मिर्च की उन्नत काश्त के लिए सामान्य व संकर किस्मों की क्षमता के अनुसार उत्पादन ले पाना तभी संभव है| जब उसके लिए उचित प्रबंधन एवं अनुकूल जल व मिटटी और अपने क्षेत्र की प्रचलित किस्म उपलब्ध हो| मिर्च पौध बुआई के समय बीज मिर्च एवं मिटटी में उत्तम सम्पर्क होना चाहिए| ताकि बीज का अंकुरण अच्छा हो जिससे किसान बन्धुओं को मिर्च की उन्नत व संकर किस्मों से अच्छी पैदावार प्राप्त हो सके|
यहाँ मिर्च उत्पादकों के लिए यह ध्यान देने की बात है, की मिर्च की उन्नत व संकर किस्मों को दो भागों में बाटा जा सकता है, एक मसाले और दूसरा आचार वाली के तौर पर इनका उपयोग हरी मिर्च के तौर पर भी किया जाता है| इस लेख में मिर्च की उन्नत व संकर किस्मों की विशेषताओं और पैदावार की जानकारी का उल्लेख है| मिर्च की उन्नत खेती की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- मिर्च की उन्नत खेती कैसे करें
मिर्च की उन्नत व संकर किस्में
मसाले वाली किस्में- पूसा ज्वाला, पन्त सी- 1, एन पी- 46 ए, जहवार मिर्च- 148, कल्याणपुर चमन, भाग्य लक्ष्मी, आर्को लोहित, पंजाब लाल, आंध्रा ज्योति और जहवार मिर्च- 283 आदि प्रमुख है|
आचार वाली किस्में- केलिफोर्निया वंडर, चायनीज जायंट, येलो वंडर, हाइब्रिड भारत, अर्का मोहिनी, अर्का गौरव, अर्का मेघना, अर्का बसंत, सिटी, काशी अर्ली, तेजस्विनी, आर्का हरित और पूसा सदाबहार (एल जी- 1) आदि प्रमुख है|
प्रमुख सब्जी वाली किस्में- आर्का मोहिनी, आर्का बसंत, आर्को गौरव और इन्दिरा आदि प्रमुख है|
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मिर्च की किस्मों की विशेषताएं व पैदावार
पुसा ज्वाला- पौधा बोना, मध्यम तीक्ष्णता वाले हल्के हरे फल, 9 से 10 सेंटीमीटर लम्बे होते है| जो पकने पर पर लाल रंग में परिवर्तित होते है| परिपक्वता 130 से 150 दिन व पैदावार 75 से 80 क्विंटल प्रति हैक्टेयर हरी व 7 से 8 क्विंटल सूखी मिर्च मिलती है|
पुसा सदाबहार- इसका पौधा सीधा गहरी हरी पत्तियां व उच्च तीक्ष्णता वाले 6 से 8 सेंटीमीटर लम्बे फल होते है| यह पत्ती मरोड़ वायरस के प्रति प्रतिरोधी होती है| परिपक्वता अवधि 150 से 170 दिन होती है और ताजा हरी मिर्च की 110 से 125 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तथा सूखी मिर्च की 15 से 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर पैदावार होती है|
पन्त सी 1- पौधे छोटे आकार के होते है| इसके फल उच्च तीक्ष्णता युक्त 5.5 सेंटीमीटर लम्बे होते है| पकने पर फल लाल रंग में परिवर्तित हो जाते है| इसकी परिपक्वता अवधि 90 से 130 दिन होती है| यह पत्ती मरोड़ वायरस के प्रति सहनशील होती है| इसकी हरी मिर्च की पैदावार 100 से 120 क्विंटल प्रति हैक्टेयर और सूखी मिर्च की उपज 9 से 11 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है|
पंजाब लाल- इसके पौधे बोने व गहरी हरी पत्तियों युक्त होते है| फल मध्यम आकार के व पकने पर लाल हो जाते है| इसकी पकाव अवधि 120 से 180 दिन होती है और 100 से 120 क्विंटल प्रति हैक्टेयर हरी तथा 9 से 10 क्विंटल प्रति हैक्टेयर सूखी मिर्च की पैदावार मिलती है|
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अर्का मेघना- इसके पौधे लम्बे व फैलने वाले होते है| फल 10 सेंटीमीटर लम्बे गहरे हरे होते है| इसकी परिपक्वता अवधि 150 से 160 दिन की होती है| यह चूर्णिल आसिता व वायरस के प्रति सहनशील होती है| इसकी पैदावार 33.5 क्विंटल प्रति हैक्टेयर हरी तथा 5 क्विंटल प्रति हैक्टेयर सूखी मिर्च की मिलती है|
सिटी- यह किस्म 160 से 180 दिन में तैयार हो जाती है| इसकी पैदावार क्षमता प्रति हेक्टेयर 12 से 15 किंवटल (सूखी) होती हैं| इसके फल लम्बे आकार के होते हैं|
काशी अर्ली- इस किस्म के पौधे से रोपण के मात्र 45 दिनों में प्रथम तुड़ाई प्राप्त हो जाती है| जो सामान्य संकर किस्मों से लगभग 10 दिन पहले होती है| इस किस्म के फलों की तुड़ाई 6 से 8 दिनों के अन्तराल पर होती रहती है, जिससे 10 से 12 तुड़ाई आसानी से की जा सकती है| हरे फल का उत्पादन 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त हो जाता है| इसकी फसल लम्बी अवधि तक चलती रहती है| हरे फल उत्पादन के लिये एक यह एक उत्तम किस्म है|
कल्याणपुर चमन- यह संकर किस्म है, इसकी फलियाँ लाल, लंबी और तीखी होती हैं| इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 25 से 30 क्विटल (सूखी) होती है|
तेजस्विनी- इसकी फलियाँ मध्यम आकार की तथा हरे रंग की होती हैं| फल सीधे, नुकीले, लगभग 10 सेंटीमीटर लम्बे होते हैं| प्रथम तुड़ाई पौध रोपाई के 75 दिनों बाद प्राप्त होती है| औसतन हरे फल का उत्पादन 200 से 250 क्विंटल प्राप्त हो जाता है| हरे फल उत्पादन के लिए अच्छी किस्म है|
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आर्का हरित (एम एस एच-172)- इस किस्म के पौधे लम्बे और सीधी बढ़वार वाले होते हैं| पत्तियाँ मध्यम आकार की, फल 6 से 8 सेंटीमीटर लम्बे, पतले, हरे रंग के होते हैं| पौध रोपाई के 50 से 55 दिनों बाद प्रथम तुड़ाई प्राप्त हो जाती है| हरे फलों का औसत उत्पादन 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त हो जाते है| हरे फल उत्पादन के लिए एक उत्तम किस्म है|
भाग्य लक्ष्मी- यह सिंचिंत एवं असिंचित क्षेत्र में उगाई जाती हैं| असिंचित क्षेत्र में 8 से 10 किंवटल और सिंचित क्षेत्र में 15 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर शुष्क फल देती है| आंध्रा ज्योति- यह किस्म पूरे भारत वर्ष में उगाई जाती है| यह प्रति हेक्टर 18 से 20 क्विटल (सूखी) फल देती है|
आर्को लोहित- इसके फल तीखे एवं पकने पर लाल रंग के होते हैं, जो कि 200 से 210 दिन में तैयार होते हैं| पैदावार 35 क्विंटल प्रति हेक्टर है|
पंजाब लाल- यह एक बहुवर्षीय किस्म है| यह लगभग 47 क्विटल पके फल देती है| यह वायरस रोग से रोगराधी है|
पंजाब सुर्खा- इसके फल 7 सेंटीमीटर लम्बे तथा वायरस से रोग रोधी किस्म है|
एन पी- 46 ए- इस किस्म के फल लम्बे व पतले और बहुत तीखे होते है| पकने की अवधि 120 से 130 दिन, इस किस्म से हरी मिर्च 70 से 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त हो जाती है|
जाहवार मिर्च 148- शीघ्र पकने वाली और कम तीखी मिर्च है| कुर्करा रोग का प्रकोप कम होता है| पकने की अवधि हरी 100 से 105 दिन और लाल 120 से 125 दिन है| इस उन्नत किस्म की औसत पैदावार 85 से 100 क्विंटल हरी और 18 से 23 क्विंटल सुखी मिर्च प्राप्त होती है|
जाहवार मिर्च 283- यह मिर्च की उन्नत किस्म सडन डाई बैक, माइट्स और थ्रिप्स के प्रति सहनशील, हरी मिर्च 105 से 110 दिन और लाल 130 से 135 दिन में तैयार हो जाती है| औसत पैदावार हरी 85 से 95 दिन और लाल 18 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिलती है|
अन्य मुख्य किस्में- सूर्य रेखा, जवाहर मिर्च- 218, पंत सी- 2, ए एम डी यू- 1, सी ओ- 2, काषी विष्वनाथ, काषी अनमोल और काषी सुर्ख ये किस्में भी हरी मिर्च के उत्पादन के लिये प्रसिद्ध हैं| इनका हरी मिर्च के तौर पर उत्पादन 110 से 175 क्विंटल प्रति हेक्टर प्राप्त हो जाता है|
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