कीट वास्तव में खुले प्रक्षेत्र का है| परन्तु यदि पॉलीहाऊस का दरवाजा खुला रह जाए या पॉलीहाऊस कहीं से फटा हो तो उस समय यह कीट पॉलीहाऊस के अन्दर प्रवेश करता है|

प्रबंधन-

1. पॉलीहाऊस की शीट कहीं से भी फटी नही होनी चाहिए, क्योंकि इन्ही छेदों से घुसकर तितलियां अन्दर जाती है तथा फसल पर अण्डे देती हैं|

2. पॉलीहाउस में टमाटर व शिमला मिर्च फसल के दरवाजे को खुला नहीं छोड़ना चाहिए|

3. एण्डोसल्फान 2 मिलीलीटर या साईपरमेथरिन 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें एवं उसके 5 से 6 दिन के बाद कीट को पहचान कर हैलीसाईड या स्पोडोसाईड का छिड़काव करें|

4. हैलीसाईड या स्पोडोसाईड दवाई की 1 मिलीलीटर मात्रा 2.5 लीटर पानी में घोलकर प्रति 40 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में शाम के वक्त छिड़काव करें| आप इसमें 1 ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से गुड़ आदि भी मिला सकते हैं या चिपकने वाला पदार्थ 0.5 मिलीलीटर के हिसाब से मिला सकते हैं|

यह भी पढ़ें- पॉलीहाउस में बेमौसमी सब्जियों की खेती, जानिए आधुनिक तकनीक

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