सोयाबीन की उन्नत किस्मों का चयन क्षेत्र की अनुकूलता को ध्यान में रखकर करने से पैदावार पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है| अनुवांशिक शुद्धता और 70 से 80 प्रतिशत वाले बीजों का चयन कृषक बन्धुओं को करना चाहिए, इस लेख में सोयाबीन की उन्नत किस्में और उनकी विशेषताओं के साथ साथ पैदावार का भी उल्लेख किया गया है| सोयाबीन की उन्नत खेती की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- सोयाबीन की खेती- किस्में, रोकथाम व पैदावार
सोयाबीन की किस्में
उत्तरी पहाड़ी- हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड|
प्रमुख किस्में- शिलाजीत, पूसा- 16, वी एल सोया- 2, वी एल सोया- 47, हरा सोया, पालम सोया, पंजाब- 1, पी एस- 1241, पी एस- 1092, पी एस- 1347, वी एल एस- 59 और वी एल एस 63 आदि है|
उत्तर मैदानी क्षेत्र- पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार|
प्रमुख किस्में- पी के- 416, पूसा- 16, पी एस- 564, एस एल- 295, एस एल- 525, पंजाब- 1, पी एस- 1024, पी एस- 1042, डी एस- 9712, पी एस- 1024, डी एस- 9814, पी एस- 1241और पी एस 1347 आदि है|
मध्य भारत- मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तरी महाराष्ट्र और गुजरात|
प्रमुख किस्में- जे एस- 93-05, जे एस- 95-60, जे एस- 335, एन आर सी- 7, एन आर सी- 37, जे एस- 80-21, समृद्धि और एम ए यू एस 81 आदि है|
दक्षिणी क्षेत्र- दक्षिणी महाराष्ट्र, कर्नाटक, तामिलनाडु और आन्ध्र प्रदेश|
प्रमुख किस्में- को- 1, को- 2, एम ए सी एस- 24, पूजा, पी एस- 1029, के एच एस बी- 2, एल एस बी- 1, प्रतिकार, फूले कल्याणी और प्रसाद आदि है|
उत्तर पूर्वी क्षेत्र- बंगाल, छत्तीसगढ़, उतराखंड, उड़ीसा, आसाम और मेघालय|
प्रमुख किस्में- बिरसा सोयाबीन- 1, इंदिरा सोया- 9, प्रताप सोया- 9, एम ए यू एस- 71 और जे एस- 80-21 आदि है|
यह भी पढ़ें- मूंगफली की उन्नत किस्में, जानिए विशेषताएं और पैदावार
सोयाबीन की किस्मों की विशेषताएं और पैदावार
पी के 472- सोयाबीन की उन्नत किस्म, मोटे पीले दानों वाली मध्यम ऊँचाई की इस किस्म का पौधा सीधा होता है| पत्तियां चौड़ी, गहरे हरे रंग की होती है| इसके फूल का रंग सफेद होता है और तना पत्तियां तथा फलियों पर स्लेटी रंग के रोये होते है| फलियां गुच्छों में लगती है, यह पकने में 110 से 115 दिन का समय लेती है एवं पैदावार 25 से 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है| इसके 100 दानों का भार 13 से 15 ग्राम होता है| हायलम का रंग हल्का भूरा होता है| यह किस्म पीला मोजेक, पर्ण धब्बा और बैक्टीरियल बीमारियों से प्रतिरोधी होने के साथ-साथ कई प्रकार के कीड़ों से भी प्रतिरोधी होती है| इसमें फलियां चटकने की समस्या नहीं है|
जे एस 335- सोयाबीन की उन्नत किस्म, पीले दाने वाली और शीघ्र पकने वाली 100 से 105 दिन इस किस्म में फूल बैंगनी रंग के होते है एवं फलियां चिकनी और चटकती नहीं हैं| दाना पीला, मध्यम आकार का और काली नाभिका वाला होता है| अच्छी अंकुरण क्षमता वाली इस किस्म की पैदावार 25 से 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है| यह किस्म जीवाणु पत्ती धब्बा तथा अंगमारी रोगों के लिये प्रतिरोधी एवं मोजेक और तना मक्खी के लिये सहनशील है|
मैक्स 450- सोयाबीन की उन्नत किस्म, छोटे और पीले दानों वाली, मध्यम ऊँचाई की यह किस्म लगभग 105 दिन में पककर तैयार हो जाती है| बैंगनी पुष्प, अर्द्ध-सीमित वृद्धि, भूरे रोये, काली नाभिका वाली इस किस्म के 100 दानों का भार 8 से 10 ग्राम और पैदावार 25 से 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है| यह किस्म जीवाणु पत्ती धब्बा एवं अन्य पत्ती रोगों से प्रतिरोधक और पत्ती खाने वाले कीड़ों से सहनशील होती है|
यह भी पढ़ें- उड़द की उन्नत किस्में, जानिए विशेषताएं और पैदावार
एन आर सी- 12 (अहिल्या- 2)- यह सोयाबीन की उन्नत किस्म, 100 से 105 दिन में पकने वाली पीले दानों वाली इस किस्म में बैंगनी फूल पाये जाते है| उत्तम अंकुरण क्षमता, दाना मध्यम पीला, नाभिका भूरी से काली होती है और 100 दानों का भार 10 से 12 ग्राम होता है| इसकी पैदावार क्षमता 25 से 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है| यह किस्म जीवाणु पत्ती धब्बा और अन्य पर्ण भक्षी कीड़ों से, मोजेक तथा तना मक्खी के लिये सहनशील हैं|
एन आर सी- 37 (अहिल्या- 4)- चौड़ी गहरी हरी पत्तियों वाली इस सोयाबीन की उन्नत किस्म के किस्म के पौधे सीधे रहते है| 100 से 105 दिन में पकने वाली इस किस्म के फूल सफेद, उत्तम अंकुरण, दाना मध्यम मोटा और नाभिका गहरी भूरी होती है| इसके 100 दानों का भार 10 से 13 ग्राम और पैदावार 25 से 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है| यह किस्म भी जीवाणु पत्ती धब्बा और तना गलन रोग से मध्य प्रतिरोधी, तना मक्खी तथा पर्ण भक्षी कीटों से सहनशील होती है|
प्रताप सोया- 1 (आर ए यू एस- 5)- सोयाबीन की उन्नत किस्म, गहरे बैंगनी फूलों और पीले दानों वाली इस किस्म के पौधे मध्यम ऊँचाई के एवं सीधे होते है| 95 दिन में पकने वाली इस किस्म की पत्तियाँ गहरी हरी और भूरे रोये वाली होती है| 25 से 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर पैदावार देने वाली इस किस्म के 100 दानों का भार 10 से 12 ग्राम होता है| यह किस्म गर्डल बीटल नामक कीड़े से अत्यधिक प्रतिरोधी है| पर्ण भक्षी कीटों, पर्ण धब्बा एवं तना सड़न रोग से मध्यम प्रतिरोधी इस किस्म में तेल की मात्रा भी अधिक होती है|
यह भी पढ़ें- मूंग की उन्नत किस्में, जानिए विशेषताएं एवं पैदावार
जे एस 93-05- संकरी पत्तियों और बैंगनी फूलों वाली यह किस्म 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है| इस किस्म में अंकुरण क्षमता उत्तम, दाना मध्यम मोटा तथा 100 दानों का भार 9 से 10 ग्राम होता है| यह किस्म कई प्रकार के रोगों और कीड़ों से मध्यम प्रतिरोधी है|
जे एस 97-52- यह मध्यम अवधि और मध्यम दाने वाली किस्म है| यह मध्य क्षेत्र के मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तर-पूर्व के छत्तीसगढ़, झारखण्ड और मेघालय आदि प्रदेशों के लिये अनुशंसित है| यह व्यापक क्षेत्र के लिये अनुकूल है और विभिन्न जलवायु के क्षेत्रों में अधिक पैदावार देने की क्षमता रखती है| इसमें बहुरोधी क्षमताऐं है, यह प्रमुख रोगों जैसे- पीला मोजेक, जड़ सड़न व प्रमुख कीटों जैसे- तना छेदक और पत्ती भक्षक कीटों तथा अधिक नमी के लिये प्रतिरोधी या सहनशील है| यह प्रजाति अपने विशिष्ट आकारीय लक्षणों जैसे- सफेद फूल, हल्के रंग की फलियाँ, तने और पत्तियों पर रोये तथा गहरी काली नाभिका के साथ समरूपता और नवीनता रखती है| यह अच्छे पोषक स्तर वाली भारी मिट्टी और कुशल जल प्रबन्धन में उत्पादन क्षमता 25 से 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है तथा 98 से 102 दिन में तैयार हो जाती है|
जे एस 95-60- यह सोयाबीन किस्म अतिशीघ्र पकने वाली किस्म है| यह जे एस- 93-05 से भी 8 से 10 दिन पूर्व पककर तैयार हो जती है| दाने का आकार अण्डाकार-बोल्ड, नाभिका हल्की भूरी, दाना चमकदार पीला होता है और अंकुरण क्षमता 85 से 90 प्रतिशत होती है| फूलों का रंग नीला होता है, तना, पत्तियाँ व फली चिकनी होती है| पत्तियाँ गहरे हरे रंग की होती है, जड़ सड़न व पर्णीय बीमारियों, पत्ती चूसक कीटों, पत्तियां काटने वाले कीटों के लिये प्रतिरोधी सहनशील क्षमता होती है और यह 85 से 88 दिन में पक जाती है| औसत पैदावार 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है|
यह भी पढ़ें- अरहर की उन्नत किस्में, जानिए क्षेत्रवार, विशेषताएं एवं पैदावार
प्रताप राज 24 (आर के एस- 24)- सोयाबीन की उन्नत किस्म, मध्यम ऊँचाई की, 95 से 100 दिन में पककर तैयार हो जाती है| फूल सफेद, पत्तियाँ गहरी हरी रंग की चौड़ी,तना मजबूत और पत्तियों, तने और फलियों पर भूरे रंग के रोये पाये जाते है| बीज हल्के पीले रंग के भूरी नाभिका वाले होते है| उचित परिस्थितियों में इसकी पैदावार 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है| यह किस्म गर्डल, बीटल, सेमीलूपर और तम्बाकू इल्ली से मध्यम प्रतिरोधी पायी गई है एवं पीत विषाणु रोग, तना गलन तथा पत्ती धब्बा रोगों से भी मध्य प्रतिरोधी पायी गई है|
जे एस 71-05- सोयाबीन की उन्नत किस्म पीला बीज, बैंगनी रंग के फूल हल्की काली से काली नाभिका, बौनी किस्म, हल्की उथली जमीन के लिए उपयुक्त, बैक्टीरियल पश्चूल के लिए प्रतिरोधी, पकने की अवधि 90 से 95 दिन, औसत पैदावार 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
जे एस 80-21- पकने की अवधि 105 से 110 दिन, औसत पैदावार 25 से 30 क्विंटल, पीला बीज पत्र, बैंगनी फूल, काली नाभिका अच्छा अंकुरण अर्धदपरिमित, बैक्टीरियल पश्चूल, तना फली, ब्लाइट के लिए प्रतिरोधी, लीफ स्पाट के प्रति सहनशील सोयाबीन की उन्नत किस्म है|
पी के 564- पकने की अवधि 100 से 105 दिन, औसत पैदावार 25 से 30 क्विंटल, पीले मोजेक, जड़ सड़न और पाद सड़न से प्रतिरोधक, जेसिड से सहनशील सोयाबीन की उन्नत किस्म है|
जे एस 76-205- पकने की अवधि 104 से 106 दिन, औसत पैदावार 20 से 25 क्विंटल, बैंगनी फूल, अर्धपरिमित विकास, काला दाना बर्फ के रंग की नाभिका, बेकटीरीयल पश्चूल, बीज सड़न से प्रतिरोधी, कम उत्पादन लागत के लिए सोयाबीन की उपयुक्त किस्म है|
यह भी पढ़ें- बाजरा की उन्नत किस्में, जानिए विशेषताएं एवं पैदावार की जानकारी
जे एस 90-41- पकने की अवधि 85 से 100 दिन, औसत पैदावार 25 से 30 क्विंटल, जल्दी पकने वाली किस्म, दाने टूटते नहीं, खेतों में पानी जमा रहने पर कम नुकसान, बैंगनी फूल, हरे पीले बीज पत्र, काली नाभिका, तना मक्खी तथा अर्द्धकुंडलाकार इल्ली से मध्यम प्रतिरोधक, पीला मोजेक वायरस एवं जड़ सड़न से प्रतिरोधक सोयाबीन की उन्नत किस्म है|
जे एस- 72-44 ( गौरव)– पकने की अवधि 100 से 107 दिन, औसत पैदावार 20 से 25 क्विंटल, पीला दाना, गहरी भूरी नाभिका, अर्धपरिमित विकास, पत्ती खाने वाले, गर्डल बीटल, तने की मक्खी के लिए रोगग्राही, लंबा पौधा बेक्टीरियल पश्च्यूल और फल्ली झुलसन के प्रति प्रतिरोधक सोयाबीन की उन्नत किस्म है|
जे एस- 72-280 ( दुर्गा)- पकने की अवधि 100 से 105 दिन, औसत पैदावार 20 से 22 क्विंटल, सफेद फूल, पीला दाना, काली नाभिका, अच्छा अकुंरण क्षमता अर्धपरिमित, विकास बैक्टीरियल पश्च्यूल और फल्ली झुलसन के प्रति प्रतिरोधक, पीला मोजेक वायरस के प्रति सहनशील सोयाबीन की उन्नत किस्म है|
जे एस- 75-46- पकने की अवधि 100 से 105 दिन, औसत पैदावार 25 से 30 क्विंटल, बैंगनी फूल, भूरी या गुलाबी नाभिका, पीला दाना, अर्धपरिमित विकास, लंबा पौधा, बेक्टीरियल पश्चूल और फली ब्लाइट के लिए प्रतिरोधक सोयाबीन की उन्नत किस्म है|
पूसा 20 ( डी एस- 74-20-2)- पकने की अवधि 100 से 115 दिन, औसत पैदावार 25 से 30 क्विंटल, बैंगनी फूल, पीला दाना, स्लेटी नाभिका, सुदृढ़ पौधा, राईजोक्टोनिया तथा बेक्टीरियल पश्चूल से प्रतिरोधी, पीला मोजेक के लिए सहनशील अच्छा अकुंरण वाली सोयाबीन की उन्नत किस्म है|
मुनेटा- पकने की अवधि 80 से 85 दिन, औसत पैदावार 20 से 23 क्विंटल, बैंगनी फूल, भूरी फलियां, पीला दाना, परिमित विकास, अन्तरवर्तीय फसलों में सहायक, कीड़ों से सहनशील, लंबा पौधा, बेक्टीरियल पश्चूल के लिए रोगग्राही, पीला मोजेक वायरस, जीवाणु झुलसन, पर्ण दाग के लिए सहनशील सोयाबीन की उन्नत किस्म है|
यह भी पढ़ें- मक्का की उन्नत एवं संकर किस्में, जानिए विशेषताएं और पैदावार
यदि उपरोक्त जानकारी से हमारे प्रिय पाठक संतुष्ट है, तो लेख को अपने Social Media पर Like व Share जरुर करें और अन्य अच्छी जानकारियों के लिए आप हमारे साथ Social Media द्वारा Facebook Page को Like, Twitter व Google+ को Follow और YouTube Channel को Subscribe कर के जुड़ सकते है|
Leave a Reply