लक्ष्मीबाई, झाँसी की रानी, उत्तर भारत में मराठा राज्य झाँसी की एक भारतीय रानी थी जो वर्तमान में भारत के उत्तर प्रदेश में झाँसी जिले में मौजूद है| उनका जन्म 19 नवंबर 1828 को वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था| उनका पूरा नाम मणिकर्णिका तांबे था| मई 1842 में उनका विवाह झाँसी के महाराजा, गंगाधर राव नेवालकर से हुआ था और बाद में उन्हें हिंदू देवी लक्ष्मी के सम्मान में लक्ष्मीबाई कहा जाने लगा और विवाह के बाद महिलाओं को एक नया नाम दिए जाने की महाराष्ट्रीय परंपरा के अनुसार|
वह 1857 के भारतीय विद्रोह की अग्रणी शख्सियतों में से एक थीं और भारतीय राष्ट्रवादियों के लिए ब्रिटिश राज के प्रतिरोध का प्रतीक बन गईं| उनकी मृत्यु 18 जून 1858 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुई, उनकी मृत्यु का कारण कार्रवाई में हुई हत्या थी| इस लेख में रानी लक्ष्मीबाई के कुछ विचार और नारों का उल्लेख किया गया है|
रानी लक्ष्मीबाई के नारे
1. “मै अपने झांसी का आत्म समर्पण नही होने दूंगी|”
2. “मैदाने जंग मे मारना है, फिरंगी से नही हारना है|”
3. “मेरे स्वर्गीय पति ने शान्ति की कला पर अपना ध्यान समर्पित किया|”
4. “हम सब एक साथ ग्वालियर मे अंग्रेजों पर हमला करेंगे|”
5. “हम स्वयं को तैयार कर रहे है, यह अंग्रेजो से लड़ने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है|”
6. “यह सभी को पता है ये अंग्रेज, सभी धर्म के खिलाफ है|”
7. “यदि युद्ध के मैदान मे हार गये और मारे गए तो निश्चित रूप से मोक्ष प्राप्त करेंगे|”
8. “हम आजादी के लिए लड़ते है अगर कृष्ण के शब्दो मे कहें तो, हम विजयी होंगे तो विजय के फल का आनन्द लेंगे|”
9. “मैं हिंदुओं को गूंगा, टोलसी और सालिकराम के नाम पर और मुसलमानों को भगवान और कुरान के नाम पर प्रेरित करता हूं और उनसे विनती करता हूं कि वे अपने पारस्परिक कल्याण के लिए अंग्रेजों को नष्ट करने में हमारे साथ शामिल हों|”
10. “उन्होंने मिशनरियों के माध्यम से धार्मिक पुस्तकों के उत्पादन और प्रसार द्वारा हिंदू और मोहम्मद धर्मों को दूषित करने का प्रयास किया|”
रानी लक्ष्मीबाई के उद्धरण
1. “दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी, चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी|”
2. “बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी|”
3. “मातृभूमि के लिए झांसी की रानी ने जान गवाई थी, अरि दल कांप गया रण में, जब लक्ष्मीबाई आई थी|”
4. “हर औरत के अंदर है झाँसी की रानी, कुछ विचित्र थी उनकी कहानी| मातृभूमि के लिए प्राणाहुति देने को ठानी, अंतिम सांस तक लड़ी थी वो मर्दानी|
5. “रानी लक्ष्मी बाई लड़ी तो, उम्र तेईस में स्वर्ग सिधारी| तन मन धन सब कुछ दे डाला, अंतरमन से कभी ना हारी|”
6. “मुर्दों में भी जान डाल दे, उनकी ऐसी कहानी है| वो कोई और नहीं, झांसी की रानी हैं|”
7. “अपने हौसले की एक कहानी बनाना, हो सके तो खुद को झांसी की रानी बनाना|”
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