अगर आप अक्टूबर महीने में सब्जी की खेती करने का विचार बना रहे हैं तो यह खबर आपके लिए जरूरी है| कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, अक्टूबर महीने में सब्जी की बुवाई करने पर जनवरी से लेकर फरवरी तक कुछ हरी सब्जियां तैयार हो तैयार हो जाती हैं| सब्जियों की मांग मौसम के अनुसार बदलती रहती है| ऐसे में अगर आप सब्जियों की खेती कर बढ़िया लाभ कमाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको मौसम के अनुसार बाजार में सब्जियों की मांग को समझना होगा|
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, अक्टूबर महीने में बोई गई सब्जियों की मांग अगले एक से दो महीने में काफी ज्यादा रहती है और किसानों को बढ़िया रेट मिल जाता है| किसान भाइयों को बता दें कि इस समय आप ब्रोकोली, मटर, प्याज, फूलगोभी, और पालक की खेती कर बाजार से अच्छा फायदा कमा सकते हैं| ऐसे में आइए अक्टूबर महीने में सब्जियों की खेती और उनके कृषि कार्य समझते हैं|
अक्टूबर महीने में सब्जियों की खेती और कृषि कार्य
1. अक्टूबर महीने में विभिन्न क्षत्रों में टमाटर (Tomato), धनिया (Coriander), मटर (Peas), बैंगन (Brinjal), फ्रेंच बीन्स (French Beans), प्याज (onions), मूली (Radish), सेम फली (Sem Phali), लेटस ( lettuce), पालक (Spinach), चुकंदर (Beetroot), पाक चोय (Pak Choy), गाजर (Carrot), शलजम (Tumip), फूलगोभी (Cauliflower), काले (kale), ब्रोकली (Broccoli), पत्ता गोभी (Cabbage), सेलेरी (celery) और लीक (Leek) आदि सब्जियों की खेती की जाती है|
2. गाजर व मूली की एशियाई किस्मों की बुवाई यदि सितम्बर में की जा चुकी है तो अक्टूबर महीने में नत्रजन की बची हुई आधी मात्रा बुवाई 30 दिन बाद छिङकाव (टॉप ड्रेसिंग) द्वारा सिंचाई के तुरंत बाद मध्य सितम्बर में बोई हुई गाजर मूली में अक्टूबर माह में 20 दिन के अंतराल से दो बार खुरपी से निराई-गुडाई करें| आवश्यकतानुसार 5.7 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें|
3. जहां गाजर व मूली की बुवाई नही हुई है वहां अक्टूबर महीने में गाजर की उपयुक्त किस्में: पूसा केसर, पूसा मेघाली, सलेक्शन- 21, सलेक्शन- 233 अपनाकर बुवाई कर सकते हैं| गाजर की किस्मों की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- गाजर की उन्नत किस्में: जाने विशेषताएं और पैदावार
4. मूली की बुवाई के लिए पूसा देशी, पूसा रश्मि, कल्याणी सफेद, पूसा हिमानी, अर्का निशान और पंजाब पंसद इत्याइि उपयुक्त किस्में अपना सकते है| मूली की किस्मों की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- मूली की उन्नत किस्में: विशेषताएं और पैदावार
5. टमाटर में नत्रजन की 25 प्रतिशत मात्रा जिसमें 65 किग्रा यूरिया प्रति हैक्टेयर छिटकाव विधि (टॉप ड्रेसिंग) द्वारा सिंचाई के तुरंत बाद दें| लगभग 20 दिन के अंतराल पर दो बार निराई-गुडाई करें| नियमित रूप 8 से 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें|
6. अक्टूबर महीने में सितम्बर में बोई गई फूलगोभी एवं पत्तागोभी की मध्यमकालिन किस्मों की 4 से 6 सप्ताह पुरानी पौध की रोपाई करें| रोपाई हेतु फूलगोभी के लिए 45 सेमी पंक्ति से पंक्ति व 30 सेमी पोधे से पोधे की दूरी रखें| इसी प्रकार पत्तागोभी के लिए 60 सेमी पंक्ति से पंक्ति व 45 सेमी पोधे से पोधे की दूरी रखनी चाहिए| सप्ताह में एक बार आवश्यकतानुसार सिंचाई करें| उचित फसल सघनता के लिए अंतराल भराव (गैप) फिलिंगद्ध करें|
7. अक्टूबर महीने में प्याज की बुवाई करें, इसके लिये प्याज लाल की पूसा रेड, नासिक रेड व पंजाब रेड राउण्ड उपयुक्त किस्में है| प्याज सफेद की उदयपुर- 102, पूसा व्हाइट फ्लेट व पूसा व्हाइट राउण्ड उपयुक्त किस्में हैं| प्याज की किस्मों की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- प्याज की उन्नत किस्में: विशेषताएं और पैदावार
8. मटर (बटला) की उन्नत किस्में: डीडीआर 23, आईपीएफडी 99-13, आईपीएफडी 1-10, डीएम आर 7 की बुवाई करें तथा सिफारिशानुसार उरर्वक (20:40:20:20:5 नत्रजन फॉस्फोरस: पोटाश: गंधक: जिंक) प्रति हैक्ट एवं 1 ग्राम अमोनियम मोलिब्डेट + राइजोबियम पीएसबी + पीजीपीआर कल्चर 6 ग्राम प्रति किग्रा बीज को उपचारित कर बुवाई करें| मटर की किस्मों की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- मटर की उन्नत किस्में: विशेषताएं और पैदावार
9. अक्टूबर महीने में लहसुन की जी- 282, यमुना सफेद- 2, जी- 50, जी- 323 किस्मों को 6 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलो बीज से उपचारित कर बुवाई करें| लहसुन की किस्मों की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- लहसुन की उन्नत किस्में: विशेषताएं और पैदावार
अक्टूबर महीने में बागवानी के कृषि कार्य
1. अमरूद की मृग बहार की फसल में अच्छे पुष्पन व फलन के लिए 2 से 3 सप्ताह में एक बार अमरूद के पेङों को पानी दिया जाना चाहिए| अक्टूबर महीने में औसतन 5 वर्षं से बड़े पेङों में सिंचाई के साथ प्रति पेङ 400 ग्राम युरिया, 1 किलो सिंगल सुपर फास्फेट व 600 ग्राम पोटाश दें| फल मक्खी के नियंत्रण के लिए फेनवेलरेट 20 ईसी का 0005 का छिड़काव 500 लीटर प्रति हैक्टेयर प्रति सप्ताह की दर से आवश्यकतानुसार करें| छिङकाव से 4 से 5 दिन बाद ही फलों की तुङाई करें| अमरूद की बागवानी की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- अमरूद की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
2. बेर में अक्टूबर महीने में पुष्पन शुरु होता है| अतः फूलों एवं अपरिपक्व फलों के गिरने को रोकने एवं उत्तम गुणवत्ता युक्त अधिक उपज के लिए नियमित 10 से 12 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करनी चाहिए| फल झङन की रोकथाम हेतू एनएए का 20 पीपीएम का छिड़काव किया जाना चाहिए| बेर की बागवानी की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें-
3. अनार में मृग बहार में फलों के फटने का कार्यिकी विकार सबसे ज्यादा होता है| यह विकार अनियमित सिंचाई, बोरोन तत्व की कमी व फल विकास के समय तापक्रम अत्यधिक उतार चढाव के कारण होता है| इसके उचित प्रबन्धन के लिए फल बनने से पकने तक नियमित सिंचाई की व्यवस्था, 001 प्रतिशत बोरेक्स का पर्णीय छिड़काव व अनार के बगीचे के चारो ओर वायु अवरोधी पौधे लगाना काफी प्रभावी रहता है| इसके अलावा जालौर सीडलेश इस विकार के प्रतिरोधी किस्म है| अनार की बागवानी की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- अनार की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
4. अक्टूबर महीने में नींबू वर्गीय फल पौधों में चूसक कीटों के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 1 मिलीलीटर प्रति 3 लीटर पानी की दर से घोल का छिड़काव करें| नींबू वर्गीय फलों की बागवानी की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- नींबू वर्गीय फलों की खेती
सब्जियों में कीट नियंत्रण
गोभी वर्गीय: इसमें पत्ती खाने वाली लट्टे व आरामक्खी आदि कीटों का प्रकोप होने पर मैलाथियॉन 5 प्रतिशत चूर्ण 20 किलों प्रति हेक्टर की दर से भुरकें| फूल आने पर मैलाथियान 50 ईसी 600 मिली प्रति हेक्टर की दर से छिडकें|
टमाटर: रस चूसक कीटों के विरूद्ध डाइमिथोएट 30 ईसी या मैलाथियान 50 ईसी रसायन 500 मिली प्रति हेक्टर की दर से छिडकें|
मिर्च: रस चूसक कीटों के विरूद्ध मिथाईल डिमेटोन 25 ईसी 600 मिली प्रति हैक्टर दर से छिडकें| मिर्ची में फल लगने पर फली छेदक के रोकथाम हेतु मैलाथियान 50 ईसी का 500 मिली प्रति हेक्टर दर से प्रयोग करें|
लहसुन में खरपतवार: लहसुन में खरपतवार नियंत्रण हेतु रोपाई से पूर्व पेण्डिमिथेलिन 30 ईसी का 1 किग्रा सक्रिय तत्व प्रति हैक्टेयर एवं रोपाई के 30 दिन पश्चात् ऑक्सीफ्लोरफेन 23.5 ईसी का 0.240 किग्रा सक्रिय तत्व प्रति हैक्टेयर का छिड़काव करें|
बागवानी में कीट नियंत्रण
बेर में फल मक्खी नियंत्रण: जब फल मटर के आकार का हो तो डाइमिथोएट 30 ईसी 10 मिली प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें|
संतरे में कीट: संतरे के पौधों से कीट ग्रस्त गिरे हुए संतरों को इक्टठा कर गड्ढे में दबा देवें|
चूहा नियंत्रण: खेत, खलिहान, घरों तथा गोदामों में चूहा नियंत्रण अभियान चलायें| चूहो के जीवित बिलों का सर्वेक्षण करके उनको 2-3 दिन तक विषहीन चुग्गा आटा या दलिया व तेल खिलावें| इसके बाद जिंक फॉस्फॉइड का 2 प्रतिशत विषैला चुग्गा 10 ग्राम प्रति बिल में डालकर बिल बन्द कर दें| यह कार्य सावधानीपूर्वक विशेषज्ञो की देखरेख में करें| फसल कटाई पश्चात यह कार्यक्रम अधिक प्रभावकारी रहता हैं|
ध्यान दें-
1. अक्टूबर महीने में गुलाब के पौधों में कटाई-छंटाई करें व नये पौधे लगाने हेतु कलम लगायें| गुलाब की बागवानी की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- गुलाब की खेती: किस्में, प्रबंधन, देखभाल, पैदावार
2. अक्टूबर महीने में ग्लेडियोल्स फूल के बल्बों की बुवाई करें| ग्लेडियोल्स की बागवानी की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- ग्लेडियोलस की खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार
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