सोयाबीन में एकीकृत कीट प्रबंधन, यह मानसून पर आधारित हमारे देश की खरीफ की प्रमुख फसल है| सोयाबीन का प्रयोग हमारे देश में प्रोटीन एवं तेल के लिए होता है| जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के घरेलू एवं औद्योगिक कार्य में किया जाता है| गेहूं और मक्का के आटे के साथ सोयाबीन का आटा मिलाकर चपाती बनाने उनकी पोष्टिकता तथा खाद्य गुणों में वृद्धि हो जाती है|
इसमें स्टार्च की मात्रा कम होने से मधुमेह और अग्निमंदिता के रोगियों के लिये विशेष रूप से लाभदायक है| सोयाबीन की खल्ली एवं भूसा जानवरों तथा मुर्गियों के लिये एक उत्तम भोजन है| खल्ली का प्रयोग खेत में खाद की के लिए भी किया जाता है| सोयाबीन की खेती की पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें- सोयाबीन की खेती- किस्में, रोकथाम व पैदावार
सोयाबीन की फसल को कीट एवं रोगों द्वारा बहुत क्षति होती है और उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है| सोयाबीन की फसल को मुख्य रूप से तना मक्खी, चक्रभृग, तम्बाकू को इल्ली, रोमिल इल्ली, सेमीलूपर, सफेद मक्खी और चने की इल्ली नुकसान पहुंचाते है|
इन कीट की सही रोकथाम हेतु आज हमें एकीकृत प्रबंधन तकनीकी अपनाना अति आवश्यक हो गया है| सोयाबीन की फसल में विभिन्न कीटों का आर्थिक हाँनि स्तर फसल की अलग अलग अवस्थाओं में इस प्रकार है, जैसे-
नीला भूग- चार भुंग प्रति मीटर कतार|
हरी अर्द्धकुण्डलक इल्ली- (फूल आते समय) 4 इल्ली प्रति मीटर कतार और (फली बनते समय) 3 प्रति मीटर कतार|
रोमिल इल्ली- (फूल आने से पूर्व) 10 इल्ली प्रति मीटर कतार|
तम्बाकू की इल्ली- (फूल आने से पूर्व) 10 इल्ली प्रति मीटर कतार|
फली भेदक इल्ली- (फली बनते समय) 5 इल्ली प्रति मीटर कतार|
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सोयाबीन के कीट और एकीकृत प्रबंधन
यद्पि सोयाबीन की खेती पर लगभग 300 प्रकार के कीट आकर्षित होते पाये गये है, किन्तु उनमें से मात्र 9 से 10 प्रकार के कीट ही उसे आर्थिक नुकसान पहुंचाते है| पिछले कुछ वर्षों से सोयाबीन पर चने की इल्ली का प्रकोप भी लगातार देखा जा रहा है|
कीट को यदि उचित तरीके से उचित समय तथा उचित तकनीक से नियत्रित न किया जाये तो सोयाबीन की पैदावार में 30 से 50 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है| इस नुकसान को कम करने के लिए एकीकृत या समेकित कीट प्रबंधन तकनीकी अपनाने की अनुशंसा की जाती है|
सोयाबीन फसल में समेकित कीट प्रबंधन
अन्य सभी फसलों की तरह, सोयाबीन में भी हानिकारक कीटों के साथ-साथ लाभदायक या मित्र कीटों का अस्तित्व होता है| मित्र कीट नैसर्गिक रुप से हानिकारक कीटों का शोषण करके नष्ट करते है, जिससे प्राकृतिक संतुलन बना रहता है|
किन्तु रसायनिक कीटनाशकों के बढ़ने और वांछित उपयोग से फसल में लाभदायक कीटों की होने वाली कमी की रोकथाम के लिए एकीकृत कीट प्रबंधन की तकनीकी अपनाना अत्यंत आवश्यक है|
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सोयाबीन में कीट नियंत्रण के विभिन्न घटक
ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई- गर्मी के मौसम में खेत की गहरी जुताई करने से भूमि में छिपे कीटों की विभिन्न अवस्थाएं बीमारियों के जीवाणु और खरपतवारों के बीज नष्ट हो जाते है|
उचित किस्म का चयन- जलवायु क्षेत्र के लिये अनुशंसित विभिन्न समयावधि में पकने वाली 3 से 4 किस्म की काश्त करने से कटाई में सुविधा के साथ-साथ कीटों का प्रकोप भी कम होता है|
संतुलित पोषण- सोयाबीन उत्पादन के लिये अनुशासित पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग आवश्यक है| नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों के अधिक उपयोग से चक्र भंग और पत्ती खाने वाले कीटों का प्रकोप अधिक होता है| पोटाश, पौधों को कीटों के प्रति प्रतिरोधकता प्रदान करता है|
उचित बीज दर- बीज दर अधिक होने से खेत में फसल घनी हो जाती है, जिससे चक्र भूग और इल्लियों का प्रकोप बढ़ जाता है| साथ ही पौधों की बढ़वार अधिक होने से फसल गिरने की आशंका बनी रहती है| इससे पैदावार में भी प्रतिकूल असर होता है|
कीट ग्रसित पौधों को नष्ट करना- चक्र भुंग द्वारा ग्रसित सुखी पत्तियों को तोड़कर नष्ट करने और तम्बाकू की इलियों एवं रोमिल इल्लियों की प्रारंभिक अवस्था द्वारा ग्रसित पौधों को निकाल देने से रासायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता कम पडती है, साथ ही साथ मित्र कीट भी सुरक्षित रह कर प्राकृतिक रूप से हानिकारक कीटों का नाश करते रहते है|
प्रकाश प्रपंच का उपयोग- पत्ती खाने वाली इल्लियों एवं सफेद सुंडी रात के समय प्रकाश की और आकर्षित होते हैं। इससे उन्हें नष्ट किया जा सकता है| इससे आने वाले दिनों में आक्रमण करने वाले कीटों की संभावना पता चलती है|
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सोयाबीन में जैविक कीटनाशकों का प्रयोग
पर्यावरण सुरक्षा और दीर्घकालीन लाभ की दृष्टि से कीट-प्रबंधन के लिए बैक्टीरिया आधारित जैविक कीटनाशक, जैसे- डायपेल, बायबिट आदि या फफूद आधारित जैविक कीटनाशकों जैसे बायोसॉफ्ट, बायोरिन या डिस्पेल आदि की एक लीटर मात्रा का प्रति हेक्टेयर छिडकाव करें|
तंबाकू व चने की इल्ली के प्रभावी नियंत्रण के लिए उसका पहली या दूसरी अवस्था में कीट – विशेष न्यूक्लियर पोलिहेड्रोसिस वायरस (जैसे- बिरिन एस, बायोवायरस एस, विरिन एच बायोवारस एच आदि) का छिड़काव करें|
सोयाबीन की फसल में कीटनाशक प्रयोग और सावधानियां
रसायनिक कीटनाशक- नियंत्रण तभी अपनाएं जब उसकी लागत से अधिक आर्थिक लाभ होने की संभावना हो| महंगे रासायनिक कीटनाशकों का समुचित लाभ लेने के लिए निम्न बातें ध्यान रखना आवश्यक है, जैसे-
फसल पर कीटों के प्रकोप के आधार पर ही उचित समय में अनुशंसित कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए| यह सलाह है, कि अनुशंसित रसायनों में से किसी एक का उपयोग करें| विभिन्न कीटों के लिये प्रभावशाली कीटनाशक, उनकी मात्रा और उपयोग का समय इस प्रकार है-
तना मक्खी-
1. थायोमेथाक्जाम 70 डब्ल्यू एस, 3 ग्राम से प्रति किलोग्राम बीज का उपचार करें|
2. सोयाबीन में कीट प्रबंधन हेतु थायोमेथाक्जाम 25 डब्ल्यू जी, 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें|
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नीला भृंग एवं गईल बीटल-
1. सोयाबीन में इस कीट हेतु क्विनालफॉस 25 ई सी,1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें|
2. सोयाबीन में इस कीट के लिए ट्रायझोफॉस 40 ई सी, 0.8 लीटर प्रति छिड़काव करें|
3. इथोफेनप्रॉक्स 10 ई सी, 1.0 लीटर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें|
पत्ती खाने वाली इल्लियाँ-
1. रेनेक्सीपायर 20 एस सी, 100 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर, छिड़काव करें|
2. क्लोरोपाइरीफास 20 ई सी, 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर, छिड़काव करें|
3. क्विनालफॉस 25 ई सी, ।.5 लीटर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें|
4. सोयाबीन में इस कीट हेतु ट्रायझोफॉस 40 ई सी, 0.8 लीटर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें|
5. प्रोफेनोफॉस 50 ई सी, 1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें|
6. इंडॉक्साकार्ब 14.5 एस सी, 0.30 लीटर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें|
7. सोयाबीन में इस कीट हेतु डायफ्लूबैजूरॉन 25 डब्ल्यू पी, 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें|
8. ल्यूफेनूरॉन 5 ई सी, 400 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर, छिड़काव करें|
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चने की इल्ली-
1. लेम्ब्डा सायहैलोथ्रिन 5 ई सी, 300 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर, छिड़काव करें|
2. सोयाबीन में इस कीट हेतु इंडॉक्साकार्ब 14.5 एस सी, 0.30 लीटर प्रति हेक्टेयर, छिड़काव करें|
3. इमामेक्टिन बेजोएट 5 एस जी, 180 ग्राम प्रति हेक्टेयर, छिड़काव करें|
रस चूसने वाले कीट-
1. सोयाबीन में इस कीट हेतु इयोफेनप्रॉक्स 10 ई सी, 1.0 लीटर प्रति हेक्टेयर, छिड़काव करें|
2. डायफेन्यूरॉन 50 डब्ल्यू पी, 0.50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें|
3. सोयाबीन में कीटनाशक के उचित फैलाव व वांछित असर के लिए नैपसैक स्प्रेयर से प्रति हेक्टयर 500 से 750 लीटर पानी की आवश्यकता होती है| जबकि पावर-स्प्रेयर में प्रति हेक्टेयर लगभग 120 से 150 लीटर पानी की आवश्यकता होती है|
4. सोयाबीन में कीट रोकथाम हेतु कीटनाशक के अच्छे फैलाव के लिये कोन-नोझल उपयुक्त होता है|
5. दोपहर के समय मित्र कीट जैसे परजीवी, परभक्षी कीट, मधुमक्खी इत्यादि अधिक सक्रिय होते है, इसलिए कीटनाशकों का छिड़काव सुबह और शाम के समय करना चाहिए|
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