दिसंबर माह भारत में विभिन्न प्रकार की सब्जियां उत्पादन के लिए उत्तम परिस्थितियों की लेकर आता हैं| क्योंकि दिसंबर का महीना सब्जियों की खेती के लिए सबसे अनुकूल रहता है| मिट्टी में नमी और सर्द वातावरण के बीच मूली, पालक, टमाटर, बैंगन, गोभी को अच्छा उत्पादन ले सकते हैं| आप अनुभवी हों या अभी शुरुआत कर रहे हों, यह लेख आपको दिसंबर महीने में उगाई जाने वाली शीर्ष सब्जियों और साथ ही सब्जियों वाली फसलों के कृषि कार्यों के बारे में भी अवगत करवाएगा|
आलू की फसल
1. पछेती आलू में सिंचाई करें और बुआई के 25 दिनों बाद 87 किग्रा यूरिया का प्रति हैक्टर की दर से टॉप ड्रेसिंग करके मिट्टी चढ़ायें| पहाड़ी इलाकों में आलू के खेत में निराई-गुड़ाई करें| नाइट्रोजन की बाकी बची एक तिहाई मात्रा यूरिया या कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट के रूप में खेत में डालकर मोटी मेड़ बनाकर मिट्टी चढ़ाएं| सब्जियों को पाले से बचाने के लिए धुएं का प्रबंध करें|
2. आलू की फसल में जरूरत के मुताबिक 10-15 दिनों के अन्तराल पर सिंचाई करते रहें एवं खेत में पर्याप्त नमी बनाए रखना आवश्यक है| फसल की प्रारम्भिक अवस्था में खरपतवार नियंत्रण के लिए सिंचाई के बाद मिट्टी चढ़ानी चाहिए|
3. पछेती आलू में दिसंबर तथा जनवरी में अधिक ठंड की आशंका होने पर फसल की सिंचाई कर देनी चाहिये| जमीन गीली रहने पर पाले का असर कम हो जाता है| आलू उत्पादन की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- आलू की खेती
बंदगोभी की फसल
बंदगोभी में खरपतवारनाशी पेन्डीमेथिलीन या वासालीन का छिड़काव रोपाई से एक-दो दिन पहले करें और इसके पश्चात तुरन्त हल्की सिंचाई करें| फसल बढ़वार के समय पूर्ण नमी बनाये रखें तथा आवश्यकतानुसार समय-समय पर सिंचाई अवश्य करें| सामान्यतः गोभीवर्गीय फसलों में जड़ों के पास मिट्टी चढ़ाना लाभदायक है| बंदगोभी उत्पादन की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- पत्ता गोभी की उन्नत खेती
टमाटरवर्गीय फसल
1. टमाटरवर्गीय सब्जियां हमारे देश में खेती की प्रमुख सब्जी फसलें हैं| उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में टमाटर की बसन्त – ग्रीष्म ऋतु की फसल के लिए पौधशाला में बीज की बुआई कर दें| दिसंबर से जनवरी में तैयार पौध की रोपाई करें| इसके लिए उपयुक्त किस्में / संकर किस्में जैसे- पूसा हाइब्रिड-1 पूसा उपहार, पूसा-120, पूसा शीतल, पूसा सदाबहार प्रमुख हैं|
2. उचित जल निकास वाली रेतीली दोमट या दोमट मृदा, जिसमें पर्याप्त मात्रा में जीवांश उपलब्ध हों, टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त होती है| इसके लिए जल निकास व्यवस्था होना आवश्यक है| टमाटर की उन्नत किस्मों के लिए 350 – 400 ग्राम तथा संकर किस्मों के लिए 200-250 ग्राम बीज / हैक्टर खेत की रोपाई के लिए पर्याप्त है| सीमित बढ़वार वाली प्रजातियों की रोपाई 60X60 सेंमी तथा असीमित बढ़वार वाली किस्मों की रोपाई 75-90X60 सेंमी की दूरी पर बनी पंक्तियों में करें| पौधे से पौधे की दूरी 45 से 60 सेंमी रखते हुए, शाम के समय रोपाई करें|
3. रोपाई के एक माह पहले गोबर या कम्पोस्ट की अच्छी सड़ी खाद 20-25 टन प्रति हैक्टर की दर से मृदा में अच्छी तरह मिला लें| टमाटर की उन्नत किस्मों में 40 किग्रा नाइट्रोजन व संकर असीमित बढ़वार वाली किस्मों के लिए 55-60 किग्रा नाइट्रोजन की प्रथम टॉप ड्रेसिंग रोपाई के 20-25 दिनों बाद तथा इतनी ही मात्रा की दूसरी टॉप ड्रेसिंग रोपाई के 45-50 दिनों बाद करनी चाहिए|
4. अन्तः सस्य क्रियाओं के अंतर्गत अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए हल्की निराई-गुड़ाई करें व पौधों की जड़ों के पास मिट्टी चढ़ा दें| टमाटर की असीमित बढ़वार वाली प्रजातियों में सहारा न प्रदान करने से पौधों की वृद्धि व उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है| मिट्टी के संपर्क में फल आने से विभिन्न रोगों के प्रभाव से नष्ट हो जाते हैं|
5. अच्छी फसल के लिए खरपतवार का नियंत्रण करना अत्यन्त आवश्यक है| खेतों में खरपतवार नियंत्रण करते समय खुर्पी या कुदाल से गुड़ाई कर देने से पौधों की बढ़वार अच्छी होती है| सूखे घासफूस की पलवार अथवा पुआल (मल्च) पौधों के नीचे बिछाने से बढ़वार के साथ-साथ खरपतवार का नियंत्रण भी हो जाता है|
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6. टमाटर और मिर्च में झुलसा रोग की रोकथाम हेतु स्वस्थ बीजों का प्रयोग करें| फसलचक्र में गैर सोलनेसी कुल के पौधों का उपयोग करें| फफूंदनाशक रसायनों में मैंकोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर, जिनेब 2 ग्राम प्रति लीटर, साइमोक्सानिल+मैंकोजेब
1.5-2 ग्राम या एजोक्सीस्ट्रॉबिन 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव अवश्य करें| टमाटर उत्पादन की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- टमाटर की खेती
मिर्च की फसल
1. मिर्च की फसल में शीर्षमरण ( डाईबैक) और फल सड़न रोग दिखाई दे, तो इसकी रोकथाम के लिए कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित करें| क्लोरोथैलोनील 1.5 ग्राम प्रति लीटर या डाइफेनोकोनाजोल 1.0 ग्राम प्रति लीटर या प्रोपिनेब 3.5 ग्राम प्रति लीटर या टेबुकोनाजोल 1.0 ग्राम प्रति लीटर या एजोक्सी स्ट्रोबिन 1.0 ग्राम प्रति लीटर की दर से पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें|
2. मिर्च, मटर, राजमा, सेम और शिमला मिर्च में समयानुसार एक हल्की सिंचाई का प्रबंध करें| शिमला मिर्च के लिए बुआई अक्टूबर व रोपाई दिसंबर-जनवरी में उपयुक्त है| रोपाई की दूरी किस्म पर निर्भर करती है| सामान्यतः पंक्ति से पंक्ति की दूरी व पौधे से पौधे की दूरी 45 सेंमी पर्याप्त है| खेत की तैयारी के समय प्रति हैक्टर 50 किग्रा नाइट्रोजन 100 किग्रा फॉस्फोरस व 100 किग्रा पोटाश डालें तथा रोपाई के 30-35 दिनों बाद खड़ी फसल में 50 किग्रा नाइट्रोजन प्रति हैक्टर की दर से प्रयोग करें| मिर्च उत्पादन की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- मिर्च की खेती
लहसुन की फसल
लहसुन की फसल में आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई तथा सिंचाई करें और 74 किग्रा यूरिया की प्रथम टॉप ड्रेसिंग बुआई के 40 दिनों बाद व इतनी ही मात्रा की दूसरी टॉप ड्रेसिंग बुआई के 60 दिनों बाद कर दें| दो से तीन निराई खरपतवार नियंत्रण के लिए पर्याप्त हैं| लहसुन उत्पादन की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- लहसुन की खेती
प्याज की फसल
1. रबी मौसम के लिए पूसा व्हाइट राउंड, पूसा माधवी, व्हाइट फ्लैट, पूसा रेड, अर्ली ग्रेनो, पूसा रत्नार, एन-2-4-1, एग्रीफाइंड लाइट रेड एवं पहाड़ी क्षेत्रों के लिए ब्राउन स्पैनिश व अर्ली ग्रेनो आदि प्याज की प्रमुख किस्में हैं|
2. प्याज की रोपाई दिसंबर के अंत से 15 जनवरी तक करनी चाहिए| प्याज की रोपाई के लिए 7-8 सप्ताह पुरानी पौध का प्रयोग करें| रोपाई के समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 15 सेंमी तथा पौध से पौध की दूरी 10 सेंमी रखनी चाहिए| प्याज में खरपतवार नियंत्रण के लिए रोपाई के दो-तीन दिनों बाद पेन्डीमेथेलीन की 3.5 लीटर मात्रा 800-1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टर की दर से रोपाई के बाद सिंचाई से पहले छिड़काव करें| प्याज उत्पादन की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- प्याज की खेती
मूली की फसल
उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में मूली की यूरोपियन प्रजातियां जैसे- पूसा हिमानी, व्हाइट आइसकिल, रैपिड रेड व्हाइट टिप्ड एवं स्कारलेट ग्लोब आदि की बुआई अक्टूबर से जनवरी तक कर सकते हैं| बुआई के समय खेत में नमी अच्छी प्रकार से होनी चाहिए| इसकी बुआई या तो छोटी-छोटी समतल क्यारियों में या 30-45 सेंमी की पर बनी मेडों पर करते हैं|
बीज जमने के बाद पौधों की दूरी 6-7 सेंमी रखते हैं| शरदकालीन फसल में 10-15 दिनों के अन्तराल पर सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है| मेड़ों पर सिंचाई हमेशा आधी मेड़ करनी चाहिए, ताकि पूरी मेड़ भुरभुरी व नमीयुक्त बनी रहे| मूली उत्पादन की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- मूली की खेती
गाजर की फसल
गाजर की किस्म पूसा यमदाग्नि, पूसा नयन ज्योति एवं नैन्ट्स की दिसंबर से फरवरी में बुआई कर सकते हैं| ये बुआई के 75-80 दिनों बाद तैयार हो जाती हैं एवं औसत उपज 200-250 क्विंटल/हैक्टर उपज देने में सक्षम हैं| गाजर उत्पादन की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- गाजर की खेती
सब्जी मटर की फसल
1. इसके लिए 1-2 निराई-गुड़ाई की आवश्यकता होती है| रासायनिक खरपतवार 3.0 पेन्डीमेथिलीन 800-1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें| खरपतवारनाशी का प्रयोग करते समय मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में नमी होनी चाहिए| इनसे काफी हद तक खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है|
2. फलियों की तुड़ाई सुबह या शाम के समय की जानी चाहिए| सामान्यतः लगभग 12-15 दिनों के अंतर पर कुल 3-4 तुड़ाइयां की जाती हैं|
3. चूर्णिल आसिता रोग की रोकथाम हेतु रोगरोधी किस्म का चयन करना लाभदायक होता है| केलिक्सीन 0.5 मिली दवा प्रति लीटर पानी या पेन्कोनाजोल 1 मिली दवा प्रति 4 लीटर पानी में घोलकर 10 दिनों के अंतराल पर 2-3 छिड़काव या फ्लूसिलाजोल 1 मिली प्रति लीटर पानी में घोल का छिड़काव करें| घुलनशील गंधक चूर्ण 3 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी की दर से एक हैक्टर खेत में लगभग 600-800 लीटर पानी में खोलकर छिड़काव करें| मटर उत्पादन की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- मटर की खेती
फूलगोभी की फसल
1. फूलगोभी की किस्म पूसा पौषजा की विशेषता: दिसंबर-जनवरी ( 15-20 डिग्री सेल्सियस तापमान) में तैयार होने वाली मध्य – पछेती प्रजाति, फूल सफेद, ठोस, वजन लगभग 900 ग्राम, रोपाई के 85 दिनों बाद तैयार, अन्त में 20-25 दिनों तक उपलब्ध एवं औसत उपज 300-350 क्विंटल / हैक्टर है|
2. फूलगोभी की किस्म पूसा शुक्ति मध्यम पछेती (दिसंबर-जनवरी) परिपक्वता समूह (तापमान 15-20 डिग्री सेल्सियस), गठीले सफेद फूल, रोपण के 75-80 दिनों उपरान्त परिपक्वता एवं औसत उपज 400-440 क्विंटल / हैक्टर है|
3. फूलगोभी की किस्म पूसा हाइब्रिड – 2 नवंबर – दिसंबर ( 15-20 डिग्री सेल्सियस तापमान) में तैयार होने वाली, मध्य अगेती प्रजाति, पौधे मध्यम, कम सीधे, फल सफेद, जुलाई अंत में बुआई हेतु उपयक्त, डाउनी मिल्ड्यू प्रतिरोधी, रोपाई के 80 दिनों बाद तैयार एवं औसत उपज 230 क्विंटल / हैक्टर है|
4. पछेती फूलगोभी में 40 किग्रा नाइट्रोजन, गांठगोभी में 34 किग्रा नाइट्रोजन की प्रथम टॉप ड्रेसिंग रोपाई के 20-25 दिनों बाद तथा इतनी ही मात्रा की दूसरी टॉप ड्रेसिंग रोपाई के 45-50 दिनों बाद करनी चाहिए| फूलगोभी उत्पादन की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- फूलगोभी की उन्नत खेती
फसलों की देखभाल
1. रबी मौसम की महत्वपूर्ण सब्जी फसलों में गोभीवर्गीय, टमाटर, आलू, मिर्ची, मेथी, गाजर एवं पालक आदि खेत में अपनी बढ़वार की अवस्था में होती हैं| इसके साथ ही खेत में तैयार गाजर, मूली, शलजम, पालक एवं मेथी आदि की समय पर तुड़ाई कर बाजार में भेजते रहें| इस माह में सिंचाई प्रबंधन के साथ खरपतवार नियंत्रण व पोषक प्रबंधन भी अति आवश्यक हो जाता है|
2. लगातार बादल रहने एवं नमी की परिस्थिति में झुलसा रोग एवं माहूं कीट आने की आशंका रहती है| रोगों से बचाव के लिए शुरूआती अवस्था में ही मेंकोजेब का 0.2 प्रतिशत घोल अथवा रिडोमिल 2 ग्राम तथा फॉस्फेमिडान 0.6 मिमी प्रति लीटर पानी में मिलाकर 10-12 दिनों के अन्तराल पर छिड़काव करें| यदि आसमान में बादल छाए हैं और नमी है, तो सायमोक्जेनिल 8 प्रतिशत व मेंकोजेब 64 प्रतिशत को मिलाकर छिड़काव करें| अधिक प्रकोप होने पर 10-12 दिनों के अंतराल पर दोबारा छिड़काव किया जा सकता है|
3. दाल वाली सब्जियों में मटर एक प्रमुख फसल है| सब्जी मटर में बुआई के 25-30 दिनों बाद सम्पूर्ण आवश्यक नाइट्रोजन की आधी मात्रा अर्थात 30 किग्रा टॉप ड्रेसिंग के रूप में देनी चाहिए| सब्जी मटर मंन फूल आने के समय आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई कर दें| उसके बाद 30 किग्रा नाइट्रोजन टॉप ड्रेसिंग के रूप में प्रयोग करें एवं दूसरी सिंचाई फलियां बनते समय करनी चाहिए| अधिक मात्रा में पानी लगाने से मटर के पौधों में श्वसन क्रिया प्रभावित होती है| फुहारा विधि से सिंचाई ज्यादा लाभप्रद होती है और पानी की बचत होती है|
4. धनिया के पौधे 3-4 सेंमी के हो जाने पर प्रति हैक्टर 15 किग्रा नाइट्रोजन की टॉप ड्रेसिंग कर दें| 15 किग्रा नाइट्रोजन की दूसरी टॉप ड्रेसिंग पहली टॉप ड्रेसिंग के 20-25 दिनों बाद करें| धनिया उत्पादन की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- धनिया की खेती
5. पत्तीदार सब्जियां पोषण की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं| ये आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, सोडियम, पोटेशियम, रेशे तथा विटामिन ‘ए’, ‘सी’ के अच्छे स्रोत हैं| पालक व मेथी में पत्तियों की प्रत्येक कटाई के बाद प्रति हैक्टर 20 किग्रा नाइट्रोजन की टॉप ड्रेसिंग और सिंचाई करें| पालक उत्पादन की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- पालक की खेती
6. सरसों की किस्म पूसा साग – 1′ की पहली कटाई बुआई के 35 दिनों बाद शुरू हो जाती है| जनवरी के आखिर तक इसकी कटाई की जा सकती है|
7. फ्रेंचबीन में बुआई के लगभग 30 दिनों बाद 60 किग्रा नाइट्रोजन की टॉप ड्रेसिंग करें| फ्रेंचबीन में पहली सिंचाई फूल आने के ठीक पहले तथा दूसरी सिंचाई फली बनते समय करनी चाहिए| फ्रेंचबीन उत्पादन की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- फ्रेंचबीन (फ्रांसबीन) की खेती
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