खाद्य तेलों की आपूर्ति बनाए रखने के लिए सरकार रबी एवं खरीफ तिलहन (Kharif oilseeds) फसलों का उत्पादन बढ़ाने पर विशेष जोर दे रही है| ताकि खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों, भुखमरी व कुपोषण जैसी विश्वव्यापी समस्याओं पर काबू पाया जा सके| तिलहन उत्पादन करने वाले मुख्य राज्यों जैसे- मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र [Read More] …
तिलहनी फसलों में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें; अधिक उत्पादन हेतु
तिलहनी फसलों (Oilseed crops) में खरपतवार रोकथाम आवश्यक है, क्योंकि भारत में उगाई जाने वाली फसलों में तिलहनी फसलों का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है| तिलहनी फसलें खाद्य तेल के प्रमुख स्त्रोत हैं| तिलहनी फसलों में प्रमुख रूप से मूंगफली, सोयाबीन, तिल, रामतिल एवं अरण्डी की खेती खरीफ मौसम में सरसों, तोरिया, कुसुम एवं अलसी [Read More] …
राई-सरसों में खरपतवार प्रबंधन कैसे करें; जाने अधिक उत्पादन हेतु
हमारे देश में उगाई जाने वाली तिलहनी फसलों में राई-सरसों का मूंगफली के बाद दूसरा स्थान है| अगर हम इस फसल का पोषक तत्वों चुराते खरपतवारों पर नियंत्रण पा ले तो इसकी पैदावार और भी बढ़ाई जा सकती है| इस समय कुल खाद्य तेल उत्पादन का लगभग एक तिहाई तेल राई-सरसों द्वारा प्राप्त होता है| [Read More] …
तिलहनी फसलों में गंधक का महत्व; जानिए अधिक उत्पादन हेतु
भारत ने कृषि के क्षेत्र और तिलहनी फसलों में बहुत उन्नति की है, जिसमें सिंचाई की उन्नत विधियाँ, सघन खेती तथा नत्रजन उर्वरकों के अधिक उपयोग के कारण फसलों की उपज में निरन्तर वृद्धि हुई है| रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग ने निश्चित रूप से नत्रजन के असंतुलित प्रयोग को बढ़ावा दिया है, जिसके फलस्वरूप गंधक [Read More] …
जीरे की खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, पोषक तत्व, देखभाल, पैदावार
बीजीय मसाला फसलों में उत्पादन एवं क्षेत्रफल के हिसाब से जीरे (Cumin) का प्रथम स्थान है| अतः जीरा एक महत्वपूर्ण बीजीय मसाला है, जो कि उत्तरी मिस्र, तुर्की और पूर्वी भू-मध्य क्षेत्र में उत्पन्न हुआ माना जाता है| जीरे की खेती मुख्य रुप से भारत, तुर्की, ईरान, पाकिस्तान, सीरिया तथा इटली जैसे देशों में की [Read More] …
हाइड्रोजेल का कृषि में महत्व; जाने कम जल में उच्च उत्पादन तकनीक
हाइड्रोजेल (Hydrogel) का कृषि में महत्व, कृषि में जल का महत्व बढ़ती हुई जनसंख्या, कृषि, उद्योग और शहरी आबादी के बीच जल की प्रतिस्पर्धा के चलते कृषि में जल की उत्पादकता बढ़ाना वैश्विक चिंता का विषय है| बारानी खेती के तहत आने वाले उत्पादन क्षेत्र तथा इससे मिलने वाली फसल के मूल्य की दृष्टि से [Read More] …
शुष्क क्षेत्र में जैविक खेती कैसे करें; जानिए आधुनिक तकनीक
हमारे देश के लगभग 12 प्रतिशत (32 लाख हैक्टेयर) भू-भाग में औसत वार्षिक वर्षा 400 मिलीमीटर से कम होती है एवं यह शुष्क क्षेत्र कहलाता है| यह क्षेत्र मुख्यतः उत्तर-पश्चिमी राज्यों राजस्थान, गुजरात व हरियाणा में फैला हुआ है और इसका कुछ भाग आंध्रप्रदेश में भी है| वर्षा की कमी के साथ-साथ वर्षा की अनिश्चितता [Read More] …
मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए हरी खाद का प्रयोग कैसे करें
वर्तमान समय में मिट्टी में रसायनिक उर्वरकों के असंतुलित प्रयोग एवं सीमित उपलब्धता को देखते हुये अन्य पर्याय भी उपयोग में लाना आवश्यक हो गया है| तभी हम खेती की लागत को कम कर फसलों की प्रति एकड उपज को भी बढ़ा सकते हैं, साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी अगली पीढी के [Read More] …
अंतरवर्ती फसल उत्पादन तकनीक; जानिए अधिकतम लाभ हेतु
आज का आधुनिक दौर, जिसको मशीनीकरण का दौर कहा जाता है, यदि मशीनों का उपयोग कर अंतरवर्ती फसल उत्पादन को अपनाया जाये तो निश्चित तौर पर कम लागत में अधिक लाभ अर्जित किया जा सकता है| खेती में जिस प्रकार दिन-प्रतिदिन बढ़ती लागत को लेकर किसान परेशान हैं| उसको देखते हुये यदि उपलब्ध संसाधनों में [Read More] …
धान की खेती में भूरा पौध माहू की समन्वित रोकथाम कैसे करें
हमारे देश में धान की खेती की जाने वाले लगभग सभी भू-भागों में भूरा पौघ माहू नीलपर्वत लूगेंस स्टाल (होमोप्टेरा डेल्फासिडै) धान का एक प्रमुख नाशककीट है| हाल में पूरे एशिया में इस कीट का प्रकोप गंभीर रूप से बढ़ा है, जिससे धान की फसल में भारी नुकसान हुआ है| ये कीट तापमान एवं नमी [Read More] …