गन्ना नर्सरी एक ऐसा स्थल है, जिसके लिये आदर्श जलवायु, भूमि और सिंचाई व्यवस्था आवश्यक है| नर्सरी का उद्देश्य आदर्श और स्वच्छ पौधे तैयार करना है| इसलिए नर्सरी प्रबंध उचित ढंग से करना आवश्यक है| इन गन्ना नर्सरी की उन्नत विधियों की प्रक्रिया के तहत उचित प्रबंध और पौध प्रतिरोपण गन्ना उत्पादन के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं| इस लेख में गन्ना नर्सरी की उन्नत विधियां कौन-कौन सी है, जिससे किसानों को अधिक उत्पादन तथा लाभ प्राप्त हो का उल्लेख है| गन्ना की उन्नत खेती की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- गन्ना की खेती- किस्में, प्रबंधन व पैदावार
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गन्ना नर्सरी की उन्नत विधियां
एस टी पी विधि- इस स्पेस्ड ट्रांसप्लांटिंग विधि से बिजाई के लिए 3 फीट चौड़ी और उचित लम्बाई वाली उभरी क्यारियां बना ली जाती हैं| गोबर की सड़ी खाद क्यारियों में अच्छी तरह मिला दें| एक एकड़ गन्ने की नर्सरी तैयार करने के लिए 35 से 40 मीटर क्षेत्र की जरूरत होती है| नर्सरी बनाने के लिए रोग रहित बीज गन्ना लिया जाता है, फिर एक आँख के बीज टुकडे काटकर उन्हें 0.1 प्रतिशत कार्बेन्डाजिम के घोल में 1 मिनट तक डुबोकर क्यारियों में बिजाई कर लें| क्लोरपायरीफॉस या इमिडाक्लोप्रिड 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर नर्सरी की क्यारियों पर छिडकाव करें|
बीज टुकड़ों को हल्की मिट्टी से ढ़ककर सिंचाई कर दें, समय पर खरपतवार नियंत्रण और सिंचाई अच्छे जमाव तथा खरपतवार रहित गन्ना नर्सरी के लिए आवश्यक है| 6 से 7 हफ्ते बाद पौध को खुरपी से निकालकर पूर्व से ही सिंचित खेत में लगा दिया जाता है, कुछ पौध को नर्सरी में ही छोड़ दें, जिससे कि बाद में रिक्त स्थानों की पूर्ति की जा सकें|
पौध लगाने के लिए शाम का समय उपयुक्त रहता है| आमतौर पर पौध को द्विपक्तिं में चौड़ी खूड से खूड की दूरी (30:30-90-30:30 सेंटीमीटर) पर लगाया जा सकता है| एक एकड़ में लगाने के लिए करीब 16,000 पौध सख्यां की जरूरत पड़ती है| पौध लगाए गए खेत के अच्छे प्रबंधन से पौध जीवित दर 90 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है|
लाभ- गेहूं कटाई के बाद गन्ना बिजाई में सहायक होती है| इससे खेत तैयार करने में लगने वाले 25 से 35 दिन और 2 से 3 सिचांई की बचत होती है, अच्छा खरपतवार प्रबंधन, एक जैसा फुटाव एवं एक समय पर फसल पक कर तैयार होती है| बीज गन्ने की जरूरत कम पडती है| इसलिए लागत मूल्य में भी कटौती होती है|
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पोली बैग नर्सरी विधि- इस गन्ना नर्सरी के लिए रोग रहित बीज गन्ना लिया जाता है| हाथ से एक आंख के बीज टुकडे काटकर 0.1 प्रतिशत कार्बेन्डाजिम के घोल में 10 मिनट के लिए डुबा लें तथा फिर छोटे-छोटे छिद्र किए गए 12 x 8 सेंटीमीटर पोली बैग में 1:1:1 रेत, मिट्टी, गोबर की सड़ी खाद मिलाकर भर दें| इस पौध से नौलफ तथा पेड़ी गन्ने में रिक्त स्थानों की पूर्ति भी की जा सकती है| इस विधि से जड़ों का कोई नुकसान नहीं होता, इसलिए पौध भी बहुत कम मरती है|
बड चिप विधि- इस गन्ना नर्सरी विधि में बड चिप की सहायता से नर्सरी बनाई जाती है तथा फिर पौध को मुख्य खेत में लगा दिया जाता है| पौध नर्सरी से रोग रहित बीज गन्ने का ही चुनाव करें| बड़ चिपिगं मशीन की सहायता से गन्ने की आँख को थोड़े गाँठ के भाग के साथ बाहर निकाल लें, एक एकड़ क्षेत्र में बिजाई के लिए 6 क्विंटल बड़ चिप की जरूरत पड़ती है और बाकी गन्ना मिल में पिराई के लिए भेज दिया जाता है|
बड़ चिप का क्लोरपायरीफॉस 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी + कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल में 10 मिनट के लिए भिगोकर उपचार कर लें| बराबर मात्रा में मिट्टी, रेत तथा गोबर की सड़ी खाद या कम्पोसट का मिश्रण बनाकर छोटे-छोटे छिद्रों वाले पोलिथिन बैग या केविटी ट्रे में भरकर, आँख का मुंह ऊपर की तरफ कर दें और मिट्टी के मिश्रण से ढक दें| फव्वारे से नियमित सिंचाई करते रहें व बिजाई के 15 और 25 दिन बाद 1 प्रतिशत युरिया के घोल का छिड़काव करें|
6 से 8 हफ्ते बाद पौध खेत में प्रतिरोपण के लिए तैयार हो जाती है| चूंकि पौध साथ लगी मिट्टी के साथ लगायी जाती है, इसलिए पौध की जीवित दर अधिक रहती है| बड़ चिप को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में आसानी रहती है| बीज गन्ने की बचत (मात्रा और लागत), मुख्य खेत तैयार करने के लिए 6 से 8 हफ्ते का समय मिल जाता है, अधिक जीवित दर, एकसार फुटाव तथा अधिक पैदावार इसके फायदे है|
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