टमाटर की अधिक उपज प्राप्त करने के लिए स्वस्थ टमाटर बीज का अपना महत्व है| क्योंकि हमारे देश की कृषि व्यवस्था में फसल विविधता को बढ़ावा देने, भूमि उपयोग सुधारने, रोजगार के अवसर बढ़ाने तथा जन सामान्य को पोषण सुरक्षा प्रदान करने में सब्जी क्षेत्र की अपनी विशेष उपयोगिता है| खेती तथा उपयोगिता की दृष्टि से टमाटर का महत्त्वपूर्ण स्थान है| भारत में विभिन्न प्रकार की जलवायु होने के कारण टमाटर की खेती पूरे वर्ष भर की जाती है| सब्जियों की खेती में बीज की केंद्रीय भूमिका होती है|
अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए बीज का अनुवांशिक रूप से शुद्ध व उच्च-गुणवत्ता का होना अतिआवश्यक है| बीज उत्पादन से किसान अपेक्षाकृत अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं| उच्च-कोटि के बीज उत्पादन के लिए वैज्ञानिक तकनीकी को अपनाना बहुत आवश्यक है| इस लेख में टमाटर बीज उत्पादन के लिए किसान को किन-किन मुख्य बातों का ध्यान रखना चाहिए का उल्लेख है| टमाटर की उन्नत खेती की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- टमाटर की उन्नत खेती कैसे करें
टमाटर के बीज उत्पादन के लिए खेत का चयन
प्रमाणित बीज उत्पादन के लिए ऐसे खेत का चयन करना चाहिए, जिसमें स्वैच्छिक रूप से उगने वाले पौधे न हों| भूमि उपजाऊ और उदासीन हो, जिसका पी एच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए|
टमाटर के बीज उत्पादन के लिए पृथक्करण दूरी
टमाटर मुख्यत: स्वयं परागित फसल है| इसलिए दूसरी प्रजाति के ऐसे खेतों से जो प्रजाति संबंधी शुद्धता के प्रमाणीकरण स्तरों के अनुरूप हो, आधार बीज के लिए 50 मीटर तथा प्रमाणित बीज के लिए 26 मीटर की पृथक्करण दूरी होनी चाहिए|
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टमाटर के बीज उत्पादन के लिए अवांछनीय पौधों का मानक
टमाटर बीज तैयार करने के लिए खेत में अवांछनीय पौधों का मानक इस प्रकार है, जैसे-
आधार बीज- आधार बीज के लिए अन्य प्रकार के पौधे (अधिकतम) 0.10 प्रतिशत तथा बीज जनित रोगों से ग्रस्त पौधे (अधिकतम) 0.10 प्रतिशत से अधिक नही होने चाहिए|
प्रमाणित बीज- प्रमाणित बीज के लिए अन्य प्रकार के पौधे (अधिकतम) 0.20 प्रतिशत तथा बीज जनित रोगों से ग्रस्त पौधे (अधिकतम) 0.50 प्रतिशत से अधिक नही होने चाहिए|
टमाटर के बीज उत्पादन के लिए बीज स्रोत
टमाटर बीज उत्पादन के लिए सदैव प्रामाणिक स्रोत से प्राप्त बीज का ही प्रयोग करना चाहिए| आधार बीज के उत्पादन के लिए प्रजनक बीज व प्रमाणित बीज के लिए आधार बीज का प्रयोग करना चाहिए| ऐसी किस्मों का चयन करना चाहिए जो वातावरण के अनुकूल हों और जिनकी बाजार मांग ज्यादा हो| टमाटर की कुछ प्रमुख तथा अधिक पैदावार देने वाली किस्में इस प्रकार हैं, जैसे- आजाद टाइप- 1, आजाद टाइप- 2, आजाद टाइप- 3, पूसा शीतल व पूसा गौरव आदि|
टमाटर के बीज उत्पादन के लिए बीज की मात्रा
टमाटर बीज उत्पादन के लिए 500 से 600 ग्राम बीज की नर्सरी एक हेक्टेयर खेत के लिए पर्याप्त है|
टमाटर के बीज उत्पादन के लिए खेत की तैयारी
नर्सरी के लिए ऐसे खेत का चयन करें जहां पानी न ठहरता हो| नर्सरी के लिए भूमि को अच्छी तरह से तैयार कर लेना चाहिए| इसके लिए 3 से 4 जुताई के बाद भूमि को समतल कर लें तथा सुविधा के अनुसार तीन फुट चौड़ी व 5 से 8 फुट लम्बी क्यारियां बना लें|
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टमाटर के बीज उत्पादन के लिए बोआई का समय
गर्मियों की फसल के लिए नर्सरी दिसम्बर के प्रथम सप्ताह और पौध की रोपाई जनवरी के अंतिम सप्ताह से 15 फरवरी तक करनी चाहिए| सर्दी की फसल के लिए नर्सरी सितम्बर में बोएं और रोपाई अक्टूबर में करें|
टमाटर के बीज उत्पादन के लिए नर्सरी में बीज की बोआई
नर्सरी को 15 से 20 सेंटीमीटर ऊंचे स्थान पर 5 x 1 मीटर की क्यारियों में बोना चाहिए| बीज को बोआई से पूर्व 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बावस्टिन से बीजोपचार कर लेना चाहिए| बोआई के बाद नर्सरी को घास-फूस से ढक देना चाहिए, जिससे क्यारी में आवश्यक नमी बनी रहे| बीज जमाव के बाद घास हटा देनी चाहिए| नर्सरी में रोग से बचाव के लिए डाइथेन एम- 45 का 0.25 प्रतिशत घोल का दो बार छिड़काव करना चाहिए| पहला छिड़काव पौधा जमने के एक सप्ताह बाद व दूसरा छिड़काव रोपाई से पहले करें|
टमाटर के बीज उत्पादन के लिए पौध रोपाई
जब पौध 7.5 से 10 सेंटीमीटर लम्बी हो जाए तो इसकी रोपाई 75 x 60 सेंटीमीटर की दूरी पर लाइन में करनी चाहिए| जहां तक संभव हो सके रोपाई शाम के समय ही करें|
टमाटर के बीज उत्पादन के लिए खाद और उर्वरक
अच्छी पैदावार के लिए 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस व 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर प्रयोग करना चाहिए| नाइट्रोजन की आधी मात्रा खेत की तैयारी के समय व शेष मात्रा फूल आने से पूर्व डालनी चाहिए और आवश्यकतानुसार खेत की सिंचाई करते रहना चाहिए|
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टमाटर बीज उत्पादन फसल से अवांछनीय पौधों को निकालना
फसल में तीन बार पुष्पावस्था से पूर्व, पुष्प आते समय तथा फल लगने के समय निरीक्षण करके अवांछनीय पौधों को निकालकर मानकों के अनुसार कर लेना चाहिए|
टमाटर बीज उत्पादन फसल की देखभाल
रोग नियंत्रण-
पिछेता झुलसा- इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों, टहनियों व फलों पर विभिन्न प्रकार के बड़े-बड़े सूखे हल्के रंग के धब्बे दिखाई पड़ते हैं, जो बाद में भूरे रंग के हो जाते हैं|
नियंत्रण- डायथेन जेड- 78 या कापर आक्सीक्लोराइड की तीन ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें|
टमाटर का पत्तीमोड़ विषाणु- टमाटर की यह प्रमुख बीमारी है| यह बीमारी सफेद मक्खी से फैलती है| प्रभावित पौधों की दो गांठों के बीच की दूरी कम हो जाती है, पत्तियां छोटी, अविकसित व टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं|
नियंत्रण- बीज शोधित करके बोएं, रोग रहित पौधों का रोपण करें| सफेद मक्खी के लिए मैलाथियान नामक दवा का 1.0 से 1.5 मिलीलीटर मात्रा प्रति लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करें|
मौजेक- इसे मुख्य रूप से टमाटर के विषाणु रोग के नाम से जानते हैं| प्रभावित पौधे की पत्तियों की पर्णहरितमा खत्म हो जाती है, जिससे पत्तियां पीली पड़ जाती हैं| मध्य शिरा को छोड़कर अन्य सभी भाग समाप्त हो जाते हैं| चूंकि यह बीमारी मांहू कीट से फैलती है, इसलिए रोग नियंत्रण के लिए उचित कीटनाशी का घोल बनाकर छिड़काव करें|
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कीट नियंत्रण-
सफेद मक्खी- यह टमाटर का प्रमुख कीट है| यह पत्तियों से रस चूसते हैं| इसके नियंत्रण के लिए मैलाथियान नामक दवा का प्रयोग करें|
फल छेदक कीट- इस कीट से टमाटर की फसल को काफी क्षति होती है| यह कीट फूलों और फलों को नष्ट करता है| इसके नियंत्रण के लिए थायोडान 35 ई सी दवा का प्रयोग करें|
जैसिड ( हरा तेला)- इस कीट के शिशु और प्रौढ दोनों ही पत्तियों व तनों से रस चूसकर फसल को क्षति पहुँचाते हैं| इसके लिए मैलाथियान का प्रयोग उपयुक्त रहता है|
टमाटर बीज उत्पादन फसल के फलों तुड़ाई व बीज निकालना
टमाटर बीज निकालने के लिए सदैव पके टमाटरों की तुड़ाई करनी चाहिए| टमाटर बीज निकालने के लिए निम्नलिखित विधियां प्रयोग की जाती है, जैसे-
हाथ द्वारा- पके हुए टमाटरों को बीच से चाकू से दो भागों में काट लेते हैं| कटे हुए टमाटर को हाथ से निचोड़ कर बीज अलग कर लिए जाते हैं तथा साफ पानी में धोकर सुखा लिए जाते हैं| हाथ से बीज निकालने में बहुत अधिक श्रम की जरूरत होती है और समय भी अधिक लगता है, इसलिए बड़े पैमाने पर हाथ से बीज निकालना अधिक व्यावहारिक नहीं है|
मशीन द्वारा- इसमें टमाटर का रस हटाकर गूदा व बीज अलग कर दिया जाता है| अलग हुए बीज को साफ पानी से धोकर छाया में सुखा लेना चाहिए|
किण्वन विधि द्वारा- इस विधि में कुचले हुए टमाटरों को बर्तन में पूरे दिन किण्वन हेतु छोड़ दिया जाता है| बीचबीच में इसे चलाते रहना चाहिए| दूसरे दिन बर्तन की तली में बैठे हुए बीजों को पानी से धोकर गूदे से अलग कर लेना चाहिए|
अम्ल विधि द्वारा- इसमें 100 मिलीलीटर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल प्रति 14 किलोग्राम गूदे की मात्रा के अनुसार प्रयोग करते हैं और 2 से 3 बार लकड़ी से चला कर मिला देते हैं| लगभग 15 से 30 मिनट के बाद साफ पानी से धोकर बीजों को गूदे से अलग कर देना चाहिए| इस विधि में समय बहुत कम लगता है तथा बीज एक ही दिन में निकाला जा सकता है|
क्षारीय विधि द्वारा- इस विधि में 425 ग्राम खाने वाले सोडे को 5 लिटर गर्म पानी में डालकर घोल बनाते हैं| इसके ठंडा होने पर समान मात्रा गूदे में डालकर रात भर के लिए छोड़ देते हैं| दूसरे दिन तली में इकट्ठे बीजों को धोकर गूदे से अलग कर लेना चाहिए| अलग किये बीजों को कपड़े पर पतली परत फैलाकर उचित नमी तक छाया में सुखा लेना चाहिए|
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टमाटर के बीज उत्पादन के लिए बीज की छनाई व परीक्षण
बीज की छनाई के लिए ऊपरी छनना 4.0 मिलीमीटर गोल छेद वाला और नीचे का छनना 210 मिलीमीटर छेद वाला प्रयोग किया जाता है| छने बीज से 7 ग्राम नमूना बीज प्रमाणकिरण हेतु बीज परीक्षण प्रयोगशाला में भेजना चाहिए|
टमाटर बीज उत्पादन के प्रमाणीकरण लिए मानक
टमाटर के बीजों की खेती बीज प्रमाणीकरण मानकों के अनुसार करनी चाहिए| बीज उत्पादन मानकों के अनुरूप न होने पर बीज प्रमाणीकरण संस्था बीजों को प्रमाणीकरण प्रमाणपत्र नहीं देती जिससे किसान को नुकसान होता है| टमाटर बीज के प्रमाणीकरण मानक इस प्रकार है, जैसे-
बीज मानक | आधार बीज | प्रमाणित बीज |
शुद्ध बीज (न्यूनतम) | 98.0 प्रतिशत | 98.0 प्रतिशत |
अन्य फसलों के बीज (अधिकतम) | 5 प्रति किलोग्राम | 10 प्रति किलोग्राम |
खरपतवार के बीज (अधिकतम) | कोई नहीं | कोई नहीं |
निष्क्रिय पदार्थ (अधिकतम) | 2.0 प्रतिशत | 2.0 प्रतिशत |
अंकुरण (न्यूनतम) | 70.0 प्रतिशत | 70.0 प्रतिशत |
नमी साधारण पैकिंग हेतु (अधिकतम) | 8.0 प्रतिशत | 8.0 प्रतिशत |
नमी वायुरोधी पैकिंग हेतु (अधिकतम) | 6.0 प्रतिशत | 6.0 प्रतिशत |
टमाटर के बीज उत्पादन के लिए बीज की पैदावार
टमाटर की अच्छी फसल से 100 से 135 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर प्राप्त हो जाता है| संकर किस्म के बीज का उत्पादन किस्म पर निर्भर करता है|
टमाटर के बीज उत्पादन का बीज भंडारण
बीजों को उचित मानक नमी तक सुखाने के बाद 500 ग्राम की पैकिंग करके साफ-सुथरे भंडार गृह में भंडारण करना चाहिए|
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