अरंडी वानस्पतिक तेल प्रदान करने वाली खरीफ की एक मुख्य व्यवसायिक फसल है| इसकी उत्तम खेती के लिए अरंडी की उन्नत किस्म का चयन करना आवश्यक है| जिससे इसकी खेती से भरपूर पैदावार प्राप्त हो| इसके लिए किसानों को प्रमाणित और अपने क्षेत्र विशेष की अनुमोदित किस्म का चयन करना चाहिए| इस लेख में अरंडी की उन्नत किस्में तथा क्षेत्रवार, विशेषताएं और पैदावार का उल्लेख किया गया है| अरंडी की उन्नत खेती की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- अरंडी की खेती की जानकारी
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अरंडी की अनुमोदित किस्में
अरंडी की विभिन्न राज्यों के लिए उन्नत किस्में इस प्रकार है, जैसे-
उत्तरी भारत
संकुल किस्में- ज्योति, अरूणा, क्रान्ति, काल्पी- 6, टी- 3, पंजाब अरंडी नं- 1 आदि|
संकर किस्में- जी सी एच- 4, जी सी एच- 5, डी सी एच- 32, जी एयू सी एच- 1, जी सी एच- 6, डी सी एच- 177, डी सी एच- 519 आदि|
राजस्थान
संकुल किस्में- ज्योति
संकर किस्में- जी सी एच- 4, जी सी एच- 5, डी सी एच- 32, जी सी एच- 6, आर एच सी- 1, जी सी एच- 6, डी सी एच- 177 आदि|
गुजरात
संकुल किस्में- वी आई- 9, एस के आई- 73, जी सी- 2 आदि|
संकर किस्में- जी ए यू सी एच- 1, जी सी एच- 2, जी सी एच- 4, जी सी एच- 5, डी सी एच- 32, जी सी एच- 6 आदि|
कर्नाटक
संकुल किस्में- अरुणा, आर सी- 8, ज्योति, ज्वाला आदि|
संकर किस्में- जी सी एच- 4, जी सी एच- 5, जी सी एच- 6, डी सी एच- 177 आदि|
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महाराष्ट्र
संकुल किस्में- ज्योति, ए के सी- 1 आदि|
संकर किस्में- जी सी एच- 4, जी सी एच- 5, जी सी एच- 6, डी सी एच- 177 आदि|
आन्ध्र प्रदेश
संकुल किस्में- अरूणा, सौभाग्य, भाग्य, ज्योति, क्रान्ति, किरण आदि|
संकर किस्में- जी सी एच- 4, जी सी एच- 5, डी सी एच- 32, डी सी एच- 519, डी सी एच- 177, पी सी एच- 1, जी सी एच- 6 आदि|
तमिलनाडु
संकुल किस्में- एस ए- 2, टी एम वी- 5, ज्योति, टी एम वी- 6 आदि|
संकर किस्में- जी सी एच- 4, जी सी एच- 5, डी सी एच- 32, टी एम वी सी एच- 1, जी सी एच- 6, डी सी एच- 177 आदि|
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अरंडी की किस्मों की विशेषताएं और पैदावार
जी सी एच 4- अरंडी की इस संकर किस्म की मुख्य शाखा की ऊंचाई 120 से 170 सेन्टीमीटर होती है| इसमें 50 से 60 दिन में फूल आ जाते हैं| दाना भूरा और तने का रंग लाल होता है एवं फल पर कम कांटे होते हैं| तेल मात्रा 48 प्रतिशत और पैदावार बारानी क्षेत्रों में 9 से 10 क्विण्टल तथा सिंचित क्षेत्रों में 20 से 23 क्विण्टल होती है| लेकिन औसत पैदावार 12 से 18 क्विण्टल प्रति हैक्टेयर होती है| मुख्य शाखा 90 से 110 दिन में पकना प्रारम्भ हो जाती है, परन्तु इसकी पकाव अवधि 210 से 240 दिन हैं| यह किस्म उखटा और जड़ विगलन रोग रोधी है|
जी सी एच 5- यह एक संकर किस्म है, जो कि सिंचित क्षेत्र में बुवाई के लिये उपयुक्त है| इस किस्म के तने का रंग मटमैला लाल और फल कांटेदार होता है| तने एवं पत्तियों की नीचे की सतह पर मोमनुमा परत पाई जाती है| पौधों की ऊंचाई लगभग 200 से 230 सेंटीमीटर और मुख्य सिट्टे तक तने पर 15 से 18 गांठे पायी जाती हैं| इस किस्म के 100 बीज का भार 30 से 32 ग्राम तक होता है| सिंचित क्षेत्र में पैदावार 30 से 35 क्विण्टल प्रति हैक्टेयर होती है| बीज में तेल की मात्रा 49.6 प्रतिशत होती है| यह किस्म उखटा रोगरोधी है और इसमें हरे तेले का प्रकोप भी कम पाया जाता है|
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आर एच सी 1- अरंडी की यह एक संकर किस्म है, जो कि सिंचित और असिंचित क्षेत्र में बुवाई के लिये उपयुक्त है| इस किस्म के तने का रंग मटमैला लाल फल, कांटेदार, पत्तियों की दोनों तरफ और तने पर मोमनुमा परत पाई जाती है| तने पर मुख्य असीमाक्ष या सिट्टे तक 13 से 17 गांठे होती हैं| बीज का रंग हल्का चॉकलेटी आकार मध्यम 100 बीज का वजन 26 से 28 ग्राम तक होता है| सिंचित क्षेत्र में पैदावार 32 से 36 क्विण्टल प्रति हैक्टेयर होती है| बीज में तेल मात्रा 49.3 प्रतिशत होती है| लवणीय एवं क्षारीय क्षेत्र के लिए भी यह किस्म उपयुक्त पाई गई है| यह किस्म उखटा रोग रोधी है और इसमें हरे तेले का प्रकोप भी कम पाया जाता है|
डी सी एस 9 (ज्योति)- अरंडी की इस उन्नत किस्म के तने का रंग गहरा लाल, फल कांटेदार, तने और पत्ती की निचली सतह पर मोमनुमा वेक्स परत पाई जाती हैं| तने पर मुख्य असिमाक्ष या सिट्टे तक 14 से 15 गांठे होती हैं| तने की मुख्य शाखा की लम्बाई लगभग 45 से 55 सेंटीमीटर एवं सिट्टे की औसत लम्बाई 35 सेंटीमीटर होती है| इस किस्म के 100 दानों का भार 26 से 29 ग्राम और औसत पैदावार सिंचित अवस्था में 25 से 27 क्विण्टल प्रति हैक्टेयर एवं असिंचित अवस्था में औसत पैदावार 10 क्विण्टल प्रति हैक्टेयर होती है| बीज में तेल औसत मात्रा 45 प्रतिशत होती है| यह किस्म उखटा रोग के प्रति सहनशील है|
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जी सी एच 7- अरंडी की इस संकर किस्म के तने का रंग मटमैला लाल और फल कम कांटेदार होते है| तने शाखाओं पत्तों और फल पर मोमनुमा परत पाई जाती है| तने पर मुख्य अर्सिमाक्ष तक औसतन 18 गांठे होती है| मुख्य अर्सिमाक्ष में 57 से 60 दिन की अवधि में फूल आ जाते है| 100 बीजों का वजन 32 से 34 ग्राम और सिंचित अवस्था में औसत पैदावार 32 से 36 क्विटल प्रति हैक्टर प्राप्त होती है| उखटा रोग व सूत्रक्रमी के प्रति उच्च रोधक क्षमता के अलावा हरा तेला का प्रकोप कम होता है|
जी एयू सी एच 150- अरंडी की यह संकर किस्म 150 से 160 दिन में तैयार होती है, पैदावार 15 से 17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, तेल की मात्रा 47 प्रतिशत है और काँटेदार संकर किस्म है|
डी सी एच 32- यह संकर किस्म 140 से 160 दिन में तैयार होती है, पैदावार 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, तेल की मात्रा 49 प्रतिशत है और उकठा सहनशील है|
डी सी एच 177- अरंडी की यह संकर किस्म 150 से 180 दिन में तैयार होती है, पैदावार 15 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, तेल की मात्रा 49 प्रतिशत है और उकठा रोग निरोधी है|
क्रांति- अरंडी की यह उन्नत किस्म 130 से 150 दिन में तैयार होती है, पैदावार 16 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, तेल की मात्रा 50 प्रतिशत है और उकठा रोग सहनशील है|
ज्वाला 48-1- अरंडी की यह उन्नत किस्म 140 से 160 दिन में तैयार होती है, पैदावार 16 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, तेल की मात्रा 48.5 प्रतिशत है और बिना काँटे वाली किस्म है|
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ज्योति- अरंडी की यह उन्नत किस्म 140 से 160 दिन में तैयार होती है, पैदावार 14 से 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, तेल की मात्रा 49 प्रतिशत है और उकठा रोग के लिये प्रतिरोधक है|
अरुणा- फसल अवधी 145 से 175 दिन, पैदावार क्षमता 15 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, आन्ध्र प्रदेश के लिए उपयुक्त, हरियाणा, राजस्थान तथा बिहार में भी उगाई जाती है, तेल की मात्रा 52 प्रतिशत होती है|
भाग्य- फसल अवधी 120 से150 दिन जैसिड व सफ़ेद मक्खी कित के प्रति सहन शील, पैदावार क्षमता 20 से 25 कुंतल, तेल की मात्रा 52 से 54 प्रतिशत है|
सौभाग्य- फसल अवधि 180 से 185 दिन जैसिड व सफ़ेद मक्खी किट के सहनशील, पैदावार क्षमता 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, तेल की मात्रा 51 प्रतिशत है|
ड्वार्फ मुतांट- फसल अवधी 180 से 210 दिन, पैदावार क्षमता 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, तेल कि मात्रा 49 प्रतिशत है|
शोर्ट मुतांट- फसल अवधी 240 से 250 दिन, पैदावार 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, तेल कि मात्रा 50 से 51 प्रतिशत है|
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