पुआल मशरूम (वोल्वेरिएला वोल्वेसिया) की खेती, जिसे चाइनीस मशरूम और गर्मा मशरूम के नाम से भी जाना जाता है| यह उपोषण व उष्ण कटिबंध भाग की खाद्य मशरूम है| ये सापेक्षत उच्च तापमान पर उगती है, यह तेजी से उगने वाली मशरूम है और अनुकूल उत्पादन परिस्थितियों में इसका एक फसल चक्र 4 से 5 सप्ताह में पूर्ण हो जाता है| पुआल (चाइनीज) मशरूम के उत्पादन हेतु विभिन्न प्रकार के सेलुलोज युक्त पदार्थों का इस्तेमाल किया जा सकता है और इन पदार्थों में कार्बन व नाईट्रोजन के 40 से 60:1 अनुपात की आवश्यकता होती है, जो अन्य मशरूमों के उत्पादन की तुलना में बहुत उच्च है|
पुआल (चाइनीज) मशरूम को बहुत से अविघटित सामग्री पर उगाया जा सकता है, जैसे- धान का पुआल, कपास उद्योग से प्राप्त व्यर्थ और अन्य सेलुलोज युक्त जैविक व्यर्थ अवशेष, पुआल (चाइनीज) मशरूम भारत में सफलतापुर्वक उगाई जाती है, यहां की जलवायु इसके अनुकूल है और कृषि के अवशेष भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं| पुआल (चाइनीज) मशरूम में पोषक तत्वों की मात्रा प्रचुर होती है|
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जैविकीय अवस्थाएं
पुआल (चाइनीज) मशरूम के फलनकाय को छह विभिन्न विकासात्मक अवस्थाओं में विभाजित किया जा सकता है| ये अवस्थाएं हैं, जैसे- खुम्ब कलिकाएं, छोटे बटन, बटन, अंडाकार, विस्तारण अवस्था और परिपक्व अवस्था| प्रत्येक की अपनी विशेष आकारिये और आंतरिक रचना होती है, जिसका वर्णन इस प्रकार है, जैसे-
खुम्ब कलिका- इस अवस्था में पुआल (चाइनीज) मशरूम आकार सूक्ष्म दानों जैसा होता है| इसमें धब्बा रहित सफेद झिल्ली होती है|
छोटे बटन- दोनों ही अवस्थाएँ, छोटे बटन तथा खुम्ब कलिकाएँ आपस में बुनी हुई तन्तु कोशिकाओं से बनती है| नव छोटे बटन में झिल्ली का ऊपरी हिस्सा भूरा होता है, जबकि शेष हिस्सा सफेद होता है, यह आकार में गोलाकार होता है|
बटन अवस्था- पुआल (चाइनीज) मशरूम की इस अवस्था को उत्तम समझा जाता है और यह बाजार में अधिक मूल्य पर बेची जाती है, इस अवस्था में संपूर्ण संरचना एक झिल्ली द्वारा ढकी होती है, सामान्य तौर पर तना दिखाई नहीं देता है|
अंडाकार अवस्था- इस अवस्था को भी बहुत अच्छा माना जाता है, और बाजार में इसकी अच्छी खासी कीमत मिलती है, इस अवस्था में छत्रक झिल्ली से बाहर निकल आता है और झिल्ली वॉल्वा के रूप में शेष रह जाती है|
विस्तारण अवस्था- इस अवस्था पर छत्रक बन्द होता है और इसका आकार परिपक्व अवस्था से थोड़ा छोटा होता है, जबकि तना अधिकतम लम्बाई प्राप्त कर चुका होता है|
परिपक्व अवस्था- पूर्व परिपक्व छत्रक अवस्था माना जाता है, सभी किनारों से आकार में वृत्ताकार होता है और इसकी सतह समतल होती है|
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उत्पादन विधियां
पुआल (चाइनीज) मशरूम की खेती के लिए विभिन्न प्रकार के फसलों के अवशेष इस्तेमाल किये जाते हैं, जिसमें प्रमुख हैं, जैसे- धान का पुआल, जल कुम्भी, केले के पत्ते, लकड़ी का बुरादा और गन्ने की खोई आदि| पुआल (चाइनीज) मशरूम की खेती कम जटिल व कम व्यापक है| इसको निम्नलिखित विधियों द्वारा उगाया जा सकता है, जैसे-
पारंपरिक विधि द्वारा-
इस विधि में निम्नलिखित चरण शामिल हैं, जो इस प्रकार है, जैसे-
1. पुआल के 0.75 से 1.0 किलोग्राम वजन, 45 से 60 सेंटीमीटर लम्बे और 12 से 16 सेंटीमीटर मोटाई के बंडल बनाये जाते हैं|
2. ड्रम में बंडलों को साफ पानी में 12 से 18 घंटे तक डुबोया जाता है|
3. बांस से बने प्लेटफार्म पर रख कर इनका अतिरिक्त पानी बाहर निकाल देते हैं|
4. पहली परत जो कि 45 से 60 सेंटीमीटर लम्बी एवं 45 से 60 सेंटीमीटर चौड़ी होती है, तीन बंडलों को खोलकर बनाई जाती है|
5. इसी प्रकार से दूसरी, तीसरी और चौथी परतें बनाई जाती है, इन परतों को बीच बीजाई करते हुए बनाया जाता हैं, बीजाई पहली और दूसरी परत, दूसरी और तीसरी परत, तीसरी और चौथी परत के बीच में करनी होती है|
6. शेड की हर परत के धरातल पर बीजाई 6 से 8 जगह पर करनी होती है, किनारों से 12 से 15 सेंटीमीटर की जगह छोड़कर 10 सेंटीमीटर के अन्तर पर बीजाई करें|
7. बीजाई किये गये स्थान पर दाल का पाउडर (बेसन) भी 50 ग्राम प्रति शेड के हिसाब से डाला जाता है|
8. इसके लिए 8 से 10 किलोग्राम सूखे धान के पुआल की शेड के लिए 250 ग्राम बीज और 50 ग्राम लाल चने के पाउडर (बेसन) की जरूरत होती है|
9. शेड को उपर से दबाकर साफ पॉलिथीन की सीट से ढक देते हैं, ताकि वांछित आद्रता 80 से 85 और तापमान 30 से 35 डिग्री सेल्सियस बना कर रखते हैं|
10. इसके 7 से 8 दिनों के पश्चात् पॉलिथीन सीट को हटा दिया जाता है और 28 से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान और वांछित आर्द्रता लगभग 80 प्रतिशत रखी जाती है|
11. सीट हटाने के 4 से 5 दिन पश्चात्, मशरूम दिखाई देने शुरू हो जाती है, जो अगले 20 दिनों तक उगते रहते है|
12. फसल की तुड़ाई के पश्चातु, पोषाधार को खेतों में खाद के रूप में उपयोग लाया जा सकता है|
उत्पादन कक्ष में उचित आर्द्रता बनाये रखने के लिए बहुत महीन कुहासे का ही उपयोग किया जाना चाहिए| शेड में नमी कम होने पर उस पर बहुत ही महीन कुहासे के रूप में पानी का छिड़काव करना चाहिए| उत्पादन कक्ष के अन्दर अनुकूल तापमान और वातावरण बनाये रखने के लिए संशोधन की जरूरत होती है|
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केज विधि द्वारा-
पुआल (चाइनीज) मशरूम केज विधि द्वारा खेती के लिए आवश्यक सामग्री इस प्रकार है, जैसे-
1. पुआल के बंडल- 60 प्रति ढांचा
2. स्पॉन की बोतल- 2 प्रति ढांचा 250 ग्राम प्रति बोतल
3. लकड़ी का ढांचा- एक, जिसको 100, 50, 25 सेंटीमीटर का आकार दे सकते है
4. टब- 4, 100 लीटर क्षमता वाले
5. पॉलीथीन सीट- 4 मीटर
6. बांधने के लिए रस्सी- 3 मीटर
7. स्प्रेयर अथवा झारी- एक
8. डाईथेन जेड- 78 या 200 ग्राम, बॉविस्टीन
9. मैलाथियान -250 मिलीलीटर
10. डिटॉल या फार्मेलीन- 500 मिलीलीटर
11. गडासी, पुआल काटने-एक का औजार|
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उत्पादन विधि
1. इस विधि के अनुसार, सूखे, ताजे तथा हाथ से काटे गए पुआल का चुनाव किया जाता है, जिसमें पत्ते कम हों और फफूदियों से मुक्त हो, पुआल के 25 सेंटीमीटर लम्बे और 10 सेंटीमीटर मोटाई वाले 60 बंडल बना लें|
2. अब इन बंडलो को उबलते पानी में 20 से 30 मिनटों तक डुबो कर रखें, एवं फिर निकाल कर उसमें से अतिरिक्त पानी बह जाने दें और ठंडा होने दें|
3. लकड़ी के ढाचें और पॉलीथीन सीट को डिटॉल या फार्मेलीन के 2 प्रतिशत घोल से साफ करके जर्मरहित कर लें|
4. एक ढांचे की लम्बाई वाली दिशा में दस बंडलो की पहली परत एक दूसरे से सटाकर बिछायें, इसके बाद बंडलों के ऊपर और बंडलों के भीतर स्पॉन डाल कर बीजाई करें, पहली परत की बीजाई कर लेने के बाद इस पर 10 बंडलों की दूसरी परत लगा दें, एवं उनकी बीजाई भी पहली परत की तरह ही कर दें, इसी प्रकार कुल 6 परतें बिछा दें या फिर जब तक ढांचा पूरी तरह से न भर जाये, परत बिछाते रहें|
5. इसके बाद क्यारी या बेड में 0.1 प्रतिशत मैलाथियान और 0.2 प्रतिशत डाईथेन जेड- 78 के घोल का छिड़काव करके पूरे बैड को पॉलीथीन सीट से ढक कर रस्सी से सही तरह से बांध दें|
6. अब इन ढांचों को एक उत्पादन कक्ष या शैड में कवक जाल फैलने के लिए रख दें, इस दौरान उत्पादन कक्ष या शैड में तापमान लगभग 30 डिग्री सेल्सियस बनाये रखें|
7. अब कवक जाल फैलाव पूर्ण हो जाने पर पॉलीथीन सीट को हटा दें, अब पुआल (चाइनीज) मशरूम के बटन दिखाई देने आरम्भ होने तक बैड़ों और उत्पादन कक्ष में उच्च आर्द्रता बनाए रखी जानी चाहिये|
8. बिजाई के 10 से 15 दिनों के पश्चात् पुआल (चाइनीज) मशरूम के बटन निकलने शुरू हो जाते हैं और जब तक अण्डों जैसी अवस्था के हो जायें, जब इनकी तुड़ाई कर लें|
9. पहला फसल चक्र पूरा होने के बाद शैडो पर पानी का हल्का छिड़काव करें और पहले फसल चक्र के समाप्त होने के बाद, दूसरा फसल चक्र लगभग एक सप्ताह बाद आता है|
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फलन, फल तुड़ाई और भंडारण
पुआल (चाइनीज) मशरूम के स्पॉन फैलने की अवधि के दौरान पानी और प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती है, परन्तु थोड़ी ताजी हवा के आवागमन की आवश्यकता होती है| तीन से चार दिनों के पाश्चात्, कमरों में हल्का प्रकाश और ताजी हवा दी जाती है, चार से पाँच दिनों के पश्चात, सीट को हटाया जाता है और बैडों पर पानी का हल्का छिड़काव किया जाता है|
फलन- बीजाई के 5 से 6 दिनों के पश्चात् मशरूम कलिकाएँ निकलनी शुरू हो जाती है, अगले 4 से 5 दिनों के के बाद पुआल (चाइनीज) मशरूम की पहली फसल तुड़ाई योग्य हो जाती है, अच्छे फलन के लिए कक्ष में आवश्यक तापमान 28 से 32 डिग्री सेल्सियस, आर्द्रता 80 प्रतिशत, हल्का प्रकाश और ताजी हवा का आवागमन होना चाहिए|
तुड़ाई- पुआल (चाइनीज) मशरूम की तुड़ाई झिल्ली फटने से पहले या फिर फटने के तुरन्त बाद की जाती है, इन अवस्थाओं को बटन और अंडाकार अवस्थाएँ कहते हैं, पुआल (चाइनीज) मशरूम उच्च तापमान और नमी में उगती है, इसलिए इसका विकास तेजी से होता है| उचित व अनुकूल वातावरण में इस मशरूम की तुड़ाई दिन में दो या तीन बार करनी पड़ती है, जैसे- सुबह, दोपहर और सायं को|
पुआल (चाइनीज) मशरूम को बीजाई के पश्चात् पहली तुड़ाई तक के लिए साधारणतः 9 से 10 दिन का समय लगता हैं पहली फसल सामान्यतः 3 दिनों तक चलती है, जिसमें कुल अपेक्षित मशरूम पैदावार का लगभग 70 से 90 प्रतिशत पैदावार होती है, तीन से पांच दिन के अंतराल पर इसमें पूर्ण रूप से पानी की आवश्यकता होती है और कमरे के अन्दर अनुकूल परिस्थितियाँ बनाये रखी जाती है|
भण्डारण- अन्य खाद्य मशरूमों की अपेक्षा पुआल (चाइनीज) मशरूम जल्दी खराब हो जाती है, इसका भण्डारण 4 डिग्री सेल्सियस तापमान पर नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इस तापमान पर इसका स्वलयन हो जाता है, इस मशरूम का 10 से 15 डिग्री सेल्सियस तापमान पर 3 दिनों तक भण्डारण किया जा सकता है|
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