शहीद भगत सिंह (Bhagat Singh) भारत के प्रमुख क्रांतिकारियों और स्वतन्त्रता सेनानियों में से एक थे| भगत सिंह का जन्म 28 सितम्बर 1907 को किशन सिंह व विद्यावती के घर जिला लायलपुर, पंजाब (अब पाकिस्तान में) में हुआ था| शहीद भगत सिंह का परिवार जाट सिख था| उन्होंने “नौजवान भारत सभा” सगंठन की भी स्थापना की थी|
जिसका विलय बाद में भारत एकता और आजादी के लिए चंद्रशेखर आजाद के सगंठन में कर दिया और उसको नया नाम दिया गया| यहाँ हम प्रकाश डालेगें भगत सिंह विचारों पर जो वो कह गये| वो विचार भारत को आजादी दिलाने के लिए भारतीय नागरिकों और विशेषकर युवाओं के लिए काफी थे जो बाद में उनकी प्रेरणा के स्रोत बने| तो आइए जानते है वो महान विचार या शब्द क्या थे|
भगत सिंह के अनमोल विचार
भारत के प्रमुख क्रांतिकारियों और स्वतन्त्रता सेनानियों में से एक शहीद भगत सिंह के कहे अनेक अनमोल वचन हैं, जिन्हें हर भारतीयों को जानना चाहिए| जो इस प्रकार है, जैसे-
भगत सिंह के 10 अनमोल वचन
1. मेरा धर्म देश की सेवा करना है|
2. जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दुसरों के कंधों पर तो सिर्फ जनाजे उठाएं जा सकते है|
3. प्रेमी, पागल और कवि, एक ही (सिक्के के पहेलु है) चीज से बने होते है|
4. व्यक्तियों को कुचलकर, वे उनकें विचारों को नही मार सकते|
5. देशभक्तों को अक्सर, लोग पागल कहते है| -भगत सिंह
6. यह एक काल्पनिक आदर्श है, कि आप किसी भी कीमत पर अपने बल का प्रयोग नही करते| नया आंदोलन जो हमारे देश से आरम्भ हुआ है, जिसकी शुरुवात की हम चेतावनी दे चुके है| वह गुरुगोविंद सिंह और शिवाजी महाराज, कमल पाशा और राजा खान, वाशिंगटन और गैरीबाल्डी, लाफिएतेते और लेनिन के आदर्शो से प्रेरित है|
7. राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है| मै एक ऐसा पागल हु, जो जेल में भी आजाद है|
8. सूर्य विश्व में हर किसी देश पर उज्ज्वल होकर गुजरता है, परन्तु उस समय कोई ऐसा देश नही होगा| जो भारत देश के समान इतना स्वतंत्र, इतना खुशहाल और इतना प्यारा हो|
9. यदि बहरो को सुनाना है, तो आवाज को बहुत जोरदार होना होगा| जब हमनें बम गिराया तो, हमारा मकसद किसी को मारना नही था, हमनें अंग्रेजी हुकुमत पर बम गिराया था| अंग्रेजो को भारत छोड़ना चाहिए, उसे आजाद करना चाहिए|
10. मनुष्य तभी कुछ करता है, जब उसे अपने कार्य का उचित होना सुनिश्चित होता है| जैसा की हम विधान सभा मे बम गिराते समय थे, जो मनुष्य इस शब्द का उपयोग या दुरूपयोग करते है| उनके लाभ के हिसाब के अनुसार, इसे अलग अलग अर्थ और व्याख्या दिए जाते है| -भगत सिंह
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भगत सिंह के 20 अनमोल वचन
11. किसी को क्रांति शब्द की व्याख्या, शाब्दिक अर्थ में नही करनी चाहिए| जो लोग इस शब्द का उपयोग या दुरूपयोग करते है, उनके फायदे के हिसाब से इसे अलग अलग अर्थ और और अभिप्राय दिए जाते है|
12. जरूरी नही था की क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो, यह बम और पिस्तौल का पंथ नही था|
13. कोई भी व्यक्ति जो जीवन में आगे बढ़ने के लिए तैयार खड़ा हो, उसे हर एक रुढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी| उसे अविश्वास करना होगा, उसे चुनोती भी देना होगा|
14. आमतौर पर लोग जैसी चीज है, उसके आदी हो जाते है| वे बदलाव के विचार से ही कांपने लगते है, हमे इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी की भावना में बदलने की जरूरत है|
15. किसी भी इंसान को मारना आसान है, परन्तु उनकें विचारों को नही| महान साम्राज्य टूट जाते है तबाह हो जाते है, जबकि उनके विचार बच जाते हैं| -भगत सिंह
16. मैं इस बात पर जोर देता हूँ, की मैं महत्त्वाकांक्षा, आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूँ| पर जरूरत पड़ने पर ये सब त्याग सकता हूँ, वही सच्चा बलिदान है|
17. अहिंसा को आत्मबल के सिधांत का समर्थन प्राप्त है, जिसे अंततः प्रतिद्वंद्वी पर जीत की आशा में कष्ट सहा जाता है| लेकिन तब क्या हो, जब ये प्रयास अपना लक्ष्य प्राप्त करने में असफल हो जाए| तभी हमे आत्मबल को शारीरिक बल से जोड़ने की जरूरत पड़ती है, ताकि हम अत्याचारी और क्रूर दुश्मन के रहमोकरम पर ना निर्भर करें|
18. कानून की पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है, जब तक की वो लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति करें|
19. मैं एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है, उसे मुझे मतलब है|
20. निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार, ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण है| -भगत सिंह
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भगत सिंह के 30 अनमोल वचन
21. हम नौजवानों को बम और पिस्तौल उठाने की सलाह नही दे सकते, विधार्थियों के लिए और भी महत्वपूर्ण काम है| राष्ट्रीय इतिहास के नाजुक समय में नौजवानों पर बहुत बड़े दायित्व का भार है, सबसे ज्यादा विधार्थी ही तो आजादी की लड़ाई में अगली पांतो में लड़ते हुए शहीद हुए है| क्या भारतीय नौजवान इस परीक्षा के समय में वही संजीदा इरादा दिखने में झिझक दिखाएगे?
22. किसी ने सच्च ही कहा है, सुधार बूढ़े आदमी नही कर सकते| वे तो बहुत बुद्धिमान और समझदार होते है, सुधार तो युवकों के परिश्रम, सहास, बलिदान और निष्ठा से होते है| जिनकों भयभीत होना आता ही नही, जो विचार कम और अनुभव अधिक करते है|
23. सीने पर जो जख्म है, सब फूलोँ के गुच्छे है| हमें पागल ही रहने दो, हम पागल ही अच्छे है|
24. दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फत, मेरी मिट्टी से भी खुशबू ए-वतन आएगी|
25. लिख रहा हु मैं अंजाम, जिसका कल आगाज आएगा| मेरे लहू का हर एक कतरा, इंकलाब लाएगा| -भगत सिंह
26. सर्वगत भाईचारा तभी हासिल हो सकता है, जब समानताएं हों सामाजिक, राजनैतिक एवं व्यक्तिगत|
27. मेरा जीवन एक महान लक्ष्य के लिए समर्पित है, देश की आजादी| दुनिया कोई अन्य आकर्षित वस्तु, मुझे लुभा नही सकती|
28. क्रांति लाना किसी भी इंसान की ताकत के बहार की बात है, क्रांति कभी भी अपने आप नही आती| बल्कि किसी वातावरण, सामाजिक व आर्थिक परिस्थितियों, में ही क्रांति लाई जा सकती है|
29. अपने दुश्मन से बहस करने के लिए, उसका अभ्यास करना बहुत जरूरी है|
30. बाबाजी मैंने जीवन मैं कभी वाहेगुरु को याद नही किया, कई बार तो मैंने देश की अवन्ती और लोगों के दुःख के लिए उन्हें दोषी ठहराया है| अब जब मौत मेरे सामने खड़ी है, वाहेगुरु गुरु की अरदास करू तो वह कहेगा की मैं बहुत डरपोक और बेईमान आदमी हूँ| अब मुझे इस संसार से वसे ही विदा हो जाने दो जैसा मैं हूँ, मेरी क्रांति यह नही कहेगी की भगत सिंह कायर था| उसनें अपनी मौत से घबराकर, वाहेगुरु गुरु को याद किया था| -भगत सिंह
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भगत सिंह के 40 अनमोल वचन
31. हमें धैर्यपूर्वक फांसी की प्रतीक्षा करनी चाहिए, यह मृत्यु सुंदर होगी| परन्तु आत्महत्या करना, केवल कुछ दुखों से बचने के लिए अपने जीवन को समाप्त कर देना तो कायरता है| मैं आप को बताना चाहता हूँ, की आपत्तियां व्यक्ति को पूर्ण बनाने वाली है|
32. मजिस्ट्रेट साहब आप भाग्यशाली है, कि आज आप अपनी आखों से देखने का ये अवसर पा रहे है| कि भारत के क्रांतिकारी, किस प्रकार प्रसन्तापूर्वक अपने सर्वोच्च आदर्श के लिए मृत्यु का आलिंगन कर सकते है|
33. आज मेरी कमजोरियां लोगों के सामने नही है, अगर मैं फांसी से बच गया तो वे जगजाहिर हो जाएगी| इंकलाब का निशान मंध पड़ जाएगा या मिट ही जाए, लेकिन मेरे दिलेराना ढंग से हंसते हंसते फांसी पाने की सुरत में हिन्दुस्तानी माताएं अपने बच्चों को भगत सिंह बनाने की आरजू करेगी| देश की आजादी के लिए बलिदान देने वालो की तादाद इतनी बढ़ जाएगी, कि इंकलाब को रोकना साम्राज्यवाद के तमाम शैतानी कुबतों के बस की बात न रहेगी|
34. मेरा नाम हिन्दुस्तान इंकलाब पार्टी का निशान बन चूका है, इंकलाब पसंद पार्टी के आदर्शो और बलिदानों ने मुझे इतना उच्चा कर दिया है| इतना ऊँचा की जिन्दा रहने की सुरत में इसे ऊँचा मै हरगिज नही हो सकता, इसके सिवाय कोई लालच मेरे दिल मे फांसी से बचें रहने के लिए कभी नही आया| मुझसे ज्यादा खुशकिस्मत कौन होगा, मुझे आज तक खुद पर बहुत नाज है| मुझमें अब कोई ख्वाहिश बाकि नही है, अब तो बड़ी बेताबी से आखरी इम्तहा का इंतजार है|
35. जैसे पुराना कपड़ा उतार कर नया बदला जाता है, वैसे ही मृत्यु है| मैं उसे डरूंगा नही और न ही भागूँगा, कोशिश करुगा की पकड़ा जाऊ पर यू ही नही की पुलिस आई और पकड़ कर ले गई| मेरे पास एक तरीका है, की कैसे पकड़ा जाऊ| मौत आएगी आएगी ही पर मैं अपनी मौत को इतनी महंगी और भारी बना दुगा, कि बिर्टिश सरकार रेत के ढेर की तरह उसके बोझ से ढक जाए| -भगत सिंह
36. जिंदा रहने की ख्वाहिश कुदरती तौर पर मुझमे भी होनी चाहिए, मैं इसको छिपाना नही चाहता| लेकिन मेरा जिंदा रहना एक शर्त पर है, कि मैं कैद होकर या पाबंद होकर जिंदा नही रहना चाहता|
37. यदि हमारे नौजवान इसी तरह प्रयत्न करते जाएगे, तब जाकर एक साल में स्वराज्य तो नही| किन्तु भारी कुर्बानी और त्याग की कठिन परीक्षा में से गुजरने के बाद वे अवश्य विजयी होगे, क्रांति चिरंजीवी हों|
38. हमारे दल को नेताओं की आवश्यकता नही है, अगर आप दुनियादार है| बाल बच्चों और कुटुम्ब में फसे है, तो हमारे मार्ग पर मत आइए| यदि आप हमारे उद्देश्य में सहानुभूति रखते है, तो और तरीकों से हमे सहयता दीजिए| नियन्त्रण में रह सकने वाले कार्यकर्ता ही, इस आंदोलन को आगे ले जा सकते है|
39. यदि आप सोलह आन्ने के लिए लड़ रहें है, और एक आन्ना मिल जाता है| तो वह एक आन्ना जेब में डालकर, बाकि 15 आन्ने के लिए जंग छेड़ दीजिए| हिन्दुस्तान के नरमपंथियों की जिस बात से हमे नफरत है, वह यही है कि उनका आदर्श कुछ नही है| वे एक आन्ने के लिए ही लड़ते है, और उन्हें मिलता कुछ भी नही| -भगत सिंह
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