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ब्युवेरिया बेसियाना का उपयोग खेती में कैसे करें, जानिए आधुनिक विधि

Author by Bhupender 1 Comment

ब्युवेरिया बेसियाना का उपयोग खेती में कैसे करें, जानिए आधुनिक विधि

ब्युवेरिया बेसियाना एक आधारित जैविक कीटनाशक और सफेद रंग की फफूंद है| ब्युवेरिया बेसियाना 1 प्रतिशत डब्लू पी एवं 1.15 प्रतिशत डब्लू पी के फार्मुलेशन में उपलब्ध है| जो विश्व में सभी जगहों की मिट्टी में स्वाभाविक रूप से पायी जाती है| यह विभिन्न प्रकार के कीटों को एक परजीवी के रूप संक्रमित करता है, इसके संक्रमण से सफेद मसकरडीन नामक रोग हो जाता है यानि की यह एक कीटरोगजनक फफूंद है|

यह भी पढ़ें- जैविक कीटनाशक कैसे बनाएं, जानिए उपयोगी एवं आधुनिक तकनीक

इसे पहले ट्रिटिरशियम शिओटे नाम से भी जाना जाता था| बाद में इटेलियन, कीट विज्ञानी एगोस्टिनो बस्सी के नाम पर ब्युवेरिया बेसियाना का नाम रखा गया था| क्योंकि उन्होंने सबसे पहले 1835 में ब्युवेरिया को पालतू रेशम के कीड़ों पर सफेद मसकरडीन नामक रोग के रूप में पाया था|

ब्युवेरिया बेसियाना विभिन्न फसलों और सब्जियों में लगने वाली लेपिडोप्टेरा वर्ग की सुंडियों जैसे, चने की सुंडी, बालदार सुंडी, रस चूसने वाले कीट, वूली एफिड, फुदको, सफेद मक्खी, दीमक तथा स्पाइडर माईट आदि कीटो के नियंत्रण के लिए प्रयुक्त की जाती है, एवं यहां तक कि यह मलेरिया-कारक मच्छरों को भी नियंत्रित करता हैं|

ब्युवेरिया बेसियाना अधिक आर्द्रता और कम तापक्रम पर अधिक प्रभावी होता है| ब्यूवेरिया बैसियाना के प्रयोग से पहले व बाद में रासायनिक फफूंदनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए| ब्युवेरिया बेसियाना की सेल्फ लाइफ एक वर्ष है|

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ब्युवेरिया बेसियाना कीटनाशी की क्रिया विधि

ब्युवेरिया बेसियाना एक अत्यन्त प्रभावशाली कीटरोगजनक फफूंद है, जो कि फसलों में लगने वाले कई कीटों पर नियंत्रण के लिए जाना जाता है| ब्युवेरिया बेसियाना कीट की सभी अवस्थाओं जैसे अण्डे, लार्वा, प्यूपा, ग्रब और निम्फ इत्यादि पर परजीवी होकर उनको समाप्त कर देते हैं|

इस फफूंद के बीजाणु कीटों की काइटिन युक्त आवरण पर चिपक जाते हैं और उचित तापमान 15 से 25 डिग्री सेंटीग्रेट और नमी 85 से 90 प्रतिशत की उपस्थित में अंकुरित हो जाते हैं तथा इनसे निकली अंकुरण नलिका कीटों के विभिन्न छिद्रों जैसे श्वसन और जनन में प्रवेश कर जाते हैं|

इनकी पुनः वृद्धि से अंकुरण नलिका पतले धागों का जाल सा बना लेती है, जिसको माइसीलियम या कवक जाल कहते हैं| यह कवक जाल कीटों के शरीर में कुछ एन्जाइम स्रावित करके सम्पूर्ण खाद्य पदार्थों को अवशोषित कर लेते हैं, एवं ये पुनः वृद्धि करते रहते हैं और कीटों के शरीर में कुछ जहरीले पदार्थ भी स्रावित करते हैं, जिससे कीटों का अन्त हो जाता हैं|

यह भी पढ़ें- ट्राइकोडर्मा क्या जैविक खेती के लिए वरदान है, जानिए उपयोग की पूरी प्रक्रिया

उपयोग की विधि

पर्णीय छिड़काव- ब्युवेरिया बेसियाना का उपयोग सफेद मक्खी, माहूँ, थ्रिप्स, तिलचट्टों और विभिन्न प्रकार की सुन्डियों तथा विभिन्न प्रकार के बीटिल्स (खपरा कीटों) के नियन्त्रण में किया जाता है| ब्युवेरिया बेसियाना पाउडर को 5 ग्राम प्रति लीटर या 2 से 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर द्रवीय समिश्रण का पानी में उचित सान्द्रण बनाकर सांय काल में छिड़काव करना चाहिए|

क्योंकि इसके बीजाणु तेज धूप में मर जाते हैं| भूमि में पाये जाने वाले हॉनिकारक कीटों जैसे मिलीबग और थ्रिप्स के प्यूपा को समाप्त करने के लिए भूमि की ऊपरी सतह पर छिड़काव करके सिंचाई कर देना चाहिए या उचित नमी होने पर भूमि में ब्युवेरिया बेसियाना का पाउडर मिला चाहिए|

यदि संरक्षित खेती या खुले खेत में ड्रिप सिंचाई तन्त्र की व्यवस्था हो तो ड्रिप तन्त्र द्वारा इसको उचित मात्रा में प्रयोग किया जा सकता है| ब्युवेरिया बेसियाना के द्रवीय विलयन को वेंचुरी यानि की पम्प से संलग्न टंकी में पानी मिलाकर प्रवाहित किया जा सकता है|

भूमि में प्रवाहित करके- इसको भूमि ड्रेन्चिंग भी कहते हैं, किसी फसल में यदि खपरा कीटों या अन्य भूमि में पाये जाने वाले कीट जैसे कटवर्म, वायरवर्म और सफेद लट इत्यादि का प्रकोप हो तो सिंचाई के दौरान ब्युवेरिया बेसियाना पाउडर को 5 ग्राम प्रति लीटर या 2 से 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर द्रवीय समिश्रण का पानी में उचित सान्द्रण बनाकर मिटटी में प्रवाहित करना चाहिए|

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ब्युवेरिया बेसियाना के अन्य विशेष महत्वपूर्ण उपयोग

1. भूमिशोधन के लिए ब्युवेरिया बेसियाना की 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर 65 से 70 किलोग्राम गोबर की खाद में मिलाकर अन्तिम जुताई के समय प्रयोग करना चाहिए|

2. खड़ी फसल में कीट नियंत्रण के लिए 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 400 से 500 लीटर पानी में घोलकर सायंकाल छिड़काव करें, जिसे आवश्यकतानुसार 15 दिन के अंतराल पर दोहराया जा सकता है|

3. धान में पत्ती लपेटक के लिए ब्युवेरिया बेसियाना 1.15 प्रतिशत डब्लू पी 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 400 से 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए|

4. चना में फली बेधक के नियंत्रण हेतु ब्यूवेरिया बैसियाना 1 प्रतिशत डब्लू पी, 3 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए|

5. भिण्डी में फली बेधक के रोकथाम के लिए ब्युवेरिया बेसियाना 1 प्रतिशत डब्लू पी 4 से 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 400 से 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए|

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प्रिय पाठ्कों से अनुरोध है, की यदि वे उपरोक्त जानकारी से संतुष्ट है, तो अपनी प्रतिक्रिया के लिए “दैनिक जाग्रति” को Comment कर सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का हमें इंतजार रहेगा, ये आपका अपना मंच है, लेख पसंद आने पर Share और Like जरुर करें|

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Comments

  1. Ram Narayan Kumar says

    मार्च 16, 2020 at 4:32 अपराह्न

    यह एक अच्छी जानकारी है बुबेरिया बेसियाना के प्रयोग करने पर कीट के शरीर पर किस तरह काम करता है उसकी तस्वीर भी हो तो अनपढ़ किसान बेहतर समझ सकते हैं

    प्रतिक्रिया

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