ट्राइकोडर्मा फफूंद पर आधारित घुलनशील जैविक फफूंदनाशक है| ट्राइकोडर्मा विरिडी 1 प्रतिशत डब्लू पी, 1.5 प्रतिशत डब्लू पी, 5 प्रतिशत डब्लू पी एवं ट्राइकोडर्मा हारजिएनम 0.5 प्रतिशत डब्लू एस, 1 प्रतिशत डब्लू पी, 2 प्रतिशत डब्लू पी के फार्मुलेशन में उपलब्ध है| ट्राइकोडर्मा विरिडी विभिन्न प्रकार की फसलों फलों और सब्जियों में जड़ सड़न, तना [Read More] …
बीज उपचार क्या है? | बीज उपचार कैसे करें? | बीज उपचार के लाभ?
अच्छी फसल के लिए अच्छे एवं स्वस्थ बीज आवश्यक है| बदलते हुए मौसम तथा जलवायु को देखते हुए बीजों का सही प्रबंधन जरूरी है, कि किसान अच्छी फसल एव पैदावार कर सके| वर्षा में देरी के कारण किसान भाई आमतौर पर अच्छी फसल पाने के लिए 2 से 3 बार बुवाई करते है| फसलों में [Read More] …
सोयाबीन में एकीकृत कीट प्रबंधन कैसे करें; जाने उपयोगी विधि
सोयाबीन में एकीकृत कीट प्रबंधन, यह मानसून पर आधारित हमारे देश की खरीफ की प्रमुख फसल है| सोयाबीन का प्रयोग हमारे देश में प्रोटीन एवं तेल के लिए होता है| जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के घरेलू एवं औद्योगिक कार्य में किया जाता है| गेहूं और मक्का के आटे के साथ सोयाबीन का आटा मिलाकर चपाती [Read More] …
तुलसी की खेती: किस्में, रोपाई, सिंचाई, खाद, देखभाल और उत्पादन
हमारे देश में तुलसी (Basil) का पौधा धार्मिक और औषधीय महत्त्व रखता है| इसे हिन्दी में तुलसी, संस्कृत में सुलभा, ग्राम्या, बहुभंजरी तथा अंग्रेजी में होली बेसिल के नाम से जाना जाता है| तुलसी की ओसिमम बेसीलीकम प्रजाति को तेल उत्पादन के लिए उगाया जाता है| तुलसी की इस प्रजाति की भारत में बड़े पैमाने [Read More] …
स्टीविया की खेती: किस्में, रोपाई, सिंचाई, देखभाल और उत्पादन
स्टीविया की खेती (Stevia farming), प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक शक्कर मनुष्य के भोजन का एक अभिन्न हिस्सा रहा है| गन्ना तथा चुकंदर लम्बे समय से शक्कर प्राप्ति का एक प्रमुख स्त्रोत है| हालांकि इन दोनों ही स्रोतों से प्राप्त शक्कर में मिठास का गुण तो होता है, परन्तु मधुमेह से पीड़ितों को इनका [Read More] …
बच की खेती: किस्में, रोपाई, सिंचाई, पोषक तत्व, देखभाल, उत्पादन
बच एरेसी कुल का एक पौधा है| जिसका वानस्पतिक नाम ‘एकोरस केलमस’ है| इसका तना बहुतशाखित एवं भूमिगत होता है| पत्तियां रेखाकार से भालाकार, नुकीली मोटी मध्य शिरा युक्त होती है| इसका पुष्पक्रम 4.8 सेंटीमीटर का स्पेडिक्स होता है| इसके फूल हरापन लिए पीले होते हैं और इसके फल लाल तथा गोल होते हैं| बच [Read More] …
अश्वगंधा की खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, देखभाल और उत्पादन
अश्वगंधा (Ashwagandha) एक महत्वपूर्ण एवं प्राचीन औषधीय फसल है, जिसका उपयोग देशी चिकित्सा, आयुर्वेद व यूनानी पद्धति में होता है| इसे असवगंधा, नागौरी असगंध नामों से भी जाना जाता है| इसकी ताजी जड़ों से तीव्र गंध आती है, इसलिए इसे अश्वगंधा कहते हैं| शुष्क क्षेत्र की बेकार मिटटी को हरित रूप से सुंदरीकृत करने, उत्पादक [Read More] …
पुदीना (मेंथा) की खेती: किस्में, रोपण, सिंचाई, देखभाल और पैदावार
व्यापारिक जगत में जापानी पुदीना (Mint) को ही मेंथा के नाम से जाना जाता है| लेकिन तकनीकी रूप से मेंथा शब्द पुदीना के एक समूह का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें पुदीना की कई किस्में सम्मिलित हैं, जैसे- जापानी पुदीना या पिपर मिन्ट| इस प्रकार मेंथा के समूह में कई किस्में सम्मिलित हैं, जिनमें से एक [Read More] …
वर्षा आधारित खेती में आय बढ़ाने वाले सुझाव और आधुनिक तकनीकें
वर्षा आधारित कृषि क्षेत्र देश के कुल खेती क्षेत्रफल के लगभग 60 से 65 प्रतिशत भू-भाग में फैला हुआ है| ये क्षेत्र महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु आदि राज्यों के साथ देश के बाकि राज्यों तक फैला हुआ है| प्राकृतिक संसाधनों की दृष्टि से इन [Read More] …
सतावर की खेती: किस्में, रोपण, सिंचाई, खाद, देखभाल और उत्पादन
सतावर का वानस्पतिक नाम एसपैरागस रेसमोसस विभिन्न औषधीय पौधों में सतावर एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है| जिसका उपयोग प्राचीन समय से ही पारम्परिक औषधि के रूप में किया जा रहा है| सतावर एक बहुवर्षीय कन्दयुक्त झाड़ीनुमा औषधीय पौधा है, जिसको शतमूली, सतावरी एवं शतवीर्य भी कहते है| सतावर लिलियसी कुल का पौधा है| सतावर का [Read More] …