पहाड़ी क्षत्रों में गर्मी और मैदानी क्षेत्रों में सर्दी की सब्जी और दलहनी फसलों में फ्रेंचबीन (फ्रांसबीन) का प्रमुख स्थान है| फ्रेंचबीन की खेती से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए उसकी उन्नत किस्मों का प्रयोग करना चाहिए| इसके साथ-साथ अपने क्षेत्र की प्रचलित और अधिकतम पैदावार देने वाली तथा विकार रोधी किस्म का चयन करना भी आवश्यक है| ताकि उत्पादकों को अधिकतम उत्पादन प्राप्त हो सके|
फ्रेंचबीन (फ्रांसबीन) की दो प्रकार की किस्में पाई जाती है, पहली सिमित बढ़वार वाली दूसरी असीमित बढवार वाली, इस लेख में फ्रेंचबीन की उन्नत किस्में कौन-कौन सी है तथा उनकी विशेषताएं क्या है और उनसे किसानों को कितनी पैदावार मिल सकती है की जानकारी का विस्तार से उल्लेख है| फ्रेंचबीन की उन्नत खेती की पूरी जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें- फ्रेंचबीन (फ्रांसबीन) की खेती कैसे करें
फ्रेंचबीन की किस्में
सीमित बढ़वार वाली किस्में
काशी परम- इस फ्रेंचबीन किस्म के पौधे झाड़ीदार, हरे रंग के होते है| फलियाँ 10 से 12 सेंटीमीटर लम्बी, गोल और गूदेदार तथा गहरे हरे रंग की होती है| बुवाई के 60 से 65 दिन में फलियाँ तुड़ाई योग्य हो जाती है| हरी फलियों की औसत पैदावार 150 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है तथा सूखे दानों (बीज) का उत्पादन 8 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
काशी सम्पन्न (वी आर एफ बी बी- 1)- यह फ्रेंचबीन की केवल सब्जी के लिये उगाई जाने वाली किस्म है| जिसका विकास अर्का कोमल तथा कोटेन्डर के संकरण द्वारा हुआ है| इस किस्म के पौधे बौने होते है| इस किस्म की सब्जी योग्य फलियों की तुड़ाई 3 से 4 बार की जा सकती है| फलियों की तुड़ाई सब्जी के लिए दिसम्बर के अंतिम सप्ताह से लेकर फरवरी के अंतिम सप्ताह तक की जा सकती है|
इस किस्म में तापक्रम 30 से 32 डिग्री सेन्टीग्रेट पर भी फलत होती रहती है| इस किस्म की औसत पैदावार 234 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हरी फलियाँ है| गोल्डेन येलो मोजैक वायरस के प्रतिरोधी किस्म है| इस किस्म के सूखे बीज चाकलेट रंग के चमकीले होते है|
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काशी राजहंश (बी आर एफ बी बी- 2)- यह भी फ्रेंचबीन की केवल सब्जी के लिए उगाई जाने वाली किस्म है| जिनके पौधे बौने किस्म के होते है| इस किस्म के पौधों में तापक्रम 30 से 32 डिग्री सेन्टीग्रेट पर भी फलत होती रहती है| इस किस्म की औसत पैदावार 210 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हरी फलियाँ है| इस किस्म के सूखे बीज सफेद रंग के होते हैं|
अर्का कोमल- इस फ्रेंचबीन की किस्म के पौधे सीधे व झाड़ीदार होते है| फलियाँ दूरस्थ स्थानों को भेजने व लम्बे समय तक रखने के लिए उपयुक्त होती हैं| बुवाई के 70 से 80 दिनों में फलियाँ प्रथम तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है| हरी फलियों की औसत पैदावार 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
अर्को सुविधा- इस फ्रेंचबीन की किस्म को ब्लू क्राप व कन्डेण्डर के संकरण उपरान्त वंशावली चयन विधि से विकसित किया गया है| इसके पौधे झाड़ीनुमा होते है| फलियाँ सीधी, गोल, गूदेदार व हल्की हरी होती है| हरी फलियाँ बुवाई के लगभग 70 दिन बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है| हरी फलियों की औसत पैदावार 190 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
कन्टेन्डर- इस फ्रेंचबीन किस्म के पौधे झाड़ीनुमा और फुल गुलाबी रंग के होते हैं| फलियाँ गोल, मुलायम व हरे रंग की होती है| बीज का आकार अण्डाकार होता है| फलियाँ बुवाई के 50 से 55 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं| फलियों की औसत पैदावार 80 से 95 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| यह किस्म मोजैक व चूर्णिल आसिता के प्रति सहिष्णु हैं|
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पूसा पार्वती- इस फ्रेंचबीन की किस्म के पौधे झाड़ीनुमा, फलियाँ गोल व हरे रंग की आकर्षक होती है| यह अधिक उपज देने वाली किस्म है और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए सबसे उपयुक्त है| इसके बीज अण्डाकार होते है| बुवाई के 50 से 60 दिन में फलियाँ प्रथम तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है| हरी फलियों का औसत उत्पादन 80 से 85 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है| यह मोजैक व चर्णिल आसिता के प्रति अवरोधी किस्म है|
स्वर्ण प्रिया- इस किस्म के पौधे झाड़ीनुमा, फलियाँ गोल, गुदेदार व हरी होती है| हरी फलियाँ बुवाई के 50 से 55 दिन में प्रथम तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है| इस किस्म की हरी फलियों की औसत पैदावार 120 से 140 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
पन्त अनुपमा- इस फ्रेंचबीन किस्म के पौधे छोटे, झाड़ीनुमा, सीधी बढ़वार वाले होते है| फलियाँ चिकनी, मुलायम, गोल व हरे रंग की रेशा रहित होती है| यह कोणीय पर्ण धब्बा के प्रति रोगरोधी तथा सामान्य बीन मोजैक विषाणु के प्रति सहनशील किस्म है| इस किस्म की हरी फलियों की औसत पैदावार 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
असीमित बढ़वार वाली किस्में
पूसा हेमलता- इस फ्रेंचबीन किस्म के पौधे चढ़ने वाले मध्यम ऊँचाई लगभग 2.5 मीटर के होते है और इण्टर नोड की लम्बाई कम होती है| फलियाँ मध्यम लम्बी 14 सेंटीमीटर, गोल, गूदेदार, रेशारहित एवं हल्के हरे रंग की होती है| बुवाई के 60 दिन में हरी फलियाँ प्रथम तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है|
स्वर्ण लता- इस किस्म के पौधे चढ़ने वाले, फलियाँ गोल, गूदेदार, रेशारहित अच्छी गुणवत्ता वाली होती है| फलियाँ बुवाई के 50 से 60 दिन में प्रथम तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है| इस किस्म की पैदावार 100 से 125 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है|
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