कद्दू वर्गीय सब्जियाँ गर्मी और वर्षा के मौसम की महत्वपूर्ण फसलें हैं| पोषण की दृष्टि से ये बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनमें बहुत ही आवश्यक विटामिन, खनिज तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं, जो हमें स्वस्थ रखने में सहायक सिद्ध होते हैं|
कद्दू वर्गीय सब्जियों की उन्नत किस्में
खीरा- पोइंसेट, जापानीज लोंग ग्रीन, पूसा संयोग और पूसा उदय आदि प्रमुख है|
लौकी- पूसा नवीन, पूसा संदेश, पूसा संतुष्टि, पूसा समृद्धि, पी एस पी एल और पूसा हाइब्रिड-3 आदि प्रमुख है|
करेला- पूसा दो मौसमी, पूसा विशेष और पूसा हाइब्रिड-2 आदि प्रमुख है|
चिकनी तोरी- पूसा सुप्रिया, पूसा स्नेहा और पूसा चिकनी आदि प्रमुख है|
धारीदार तोरी- पूसा नसदार, सतपुतिया, पूसा नूतन और को-1 आदि प्रमुख है|
चप्पन कद्दू- आस्ट्रेलियन ग्रीन, पैटी पेन, अर्ली येलो, पूसा अलंकार और प्रोलिफिक आदि प्रमुख है|
कद्दू- पूसा विश्वास, पूसा विकास, पूसा हाइब्रिड-1 आदि प्रमुख है|
पेठा- पूसा उज्जवल आदि प्रमुख है|
खरबूजा- पूसा मधुरस, हरा मधु, पंजाब सुनहरी, दुर्गापुरा मधु, लखनऊ सफेदा और पंजाब संकर-1 आदि प्रमुख है|
तरबूज- सुगर बेबी, असाही यामातो, अर्का और ज्योति आदि प्रमुख है|
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कद्दू वर्गीय सब्जियों की खेती के लिए उर्वरक और खाद
कद्दू वर्गीय सब्जियों की ज्यादातर बेल वाली उपरोक्त सब्जियों में खेत की तैयारी के समय 15 से 20 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद, 80 किलोग्राम नत्रजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस और 50 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है|
कद्दू वर्गीय सब्जियों की खेती के लिए बीज बुवाई
कद्दू वर्गीय सब्जियों हेतु खेत में लगभग 45 सेंटीमीटर चौड़ी और 30 से 40 सेंटीमीटर गहरी नालियां बना लें| एक नाली से दूसरी नाली की दूरी फसल की बेल की बढ़वार के अनुसार 1.5 मीटर से 5.0 मीटर तक रखें| बुवाई से पहले नालियों में पानी लगा दें, जब नाली में नमी की मात्रा बीज बुवाई के लिए उपयुक्त हो जाए तो बुवाई के स्थान पर मिट्टी भुरभुरी करके 0.50 से 1.0 मीटर की दूरी पर बीज बोएं|
कद्दू वर्गीय सब्जियों की खेती के लिए बुवाई का समय
कद्दू वर्गीय सब्जियों की बसंत-गर्मी की फसल बुवाई फरवरी से मार्च में करते हैं और वर्षा के मौसम के लिए जून के अंत से जुलाई माह में करते हैं|
कद्दू वर्गीय सब्जियों की खेती के लिए सिंचाई प्रबंधन
कद्दू वर्गीय सब्जियों की फसल का आवश्यकतानुसार समय-समय पर पानी का प्रबंध करें और सिंचाई एवं निराई-गुड़ाई नालियों में ही करें|
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कद्दू वर्गीय सब्जियों की खेती के लिए पॉली हाउस विधि
कद्दू वर्गीय सब्जियों की उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में गर्मी के मौसम के लिए अगेती फसल तैयार करने के लिए पॉली हाउस में जनवरी माह में झोंपड़ी के आकार का पॉली हाउस बनाकर पौध तैयार कर लेते हैं| पौधे तैयार करने के लिए 15 x 10 सेंटीमीटर आकार की पॉलीथीन की थैलियों में 1:1:1 मिट्टी, बालू और गोबर की खाद भरकर जल निकास की व्यवस्था हेतु सूए की सहायता से छेद कर लेते हैं| बाद में इन थैलियों में लगभग 1 सेंटीमीटर की गहराई पर बीज की बुवाई करके बालू की पतली परत बिछा लेते हैं और हजारे की सहायता से पानी लगाते हैं|
लगभग 4 सप्ताह में पौधे खेत में लगाने के योग्य हो जाते हैं| जब फरवरी माह में पाला पड़ने का डर समाप्त हो जाये तो पॉलीथीन की थैली को ब्लेड से काटकर हटाने के बाद पौधे की मिट्टी के साथ खेत में बनी नालियों की मेंड पर रोपाई करके पानी लगाते हैं| इस प्रकार लगभग एक से डेढ़ माह बाद अगेती फसल तैयार हो जाती है| जिससे किसान अगेती फसल तैयार करके ज्यादा लाभ कमा सकता है|
कद्दू वर्गीय सब्जियों की खेती के लिए बीज दर
कद्दू वर्गीय सब्जियों की विभिन्न फसलों के लिए बीज दर इस प्रकार है, जैसे- खीरा 2.2 से 2.5 किलोग्राम, लौकी 4 से 5 किलोग्राम, करेला 6 से 7 किलोग्राम, कद्दू 3 से 4 किलोग्राम, तोरई 5 से 5.5 किलोग्राम, चप्पन कर्दू 5 से 6 किलोग्राम, खरबूजा 1.5 से 2.0 किलोग्राम, तरबूज 2.5 से 3.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होती है|
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कद्दू वर्गीय सब्जियों की फसलों में रोग नियंत्रण
चूर्णिल आसिता (पाउडरी मिल्ड्यू)- कद्दू वर्गीय सब्जियों में यह एक प्रकार की फफूदी से फैलने वाली बीमारी है, जिसका आक्रमण होने पर बेलों, पत्तियों, तथा तनों पर सफेद पर्ते चढ़ जाती हैं| इसकी रोकथाम के लिए कैरोथेन 0.1 प्रतिशत घोल एक ग्राम एक लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए| बाविस्टीन 0.2 प्रतिशत से भी इस बीमारी की रोका जा सकता है| बीमारी की रोकथाम हेतु 10 से 12 दिनों के अन्तराल पर दो छिड़काव करें|
मृदुल आसिता (डाउनी मिल्ड्यू)- कद्दू वर्गीय सब्जियों में इस बीमारी के प्रभाव से पत्तियों की निचली सतह पर भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं तथा इसके साथ-साथ पत्तियों पर भूरापन लिए हुए काले रंग की पर्ते चढ़ जाती हैं| यदि गर्मियों के मौसम में बरसात हो जाए तो यह बीमारी बहुत आम हो जाती है| इस बीमारी की रोकथाम के लिए डायथेन एम- 45 या रिडोमिल 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें|
फ्युजेरियम बिल्ट- कद्दू वर्गीय सब्जियों में इसकी रोकथाम के लिए कैप्टाफ 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर जड़ों में प्रयोग करें| फसल बदल-बदल कर बोएं, 3 साल का फसल चक्र अपनाएं|
वायरस की बीमारी ( मोजैक)- यह विषाणु द्वारा होता है और इस रोग का फैलाव रस चूसने वाले कीटों द्वारा होता है| यह रोग बरसात वाली फसल में अधिक पाया जाता है| इस रोग की रोकथाम के लिए रोगग्रस्त पौधों की पहचान कर शीघ्रातिशीघ्र उखाड़कर गड्डे में दबा देना चाहिए| साफ खेत और खरपतवार नियंत्रण करके वायरस के संवाहक सफेद मक्खी एवं चेपा को नियंत्रण में रखा जा सकता हैं| कान्फीडोर (एमीडाक्लोरोपीड) 0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करके इस बीमारी को रोका जा सकता है|
एन्थ्रेकनोज- यदि गर्मियों के मौसम में बरसात हो जाए तो यह बीमारी बहुत क्षति करती है| इस बीमारी में हल्के भूरे धब्बे पत्तियों में आते हैं, जो कि बाद में गहरे भूरे रंग में परिवर्तित होकर पूरे पौधों में फैल जाते हैं| इस बीमारी की रोकथाम के लिए डायथेन एम- 45 या बाविस्टीन का 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें|
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कद्दू वर्गीय सब्जियों की फसलों में कीट नियंत्रण
लाल कद्दू भुंग ( रैड पम्पकिन बीटल)- कद्दू वर्गीय सब्जियों में इस कीट के शिशु और वयस्क दोनों ही फसल को हानि पहुंचाते हैं| वयस्क कीट पौधों के पत्ते में टेढ़े-मेढे छेद करते हैं, जबकि शिशु पौधों की जड़ों, भूमिगत तने तथा भूमि से सटे फलों और पत्तों को नुकसान पहुंचाते हैं|
नियंत्रण-
1. कद्दू वर्गीय सब्जियों की फसल खत्म होने पर बेलों को खेत से हटाकर नष्ट कर दें|
2. कद्दू वर्गीय सब्जियों की अगेती बुवाई से कीट के प्रभाव को कम किया जा सकता है|
3. संतरी रंग के भुंग को सुबह के समय इकट्ठा करके नष्ट कर दें|
4. कार्बारिल 50 डब्ल्यू पी, 2 ग्राम प्रति लीटर या एमामेक्टिन बैंजोएट 5 एस जी, 1 ग्राम प्रति 2 लीटर या इन्डोक्साकार्ब 14.5 एस सी, 1 मिलीलीटर प्रति 2 लीटर पानी का छिड़काव करें|
5. भूमिगत शिशुओं के लिए क्लोरपायरीफॉस 20 ई सी 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर हल्की सिंचाई के साथ इस्तेमाल करें|
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फल मक्खी ( फुट फलाई)- कद्दू वर्गीय सब्जियों में इस कीट की मक्खी फलों में अंडे देती है और शिशु अंडे से निकलने के तुरंत बाद फल के गूदे को भीतर ही भीतर खाकर सुरंगें बना देते हैं|
नियंत्रण-
1. खेत की निड़ाई करके प्युपा को नष्ट कर दें|
2. कद्दू वर्गीय सब्जियों के ग्रसित फलों को भी एकत्रित करके नष्ट कर दें|
3. मक्खियों को आकर्षित कर मारने के लिए मीठे जहर, जो मेलाथियान 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी एवं 1 प्रतिशत चीनी या गुड़ (25 ग्राम प्रति लीटर पानी से बनाया जा सकता है) को 50 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें| फल मक्खी रात को मक्का के पौधों के पत्तों की निचली सतह पर विश्राम करती है| इसलिए कद्दू वर्गीय फसलों के खेत के पास मक्का लगाने और उस पर छिड़काव करने से इस कीट को नियंत्रित करने में मदद मिलती है|
4. कद्दू वर्गीय सब्जियों में फल मक्खी के नरों को आकर्षित करने के लिए ‘मिथाइल युजीनोल” पाश का प्रयोग भी किया जा सकता है|
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सफेद मक्खी (व्हाइट फलाई)- इस कीट के शिशुओं तथा वयस्कों के रस चूसने से पत्ते पीले पड़ जाते हैं| इनके मधुबिन्दु पर काली फफंद आने से पौधों की भोजन बनाने की क्षमता कम हो जाती है|
नियंत्रण-
1. इल्लियों को इकट्ठा करके नष्ट कर दें|
2. नीम बीज अर्क 5 प्रतिशत या बी टी 1 ग्राम प्रति लीटर या कार्बारिल 50 डब्ल्यू पी, 2 मिलीलीटर प्रति लीटर या स्पिनोसेड 45 एस सी 1 मिलीलीटर प्रति 4 लीटर पानी में छिड़काव करें|
3. रोकथाम के लिए एमिडाक्लोप्रिड 17. 8 एस एल 1 मिलीलीटर प्रति 3 लीटर या डाइमेथोएट 30 ई सी 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें|
चेपा (एफिड)- चेपा लगभग सभी कद्दू वर्गीय फसलों पर आक्रमण करते हैं| ये पौधों के कोमल भागों से रस चूसकर फसल को हानि पहुंचाते हैं|
नियंत्रण-
1. कद्दू वर्गीय सब्जियों में लेडी बर्ड भंग का संरक्षण करें|
2. कद्दू वर्गीय सब्जियों में नाइट्रोजन खाद का अधिक प्रयोग न करें|
3. इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल 1 मिलीलीटर प्रति 3 लीटर या डाइमेथोएट 30 ई सी, 2 मिलीलीटर लीटर या क्विनालफॉस 25 ई सी, 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें|
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कद्दू वर्गीय सब्जियों की कटाई उपरांत तकनीकी
1. बेल वाली फसलें जैसे खीरा, घीया, तोरई, करेला और कद्दू में तुड़ाई तब करें, जब वे कच्चे एवं मुलायम हों|
2. तुड़ाई कैंची की मदद से करें, और डंठल सहित 4 से 5 सेंटीमीटर फलों को तोड़े|
3. कद्दू वर्गीय सब्जियों में रंग एवं आकार के आधार पर श्रेणीकरण कर पैकिंग करें|
4. पैक किये गये फलों को शीघ्र मण्डी पहुंचाएं या शीतगृह में रखें|
5. करेला के फलों को काट कर (छल्लानुमा) स्वच्छ जगह पर सुखाएं और पॉलीथीन के थैलों में सील करके भण्डारित करें|
कद्दू वर्गीय सब्जियों की खेती से पैदावार
फसल अनुसार उपज इस प्रकार है, जैसे- खीरा 100 से 120 क्विंटल, लौकी 250 से 420 क्विंटल, करेला 75 से 120 क्विंटल, कद्दू 250 से 500 क्विंटल, तोरई 100 से 130 क्विंटल, चप्पन कद्दू 50 से 60, खरबूजा 150 से 200 क्विंटल और तरबूज 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है|
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