दिसंबर महीने में बागवानी: दिसंबर बगीचे में एक शांत महीना है, हममें से कई लोगों के लिए, यह साल की बागवानी की सफलताओं और असफलताओं पर विचार करने का समय है, साथ ही यह सोचने का भी है कि हम अगले सीजन में क्या अलग करेंगे| लेकिन जितना आप सोच सकते हैं उससे कहीं अधिक चीजों का ध्यान रखना पड़ता है|
जैसे ही हम वर्ष के सबसे छोटे दिन के करीब पहुंचते हैं, सीमित दिन के उजाले के साथ, दिसंबर महीने का सर्द मौसम बेहद सुंदर और समान रूप से कड़ाके की ठंड वाला हो सकता है| इस महीने की रोपण सलाह के लिए, दिसंबर में क्या बोना और उगाना है, इस पर एक नज़र डालें| इस बीच, आपको व्यस्त रखने के लिए यहां बागों के रखरखाव की भी सलाह दी गई है|
1. आम के बागानों में उत्तम परागण के लिए मधुमक्खी पालन के डिब्बों को लगाना चाहिए| इससे फल का विकास भी अच्छा होता है|
2. आवश्यकतानुसार पौधों में नियमित सिंचाई करें| आम के बागों की साफ-सफाई करें| 10 वर्ष या इससे ज्यादा उम्र के पेड़ों में प्रति पेड़ 750 ग्राम फॉस्फोरस और 1 किग्रा पोटाश थालों में दें| मिलीबग कीट की रोकथाम के लिए तने के चारों तरफ 2 फुट की ऊंचाई पर 400 गेज वाली 30 सेंमी पॉलीथीन की शीट की पट्टी बाधें| आम में गुच्छा रोग से ग्रसित पुष्प गुच्छों को इस माह में नष्ट कर उपचार करें| आम में मिलीबग से बचने के लिए रोग निरोधक के तौर पर तने के निचले हिस्से में 20 सेंमी 400 गेज की पॉलीथीन को ग्रीस के साथ लगा देना चाहिए|
3. मधुआ कीट और पाउडरी मिल्ड्यू के नियंत्रण के लिए मंजरी निकलने के समय बाविस्टिन या कैराथेन ( 0.2 प्रतिशत) तथा मोनोक्रोटोफॉस या इमिडाक्लोप्रिड (0.05 प्रतिशत) का पहला एहतियाती छिड़काव करें| दिसंबर महीने में गुजिया कीट की रोकथाम हेतु पेड़ों के मुख्य तनों पर एल्काथेन की पट्टी (400 गेज मोटी, 30 सेंमी चौड़ी) नहीं लगाई गयी है और गुजिया कीट पेड़ों पर चढ़ रही है| ऐसे पेड़ों पर कार्बोसल्फान (0.05 प्रतिशत) अथवा डाइमेथोएट (0.05 प्रतिशत) का एक छिड़काव अवश्य करें|
यह छिड़काव गुजिया कीट की रोकथाम के साथ-साथ मिज कीट के नियंत्रण में भी सहायक होता है| ऐसे बाग जहां पेड़ों के मुख्य तनों पर एल्काथेन की पट्टी समय से बांधी गई है, उन पट्टियों को नियमित अन्तराल पर साफ करते रहें, जिससे पट्टी पर धूल इत्यादि न जमा होने पाये| आम की बागवानी कैसे करें की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- आम की खेती
4. बेर के फलों को गिरने से रोकने के लिए सुपरफिक्स हार्मोन 1.1 मिली प्रति 4.5 लीटर की दर से पानी में घोलकर छिड़काव करें| बेर की बागवानी कैसे करें की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- बेर की खेती
5. आंवले की फसल में तुड़ाई उपरांत फलों को डाइफोलेटान (0.15 प्रतिशत), डाइथेन एम-45 या बाविस्टीन ( 0.1 प्रतिशत) से उपचारित करके भण्डारित करने से रोग की रोकथाम की जा सकती है| आंवले की बागवानी कैसे करें की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- आंवला की खेती
6. आंवला, अमरूद, केला, पपीता, बेर, नीबू, हल्दी, अदरक आदि में आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें| आंवला के फलों की तुड़ाई एवं विपणन की व्यवस्था करें|
7. अम्बे बहार अनार के लिए पोषक तत्व प्रबंधन के लिए 600-700 ग्राम नाइट्रोजन, 200-250 ग्राम फॉस्फोरस और 200-250 ग्राम पोटाश प्रति पेड़ प्रति वर्ष प्रयोग करना चाहिये| अनार की बागवानी कैसे करें की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- अनार की खेती
8. पपीता की फसल में वृक्षारोपण के छः महीने के बाद प्रति पौधा उर्वरक देना चाहिए| नाइट्रोजन 150 – 200 ग्राम, फॉस्फोरस 200-250 ग्राम, पोटेशियम 100-150 ग्राम; तीनों उर्वरक 2-3 खुराक में वृक्ष लगाने से पहले फूल आने के समय तथा फल लगने के समय दे देना चाहिए| पपीता की बागवानी कैसे करें की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- पपीते की खेती
9. लीची में मिलीबग के नियंत्रण के लिए प्रति वृक्ष 200-250 ग्राम मिथाइल पैराथियॉन का बुरकाव पेड़ के एक मीटर के घेरे में कर दें| फिर पेड़ के तने पर जमीन से 30-40 सेंमी की ऊंचाई पर 400 गेज वाली एल्काथीन की 30 सेंमी चौड़ी पट्टी सुतली
आदि से कसकर बांध दें और उसके दोनों सिरों पर गीली मिट्टी या ग्रीस से लेप कर दें, ताकि मिलीबग नीचे से ऊपर पेड़ पर न चढ़ पाये| मंजर आने के 30 दिनों पहले पौधों पर जिंक सल्फेट (2 ग्राम प्रति लीटर) के घोल का पहला एवं 15 दिनों बाद दूसरा छिड़काव करने से मंजर और फूल अच्छे होते हैं| लीची की बागवानी कैसे करें की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- लीची की खेती
10. इस माह में पाला पड़ने की पूरी आशंका होती है और फलदार पौधे, जोकि पाले के लिए बहुत संवेदनशील होते हैं, उनके बागानों में बचाव के उपाय करने चाहिए| पाला प्रबंधन शुरू की अवस्था यानी नए बागानों में अधिक जरूरी होता है| सिंचाई के साथ-साथ, घासफूस अथवा फसल अवशेष या पॉलीथीन से नए छोटे पौधों को ढककर रखना चाहिए| पाले से बचने के लिए सल्फरयुक्त रसायन जैसे-डाई मिथाइल सल्फोऑक्साइड का 0.2 प्रतिशत अथवा 0.1 प्रतिशत थायो यूरिया का छिड़काव लाभप्रद होता है| अधिक जाने- बागों के लिए हानिकारक है शीतलहर और पाला
11. पुराने बागों में अन्तरासस्यन के रूप में हल्दी व अदरक की फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें|
12. अमरूद में सिंचाई प्रबंधन के साथ-साथ तैयार फलों का सही समय पर तुड़ाई कर बाजार में भेजें या प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के लिए इनको ठीक प्रकार से प्रयोग करें| फलमक्खी के नियंत्रण के लिए साइपरमेथ्रिन 2.0 मिली प्रति लीटर या मोनोक्रोटोफॉस 1.5 मिली प्रति लीटर की दर से पानी में घोल बनाकर फल परिपक्वता के पूर्व 10 दिनों के अंतराल पर 2-3 छिड़काव करें| प्रभावित फलों को तोड़कर नष्ट कर देना चाहिए तथा बागीचे में फल मक्खी के वयस्क नर को फंसाने के लिए फेरोमोन ट्रैप लगाने चाहिए| अमरूद की बागवानी कैसे करें की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- अमरूद की खेती
पुष्प की बागवानी
1. दिसंबर महीने में बाजार मांग के आधार पर लम्बी पुष्प दण्डिका या उच्च क्वालिटी के पुष्पों का उत्पादन करके अधिक आय बढ़ाई जा सकती है| आमदनी बढ़ाने के लिए उन्नत किस्मों का चयन बहुत ही आवश्यक है| सर्दियों में उगने वाले पुष्पीय पौधों के लिए सितंबर-अक्टूबर में बीजारोपण करें|
2. दिसंबर महीने में ग्लैडियोलस में आवश्यकतानुसार सिंचाई एवं निराई-गुड़ाई करें| मुरझाई टहनियों को निकालते रहें और बीज न बनने दें| ग्लैडियोलस की पत्तियों पर काले धब्बे रोग की रोकथाम के लिए 0.2 प्रतिशत कैप्टॉन का घोल बनाकर छिड़काव करें| कटुआ कीट से बचाव के लिए खेत की तैयारी के समय 20-25 किग्रा प्रति हैक्टर थिमेट-10जी या कार्बोफ्यूरॉन के ग्रेन्युल्स मिला लें| यदि चेंपा एवं थ्रिप्स का प्रकोप है, तो उससे बचाव के लिए 0.2 प्रतिशत मेटासिड – 50 दवा का घोल बनाकर छिड़काव करें| ग्लैडियोलस की बागवानी कैसे करें की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- ग्लेडियोलस की खेती
3. दिसंबर महीने में रजनीगंधा की बहार की कटाई-छंटाई, पैकिंग और विपणन करें| अमरूद की बागवानी कैसे करें की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- रजनीगंधा की उन्नत खेती
4. देसी गुलाब में आंख बडिंग और सिंचाई एवं निराई-गुड़ाई करें| गुलाब की बागवानी कैसे करें की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- गुलाब की खेती
5. नर्गिस का फूल सर्दियों में उगने वाला खुशबुदार कंदीय फूल है|
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