नींबू वर्गीय फसलों या फलों को अनेक रोग एवं दैहिक विकार हानी पहुंचाते है| नींबू वर्गीय फसलों या फलों के गमोसिस, सिट्रस केंकर, नींबू का स्केब, ग्रीनिंग, डाईबेक रोग, ट्रिस्टेजा विषाणु, नींबू का धीमा उखरा या क्षय रोग, कणिकायन विकार, फल फटन विकार और फूल व फलन का गिरना आदि प्रमुख रोग एवं दैहिक विकार [Read More] …
नींबूवर्गीय फलों के प्रमुख कीट और उनका नियंत्रण कैसे करें
हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है| कृषि में बागवानी का विशेष महत्व है और नींबूवर्गीय फलों का महत्वपूर्ण स्थान है| नींबूवर्गीय फलों में मौसमी, संतरा, नींबू, मीठा नींबू, माल्टा तथा ग्रेप फूट मुख्य हैं| इन फलों में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो स्कर्वी बीमारी के निदान के लिए सहायक है| [Read More] …
नींबूवर्गीय फसलों में समन्वित रोग और कीट नियंत्रण कैसे करें
हमारे देश को नींबूवर्गीय फलों का घर माना जाता है| फलों के हिसाब से भारत में नींबू जातीय फलों का केले व आम के बाद तीसरा स्थान है| भारतवर्ष में उगाए जाने वाले विभिन्न फलों में नींबूवर्गीय फलों का महत्वपूर्ण स्थान है, यहाँ नींबू की महत्वपूर्ण जातियों में लेमन, माल्टा, सन्तरा, नींबू एवं मौसमी आदि [Read More] …
अनार में कीट एवं रोग नियंत्रण कैसे करें; जानिए अच्छे उत्पादन हेतु
अनार को बागों या भंडारण के समय अनेक कीट व रोग तथा विकार हानी पहुंचाते है| अनार के कीटों में अनार की तितली या फल छेदक, मिली बग, छाल भक्षक कीट, रस चूसक कीट और दीमक प्रमुख है| वहीं रोगों में जीवाणु पत्ती झुलसा या बेक्टेरियल ब्लाइट रोग, पत्ती मोड़क और तेलीय धब्बा रोग प्रमुख [Read More] …
अनार की उन्नत किस्में | अनार की सबसे अच्छी किस्में कौन सी है?
अनार की किस्मों का चयन करते समय सदैव बहुत सावधानी रखे, क्योकिं किस्मों का प्रदर्शन, क्षेत्र की जलवायु, मौसम विशेष, मृदा की दशा इत्यादि पर निर्भर करता है| क्षेत्र विशेष के लिये किस्म का चुनाव करते समय उसकी उत्पादन क्षमता, पकाव की अवधि, बाजार की मांग, भण्डारण क्षमता, कीट एवं बीमारियों से प्रतिरोधिता इत्यादि बातो [Read More] …
अनार के फलों का फटना; जानिए कारण और नियंत्रण के उपाय
भारतवर्ष के उत्तरी-पश्चिमी और मरुस्थलीय शुष्क क्षेत्रों में अनार की खेती सफलता पूर्वक की जा रही है| क्योंकि उपोष्ण एवं उष्ण जलवायु में अच्छी तरह से उगाया जा सकता है| अनार के पौधों में शुष्क तथा गर्म जलवायु सहन करने की अद्भुत क्षमता होती है| फलों के विकास और पकने के समय गर्म एवं शुष्क [Read More] …
आंवला में कीटों की रोकथाम | आंवले में कीट नियंत्रण कैसे करें?
आंवला में अनेक प्रकार के कीट नुकसान पहुंचाते है| जिनमें छालभक्षी कीट, प्ररोह पिटिका, अनार तितली, मिली बग या चूर्णी बग, आंवला एफिड, गुठली भेदक और शुष्क क्षेत्रों में दीमक प्रमुख है| इन सब कीट से आंवले के उत्पादन पर अत्यधिक दुष्प्रभाव पड़ता है| जिससे उत्पादकों को आंवले के बागों से इच्छित पैदावार प्राप्त नही [Read More] …
आंवला के रोगों की रोकथाम | आंवले में रोग नियंत्रण कैसे करें?
आंवला की बागवानी सम्पूर्ण भारतवर्ष में की जाती है| यह एक ऐसी फसल है, जिसमें रोगों और विकारों का प्रकोप कम होता है| किन्तु आंवले के कुछ रोग और विकार प्रमुख है, जो आंवला के लिए अत्यन्त हानिकारक है| जिनमें आंवले का रस्ट रोग, उकठा रोग, काली फफूंद, नीली फफूंद, एन्थ्रेकनोज, मृदू सड़न, फल सड़न, [Read More] …
आंवला की उन्नत किस्में | आंवले की सबसे अच्छी किस्में कौन सी है?
पूर्व में आंवला की तीन प्रमुख किस्में यथा बनारसी, फ्रान्सिस तथा चकईया प्रचलित हुआ करती थीं| इन आंवला किस्मों की अपनी खूबियाँ और कमियाँ रही हैं| बनारसी किस्म में फलों का गिरना एवं फलों की कम भण्डारण क्षमता, फ्रान्सिस किस्म में यद्यपि बड़े आकार के फल लगते हैं| परन्तु उत्तक क्षय रोग अधिक लगता है| [Read More] …
पपीते की नर्सरी कैसे तैयार करें? | पपीते के पौधे कैसे तैयार करें?
पपीते की स्वच्छ नर्सरी (पौधशाला) का अपना महत्व है| क्योंकि पपीते का प्रवर्धन बीज द्वारा होता है और विश्व के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाने वाला महत्वपूर्ण फल है| केला के पश्चात् प्रति ईकाई अधिकतम उत्पादन देने वाला एवं औषधीय गुणों से भरपूर फलदार पौधा है| यदि बागान बन्धु इसकी बागवानी से अधिकतम उत्पादन प्राप्त [Read More] …