फरवरी के अंत और मार्च में वसंत और लंबे दिन के संकेत दिखाई देने लगते हैं। आपके बगीचे के पौधे भी जाग रहे हैं। वसंत न केवल हम मनुष्यों के लिए बल्कि हमारे पत्तेदार दोस्तों के लिए भी आनंददायक है क्योंकि लंबे समय तक दिन के उजाले का मतलब उनके लिए नई वृद्धि है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपके पौधे स्वस्थ रहें। अपने बागवानी कार्यों पर नज़र रखना काफी कठिन काम हो सकता है।
खासकर यदि आप एक बड़े बगीचे की देखभाल करते हैं, और यह समझ में आता है कि इसके परिणामस्वरूप कुछ गलतियाँ हो सकती हैं जहाँ आप कोई न कोई कार्य करना भूल जाते हैं। यहीं पर हमारी मासिक बागवानी कार्य चेकलिस्ट आती है। इस लेख को बुकमार्क करें और इसे मार्च महीने की शुरुआत में देखें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आपके सभी मासिक बागवानी कार्य अद्यतित हैं।
मार्च में बागवानी कृषि कार्य और फसलें
1. नीबू में यदि फरवरी में उर्वरक नहीं दिया गया हो, तो उसे मार्च में दे सकते हैं। और अधिक जाने- नींबू वर्गीय फलों की खेती
2. अमरूद के नए पौधों की रोपाई की जा सकती है। अमरूद, आंवला, आम, कटहल, पपीता व लीची के नवरोपित पौधे की सिंचाई करें। और अधिक जाने- अमरूद की खेती
3. पपीता, आम और अमरूद आदि के बगीचों की ठीक से सफाई करें। उनमें जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें व खाद डालें। अमरूद में उकठा रोग नियंत्रण हेतु 30 ग्राम बाविस्टीन को 15 लीटर पानी में मिलाकर प्रति पौधा जड़ों में प्रयोग करें। और अधिक जाने- पपीते की खेती
4. केले में 25 ग्राम नाइट्रोजन की मात्रा को पौधे से 40-50 सेंमी दूर गोलाई में डालकर चारों तरफ निराई-गुड़ाई करके मृदा में मिला दें तथा सिंचाई करें। और अधिक जाने- केले की खेती
5. आंवले के लिए कंचन, कृष्णा, नरेन्द्र आंवला – 6, नरेन्द्र आंवला – 7, नरेन्द्र आंवला – 10 किस्में अनुशंसित की जाती हैं। बीज को बोने से 12 घंटे पहले पानी में भिगो देना चाहिए, जो बीज पानी में तैरने लगें उन बीजों को फेंक देना चाहिए। और अधिक जाने- आंवला की खेती
6. अंगूर की मुख्य शाखा से अनावश्यक पत्तियों को तोड़ दें तथा लता को जाल पर व्यवस्थित कर दें। अंगूर के फलों का आकार व वजन बढ़ाने के लिए 50-60 प्रतिशत फूल खिलने की अवस्था पर 30-40 मिग्रा जिब्रेलिक एसिड प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। और अधिक जाने- अंगूर की खेती
7. लीची में फल लगने के एक सप्ताह बाद प्लैनोफिक्स (2 मिली प्रति 4.8 लीटर) या एनएए (20 मिग्रा प्रति लीटर) का एक छिड़काव करके फलों को झड़ने से बचाएं। फल लगने के 15 दिनों बाद बोरिक अम्ल (2 ग्राम प्रति लीटर) या बोरेक्स (5 ग्राम प्रति लीटर) के घोल का 15 दिनों के अंतराल पर तीन छिड़काव करने से फलों का झड़ना कम हो जाता है। मिठास में वृद्धि होती है तथा फल के आकार और रंग में सुधार होने के साथ-साथ फल फटने की समस्या भी कम हो जाती है। और अधिक जाने- लीची की खेती
8. बेर में फल मक्खी की रोकथाम के लिए मैलाथियॉन (50 ईसी) 200 मिली को 200 लीटर पानी में घोलकर तथा उसमें 2 किग्रा गुड़ मिलाकर एक सप्ताह के अंतराल पर छिड़काव करें। और अधिक जाने- बेर की खेती
9. गर्मियों में पपीते की नर्सरी के लिए रोग तथा कीटमुक्त स्वस्थ मृदा का चयन करें। क्यारी की अच्छी तरह से जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा करें। 5 किग्रा बालू, 20 किग्रा गोबर की खाद एवं 1 किग्रा नीम की खली में अच्छी तरह से मिलाकर क्यारियां बनायें तथा समतल कर लें। नर्सरी के लिये केवल स्वस्थ व परिपक्व बीज ही उपयोग करें। बीजों को आधा सेंमी गहरा, एक इंच बीज से बीज की दूरी पर तथा तीन इंच पंक्ति से पंक्ति की दूरी पर बोयें।
क्यारी के चारों ओर मेड़ बनायें तथा फव्वारे से क्यारी की सिंचाई करें। पौधों को तेज धूप से बचाने के लिए क्यारी के ऊपर एक 3-4 फीट ऊंचा छप्पर बनायें। प्रत्येक 2-3 दिनों के अन्तराल पर फव्वारे द्वारा क्यारी की सिंचाई करते रहें। इस प्रकार बोये गये बीज 15-20 दिनों में उग आते हैं। और अधिक जाने- बागवानी पौधशाला की स्थापना
10. बागों में अधिकतर पेड़ लगाने, काट-छांट व खाद-पानी देने का कार्य पूरा हो चुका है यदि नहीं तो शीघ्र कर लीजिए।
11. मार्च में बागों में पानी जरूर दें। बरसात के मौसम में नवरोपित फलों के पौधों की निराई-गुड़ाई व सिंचाई करें।
आम की बागवानी
1. इसमें भुनगा कीट से बचाव हेतु मोनोक्रोटोफॉस 1 मिली अथवा डाईमेथोएटड 1.6 मिली प्रति लीटर पानी में तथा आम में चूर्णिल आसिता रोग (पाउडरी मिल्ड्यू) सामान्यतः नई मंजरियों, पत्तियों एवं नये फलों पर आता है। इसकी रोकथाम के लिए 500 ग्राम प्रति पौधा गंधक चूर्ण का प्रयोग करना चाहिए।
डायानोकेप 1 मिली प्रति लीटर पानी का छिड़काव मार्च में 15 दिनों के अंतराल पर करना चाहिए या कैराथेन 1 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। आम में काला सड़न / आंतरिक सड़न के नियंत्रण के लिए बोरेक्स 6 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। उपरोक्त रोगों एवं कीटों के विरुद्ध उपयुक्त रसायनों को एक साथ मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं।
2. आम के पौधों का मिलीबग या गुजिया प्रमुख कीट है। मादा कीट मार्च-अप्रैल में पौधों से नीचे उतरकर भूमि की दरारों में अंडे देती हैं। मादा कीट हजारों की संख्या मे कोमल अंग जैसे- बौर, पत्तियां इत्यादि को चूसकर सूखा देती हैं। इनकी रोकथाम के लिए दिसंबर में आम के मुख्य तने के चारों तरफ ग्रीस (मृदा की सतह से 12 इंच ऊपर) लगाकर उस पर पॉलीथीन की पट्टी (50 सेंमी चौड़ी) लगा देनी चाहिए।
तने के आसपास क्लोरोपायरीफॉस 250 ग्राम प्रति वृक्ष की दर से मृदा में मिला देनी चाहिए। इस समय मृदा में मौजूद नमी को बनाए रखने के लिए पौधे के तने के चारों तरफ सूखे खरपतवार या काली पॉलीथीन की मल्चिंग बिछाना लाभदायक पाया गया है। और अधिक जाने- आम की खेती
पुष्प व सगंधीय वाले पौधे
1. गर्मी वाले मौसमी फूलों जैसे- पोर्चुलाका, जीनिया, कोचिया, नारंगी का समास, ग्रोम्फ्रीना, सेलोसिया, बालसम, फ्रेंच गेंदा, पेटूनिया, साल्विया, सूरजमुखी व वरवीना के बीजों को एक मीटर चौड़ी तथा आवश्यकतानुसार लम्बाई की क्यारियां बनाकर बीज की बुआई कर दें। बीजाई के बाद नियमित रूप से नर्सरी की सिंचाई करते रहें तथा निराई-गुड़ाई करके खरपतवार निकाल दें। और अधिक जाने- गेंदा की खेती
2. फूलदार पेड़ व झाड़ियां तथा हेज लगाना पूरा कर लें। मई-जून में लगने वाले घास के लॉन की भूमि की तैयारी भी मार्च से शुरू कर दें।
3. रजनीगंधा के बल्बों की रोपाई विगत माह में तैयार की गयी क्यारियों में 20-30 सेंमी की दूरी पर करें। फूलों की खेती में दिलचस्पी रखने वाले किसान मार्च में रजनीगंधा व गुलदाउदी की रोपाई करें। रोपाई करने के बाद बाग की हल्की सिंचाई करना न भूलें। और अधिक जाने- रजनीगंधा की उन्नत खेती
4. ग्लेडियोलस में कन्द लेने के लिए पौधे को भूमि से 15-20 सेंमी ऊपर से काटकर छोड़ दें और सिंचाई करें। जब पत्तियां पीली पड़ने लगें, तो सिंचाई बन्द कर दे। ग्लेडियोलस में काला धब्बा रोग की रोकथाम के लिए 0.2 प्रतिशत कैप्टॉन का घोल बनाकर छिड़काव करें। ग्लेडियोलस में कटुआ कीट नियंत्रण के लिए खेत की तैयारी के समय 20-25 किग्रा प्रति हैक्टर थीमेट 10 जी या कार्बोफ्यूरॉन के ग्रैन्यूल्स मिला लें। यदि चेंपा एवं थ्रिप्स का प्रकोप है, तो उससे बचाव के लिए 0.2 प्रतिशत मेटासिड-50 दवा का घोल बना लें और छिड़काव करें। और अधिक जाने- ग्लेडियोलस की खेती
5. गुलाब की फसल में आवश्यकतानुसार छंटाई, निराई-गुड़ाई व सिंचाई करना बहुत ही आवश्यक है। गुलाब के खेतों में गोबर की सड़ी हुई खाद 10 टन प्रति हैक्टर के अलावा 100-200 ग्राम कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट प्रत्येक चार पौधों के समूह की दर से छंटाई के बाद दो बार में दी जाये। और अधिक जाने- गुलाब की खेती
6. कट फ्लावर के लिए मुख्यतः जरबेरा, गुलदाउदी, गुलाब, ग्लेडियोलस और रजनीगंधा प्रचलित हैं। गर्मियों में उगने वाले पुष्पीय पौधों के लिए फरवरी-मार्च में बीजारोपण करें। और अधिक जाने- जरबेरा की खेती
7. गर्मी वाले मौसमी फूलों जैसे-पोर्चुलाका जीनिया, सनफ्लावर, कोचिया, नारंगी कासमास, ग्रोम्फ्रीना, सेलोसिया व बालसम के बीजों को एक मीटर चौड़ी तथा आवश्यकतानुसार लम्बाई की क्यारियां बनाकर बीज की बुआई कर दें।
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