हमारे देश में तिल खरीफ और जायद की एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है| तिल की उन्नत किस्मों का चयन क्षेत्र की अनुकूलता को ध्यान में रखकर करने से पैदावार पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है| अनुवांशिक शुद्धता और 70 से 80 प्रतिशत वाले बीजों का चयन कृषक बन्धुओं को करना चाहिए, इस लेख में तिल की [Read More] …
तिल में एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन | तिल में कीट और रोग नियंत्रण
तिल तिलहनी फसलों में एक प्रमुख स्थान रखती है| तिल को अनेक प्रकार के व्यंजनों, उत्पादों और तेल के रूप में उपयोग किया जाता है| इसलिए तिल हमारे लिए अतिमहत्वपूर्ण तिलहनी फसल है| इसकी सफलतम खेती से अधिकतम उत्पादन लेने के लिए उचित रख-रखाव और देखभाल की जरूरत पड़ती है| तिल की फसल में कुछ [Read More] …
सोयाबीन की जैविक खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, देखभाल, पैदावार
सोयाबीन एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है| सोयाबीन की जैविक खेती आज की आवश्यकता बन गई है| क्योकि वर्तमान में किसानों को सरकारी प्रोत्साहन और जैविक उत्पादों को मिलने वाले उचित मूल्यों के कारण जैविक पद्धति से उगाई गई सोयाबीन की विश्व में मांग बढ़ी है| जिससे मुख्यतः तेल उत्पादन के अलावा सोयाबीन का सोया पनीर, [Read More] …
सोयाबीन में कीट और रोग नियंत्रण | सोयाबीन में कीट और रोग प्रबंधन
पौध संरक्षण फसल की उन्नत उत्पादन तकनीक में सोयाबीन में कीट और रोग नियंत्रण से होने वाली क्षति को नियंत्रित करने के लिये पौध-संरक्षण उपायों को अपनाया जाना आवश्यक है| कीट प्रबंधन- सोयाबीन में मुख्यतः तना, चक, मूंग, सफेद मक्खी एवं पत्ती खाने वाली इल्लियों का प्रकोप होता है| पत्ती खाने वाली इल्लियों में बिहार [Read More] …
सोयाबीन की फसल में पोषक तत्व और खरपतवार प्रबंधन कैसे करें?
सोयाबीन की फसल के उत्पादन में मिटटी प्रबंधन क्रियाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है| इसलिए फसल के लिए पोषक तत्व प्रयोग का निर्णय सावधानीपूर्वक लिया जाना चाहिए| जीवांशमय खादों के मिटटी और फसल पर पड़ने वाले सामान्य प्रभाव के अतिरिक्त मिटटी में स्थित कार्बन का सोयाबीन की फसल द्वारा नाइट्रोजन संग्रह से सीधा घनात्मक सम्बन्ध [Read More] …
सोयाबीन की उन्नत किस्में | सोयाबीन की अच्छी किस्में कौन सी है?
सोयाबीन की उन्नत किस्मों का चयन क्षेत्र की अनुकूलता को ध्यान में रखकर करने से पैदावार पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है| अनुवांशिक शुद्धता और 70 से 80 प्रतिशत वाले बीजों का चयन कृषक बन्धुओं को करना चाहिए, इस लेख में सोयाबीन की उन्नत किस्में और उनकी विशेषताओं के साथ साथ पैदावार का भी उल्लेख किया [Read More] …
मूंगफली फसल में समेकित नाशीजीव प्रबंधन (आईपीएम) कैसे करें
मूंगफली फसल में समेकित नाशीजीव प्रबंधन (आईपीएम), मूंगफली भूमि में नाईट्रोजन की वृद्धि करने वाली लेग्युमिनेसी कुल की फसल हैं| यह खरीफ और जायद के मौसम में उगायी जाने वाली महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है| हमारे देश में इसे मुख्यतः गुजरात, आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडू, राजस्थान, उड़ीसा और मध्य प्रदेश राज्यों में उगाया जाता है| भारत में [Read More] …
मूंगफली फसल में एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन कैसे करें; जाने उपाय
मूंगफली एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है| तिलहनी फसल होने के साथ ही यह एक महत्वपूर्ण पौष्टिक खाद्य फसल और पशुओं के राशन तथा चारे के रूप में भी प्रयोग की जाती है| मूंगफली दलहनी वर्ग की भी फसल मानी जाती है, क्योंकि इसकी जड़ग्रन्थियों में निवास करने वाले जीवाणुओं से वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का भूमि में [Read More] …
मूंगफली की जैविक खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, देखभाल, पैदावार
मुंगफली खरीफ और जायद में उगाई जाने वाली प्रमुख तिलहन फसल है| किसान बन्धु मूंगफली की जैविक खेती द्वारा इससे अच्छा मुनाफा ले सकते है| क्योकि इसको अनेक प्रकार से मानव आहर में प्रयोग किया जाता है और वर्तमान में जैविक खेती के उत्पाद की मांग बढ़ रही है| लेकिन मूंगफली की जैविक खेती से [Read More] …
मूंगफली की उन्नत किस्में | मूंगफली की अच्छी किस्में कौन सी है?
मूंगफली की उन्नत काश्त के लिए किसान बन्धुओं को खेत की उचित तैयारी के साथ-साथ अपने क्षेत्र की उन्नत किस्म का चयन भी करना चाहिए| क्योंकि मूंगफली की तीन प्रकार की अलग-अलग किस्में होती हैं| हल्की मिट्टी के लिये फैलने वाली तथा भारी मिट्टी के लिये झुमका किस्म के पौधों वाली किस्में है, जो भूमि [Read More] …