मशरूम को नुकसान ज्यादातर तीन वर्गों के सूत्रकृमियों क्रमश: रेन्डीटीडा, ऐफेलेकीइडीआ और टाईलेकीडाई द्वारा होता है| विश्वभर में आर्थिक रूप से डीटीईलेन्कस मायसीलियोफेगस और ऐफेलेकोआइडस कम्पोस्टीकीला सूत्रकृमियों द्वारा सर्वाधिक मशरूम को नुकसान पहुचाया जाता है| ये दोनों प्रजातियाँ फफूदी खाने वाले सूत्रकृमि होते हैं|
इस लेख के माध्यम से मशरूम उत्पादक मशरूम को नुकसान पहुंचाने वाले सूत्रकृमि और माइट की रोकथाम कैसे करें, की जानकारी प्राप्त करेंगे, जिससे वे अपनी मशरूम को क्षति होने से बचा सकते है, जैसे-
सूत्रकृमि और माइट
डीटायलेंकस मायसीलीओफेगस
यह सूत्रकृमि मायसीलीयम का रस चुसकर मशरूम को नुकसान पहुंचाता है और 13 से 25 डिग्री सेल्सियस तापक्रम पर अच्छी वृद्धि करता है, जो कि मशरूम (खुम्भ) के आकार को प्रभावित करता है| ये सूत्रकृमि अत्यधिक तेजी से अपनी जनसंख्या बढ़ाते हैं, ये 50 सूत्रकृमि मात्र 30 दिनों में अपनी संख्या लगभग एक लाख कर देते है|
इस सूत्रकृमि का आर्थिक हानि स्तर केसीन के समय 3 सूत्रकृमि प्रति 100 ग्राम कम्पोस्ट होता है, जो कि मात्र 70 दिनों में खुम्ब मायसीलीयम को पूर्ण रूप से नष्ट कर देते हैं| इसी कारण यह विश्वभर में सबसे ज्यादा मशरूम को नुकसान पहुचने वाला हानिकारक शत्रु है|
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ऐफेलेकोआइडस कम्पोस्टीकीला
इस सूत्रकृमि की विभिन्न प्रजातियां मशरूम (खुम्ब) की फसल में हानि पहुँचाती हैं, परन्तु भारत सहित विश्वभर में ऐफेलेंकोआइडस कम्पोस्टीकीला सबसे हानिकारक प्रजाति हैं, यह सूत्रकृमि भी बड़ी तेजी से मायसीलीयम को खाता है, जिससे मशरूम को नुकसान या क्षति अत्यधिक होती है|
इसका जीवन चक्र अति लघु मात्र 3 दिन, कम तापमान पर यानि 23 डिग्री सेल्सियस होने के कारण यह अपनी जनसख्या तुरन्त बढ़ा देता है| इस सूत्रकृमि का आर्थिक हानि स्तर एक सूत्रकृमि प्रति 100 ग्राम कम्पोस्ट होता है जो मात्र 3 महीने से भी कम समय में मशरूम की फसल को पूर्ण रूप से नष्ट कर देते हैं|
रोग के लक्षण-
1. आरम्भिक अवस्था में मशरूम के बीज (स्पॉन) हल्के भूरे रंग बदलने लगते हैं|
2. इसके बाद मायसीलीयम की वृद्धि धीमी हो जाती है और इसमें चकत्ते बन जाते हैं, जहां मायसीलीयम वृद्धि नहीं करता है|
3. इससे कम्पोस्ट की सतह सिकुड़ने लगती हैं और अंतः उत्पादन कम हो जाता है|
4. मशरूम की फसल अपना पूर्ण आकार नहीं ले पाती है|
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सूत्रकृमि संक्रमण के कारण-
सूत्रकृमि संक्रमण के कारण अनेक हो सकते है, लेकिन मशरूम को नुकसान पहुचाने वाले प्रमुख कारण इस प्रकार है, जैसे- सूत्रकृमियों का संक्रमण कम्पोस्ट, केसीन मृदा, गन्दी ट्रे, उपयोग में लिए जाने वाले यंत्रों द्वारा, सिंचित जल द्वारा, स्फेरोसेरिड मक्खी द्वारा तथा मुख्यत बची हुई कम्पोस्ट के प्रयोग द्वारा होता है|
सूत्रकृमि और माइट की रोकथाम-
सूत्रकृमि और माइट की रोकथाम मशरूम को नुकसान से बचाने के लिए इस प्रकार करें, जैसे-
1. मशरूम उत्पादन गृह और उसके आस-पास के स्थान को साफ रखें, एवं 5 प्रतिशत फार्मेलिन के घोल का छिड़काव करें, जिससे की मक्खी मच्छर इत्यादि न बढ़ें|
2. कच्चे फर्श पर कम्पोस्ट न बनाये और कम्पोस्ट में मिट्टी न मिलने दें, इसके लिए सीमेंट के फर्श का प्रयोग करें|
3. उत्पादन के उपयोग में आने वाले सभी यंत्रों को 5 प्रतिशत फार्मेलिन से उपचारित कर प्रयोग में लें|
4. मशरूम को नुकसान से बचाने हेतु, केसीन को पूर्णतया निर्जमित करें|
5. मशरूम उत्पादन के प्रयोग में लाया जाने वाला, जल सूत्रकृमि से संक्रमित नही होना चाहिए|
6. कम्पोस्ट में 2 से 5 प्रतिशत सुखी नीम की पत्तियाँ मिलाएं, जो कि सूत्रकृमियों के वृद्विगुणन को रोकने में सहायक होती है|
7. मशरूम या खुम्ब की फसल में कीटनाशकों का प्रयोग वर्जित हैं, क्योंकि मशरूम कीटनाशकों के प्रति बड़ी सहिष्णु होती हैं और कीटनाशकों का प्रभाव सीधा मशरूम पर होता है, यदि सूत्रकृमियों का प्रकोप आर्थिक हानि स्तर से अधिक होता है| उस समय थाओनाजीन का 30 पीपीएम को कम्पोस्ट में प्रयोग कर सूत्रकृमिओं का प्रभाव कम किया जा सकता है|
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माइटस (टारसोनेमस माइसीजियोफेगस) पहचान के लक्षण-
1. नुकसान पहुंचाने वाले सूत्रकृमि, माइटस का रंग हल्का भूरा, चमकीला और इनका आकार अति सूक्ष्म होता है|
2. ये माइटस मशरूम के कवक जाल को भोजन के रूप में प्रयोग करते है, जिससे की मशरूम को नुकसान अत्यधिक होता है|
3. ये मशरूम के तनों व टोपियों पर भी धब्बे और छेद बना देते हैं, जिनसे मशरूम की गुणवत्ता और उत्पादन में कमी आती है|
रोकथाम-
1. उत्पादन कक्ष को स्वच्छ रखना चाहिए|
2. नुकसान से बचाने के लिए कम्पोस्ट को बनाकर उसका निर्जीवीकरण करना चाहिए|
3. कम्पोस्ट पर डायजिनान 20 ईसी का 1.5 मिलीलीटर प्रति 10 लीटर पानी की दर से छिड़काव करने से कीटों से बचाया जा सकता है|
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