पान (Betel) पाइपरेसी कुल का पौधा है| यह एक बहुवर्षीय, सदाबहार, लत्तरदार, उभयलिंगी एवं छाया पसंद करने वाली लता है| जिसे नकदी फसलों में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है| पान की फसल से हमारे देश को प्रति वर्ष लगभग 7 से 8 सौ करोड़ रूपये की आमदनी होती है| देश में पान का कुल रकवा 51,700 [Read More] …
बेल की खेती: किस्में, रोपाई, सिंचाई, पोषक तत्व, देखभाल, पैदावार
बेल (Vine) अति प्राचीन एवं औषधीय गुणों से भरपूर भारतीय वृक्ष है| विपरीत जलवायु में भी इसकी खेती की जा सकती है, आज के संदर्भ में, इस बदलते परिवेश में भारत के लोग औषधीय फलों के प्रति अधिक जागरूक हो गये हैं| ऐसे में बेल की बागवानी अधिक उपयोगी हो गई है| अतः इसकी बागवानी [Read More] …
बेल की उन्नत किस्में | बेल की सबसे अच्छी किस्में कौन सी है?
बेल में अत्यन्त जैव विविधता पाई जाती है| अतः इसके संकलन की आवश्यकता है| विभिन्न कृषि विश्वविद्यालय एवं आई सी ए आर के संस्थानों द्वारा विभिन्न चयनित बेल की किस्मों के कारण पूर्व में विकसित किस्मों, जैसे- सिवान, देवरिया बडा, कागजी इटावा, चकिया, मिर्जापुरी, कागजी गोण्डा आदि के रोपण की संस्तुति अब नहीं की जा [Read More] …
धान में हरित शैवाल और अजोला का प्रयोग; जानिए लाभ की विधि
धान में हरित शैवाल और अजोला का प्रयोग इसलिए आवश्यक है| क्योंकि नील हरित शैवाल जलीय पौधों का एक ऐसा समूह होता है, जिसे साइनो बैक्टीरिया भी कहा जाता हैं, यह एक कोशिकीय जीवाणु है, जो काई के आकार का होता है| जबकि एजोला ठण्डे पानी में उगने वाली एक घास है, जो प्रायः तालाबों [Read More] …
अजोला की खेती और हरे चारे के रूप में पशुओं के लिए उपयोग
अजोला (Azolla) एक मुक्त अस्थायी रूप से तैरने वाला फर्न (हरी पत्तियों वाला पौधा जिसमें फूल नहीं खिलते) हैं| चावल की फसल के लिए यह एक सामान्य जैविक उर्वरक है| यह पौधा बलू ग्रीन एलगी के साथ सहजीवी संबंध बनाकर उगता है और नाइटोजन स्थिरीकरण के लिए आवश्यक होता है| अजोला के पत्ते त्रिकोणाकार और [Read More] …
असली एवं नकली उर्वरकों की वैज्ञानिक तकनीक से पहचान कैसे करें
खेती में प्रयोग में लाए जाने वाले कृषि निवेशों में सबसे मंहगी सामग्री रासायनिक उर्वरक है| उर्वरकों के शीर्ष उपयोग की अवधि हेतु खरीफ एवं रबी के पूर्व उर्वरक विर्निमाता फैक्ट्रियों तथा विक्रेताओं द्वारा असली को मिलावटी उर्वरक बनाने एवं बाजार में उतारने की कोशिश होती है| इसका सीधा प्रभाव किसानों पर पड़ता है| नकली [Read More] …
नकली एवं असली उर्वरक की पहचान सामान्य तकनीक से कैसे करें
आजादी से पहले रासायनिक उर्वरको का प्रयोग नही किया जाता था या बहुत ही कम मात्रा में किया जाता था| अत: नकली एवं असली की समस्या नही थी| क्योंकि रसायनिक उर्वरकों के स्थान पर कार्बनिक और हरी खादों पर निर्भरता ज्यादा थी| आज हालात ठीक विपरीत है, अब रसायनिक खादों पर निर्भरता ज्यादा है और [Read More] …
सहजन की उन्नत खेती: किस्में, रोपाई, सिंचाई, देखभाल और पैदावार
हमारे देश में सहजन को सोजाना, साईजन, मोरिंगा और अंग्रेजी में ड्रमस्टिक नामों से अधिक जाना जाता है| यह एक लोकप्रिय सब्जी है| ड्रमस्टिक का वैज्ञानिक नाम मोरिंगा ओलीफेरा है| हिंदी में इसे साईजन, मराठी में शेवागा, तमिल में मुरुंगई, मलयालम में मुरिन्गन्गा और तेलुगु में मुनागाक्या कहते है| मोरिंगेसी फैमिली के मोरिंगा जाति के [Read More] …
लता वर्गीय सब्जियों की अगेती खेती कैसे करें; जानिए अधिक लाभ हेतु
बेल या लता वर्गीय सब्जियों जैसे लौकी, तोरई, खीरा, टिण्डा, करेला तरबूज, खरबूज, पेठा, आदि की खेती मैदानी भागों में गर्मी के मौसम में मार्च से लेकर जून तक की जाती हैं| अधिक लाभ प्राप्त करने के लिये लता वर्गीय सब्जियों की अगेती खेती की जा सकती है| जिसके लिये पॉली हाउस तकनीकी का प्रयोग [Read More] …
खस की खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, पोषक तत्व, देखभाल, पैदावार
वेटिवर या खस का उद्भव स्थान भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका एवं मलेशिया माना जाता है| खस कड़ी प्रवृत्ति का घास है, जो सूखे की स्थिति एवं जल-जमाव दोनों को बर्दास्त कर लेता है| प्राचीन काल से इसके जड़ों का उपयोग तेल निकालने, चटाइयाँ बनाने एवं औषधीय उपयोग होता रहा है| दक्षिण भारतीय राज्यों में खस [Read More] …