टमाटर में एकीकृत पोषक तत्व (खाद व उर्वरक) प्रबन्ध संतुलित मात्रा में खाद और उर्वरकों के प्रयोग करने की वह आधुनिक विधि है| जिसमें रासायनिक उर्वरकों के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कार्बनिक खाद तथा जैविक खाद का प्रयोग इस अनुपात में किया जाता है, कि पैदावार अधिक लाभप्रद और टिकाऊ हो| इसके साथ ही [Read More] …
टमाटर फसल के रोग एवं कीट और उनका नियंत्रण कैसे करें
टमाटर फसल से इच्छित उपज प्राप्त करने के लिए रोग एवं कीट नियंत्रण आवश्यक है| वैसे तो टमाटर फसल पर अनेक रोगों और कीटों का आक्रमण होता है| लेकिन आर्थिक दृष्टि से कुछ प्रमुख रोग और कीट है, जो टमाटर फसल को अधिक हानी पहुचाते है| जिससे इसके उत्पादन में भारी कमी देखने को मिलती [Read More] …
सब्जियों में सूत्रकृमि की समस्या, लक्षण और नियंत्रण के उपाय
सब्जियों में सूत्रकृमि (निमेटोड) प्रजातियां आर्थिक नुकसान करती है| सूत्रकृमि छोटे, पतले, खंडहीन और धागे जैसे द्विलैंगिक प्राणी होते हैं, जिनके पाद नहीं होते हैं| इन्हें गोल कृमि या धागा कृमि भी कहा जाता है| एक शोध के आधार पर सब्जियों में सूत्रकृमि (निमेटोड) की भयानकता होने पर मिर्च-टमाटर मे 60 से 65 बैगन मे [Read More] …
टमाटर की संकर और उन्नत किस्में: जाने विशेषताएं और पैदावार
टमाटर की अधिकतम पैदावार के लिए संकर व उन्नत किस्म का चयन करना आवश्यक है| क्योंकि टमाटर की खेती एक व्यवसाय के रूप में अपना स्थान रखती है| इसका सब्जी उत्पादन में विशेष योगदान है| इसकी खेती पूरे भारत वर्ष में की जाती है| टमाटर की दो प्रकार की किस्में पायी जाती है| एक सामान्य [Read More] …
सब्जियों की कार्बनिक खेती: घटक, कीटनाशी, जैविक खाद और लाभ
सब्जियों की कार्बनिक खेती फसल उत्पादन की वह पद्धति है, जिसमें रासायनिक उत्पादों जैसे रासायनिक उर्वरक, कीटनाशी, फफूंदनाशी, खरपतवारनाशी, वृद्धि नियामक आदि के प्रयोग को हतोत्साहित करते हैं तथा कार्बनिक पदार्थों जैसे- कार्बनिक खादें, जैव उर्वरक, हरी खाद, फार्म के उत्पाद, जैविक कीटनाशी और फफूंदनाशी व फसल चक्र आदि के प्रयोग पर ही निर्भर रहते [Read More] …
सब्जियों की स्वस्थ पौध कैसे तैयार करें; जानिए अच्छे उत्पादन हेतु
सब्जियों की स्वस्थ पौध ही भरपूर पैदावार का आधार होती है| जब पौध एक से डेढ़ इंच की होते ही जड़ गलन (डैम्पिंग आफ) बीमारी से ग्रसित हो जाती है, तथा क्यारियों से लगभग 80 प्रतिशत पौधे नष्ट हो जाते है| कृषकों को सब्जियों की स्वस्थ पौध उगाने की वैज्ञानिक तकनीक का प्रयोग करना चाहिए, [Read More] …
फल एवं सब्जियों का तुड़ाई के बाद भंडारण और प्रबंधन कैसे करें
फल एवं सब्जियों के गलत ढंग से रखरखाव, परिवहन, भंडारण तथा विपणन के दौरान लगभग 25 से 30 प्रतिशत नष्ट हो जाते हैं| इसलिए यह जरूरी है, कि फसलोत्तर प्रबंधन द्वारा कटाई पश्चात होने वाले इस नुकसान को रोका जाये| लगभग 10 से 15 प्रतिशत ताजे फल एवं सब्जियां सिकुड़ जाती हैं या बासी हो [Read More] …
प्याज में रोग एवं कीट नियंत्रण कैसे करें; अधिक उत्पादन हेतु
प्याज में रोग एवं कीट नियंत्रण जरूरी है, क्योंकि भारत में विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती में प्याज का बड़ा महत्व है| जो एक नगदी कंदीय फसल के रूप में जानी जाती है| प्याज एक बहुगुणी फसल है, जिसका प्रयोग सलाद, मसाला, अचार और सब्जी बनाने में होता है| भारत में महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, [Read More] …
प्याज की जैविक खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, देखभाल और उत्पादन
प्याज की जैविक खेती वर्तमान समय की आवश्यकता है| चूँकि प्याज का सीधा सम्बंध मानव स्वास्थ्य से जुड़ा है| जिसका प्रयोग दैनिक भोजन में सब्जी, सलाद, अचार और मसाले के रूप में किया जाता है| प्याज का प्रयोग हरी एवं पकी हुई दोनों अवस्थाओं में करते है| यह गर्मी और लू के प्रकोप को भी [Read More] …
प्याज व लहसुन की फसल में एकीकृत कीट और रोग प्रबंधन कैसे करें
प्याज व लहसुन से अधिक उत्पादन के लिए हानिकारक रोग और कीट की रोकथाम आवश्यक है| वैसे तो प्याज व लहसुन की फसल पर अनेक कीटों तथा रोगों का प्रकोप होता है| लेकिन आर्थिक दृष्टी से कुछ प्रमुख हानिकारक कीट व रोग है, जो फसल को अत्यधिक हानी पहुंचाते है| जिनकी रोकथाम करना आवश्यक है| [Read More] …