ग्वार की जैविक खेती समय की आवश्यकता है| क्योंकि ग्वार की फसल मुख्य रूप से चारा, हरी खाद, दाने और मानव आहार के लिए बोई जाती है| ग्वार का औद्योगिक महत्व भी है| क्योंकि इससे- गम तैयार किया जाता है| ग्वार के दानों में 28 से 30 प्रतिशत गौंद की मात्रा पाई जाती है| ग्वार [Read More] …
ग्वार फली की खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, देखभाल और पैदावार
ग्वार फली की खेती कृषकों के लिए अच्छी आमदनी का स्रोत बन सकती है| क्योंकि ग्वार एक बहुउद्देशीय फसल है| इसकी खेती सब्जी (हरी फलियाँ), चारा, दाना, हरी खाद, भूमि संरक्षण आदि के लिए की जाती है| ग्वार फली की सब्जियाँ शाकाहारी लोगों का संतुलित आहार है| प्रोटीन और रेशा युक्त होने के कारण इसे [Read More] …
फली ग्वार की उन्नत किस्में: जाने विशेषताएं और पैदावार
व्यवसायिक जागरूकता और बाजार में माँग बढ़ने के कारण सब्जी वाली फली ग्वार के उत्पादन पर किसान बन्धु ध्यान देने लगे हैं| सब्जी वाली ग्वार फली की फसल में बुवाई के 50 से 55 दिनों बाद कच्ची फलियाँ तुड़ाई पर आ जाती हैं, जिससे किसान को एक लम्बे समय तक नगदी फसल के रूप में [Read More] …
ग्वार फसल के कीट व रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें
ग्वार फसल पर विभिन्न प्रकार के रोग व कीटों का प्रकोप होता है| जिसके कारण इसकी पैदावार व उसकी गुणवत्ता में कमी आती है| इसलिए इनकी रोकथाम के लिए समय पर जरूरी फसल सुरक्षा उपाय अपनाना चाहिए| इस लेख में ग्वार फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण कैसे करें का उल्लेख किया गया [Read More] …
ग्वार की उन्नत किस्में | ग्वार की सबसे अच्छी किस्में कौन सी है?
ग्वार की उन्नत किस्मों की क्षमता के अनुसार उत्पादन ले पाना तभी संभव है| जब उसके लिए उचित प्रबंधन तथा अनुकूल जल व मिटटी और अपने क्षेत्र की प्रचलित किस्म उपलब्ध हो| ग्वार बुआई के समय बीज ग्वार एवं मिटटी में उत्तम सम्पर्क होना चाहिए| ताकि बीज का अंकुरण अच्छा हो जिससे किसान बन्धुओं को [Read More] …
रिंग-पिट विधि से गन्ने की खेती: रोपाई, सिंचाई, खाद, देखभाल, पैदावार
रिंग-पिट विधि (गड्ढा विधि) से गन्ने की खेती वर्तमान की आवश्कता है| क्योंकि गन्ने की क्षमता लगभग 474 टन प्रति हेक्टेयर होने के बावजूद भी शोध परीक्षणों में गन्ने की पैदावार 110 टन प्रति हेक्टेयर से अधिक नहीं मिलती तथा वास्तव में भारत में औसत पैदावार 62 टन प्रति हेक्टेयर ही है| इन आँकड़ों और [Read More] …
गन्ने की जैविक खेती: किस्में, रोपाई, सिंचाई, देखभाल और उत्पादन
गन्ने की जैविक खेती किसानों के लिए चिंतन का विषय है, क्योंकि जैविक खेती एक समग्र रूप से उत्पादन प्रबंधन प्रणाली है| जो स्वस्थ कृषि पारिस्थितिक क्षेत्र सहित जैव विविधता, जैविक चक्र तथा जैविक गतिविधियों को प्रोत्साहन और बढ़ावा देती है| गन्ने की जैविक खेती दुनिया भर में करीब 50,000 हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती [Read More] …
पेड़ी गन्ना से अधिक उत्पादन की आधुनिक लाभकारी तकनीक
गन्ना उत्पादन में पेड़ी का विशेष महत्व है| गन्ने का 50 से 55 प्रतिशत क्षेत्र इसके अन्तर्गत आता है और शीघ्र परिपक्य होने के कारण पेड़ी फसल की कटाई तथा पेराई सत्र को प्रारभिक चरण में होती है| पेड़ी गन्ने की चीनी का परता अधिक होता है| परन्तु पेड़ी पैदावार कुल गन्ने का उत्पादन कम [Read More] …
ट्रेंच विधि से गन्ने की खेती: किस्में, रोपाई, सिंचाई, देखभाल, पैदावार
ट्रेंच जैसी आधुनिक विधि हमारी कृषि के लिए आवश्यक है| क्योंकि देश की बढ़ती जनसंख्या और कृषि योग्य भूमि के क्षेत्रफल में हो रही कमी की समस्या ने वैज्ञानिकों को गन्ना तथा चीनी उत्पादन बढ़ाने हेतु सोचने को विवश कर दिया है| चीनी उद्योग तथा कृषकों के हितों को ध्यान में रखते हुये गन्ना शोध [Read More] …
गन्ने के साथ अंतरवर्ती खेती से बढ़ाएं आमदनी; जाने उपयोगी तकनीक
गन्ने के साथ अंतरवर्ती खेती का अपना महत्व है| गन्ने की बढवार शुरू के 4 से 5 महीने तक धीमी गति से होती है| इससे गन्ने की दो कतारों के बीच का स्थान काफी समय तक खाली रहता है| इस बात को ध्यान में रखकर गन्ने के साथ यदि कम अवधि की फसलों को अंतरवर्ती [Read More] …