शीत ऋतु में आम के बागों की देखभाल, आम अपने विशिष्ट गुणों के कारण फलों का राजा कहलाता है| देश में आम का कुल क्षेत्रफल 2.31 मिलियन हेक्टेयर है, जिससे 15.03 मिलियन टन आम पैदा किया जाता है| विगत वर्षों में आम का क्षेत्रफल लगातार बढ़ता रहा है, परन्तु पैदावार उसी अनुपात में नहीं बढ़ रहा है| यदि आम की उत्पादन में कमी के कारणों पर गहन विचार किया जाये तो प्रतीत होता है, कि आम की बागवानी में विभिन्न स्तरों पर लापरवाही बरती जा रही है|
बागों को ठेकेदारों के हवाले करने से उनकी समयानुसार देख-रेख में कमी होती जा रही है| सामान्यतौर पर देखा जाता है, कि बागों की देखरेख केवल फल आते समय ही की जाती है एवं फल तुड़ाई के बाद आम के बाग उपेक्षा का शिकार हो जाते हैं| आम के बागों में अच्छे फूल आएं और पौधों की उत्पादक क्षमता बनी रहे इसके लिए फल तुड़ाई के बाद खासकर शीत ऋतू (जाड़े) के महीनों में बागों को देखभाल की आवश्यकता होती है|
शीत ऋतू के महीनों में बहुत से ऐसे खेती कार्य होते हैं, जिनका प्रभाव बसन्त ऋतु में फूल आने और फल बनने पर पड़ता है| प्रस्तुत लेख में आम के बागों में शीत ऋतु के महीनों में किए जाने वाले कृषि कार्यों का मासिक विवरण दिया जा रहा है, जो इस प्रकार है, जैसे-
दिसम्बर शीत ऋतु में देखभाल
आम के बागों की शीत ऋतु में गहरी जुताई की जानी चाहिए जिससे फल मक्खी, मिज कीट, गुजिया कीट एवं जाले वाले कीट की वे अवस्थाएं जो जमीन में दूसरे वर्ष आने तक पड़ी रहती हैं, नष्ट हो जाएं| कुछ तो गुड़ाई करते समय मर जाती हैं, कुछ परजीवी और परभक्षी कीड़ों या दूसरे जीवों का शिकार हो जाती हैं एवं कुछ जमीन से ऊपर आने पर अधिक सर्दी की वजह से मर जाती हैं|
शीत ऋतू यानि की दिसम्बर के अन्तिम सप्ताह में गुजिया कीट को पेड़ों पर चढ़ने से रोकने के लिए पेड़ के तने पर चारों और भूमि से लगभग 40 सेंटीमीटर ऊपर मिट्टी की पतली परत चढ़ाकर 400 गेज की मोटी सफेद पॉलीथीन की 25 सेंटीमीटर चौड़ी पट्टी लपेट कर उसके दोनों तरफ रस्सी या सुतली से बांधना चाहिए| यदि गुजिया कीटों की संख्या अधिक हो तो माह के अन्तिम दिनों में क्लोरोपाइरीफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण, 250 ग्राम प्रत्येक पेड़ की दर से तने के चारों ओर गुड़ाई कर मिट्टी में मिलाये जाने से इस कीट का नियंत्रण हो जाता है|
छाल वाले कीड़ों तथा तना भेदक कीड़ों के नियंत्रण के लिए जालों और छेदों को साफ करके छिद्रों में 0.05 प्रतिशत डाइक्लोरवॉस या मोनोक्रोटोफॉस का घोल डालकर इसे बन्द कर देते हैं| इनका प्रकोप होने पर यदि तुरन्त रोकथाम कर ली जाय तो ये नुकसान नहीं पहुंचा पाते|
फोमा ब्लाइट के नियंत्रण हेतु कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव किया जाना चाहिए| गुच्छा बौर की रोकथाम के लिए नयी बौर कलिकाओं को तोड़ देना चाहिए| पाले के प्रकोप से बचने के लिए नए लगे बाग में सिंचाई की जानी चाहिए|
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जनवरी में देखभाल
शीत ऋतु में आम के बागों में जल्दी निकली हुई पुष्प कलिकाओं को यथासंभव तोड़ देना चाहिए| इससे गुच्छा रोग की संभावना कम हो जाती है| बौर निकलते समय मिज कीट के नियंत्रण के लिए फेन्ट्रियोथियान 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या मोनोक्रोटोफॉस 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या डाइमेथोएट 1.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव किया जाना चाहिए|
यदि गुजिया कीट के लिए पॉलीथीन न लगायी जा सकी हो तो उपरोक्त छिड़काव इसे भी रोकने में प्रभावी होगा| मधु मक्खियों की कालोनी बक्से सहित फूल आने पर बागों में रखना चाहिए, इससे परागण अच्छा होता है एवं फल अधिक मात्रा में लगते है|
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फरवरी में देखभाल
आम के बौर निकलने पर यदि भुनगा कीट का प्रकोप 5 से 10 भुनगा प्रति बौर हो तो नियंत्रण के लिए कार्बारिल 0.2 प्रतिशत या मोनोक्रोटोफॉस 0.05 प्रतिशत या क्विनॉलफॉस 0.05 प्रतिशत या क्लोरपाइरीफॉस 0.04 प्रतिशत, 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी आदि का बदल-बदल कर पानी में घोल बनाकर छिड़काव किया जाना चाहिए|
यदि खर्रा रोग की शुरूआत दिखाई पड़े तो घुलनशील गंधक का प्रथम छिड़काव 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से करना चाहिए| यदि मिज कीट का प्रभाव बौर पर दिखाई पड़े तो उन बौरों को काटकर नष्ट कर देना चाहिए| भुनगे के लिए किए गए छिड़काव से मिज कीट भी नष्ट हो जाएंगे| यदि आवश्यक हो तो एक छिड़काव और करें|
गुजिया कीट के लिए लगाई गई पॉलीथीन पट्टी को किसी कपड़े से साफ करें| पिछले वर्ष के गुम्मा बौर और पत्तियों को जिस पर खरें का अधिक प्रकोप हों, तोड़कर नष्ट कर देना चाहिए|
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