बीज उपचार गुणवत्तायुक्त भरपूर फसल उत्पादन प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है, कि उन्नत और रोग प्रतिरोधी किस्मों के स्वच्छ, स्वस्थ और पुष्ट बीज से बुआई की जाये, बीज को निरोग एवं स्वस्थ बनाने के लिए उसे अनुशंसित रसायन या जैव रसायन से उपचारित करना होता है|
बीज उपचार से बीज में उपस्थित आन्तरिक या वाह्य रूप से जुड़े रोगजनक (फफूद, जीवाणु, विषाणु एवं सूत्रकृमि) और कीट नष्ट हो जाते है, जिससे बीजों का स्वस्थ अंकूरण तथा अंकुरित बीजों का स्वस्थ विकास होता है| साथ ही पोषक तत्व स्थिरीकरण हेतु जीवाणु कलचर से भी बीज उपचार किया जाता है| बीज उपचार की विभिन्न पहलुओं की विवेचना निम्न उल्लेखित है, जैसे-
बीज क्या है?
फसल के दाने का पूर्ण या आधा भाग जिसमें भ्रूण अवस्थित हो, अंकूरण क्षमता अच्छी हो, भौतिक तथा आनुवांशिक रूप से शुद्ध हो को बीज कहते हैं|
बीज के प्रकार- (1) न्यूक्लियस बीज (2) प्रजनक बीज (3) आधारीय बीज (4) प्रमाणित बीज (5) सत्यापित बीज|
यह भी पढ़े- गेहूं की खेती: किस्में, बुवाई, देखभाल और पैदावार
बीज उपचार क्या है?
बीज उपचार एक प्रक्रिया या विधि है, जिसमें पौधों को बीमारियों और कीटों से मुक्त रखने के लिए रसायन, जैव रसायन या ताप से उपचारित किया जाता हैं| पोषक तत्व स्थिरीकरण हेतु जीवाणु कलचर से भी बीज उपचार किया जाता है|
बीज उपचार आवश्यक क्यों- बीज उपचार आवश्यक इसलिए है, की प्रारंभ में ही बीज जनित रोगों और कीटों का प्रभाव न्यून या रोकने हेतु बीजोपचार आवश्यक है, क्योंकि यह उनसे होने वाले नुकासन को घटाता है, अन्यथा पौधों के वृद्धि के बाद इनको रोकने के लिए अधिक मूल्य खर्च करना पड़ता है और क्षति भी अधिक होती है|
बीजों में अंदर और बाहर रोगों के रोगाणु सुशुप्ता अवस्था में (बीज जनित रोग), मिट्टी में (मिट्टी जनित रोग) और हवा में (वायु जनित रोग) मौजूद रहते हैं| ये अनुकूल वातावरण के मिलने पर उत्पन्न होकर पौधों पर रोग के लक्षण के रूप में प्रकट होते हैं|
फसल में रोग के कारक फफूद रहने पर फफूदनाशी से, जीवाणु रहने पर जीवाणुनाशी से, सूत्रकृमि रहने पर सौर उपचार या कीटनाशी से उपचार किया जाता है| मिट्टी में रहने वाले कीटों से सुरक्षा के लिए भी कीटनाशी से बीजोपचार किया जाता है| इसके अतिरिक्त पोषक तत्व स्थिरीकरण के लिए जीवाणु कलचर (राइजोवियम, एजोटोबैक्टर, एजोस्पाइरीलम, फास्फोटिका और पोटाशिक जीवाणु) से भी बीजोपचार किया जाता है|
बीज उपचार बहुत ही सस्ता और सरल उपचार है| इसे कर लेने पर लागत का ग्यारह गुणा लाभ और कभी-कभी महामारी की स्थिति में 40 से 80 गुणा तक लागत में बचत सम्भावित है|
यह भी पढ़ें- चने की खेती: किस्में, बुवाई, देखभाल और पैदावार
बीज उपचार कैसे करें
रोग नियंत्रण हेतु
जैव रसायन द्वारा-
1. ट्राइकोडर्मा- 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज
2. स्यूडोमोनास- 4 से 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज
रसायन द्वारा-
1. कार्बेन्डाजीम या मैंकोजेव या बेनोमील- 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज|
2. कैप्टान या थीरम- 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज|
3. फनगोरेन- 6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज|
4. ट्रायसाइक्लोजोल- 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज|
यह भी पढ़ें- मटर की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
कीट नियन्त्रण हेतु-
1. क्लोरपायरीफॉस- 5 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज|
2. इमीडाक्लोप्रीड या थायमेथोक्साम- 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज|
3. मोनोक्रोटोफास- 5 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज (सब्जियों को छोड़कर)|
पोषक तत्व स्थिरीकरण हेतु-
1. नेत्रजन स्थिरीकरण हेतु- राइजोबियम, एजोटोबेक्टर और एजोस्पाइरील- 250 ग्राम प्रति 10 से 12 किलोग्राम बीज|
2. फास्फोरस विलियन हेतु- पी. एस. वी. (फास्फोवैक्टिरीया) 250 ग्राम प्रति 12 किलोग्राम बीज|
3. पोटाश स्थिरीकरण हेतु- पोटाशिक जीवाणु- 250 ग्राम प्रति 10 से 12 किलोग्राम बीज|
बीज उपचार की विधियां
1. सुखा बीजोपचार
2. भीगे बीजोपचार
3. गर्म पानी बीजोपचार
4. स्लरी बीजोपचार, इत्यादि|
यह भी पढ़ें- मिर्च की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
बीज उपचार विधि
सुखा बीज उपचार-
1. बीज को एक बर्तन में रखें
2. उसमें रसायन या जैव रसायन की अनुशंसित मात्रा में मिलायें
3. बर्तन को बन्द करें और अच्छी तरह हिलाएँ|
भीगे बीज उपचार-
1. पालीथीन चादर या पक्की फर्श पर बीज फैला दें
2. हल्का पानी का छिड़काव करें
3. रसायन या जैव रसायन की अनुशंसित मात्रा में बीज के ढेर पर डालकर उसे दस्ताना पहने हाथों से अच्छी तरह मिलाकर छाया में सुखा लें|
स्लरी बीज उपचार-
1. स्लरी (घोल) बनाने हेतु रसायन या जैव रसायन की अनुशंसित मात्रा को 10 लीटर पानी की मात्र में किसी टब या बड़े बर्तन में अच्छी तरह मिला लें|
2. इस घोल में बीज, कंद या पौधे की जड़ों को 10 से 15 मिनट तक डालकर रखें, फिर छाया में बीज या कंद को सुखा ले तथा बुआई या रोपाई करें|
गर्म पानी उपचार-
1. किसी धातु के बर्तन में पानी को 52 डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म करें
2. बीज को 30 मिनट तक उस बर्तन में डालकर छोड़ दें, उपरोक्त तापक्रम पूरी प्रक्रिया में बना रहना चाहिए
3. बीज को छाया में सुखा लें उसके बाद बुआई करें|
यह भी पढ़ें- सरसों की खेती कैसे करें: किस्में, देखभाल और पैदावार
बीज उपचार के लिए प्रमुख बिंदु
1. बीजों में जीवाणु कलचर से बीज उपचार करने के लिए सर्वप्रथम 100 ग्राम गुड़ को 1 लीटर पानी में उबाल लेते हैं, जब यह एक तार के चासनी जैसा बन जाए, तब इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है, जब घोल पूरी तरह ठंडा हो जाए, तब इसमें 250 ग्राम कलचर को ठीक से मिला दिया जाता है| अब इस मिश्रित घोल को बीज के ढेर पर डालकर अच्छी तरह मिलाकर बुआई कर सकते हैं|
2. राइजोबियम कल्चर फसल विशिष्ट होते हैं, इसलिए विभिन्न वर्गों के राइजोबियम को दिये गये फसलों के अनुसार ही उपयुक्त मात्रा में इन्हें प्रयोग किया जाना चाहिए|
3. कल्चर से उपचारित बीज की बुआई शीघ्र करना चाहिए|
4. बीजों पर यदि जीवाणु कल्चर प्रयोग के साथ-साथ फफूदनाशी या कीटनाशी रसायनों का प्रयोग करना हो तब सबसे पहले क्रमशः फफूदनाशी, कीटनाशी और जीवाणु कलचर का प्रयोग क्रमशः 8 से 10 घंटे के अन्तराल पर करने के उपरान्त एवं अन्त में 20 घंटे के बाद जीवाणु कलचर से बीज उपचार करना चाहिए|
5. यदि जीवाणु कलचर प्रयोग के साथ-साथ फफूदनाशी और कीटनाशी रसायन का प्रयोग अनिवार्य हो तब कलचर की मात्रा दोगुनी करनी पड़ेगी| यदि कलचर पहले प्रयोग में लाया गया है, तो फफंदनाशी और कीटनाशी रसायनों का इस्तेमाल न करें तो ज्याद अच्छा होगा|
6. बीज को कभी भी उपचार के बाद धूप में नही सुखायें, यानि उपचारित बीज को सुखाने के लिए खुला परन्तु छायादार जगह का प्रयोग करें|
7. बीज को उपचारित करते समय हाथ में दस्ताना पहनकर ही बीज उपचार करें, यदि थिरम से बीज उपचार करना हो तो आँखों पर चश्मा का प्रयोग करें, क्योंकि थीरम को पानी में मिलाने पर गैस निकलता है, जो आँखों में जलन पैदा करता हैं|
8. किसी कारण से यदि रसायन या जैव रसायन का फफूदनाशक या कीटनाशक उपलब्ध न हो तो घरेलू विधि में ताजा गौ-मूत्र 10 से 15 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज के द्वारा भी बीज उपचार कर सकते हैं|
यह भी पढ़ें- मधुमक्खी पालन, जानिए लाभ, प्रजातियां, जीवन चक्र एवं अन्य प्रबंधन
यदि उपरोक्त जानकारी से हमारे प्रिय पाठक संतुष्ट है, तो लेख को अपने Social Media पर Like व Share जरुर करें और अन्य अच्छी जानकारियों के लिए आप हमारे साथ Social Media द्वारा Facebook Page को Like, Twitter व Google+ को Follow और YouTube Channel को Subscribe कर के जुड़ सकते है|
Leave a Reply