मेहंदी की खेती (Henna cultivation), मेहँदी एक बहुवर्षीय झाड़ीदार फसल है, जिसे व्यवसायिक रूप से पत्ती उत्पादन के लिए उगाया जाता है| मेहंदी प्राकृतिक रंग का एक प्रमुख स्रोत है| उत्सव के अवसरों पर मेहँदी की पत्तियों को पीस कर सौन्दर्य के लिए हाथ एवं पैरों पर लगाते हैं| सफेद बालों को रंगने के लिए भी मेहँदी की पत्तियों का प्रयोग किया जाता है| इसका सिर पर प्रयोग करने से रुसी की समस्या भी दूर हो जाती है| इसकी पत्तियां चर्म रोग में भी उपयोगी है|
गर्मी के मौसम में हाथ तथा पैरों में जलन होने पर भी मेहँदी की पत्तियों को पीसकर लगाया जाता है| इसका उपयोग किसी भी दृष्टिकोण से शरीर के लिए हानिकारक नहीं है| मेहँदी की हेज घर, कार्यालय और उद्यानों में सुन्दरता के लिए लगाते है| मेहंदी शुष्क एवं अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में बहुवर्षीय फसल के रूप में टिकाऊ खेती के सबसे अच्छे विकल्पों में से एक है| मेंहदी की खेती पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक है|
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मेहंदी की खेती के लिए किस्में
अधिकारिक तौर पर अभी तक मेहँदी की कोई उन्नत किस्म विकसित नहीं हुई है| इसलिए स्थानीय फसल से ही स्वस्थ, चौड़ी व घनी पत्तियों वाले एक जैसे पौधों के बीज से ही पौध तैयार कर फसल की रोपाई करें|
मेहंदी की खेती के लिए खेत की तैयारी
मेहंदी की खेती हेतु वर्षा ऋतु पूर्व खेत की मेड़बन्दी करें, अवांछनीय पौधों को उखाड़कर लेजर लेवलर की सहायता से खेत को समतल करें| इसके बाद डिस्क एवं कल्टीवेटर से जुताई कर भूमि को भुरभुरा बना लें|
मेहंदी की खेती के लिए खाद और उर्वरक
खेत की अंतिम जुताई पर 10 से 15 टन सड़ी देशी खाद और 250 किलो ग्राम जिप्सम प्रति हेक्टर की दर से भूमि में मिलावें और 60 किलो ग्राम नत्रजन तथा 40 किलो ग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टर की दर से खड़ी फसल में प्रति वर्ष प्रयोग करें| फास्फोरस की पूरी मात्रा एवं नत्रजन की आधी मात्रा पहली बरसात के बाद निराई गुड़ाई के समय भूमि में मिलावें तथा शेष नत्रजन की मात्रा उसके 25 से 30 दिन बाद वर्षा होने पर दें|
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मेहंदी की खेती के लिए प्रवर्धन तकनीक
मेहंदी को सीधा बीज द्वारा या पौधशाला में पौध तैयार कर रोपण विधि से या कलम द्वारा लगाया जा सकता है| हेज लगाने के लिए प्रवर्धन की तीनों विधियां काम में ली जाती हैं| लेकिन व्यवसायिक खेती के लिए पौध रोपण विधि ही सर्वोत्तम है|
मेहंदी की खेती के लिए पौध तैयार करना
एक हेक्टर भूमि पर पौध रोपण के लिए करीब 6 किलो बीज द्वारा तैयार पौध पर्याप्त होती है| इस के लिए 1.5 X 10 मीटर आकार की 8 से 10 क्यारियां अच्छी तरह बनाकर मार्च से अप्रैल माह में बीज की बुवाई करें| मेहँदी का बीज बहुत कठोर एवं चिकना होता है और सीधा बोने पर अंकुरण कम मिलता है|
इसलिए अच्छा अंकुरण पाने के लिए बुवाई से करीब एक सप्ताह पहले बीज को टाट या कपड़े के बोरे में भरकर पानी के टैंक में भिगोंवें एवं टेंक का पानी प्रतिदिन बदलते रहें| इसके बाद बीज को कार्बेन्डाजिम 2.50 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित कर छिटकवां विधि से बुवाई करें|
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मेहँदी की खेती के लिए पौध रोपण
जुलाई माह में अच्छी वर्षा होने पर पौधशाला से पौधे उखाड़कर सिक्रेटियर द्वारा थोड़ी-थोड़ी जड़ एवं शाखाएँ काट दें| खेत में नुकीली खूटी या हलवानी की सहायता से 30 X 50 X 50 एवं 50 सेंटीमीटर की दूरी पर पंक्तियों में छेद बनावें और प्रति छेद 1 से 2 पौधे रोपकर जड़ें मिट्टी में अच्छी तरह दबा दें| पौध लगाने के बाद अगर वर्षा न हो तो सिंचाई कर देनी चाहिए|
मेंहदी में 30 X 250 सेंटीमीटर की दूरी पर ट्रैक्टर चलित यंत्रों द्वारा समय पर निराई गुड़ाई कर प्रभावी रूप से खरपतवार नियंत्रण एवं क्षेत्र नमी संरक्षण के साथ-साथ पतझड़ की समस्या में कमी व पत्ती उत्पादन में सुधार के उद्देश्य से उपयुक्त पाया गया है|
मेहंदी की खेती के साथ अंतरवर्ती फसल
मेहंदी की खेती के लिए 2 पंक्तियों के बीच खरीफ या रबी ऋतु में दलहन व अन्य कम ऊँचाई वाली फसलें उगाकर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त की जा सकती है| अंतरवर्ती फसल के उत्पादन और आमदनी की दृष्टि से खरीफ में मूंग एवं रबी में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होने पर इसबगोल व असालिया सबसे उपयुक्त फसलें पायी गयी हैं|
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मेहंदी की खेती में निराई-गुड़ाई
मेहंदी की खेती के अच्छे फसल प्रबन्धन में निराई गुड़ाई का महत्वपूर्ण स्थान है| जून से जुलाई में प्रथम वर्षा के बाद बैलों के हल व कुदाली से निराई गुड़ाई कर खेत को खरपतवार रहित बना लें| गुड़ाई अच्छी गहराई तक करें ताकि भूमि में वर्षा का अधिक से अधिक पानी संरक्षित किया जा सके|
मेहंदी की फसल की कटाई
पत्ती उत्पादन एवं गुणवत्ता की दृष्टि से पुष्पावस्था कटाई के लिए सर्वोत्तम है| आमतौर पर मेहंदी की कटाई सितम्बर से अक्टूबर माह में की जाती है| कटाई तेज धार वाले हसिया से हाथ में चमड़े के दस्ताने पहनकर की जाती है| फसल काटने के 18 से 20 घंटे तक मेहंदी को खुला छोड़ें और इसके बाद एकत्र कर ढेरी बना लें| ऐसा करने से मेंहदी की गुणवत्ता में सुधार आता है| मेहँदी सूखने पर हाथ या डण्डे से पीटकर या झाड़कर पत्तियों को अलग कर लें| पत्तों की झड़ाई का कार्य पक्के फर्श पर करना चाहिए|
मेहंदी की खेती से पैदावार
प्रथम वर्ष मेहंदी की पैदावार क्षमता का केवल 5 से 10 प्रतिशत उत्पादन ही प्राप्त हो पाता है| मेंहदी की फसल रोपण के 3 से 4 साल बाद अपनी क्षमता का पूरा उत्पादन देना शुरू करती है, जो करीब 20 से 30 वर्षों तक बना रहता है| सामान्य स्थिति में फसल से प्रति वर्ष करीब 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टर सूखी पत्तियों का उत्पादन होता है| मेहंदी के खेत में कुछ पौधे दीमक कीट, जड़गलन बीमारी तथा अन्य कारणों से सूख जाते हैं| जिनकी जगह समय-समय पर पौध रोपण कर देना चाहिए, नही तो उत्पादन कम हो जाता है|
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