पिप्पली (Pippali) को हमारे देश में अलग-अलग भाषाओँ में विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे हिंदी में पीपल| यह एक गन्धयुक्त लता होती है, जो भुमि पर फैलती अथवा दूसरे वृक्षों के सहारे उपर उठती है| इसके रेंगने वाले काण्डों से उपमूल निकलते है| जिनसे इसका आरोहरण तथा प्रसारण होता है| इसकी पत्तियां पान [Read More] …
पत्थरचूर की उन्नत खेती: किस्में, रोपाई, सिंचाई, देखभाल और पैदावार
पत्थरचूर जिसे पाषाणभेद अथवा कोलियस फोर्सकोली भी कहा जाता है, उस औषधीय पौधों में से है, वैज्ञानिक आधारों पर जिनकी औषधीय उपयोगिता हाल ही में स्थापित हुई है| वर्तमान में भारतवर्ष के विभिन्न भागों जैसे तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा राजस्थान में इसकी विधिवत खेती भी प्रारंभ हो चुकी है, जो काफी सफल रही है| [Read More] …
गुग्गल की उन्नत खेती: किस्में, रोपाई, सिंचाई, देखभाल और पैदावार
गुग्गल (Guggul) या गुगल का पौधा भारत में राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, आसाम, सिलहट, बंगाल, मैसूर आदि स्थानों पर जंगलो में प्राकतिक रूप में पाया जाता है| गुग्गल का पौधा जंगल में झाडियों के रूप में पाया जाता है| इसकी शाखाएं छोटी व टेढ़ी-मेढी होती है| ये शाखाएं कांटेदार व विभिन्न रंगो वाली होती है| इसकी [Read More] …
एलोवेरा की उन्नत खेती: किस्में, रोपाई, सिंचाई, देखभाल और पैदावार
एलोवेरा (Aloe Vera) शुष्क क्षेत्र की एक बहुउपयोगी वनस्पति है| भारत में यह घृतकुमारी, घीकुंआर, मुसाबर, ग्वारपाठा इत्यादि नामों से प्रसिद्ध है| यह उष्ण क्षेत्रानुकूल वनस्पति है| इसलिए इसे शुष्क प्रदेशों में जहाँ पानी की सुविधा कम हो सरलता से उगाया जा सकता है| एलोवेरा लिलिएसी कुल का सदस्य है| इसकी पत्तियाँ मांसल (गुद्देदार) तथा [Read More] …
कालमेघ की उन्नत खेती: किस्में, रोपाई, सिंचाई, देखभाल और पैदावार
कालमेघ (Kalmegh) एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है| इसका तना, पत्ती, बीज एवं जड सभी उपयोग में आते है| यह खरपतवार के रूप में खरीफ में पड़त जगहों पर खेतों की मेढों पर उगता है| यह सीधा बढने वाला शाकीय पौधा है| इसकी लम्बाई 1 से 3 फुट तक होती है| यह अनेक छोटी शाखाओं में [Read More] …
काली हल्दी की उन्नत खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, देखभाल, पैदावार
काली हल्दी (Black turmeric) का वानस्पतिक नाम कुरकुमा कैसिया है| यह जिजीबरेसी कुल से है| यह एक लम्बा जड़दार सदाबहार पौधा है| जिसकी 1.0 से 1.5 सेंटीमीटर ऊचाई होती है| इसकी जड़ (गांठ या प्रकन्द) रंग में नीली-काली होती है| इसके प्रकन्द में अनेक प्रकार के गुण पाए जाते है, जैसे- इस पादप में एंटी-बैक्टिरियल [Read More] …
जावा सिट्रोनेला की खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, देखभाल और पैदावार
जावा सिट्रोनेला (Java citronella) अथवा सिट्रोनेला (जावा घास) का वैज्ञानिक नाम सिम्बोपोगॉन विंटेरियनस है| यह ‘पोएसी’ कुल की एक बहुवर्षीय घास है| हमारे देश में सिट्रोनेला (जावा घास) की खेती मुख्यतया आसाम, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, गोवा, केरल तथा मध्य प्रदेश में हो रही है| विश्व में भारत, चीन, श्रीलंका, ताईवान, [Read More] …
नींबू घास की उन्नत खेती: किस्में, रोपाई, सिंचाई, देखभाल, पैदावार
औषधीय एवं सगंध घासों में नींबू घास (सिम्बोपोगॉन फ्लेक्सुयोसस) का प्रमुख एवं विशिष्ट स्थान है| अंग्रेजी में इसे लेमन ग्रास (Lemon grass) के नाम से जाना जाता है| नींबू घास पोएसी कुल से संबंधित है| इस घास की पत्तियों से नींबू जैसी तीक्ष्ण सुगंध के कारण ही इसका नाम नींबू घास रखा गया है| यह [Read More] …
सफेद मूसली की उन्नत खेती: किस्में, रोपाई, सिंचाई, देखभाल, पैदावार
सफेद मूसली (Safed Musli) को विभिन्न भाषाओं में भिन्न-भिन्न नाम से जाना जाता है| एक अनुमान के अनुसार विश्वभर में सफेद मूसली की मांग 35,000 टन प्रति वर्ष है, जबकि उत्पादन या उपलब्धता मात्र 5000 टन ही है| एक-डेढ़ फीट ऊँचाई के इस पादप की जड़ें औषधीय महत्व की हैं| व्यावसायिक रुप से इसकी खेती [Read More] …
सर्पगंधा की उन्नत खेती: किस्में, रोपाई, सिंचाई, देखभाल और पैदावार
सर्पगंधा (Sarpagandha) एपोसाइनेसी कुल का पौधा है| सर्पगंधा की कई प्रजातियाँ होती हैं| जिसमें राउभोलफिया सरपेनटिना एवं राउभोलफिया टेट्राफाइलस प्रजाति के पौधों को औषधीय पौधों के रूप में उगाया जाता है| सर्पगंधा की जड़ औषधि के रूप में प्रयोग में लाये जाती हैं| इसके पौधे की ऊँचाई 30 से 75 सेंटीमीटर तक की होती है| [Read More] …