मशरूम की खेती, आपने देखा होगा की वर्षा ऋतु में छतरी नुमा आकार के विभिन्न प्रकार और रंगों की पौधों जैसी आकृतियां अक्सर खेतों में एवं घरों के आसपास दिखाई देती है, जिन्हें हम मशरूम या खुम्ब कहते हैं| ये मशरूम एक प्रकार के फफूद हैं, प्रकृति में लगभग हजारों तरह के मशरूम पाए जाते हैं, परन्तु सभी प्रकार के मशरूम खाने योग्य नहीं होते हैं, क्योंकि कुछ मशरूम जहरीले भी होते हैं|
इसलिए बिना जानकारी के जंगली मशरूम को नहीं खाना चाहिए| हमारे भारत देश में मुख्यतः चार प्रकार के मशरूम की खेती की जाती है, जैसे- बटन मशरूम, ढिंगरी मशरूम, दूधिया (मिल्की) मशरूम और पुआल मशरूम की खेती, हमारे देश में जलवायु भिन्न-भिन्न प्रकार की है और ऋतुओं के अनुसार वातावरण में तापमान व नमी रहती है, जिनको ध्यान में रखकर हम अलग-अलग समय पर विभिन्न प्रकार के मशरूम की खेती कर सकते हैं| मशरूम में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा होती है और कई तरह के औषधीय तत्व भी पाए जाते हैं|
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जिसमें अधिकतर लोग शाकाहारी है| इसलिए यहां कृषि फसलों का उत्पादन बहुत होता है, इन कृषि फसलों के फसल अवशेष जैसे- पुआल, भूसा, पत्ते जो कि गेहूं, चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, गन्ना, सरसों और सूरजमुखी की फसलों से प्राप्त किए जाते हैं| इनमें से कुछ का उपयोग पशुधन को खिलाने के लिए किया जाता है| लेकिन कुछ फसलों के अवशिष्ट का कोई उपयोग नहीं होता है और किसान इन्हें खेत में ही जला देते हैं, जिससे वातावरण प्रदूषित हो रहा है, जिसका कुप्रभाव हमारे जीवन और जलवायु पर पड़ता है|
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फसलों को क्रमवार में उगाने की परम्परा को इसकी खेती में भी लागू किया जा सकता है, लेकिन मशरूम एक गैर परम्परागत फसल होने की वजह से इसे क्रम में उगाना अभी तक प्रचलन में नहीं हो पाया है| किसान केवल एक ही ऋतु मशरूम की खेती आ रहे हैं और अन्य ऋतुओं में मशरूम की खेती या उत्पादन व्यवसाय बंद कर देते हैं| जबकि हमारे देश की जलवायु भिन्न-भिन्न प्रकार की मशरूम की खेती के लिये उपयुक्त है|
यदि हम देश की जलवायु पर नजर डालें तो पायेंगे कि यहां गर्म, आर्द और शीतोष्ण आदि प्रकार की जलवायु विभिन्न क्षेत्रों में पायी जाती है| इस प्रकार जलवायु के आधार पर ऋतुओं की भी जैसे शीत ऋतु, वर्षा ऋतु और बसंत ऋतु आदि में वर्गीकरण किया गया है| इसलिए हमारे देश मे अलग-अलग प्रकार की क्रमवार मशरूम की खेती सम्भव है, क्योंकि विभिन्न मशरूम की वृद्धि हेतु तापमान की आवश्यकता अलग-अलग होती है| विभिन्न प्रकार की मशरूम की खेती की प्रजातियां और को उगाने हेतु आवश्यक तापमान इस प्रकार है, जैसे-
प्रजातियां और तापमान
निचे दी गई तालिका में कुछ प्रमुख खाद्य और औषधि मशरूम की खेती के लिए किस्में और उनके लिए बीज के फैलाव और फलन के लिए अनुकूल तापमान दिखाया गया है, साथ साथ “अधिक जाने” पर आप क्लिक कर के उस किस्म की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते है|
वैज्ञानिक नाम | प्रचलित नाम | बीज फैलाव हेतु तापमान | फलन हेतु तापमान | खेती कैसे करें |
एगेरिकस बोसपोरस | श्वेत बटन मशरूम | 22 से 25 | 14 से 18 | आधिक जाने |
एगेरिकस बाइटॉरकिस | ग्रीष्मकालीन श्वेत बटन | 28 से 30 | 25 से 26 | आधिक जाने |
प्लूरोटस फ्लोरिडा | ढिंगरी मशरूम | 25 से 30 | 18 से 22 | अधिक जाने |
प्लूरोटस सजोर-काजू | ढिंगरी मशरूम | 25 से 32 | 22 से 26 | अधिक जाने |
कैलोसाइब इंडिका | श्वेत दूधिया मशरूम | 25 से 30 | 30 से 35 | अधिक जाने |
वोल्वेरियेला बॉवेलसिया | पुआल मशरूम | 32 से 34 | 28 से 32 | अधिक जाने |
लेन्टीनुला इडोड्स | शिताके मशरूम | 22 से 27 | 15 से 20 | अधिक जाने |
गैनोडर्मा ल्यूसिडम | रिशी मशरूम | 25 से 30 | 25 से 30 | आधिक जाने |
ध्यान दें- उपरोक्त तापमान का मानक डिग्री सेल्सियस है|
उपरोक्त तालिका में दिये गये अलग-अलग प्रकार की मशरूम की खेती की प्रजातियों की वानस्पतिक वृद्धि बीज फैलाव और फलनकाय या फलन अवस्था के लिये अनुकूल तापमानों को देखने से यह स्पष्ट हो जाता है, कि मशरूम की खेती अन्य कृषि फसलों की भाँति फेरबदल कर चक्रों में की जा सकती है, जैसे मैदानी भागों और कम उंचाई पर स्थित पहाड़ी भागो में शरद ऋतु मे श्वेत बटन मशरूम, ग्रीष्म ऋतु में ग्रीष्म कालीन श्वेत बटन मशरूम या ढिंगरी एवं वर्षा ऋतु में पुआल मशरूम या दूधिया मशरूम की खेती या उत्पादन की इन मौसमी वार्षिक योजनाओं पर अमल कर किसान उत्पादक वर्ष भर रोजगार कर सकते है। साथ ही देश के कुल मशरूम उत्पादन में बढ़ोत्तरी करने में सहयोग दे सकते हैं|
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आज के समय में बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण लगातार खेती योग्य भूमि घटती जा रही है| जिसके कारण पोष्टिक खाद्य पदार्थ का उत्पादन कर पाना एक समस्या बनता जा रहा है, इस परिस्थिति में मशरूम की खेती करना आवश्यक समझा जाने लगा है, क्योंकि मशरूम में प्रोटीन, विटामिन और खनिज लवण पर्याप्त मात्रा में पाये जाते है और इसकी खेती के लिए खेत की जरूरत भी नहीं पड़ती है, बस एक छायादार कमरे के अन्दर चाहे वो घास का हो या कच्चे या पक्के मकान का एक कमरा हो, जिसमें हवा का संचार और पानी की सुविधा हो, तो आप सुगमता पूर्वक इसकी खेती कर सकते हैं|
इसकी खेती की एक और विशेषता होती है, कि यह अन्य सब्जी व अनाज की भांति अधिक समय नहीं लेती है यदि बीज उपलब्ध हो तो 30 से 60 दिनों के अन्दर इसकी फसल तैयार हो जाती है और यदि हम इसका तापमान नियंत्रित कर सके, तो हम इसकी खेती सालभर कर सकते हैं और मशरूम की खेती करना भी बहुत आसान होती है|
अन्य महत्वपूर्ण
इसकी खेती के लिए अन्य जानकारी होना भी अति आवश्यक है, अधिक जानकारी के लिए इनको पढ़ें| जो इस प्रकार है, जैसे-
1. यदि आप इसकी खेती परिक्षण का प्राप्त करना चाहते है, तो यहां पढ़े- मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण प्राप्ति के संस्थान और उनका विवरण
2. मशरूम के बीज कैसे तैयार करें, जानिए- मशरूम बीज (स्पॉन) कैसे तैयार करें
3. मशरूम की खेती के लिए पोषाधार कैसे करें, जानिए- स्पेंट मशरूम के पोषाधार की व्यवस्था या प्रबंधन की जानकारी
4. मशरूम की खेती की रोग रोकथाम कैसे करें, जानिए- मशरूम की रोग रोकथाम कैसे करें
5. मशरूम की कीट रोकथान के लिए यहां पढ़ें- मशरूम की कीट रोकथाम कैसे करें
6. मशरूम के व्यावसायिक उत्पादन के लिए फार्म की बनावट जानिए- बटन मशरूम की व्यावसायिक उत्पादन फार्म संरचना कैसे होती है
उपरोक्त जानकारी हमनें अपने प्रिय पाठकों, मशरूम उत्पादकों और किसान भाइयों को आधुनिक तकनीकी से मशरूम की खेती कैसे करें, इसकी बेहतरीन जानकारी देने का प्रयास किया गया है, जिसको पढ़कर, जानकर आप मशरूम से उत्तम उत्पादन प्राप्त कर सकते है, और इसको अपना व्यवसाय भी बना सकते है|
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