आचार्य विनोबा भावे भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता और भारत के प्रसिद्ध गांधीवादी नेता थे| उनका मूल नाम विनायक नरहरि भावे था| 11 सितंबर 1895 को जन्मे आचार्य विनोबा भावे एक प्रभावशाली भारतीय समाज सुधारक, दार्शनिक और आध्यात्मिक नेता थे| उन्होंने अपनी शिक्षा बड़ौदा (अब वडोदरा), गुजरात में प्राप्त की, अपने कॉलेज के वर्षों के दौरान वह महात्मा गांधी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गये|
उन्हें भूदान (भूमि उपहार) आंदोलन और सामाजिक परिवर्तन के लिए अहिंसक तरीकों को बढ़ावा देने में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है| विनोबा भावे के पिता एक बहुत अच्छे बुनकर थे और उनकी माँ एक धार्मिक महिला थीं| विनोबा भावे का बचपन का पालन-पोषण उनके दादा ने किया क्योंकि उनके पिता काम के कारण बड़ौदा में रहते थे| इस कारण उनके पालन-पोषण में उनके दादाजी का बहुत बड़ा योगदान था|
विनोबा भावे ने अपने अंतिम दिनों तक समाज सुधार के लिए अपना कार्य जारी रखा| 15 नवंबर 1982 को उनका निधन हो गया और वे अपने पीछे करुणा, निस्वार्थता और समाज के उत्थान के प्रति समर्पण की विरासत छोड़ गये| आइए इस लेख के माध्यम से जीवन में और अधिक करने की आग को प्रज्वलित करने के लिए विनोबा भावे के कुछ उल्लेखनीय उद्धरणों, नारों और पंक्तियों पर एक नज़र डालें|
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विनोबा भावे के उद्धरण
1. “यदि कोई मनुष्य इस शरीर पर विजय प्राप्त कर ले तो संसार में कौन उस पर अधिकार कर सकता है? जो स्वयं पर शासन करता है वह संपूर्ण विश्व पर शासन करता है|”
2. “हम पुराने हथियारों से नये युद्ध नहीं लड़ सकते|”
3. “मानव जीवन संस्कारों के खेल से भरा है, बार-बार किए गए कार्यों से विकसित होने वाली प्रवृत्तियाँ|”
4. “भगवद गीता में, कोई लंबी चर्चा नहीं है, कुछ भी विस्तृत नहीं है| इसका मुख्य कारण यह है कि गीता में कही गई हर बात हर मनुष्य के जीवन में परीक्षण के लिए है; इसका उद्देश्य व्यवहार में सत्यापन करना है|”
5. “अहिंसा में आपको पूरे जोश के साथ आगे बढ़ना होगा, यदि आप चाहते हैं कि अच्छाई तेजी से आए तो आपको पूरे जोश के साथ आगे बढ़ना होगा|” -विनोबा भावे
6. “यद्यपि कर्म योग और संन्यास नाम अलग-अलग हैं, लेकिन दोनों का मूल सत्य एक ही है|”
7. “जब कोई बात सत्य होती है तो उसे प्रमाणित करने के लिए किसी तर्क की आवश्यकता नहीं होती|”
8. “हमने अनुभव से देखा है कि, यदि हमें एक ही सड़क पर नियमित रूप से चलने की आदत है, तो हम चलते समय अपने कदमों पर ध्यान दिए बिना, अन्य चीजों के बारे में सोचने में सक्षम होते हैं|”
9. “गीता पर चर्चा’ मेरे जीवन की कहानी है, और यही मेरा संदेश भी है|”
10. “जब हमारा जीवन सीमाओं के भीतर और स्वीकृत, अनुशासित तरीके से आगे बढ़ता है, तभी मन मुक्त हो सकता है|” -विनोबा भावे
11. “हम अपने शैशव काल के कार्यों को भी याद नहीं कर पाते, हमारा बचपन स्लेट पर लिखी और घिसी हुई चीज़ के समान है|”
12. हमारे द्वारा हर समय असंख्य क्रियाएं चलती रहती हैं| यदि हमने उन्हें गिनना शुरू कर दिया, तो हमें कभी भी समाप्त नहीं होना चाहिए|”
13. “नदी अपनी इच्छा से बहती है, परन्तु बाढ़ दोनों किनारों से बँधी होती है| यदि यह इस प्रकार बाध्य नहीं होता, तो इसकी स्वतंत्रता व्यर्थ हो जाती|”
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14. “भगवान हमें भीतर से मार्गदर्शन करते हैं, इससे ज्यादा वह कुछ नहीं कर सकते| ईश्वर द्वारा हमें कुम्हार की तरह आकार देने में कोई आकर्षण नहीं है, हम मिट्टी के सामान नहीं हैं; हम चेतना से परिपूर्ण प्राणी हैं|”
15. “अपने आप को यह कल्पना करने की अनुमति न दें, कि क्रांतिकारी सोच को सरकारी शक्ति द्वारा प्रचारित किया जा सकता है|” -विनोबा भावे
16. “किसी देश की रक्षा हथियारों से नहीं, बल्कि नैतिक आचरण से करनी चाहिए|”
17. “सभी क्रांतियाँ स्रोत पर आध्यात्मिक हैं| मेरी सभी गतिविधियों का एकमात्र उद्देश्य दिलों का मिलन प्राप्त करना है|”
18. “यदि हम चाहते हैं कि हमारा स्वभाव स्वतंत्र एवं आनंदमय हो तो हमें अपनी गतिविधियों को भी उसी क्रम में लाना चाहिए|”
19. “किसी की आत्मा की स्वाभाविक गति ऊर्ध्वमुखी होती है| परन्तु जिस प्रकार किसी भी वस्तु पर भारी बोझ बाँधने पर वह नीचे की ओर खिंचती है, उसी प्रकार शरीर का बोझ आत्मा को नीचे की ओर खींचता है|”
20. “यदि हम केवल शरीर की उन बेड़ियों को तोड़ सकें जो आत्मा के पैरों को बांधती हैं, तो हमें बड़े आनन्द का अनुभव होगा| तब हम शरीर के कष्टों के कारण दुखी नहीं होंगे, हम आज़ाद हो जायेंगे|” -विनोबा भावे
21. “जीवन का अर्थ केवल कर्म या केवल भक्ति या मात्र ज्ञान नहीं है|”
22. “मैं यहोवा की मूरत की उपासना तो करूंगा, परन्तु यदि वह भक्ति सहित न हो, तो वह काम व्यर्थ है| श्रद्धा के अभाव में मूर्ति भी पत्थर का एक टुकड़ा मात्र रह जाएगी और मैं भी, और पूजा का अर्थ केवल इतना होगा कि पत्थर का मुख पत्थर की ओर है|”
23. “यह एक अजीब घटना है कि भगवान ने गरीबों के दिलों को अमीर बनाया है और अमीरों के दिलों को गरीब बनाया है|”
24. “हम लगातार गीता की ओर क्यों देखते हैं इसका मुख्य कारण यह है कि, जब भी हमें मदद की आवश्यकता हो, हम गीता से मदद प्राप्त कर सकें और वास्तव में, हमें यह हमेशा मिलती है|”
25. “संयोग, परिवर्तन और परिवर्तनशीलता की इस दुनिया में, किसी भी संकल्प की पूर्ति भगवान की इच्छा पर निर्भर करती है|” -विनोबा भावे
26. “हाथ में तलवार होना हिंसक मन का निश्चित संकेत है, लेकिन केवल तलवार फेंक देने से कोई अहिंसक नहीं बन जाता|”
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