ग्रीनहाउस या पॉलीहाउस में रंगीन शिमला मिर्च सर्वाधिक उगाई जाने वाली सब्जी है| जबकि टमाटर व खीरा क्रमश: दूसरे तथा तीसरे स्थान पर आते हैं| पॉलीहाउस के अंदर उगाई जाने वाली शिमला मिर्च बाहर खेतों में उगाई जाने वाली शिमला मिर्च से कई बातों में भिन्न है, जैसे फसल की उम्र, तुड़ाई का समय इत्यादि| लेकिन पॉलीहाउस के अंदर सब्जी उगाने का खर्च भी ज्यादा आता है| इसलिए किसान को अधिक और अच्छी गुणवत्ता के फल तथा ज्यादा उत्पादन मिलता है एवं बेमौसमी होने के कारण ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है| इसके लिए शिमला मिर्च उगाने के साथ-साथ लागत भी कम करनी चाहिए|
शिमला मिर्च की पैदावार पॉलीहाउस के स्थान, उर्वरता, मौसम, पौधों की दूरी, पौधों को सहारा देने की विधि, किस्म, सिंचाई तथा उर्वरकों की मात्रा पर निर्भर करती है| शिमला मिर्च उगाने के लिए क्षेत्र और परिस्थितियों के अनुसार पॉलीहाउस का डिजाईन तैयार किया जाना चाहिए, तभी सब्जी उत्पादन लाभदायक सिद्ध हो सकता है| इस लेख में पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की खेती कैसे करें की आधुनिक तकनीक की जानकारी का उल्लेख है| शिमला मिर्च की सामान्य खेती की जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- शिमला मिर्च की उन्नत खेती कैसे करें
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पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की खेती के लिए उन्नत किस्में
पॉलीहाउस में शिमला मिर्च उत्पादकों को किस्में हमेशा वही चुनी जानी चाहिए, जो ज्यादा बिकती हों| वर्तमान में लाल और पीली (सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली) के अतिरिक्त बैंगनी, संतरी, भूरी रंग की शिमला मिर्च की किस्में भी उपलब्ध हैं| पॉलीहाउस के अंदर हमेशा संकर (हाईब्रिड) किस्में ही उपयोग करनी चाहिए| सामान्यतः एक वर्ग मीटर में 20 से 35 किलोग्राम शिमला मिर्च का उत्पादन हो सकता है| अच्छे रंग के अलावा किस्म में रोगों व फल विकारों के प्रति प्रतिरोध क्षमता भी होनी अत्यावश्यक है|
हमारे देश में उगाई जाने वाली शिमला मिर्च की मुख्यतः बहुत सी किस्में बाहर से आयातित हैं| इसकी खेती बहुत ही सीमित क्षेत्रों में की जाती है| इसी कारण इसकी नई किस्मों के विकास के अनुसंधान कार्य पर कम जोर दिया गया है| अब तक मुख्य रूप से उगाई जाने वाली किस्में, इस प्रकार है, जैसे- कैलीफोर्निया वंडर, चाइनीज जाइंट, बुलनोज, यलों वंडर, रूबी किंग, किंग ऑफ नार्थ, अर्ली जाइंट, वर्ड बीटर और हंगेरियन वैक्स आदि की भी खेती की जाती रही है| किस्मों की विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- शिमला मिर्च की उन्नत व संकर किस्में, जानिए विशेषताएं और पैदावार
पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की खेती के लिए पौध तैयार करना
शिमला मिर्च की अगेती या बेमौसमी फसल लेने के लिये शिमला मिर्च के बीज को जनवरी से फरवरी माह में बो देना चाहिये| पौध तैयार करने के लिए 98 छिद्रो वाली प्रो-टे (प्लास्टिक की ट्रे) का प्रयोग करना चाहिये| इस प्रो-ट्रे का आकार सामान्यतः 54 सेंटीमीटर लम्बा एवं 27 सेंटीमीटर चौड़ा होता है| सड़ी हुई गोबर की खाद एवं निर्जीवीकृत मिश्रण का प्रयोग रोगमुक्त पौध उगाने के लिए किया जाना आवश्यक होता है| परम्परागत मिश्रण, मिट्टी, गोबर की खाद, बालू के स्थान पर कोको पीट, वरमीकुलाइट, बालू या परलाइट मिश्रण का प्रयोग किया जा सकता है| यह रोगमुक्त होने के साथ-साथ अत्यन्त भुरभुरा होता है, जिससे जड़ों का विकास अच्छे से होता है|
सामान्यतः 100 किलोग्राम कोकोपीट से लगभग 100 प्रो-ट्रे भरा जा सकता है| ट्रे के एक छिद्र में एक बीज डालकर कोकोपीट से बीज को ढक देना चाहिये| इसके तदनुपरांत हजारे की सहायता से हल्की सिंचाई कर इसे पॉलीथीन से ढक देना चाहिये| जिससे बीज का अंकुरण आसानी से हो सके अंकुरण सामान्यतः 6 से 8 दिनों में हो जाता है| अंकुरण के उपरान्त प्रो-ट्रे में तैयार शिमला मिर्च के पौधों से पॉलीथीन को हटा देना चाहिये| पौध 4 से 6 सप्ताह में रोपण हेतु तैयार हो जाती है|
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पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की खेती के लिए क्यारियों की तैयारी
सबसे पहले पॉलीहाउस में मिट्टी की खुदाई के उपरान्त ढेलों को तोड़कर जमीन को भुरभुरा, समतल और मुलायम बनाया जाता है और 100 सेंटीमीटर चौड़ी और 15 सेंटीमीटर ऊँची क्यारियाँ बनायी जाती हैं तथा कतारों के मध्य 50 सेंटीमीटर का फासला छोड़ दिया जाता है| सड़ी हुई गोबर की खाद 20 किलोग्राम तथा नीम की खली 100 ग्राम प्रति वर्ग मीटर में डालकर मिट्टी में अच्छी तरह मिलाया जाता है तथा 4 प्रतिशत फॉरमल्डीहाइड से 4 लीटर प्रति वर्ग मीटर क्यारियों को गीला किया जाता है| सभी क्यारियों को चार दिनों तक काली पॉलीथीन की चादरों से ढ़ककर पॉलीहाउस की खिड़की-दरवाजे बंद कर देने चाहिये ताकि हानिकारक रोगाणुओं का नाश हो जाये|
चार दिनों के बाद पॉलीथीन को हटा देते हैं, जिससे फॉरमल्डीहाइड का धुआँ पूरी तरह निकल जाए पौध लगाने के पहले प्रति वर्ग मीटर नाइट्रोजन 05 ग्राम, फास्फोरस 05 ग्राम एवं पोटाश 05 ग्राम की पोषित खुराक डाली जाती है| क्यारियों के मध्य में सिंचाई के लिये इन लाइन लेट्रल पाइप डाले जाते हैं| इस पाइप में 30 सेंटीमीटर दूरी पर छेद होता है, जिससे 2 लीटर पानी का निकास होता है|
पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की खेती के लिए मल्चिग
पॉलीहाउस में तैयार क्यारियों को 100 गेज (25 माइक्रोन) की काली पॉलीथीन से ढक कर दोनों तरफ किनारे से मिट्टी को दबा देना चाहिए|
पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की खेती के लिए पौध रोपण
कतारों के बीच 60 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 30 सेंटीमीटर के अंतर पर दोहरी कतार में छेद बनाये जाते हैं| शिमला मिर्च के पौधों को पॉलीहाउस में प्लास्टिक की ट्रे में तैयार करने के बाद रोपण किया जाता है| पौधों को रोग एवं कीटों से बचाने के लिये रोपण के एक दिन पहले 0.3 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड प्रति लीटर पानी का मिश्रण बनाकर छिड़काव किया जाता है| रोपने से पहले 1 लीटर पानी में 1 ग्राम फफूंदनाशक (कार्बेन्डाजिम) के मिश्रण से पौधों की जड़ों को गीला किया जाता है|
पौधों को पॉलीथीन के छिद्रों के मध्य में लगाया जाता है| इसमे ध्यान देना चाहिये कि पौध कहीं भी पॉलीथीन की चादर से नहीं छुएँ, रोपण के तत्काल बाद हजारे से हल्की सिंचाई करना चाहिये| पौध स्थापित होने तक प्रतिदिन इसी तरह सिंचाई होना जरूरी है| यदि पॉलीहाउस में आर्द्रता कम हो तो फॉगर चलाये जाते हैं| पॉलीहाउस को रोग मुक्त करने के बाद भी अगर पौध मरने लगे तो एक लीटर पानी में 3 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या एक लीटर पानी में एक ग्राम कार्बेन्डाजिम से क्यारियों को गीला किया जाता है|
शिमला मिर्च के पौधे को 30 सेंटीमीटर ऊपर से काट कर उसकी दो शाखाओं को बढ़ने दिया जाता है| पौधे की इन शाखाओं को फसल के अन्त तक रखा जाता है, शेष अन्य सभी शाखाओं को हटाते रहना चाहिये| दूसरी गाँठ के पास से फिर काट देते हैं| जिससे चार शाखाएँ निकल आती हैं| बढ़ते हुए पौधों को सहारा देने के लिए सुतली (रस्सी) या प्लास्टिक ट्यूब से प्रत्येक शाखा को साधा जाता है|
प्रतिदिन 2 से 3 लीटर पानी प्रति वर्ग मीटर की दर से दिया जाता है| रोपण के तीसरे हफ्ते में घुलनशील उर्वरक 19:19:19 (एन पी के) को 13.74 ग्राम प्रति वर्ग मीटर में ड्रिप सिंचाई द्वारा दिया जाता है| रोपण के 60 दिन बाद 2 या 3 दिन अन्तराल पर सूक्ष्म पोषक तत्व दिये जाते हैं|
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पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की खेती के लिए पुष्प परागण
मिर्च एक स्वपरागित फसल है, परन्तु 7.6 से 36.8 प्रतिशत तक परपरागण भी होता है| मिर्च में पुष्पक्रम कक्षस्थ होता है, जिसमें एकल पुष्प होते हैं| कभी-कभी पुष्प गुच्छे में भी आते हैं| पुष्प पूर्ण, द्विलिंगी तथा अधोजामी होता है| पुष्प में सफेद रंग की पाँच पंखुड़ियाँ होती हैं| पुंकेसर पाँच और परागकोष द्विकोष्ठी होते हैं| जायाँग द्विअण्डीय, बीज अण्डाशय अक्षीय, बिजांड अनेक तथा वर्तिका एक होती है|
पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की फसल का संरक्षण
शिमला मिर्च में फसल संरक्षण के लिए कीट व बिमारियों से रोकथाम का समुचित उपाय किया जाना आवश्यक है| सफाई व नियंत्रित आवागमन से काफी हद तक कीटों पर संपूर्ण नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है|
कीट एवं रोकथाम-
थ्रिप्स- ये कीट पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की पत्तियों का रस चूसते है| जिससे पत्तियाँ सिकुड़ जाती या एकदम छोटी रह जाती है| यह कीट विषाणु रोग को फैलाने में भी मदद करता है|
रोकथाम- इसकी रोकथाम के लिए नूवाक्रान 1.0 से 1.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर 15 दिनों के अन्तराल पर छिड़काव करना चाहिये|
माइट- यह कीट पॉलीहाउस में शिमला मिर्च के पौधों की पत्तियों और फूलों का रस चूसते हैं, साथ ही विषाणु रोग को फैलाने में मदद करते हैं|
रोकथाम- इस कीट की रोकथाम हेतु 2.5 से 3.0 ग्राम प्रति लीटर घुलनशील गंधक का छिड़काव 10 दिनों के अन्तराल पर करना चाहिये|
मॉहू- ये कीड़े भी पॉलीहाउस में शिमला मिर्च के पौधे का रस चूसते हैं और विषाणु रोग फैलाते हैं| जिससे पैदावार में भारी गिरावट आती है|
रोकथाम- इसके लिए नुवान या रोगार की एक लीटर मात्रा 650 से 700 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें|
सूत्रकृमि- ये पॉलीहाउस में शिमला मिर्च के पौधों की जड़ों में छोटी-छोटी गाँठ या ग्रंथियाँ उत्पन्न करते हैं| जिनके कारण पौधों में पोषक तत्वों की आपूर्ति बंद हो जाती है तथा पौधे मर जाते हैं|
रोकथाम- कार्बोयूरान या फीनेमीफास का 1 से 2 किलोग्राम (सक्रिय तत्व) प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिलायें| पॉलीहाउस में शिमला मिर्च के कीट रोकथाम की अधिक जानकारी यहाँ पढ़ें- पॉलीहाउस में टमाटर व शिमला मिर्च के कीट और उनका एकीकृत प्रबंधन कैसे करें
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रोग एवं रोकथाम-
शीर्षमरण रोग (डाइबैक) एवं फल सड़न- इस रोग में पौधों का ऊपरी भाग से सूखना प्रारम्भ होता है और नीचे तक सूखता जाता है| प्रारम्भिक अवस्था में ये टहनियाँ गीली होती हैं तथा उस पर रोएंदार कवक दिखायी देते हैं| रोगग्रस्त पौधों के फल सड़ने लगते हैं| लाल फलों पर इस रोग का प्रकोप अधिक होता है|
रोकथाम- इससे बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम दवा प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर बोये हैं और क्षतिग्रस्त टहनी को सुबह के समय कुछ नीचे से काट कर इकट्ठा कर जला दें| डाइफोल्टान (2 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी) और कार्बेन्डाजिम 0.1 प्रतिशत (1 ग्राम प्रति लीटर पानी) घोल का छिड़काव बारी-बारी से करें|
आर्द्रगलन- पॉलीहाउस में शिमला मिर्च के इस रोग से तने सड़ने लगते हैं तथा पौधे मरने लगते हैं, जिससे उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है|
रोकथाम- इससे बचाव के लिए बुवाई से पहले थीरम या कैपटॉन 6 ग्राम प्रति किलोग्राम से बीजोपचार अवश्य करना चाहिए|
श्यामव्रण (एन्छेक्नोज)- पॉलीहाउस में शिमला मिर्च पर इसका प्रभाव छोटे और पके फलों, पत्तियों तथा तनों पर भूरे धब्बे के रूप में दिखायी देता है|
रोकथाम- इसके लिए बेनलेट 0.1 प्रतिशत या थीरम 0.2 प्रतिशत का छिड़काव पन्द्रह दिन के अंतर से दो बार करें, बाविस्टिन के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव भी काफी लाभकारी पाया गया है| इसलिए बाविस्टिन या बेनलेट के 2.5 ग्राम दवा को प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर बुआई करें|
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पत्तियों का जीवाणु धब्बा रोग- पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की नयी पत्तियों पर हरे और पुरानी पत्तियों पर जलीय काले धब्बे पाये जाते हैं| इससे फलों पर फफोले जैसे धब्बे उत्पन्न हो जाते हैं|
रोकथाम- इससे बचाव के लिए बीज का उपचार स्ट्रेप्टोसाइक्लीन 100 पी पी एम से करना चाहिये और कॉपर आक्सीक्लोराइड की 3 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 2 से 3 बार 8 से 10 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करना चाहिये|
दैहिकी विकार- जब पॉलीहाउस में शिमला मिर्च फसल का तापमान 32 डिग्री सेंटीग्रेट से अधिक बढ़ जाता है और आर्द्रता 50 प्रतिशत से कम हो जाती है तब शिमला मिर्च के पौधों में विविध प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं, जैसे फूलों व फलों का झड़ना, फलों का सूखना, सड़ना और फलों की सतह का सूख कर भूरा पड़ना|
रोकथाम- इसकी रोकथाम के लिए पॉलीहाउस का तापमान 30 डिग्री सेंटीग्रेट से अधिक नहीं होना चाहिए एवं आर्द्रता 60 प्रतिशत से ऊपर होना चाहिए साथ में इसकी रोकथाम हेतु ग्रीन हाउस में फॉगर चलाकर तापमान 30 डिग्री सेंटीग्रेट से कम तथा आर्द्रता 60 प्रतिशत बढ़ाना चाहिये इसके साथ ही ग्रीन हाउस की सारी खिड़कियों और उपरी खिड़कियों व पंखे के द्वारा अन्दर का तापमान कम करना चाहिये| पॉलीहाउस में शिमला मिर्च के रोग रोकथाम की अधिक जानकारी यहाँ पढ़ें- पॉलीहाउस में शिमला मिर्च व टमाटर के रोग और उनका एकीकृत प्रबंधन कैसे करें
पॉलीहाउस में शिमला मिर्च फसल के फलों की तुड़ाई
रोपाई के 60 से 65 दिन उपरांत पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की तुड़ाई शुरू हो जाती है तथा पॉलीहाउस में इसका उत्पादन 6 महीने तक चलता है|
पॉलीहाउस में शिमला मिर्च की खेती से पैदावार
उपरोक्त वैज्ञानिक विधि से पॉलीहाउस शिमला मिर्च का उत्पादन सामान्यतः 10 से 15 किलोग्राम वर्ग मीटर होता है| जो 4 से 5 किलोग्राम प्रति पौधा होता है, प्रति हेक्टेयर शिमला मिर्च का उत्पादन 100 से 150 टन प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता है|
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