गिनी घास (Guinea grass) बहुवर्षीय चारा है, चारे की फसलों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है| यह सिंचित स्थिति में पूरे वर्ष भर इससे चारा प्राप्त होता है| जबकि शुष्क दशा में केवल वर्षा काल में ही इससे हरा चारा उपलब्ध होता है| इस फसल को देश के सभी भागों में उगाया जाता है| इस लेख [Read More] …
बाजरा पेनिसिटम ग्लूकम की खेती: किस्में, बुवाई, देखभाल, उत्पादन
बाजरा पेनिसिटम ग्लूकोमा की फसल दाने तथा हरे चारे के लिए भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगाई जाती है| ऐसे क्षेत्र जहां कम वर्षा और ज्यादा गर्मी पड़ती है, बाजरा पेनिसिटम ग्लूकम बाजरे की फसल अच्छी पैदावार देती है| इसको पशुओं को हरे चारे, कड़बी एवं सायलेज या “हे” के रूप में संरक्षित करके [Read More] …
बाजरा नेपियर संकर घास की खेती: पशुओं के लिए साल भर हरे चारे हेतु
बाजरा नेपियर संकर घास वर्ष में कई कटाईयां देने वाली बहुवर्षीय चारा फसल है| बाजरा नेपियर संकर घास की जड़ों को एक बार रोपण करके उचित प्रबन्धन के द्वारा 4 से 5 वर्षों तक हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है| इस घास से बाजरे जैसा पौष्टिक और रसीला चारा प्राप्त होता है, साथ ही [Read More] …
गोभी वर्गीय सब्जियों का बीज उत्पादन; जाने संबंधित कृषि क्रियाएं
विभिन्न गोभी वर्गीय सब्जियों में से फुल गोभी ही एक ऐसी फसल है| जिसका बीजोत्पादन मैदानी क्षेत्रों में लिया जा सकता है| अन्य का समशीतोष्ण जलवायु वाले क्षेत्र ही बीजोत्पादन के लिए उपयुक्त है| गोभी वर्गीय सब्जियों के बीजोत्पादन के लिए खेत में फुल को काटते नही है, बल्कि फसल की समय पर सिंचाई और [Read More] …
गोभी वर्गीय सब्जियों की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और पैदावार
गोभी वर्गीय सब्जियों की खेती शीतकालीन समय में की जाती है, इसमें फुल और पत्ता गोभी प्रमुख है, इसके लिए ठंडी और नम जलवायु सबसे अच्छी होती हैं| इसकी वानस्पतिक वृद्धि के लिए उपयुक्त तापमान 4 से 8 डिग्री सेल्सियस तक या इसे कम तापमान चाहिए| पहाड़ी क्षेत्रों में ही फुल और पत्ता गोभी की [Read More] …
सब्जियों की जैविक खेती: लाभ, घटक, कीटनाशक, देखभाल, प्रबंधन
सब्जियों की जैविक खेती, हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नतिशील किस्मों और रासायनिक उर्वरकों एवं कृषि-रक्षा-रसायनों के उपयोग से फसलों के उत्पादन में काफी बढ़ोत्तरी हुई| लेकिन समय बीतने के साथ फसलों की उत्पादकता में स्थिरता या गिरावट आने लगी है| इसका प्रमुख कारण भूमि की उर्वराशक्ति में [Read More] …
मेहंदी की खेती: किस्में, बुवाई, खाद, सिंचाई, देखभाल और पैदावार
मेहंदी की खेती (Henna cultivation), मेहँदी एक बहुवर्षीय झाड़ीदार फसल है, जिसे व्यवसायिक रूप से पत्ती उत्पादन के लिए उगाया जाता है| मेहंदी प्राकृतिक रंग का एक प्रमुख स्रोत है| उत्सव के अवसरों पर मेहँदी की पत्तियों को पीस कर सौन्दर्य के लिए हाथ एवं पैरों पर लगाते हैं| सफेद बालों को रंगने के लिए [Read More] …
काशीफल या कुम्हड़ा की खेती: किस्में, बुवाई, देखभाल और पैदावार
कद्दू वर्गीय सब्जियों में काशीफल या कुम्हड़ा या सीताफल अपना प्रमुख स्थान रखता है| इसके बड़े एवं गूदेदार, फल पके और कच्चे दोनों रूपों में सब्जी के लिए उपयोग में लाये जाते हैं, काशीफल को सब्जी व कोफता के अलावा टमाटर के साथ मिलाकर केचप भी बनाते हैं| काशीफल की कोमल पत्तियां और तने के [Read More] …
खुरपका-मुंहपका रोग: कारण, लक्षण, उपचार और बचाव के उपाय
खुरपका-मुंहपका जिसको एफएमडी ज्वर, खुरहा, खंगवा या पका रोग के नाम से भी जाना जाता है| तेज बुखार वाला, अत्यधिक छुआछूत वाला विषाणुजनित रोग इसमें रोगनाशक पशुओं तथा शूकरों के मुंह की श्लेष्मिक झिल्ली, खुरों के बीच के स्थान, कारोनरी पट्टी आदि में छाले बन जाते हैं| रोग से पीड़ित वयस्क पशुओं में मृत्यु दर [Read More] …
टिंडे की खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, उर्वरक, देखभाल और पैदावार
टिंडे की खेती उत्तरी भारत में, विशेषकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और आन्ध्रप्रदेश में की जाती है| टिंडे की खेती के लिए गर्म तथा औसत आर्द्रता वाले क्षेत्र सर्वोत्तम होते हैं| बीज के जमाव एवं पौधों की बढ़वार के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त है| टिंडे की [Read More] …