ईसबगोल एक महत्वपूर्ण नगदी औषधी की फसल है, जो रबी के मौसम में उगाई जाती है| यह फसल प्रमुखतः गुजरात, पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान में उगाई जाती है| पिछले कुछ वर्षों से इसका उत्पादन मध्यप्रदेश में भी होने लगा है| ईसबगोल के बीजों पर पाया जाने वाला पतला छिलका ही उसका औषधीय उत्पाद होता है| इस औषधि को पेट की सफाई, कब्जियत, अल्सर, बवासीर, दस्त तथा आव-पेचिश जैसी शारीरिक बीमारियों को … [Read more...] about ईसबगोल की जैविक खेती कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार
जैविक खेती
ईसबगोल में कीट एवं रोग और उनकी जैविक रोकथाम कैसे करें
ईसबगोल एक महत्वपूर्ण नगदी एवं अल्पकालिन औषधीय फसल है| इस फसल में कीट एवं रोगों का प्रकोप यपि कम होता है, परन्तु इसमें मुख्य रूप से कीटों में माहू (मोयला) एवं दीमक नुकसान पहुचाते हैं और रोगों में मृदु रोमिल फफूंद प्रमुख है| इन नाशीजीवों के जीवन चक्र के बारे में सही जानकारी प्राप्त कर इसे समय पर रोकथाम कर अधिक उच्च गुणवता वाला उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है| कीट एवं रोकथाम … [Read more...] about ईसबगोल में कीट एवं रोग और उनकी जैविक रोकथाम कैसे करें
हल्दी की जैविक खेती कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार
हल्दी की जैविक खेती इसके भूमिगत कन्दों, घनकंदों व प्रकंदों के लिए की जाती है| वाणिज्यिक भाषा में इन्हीं कन्दों को हल्दी कहते हैं| हल्दी का मुख्य उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है| परन्तु यह रंग व औषधि के रूप में भी प्रयोग में ली जाती है| मसाले के रूप में हल्दी खाद्य पदार्थों का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ उनको अपने रंग से आकर्षक भी बनाती है| दवाईयों के रूप में हल्दी के अनेक उपयोग … [Read more...] about हल्दी की जैविक खेती कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार
मेथी की जैविक खेती कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार
मेथी एक महत्वपूर्ण फसल है, मेथी की जैविक खेती का अपना महत्व है| क्योंकि इसकी पत्तियों का प्रयोग सब्जी के रूप में तथा बीज का उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है| इसके बीज खाद्य पदार्थों को सरस एवं सुगंधित बनाने के काम में आता है| अचारों एवं सब्जियों को स्वादिष्ट बनाने में भी इसके बीज का व्यवहार होता है| इसके बीजों में मूत्रवर्द्धक, शक्तिवर्द्धक, वायुनाशक, पोषक, मधुमेह, भूख … [Read more...] about मेथी की जैविक खेती कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार
सरसों फसल में समेकित नाशीजीव प्रबंधन (आई पी एम) कैसे करें
सरसों वर्गीय फसल हमारे देश की तिलहन अर्थव्यवस्था में मुख्य भूमिका निभाती है| इन फसलों की बढ़ोतरी का सीधा असर दुर्लभ विदेशी मुद्रा की बचत में होता है| इन फसलों में तोरिया, पीली व भूरी सरसों, गोभी सरसों, कर्ण राई, राया (भारतीय सरसों) व तारामीरा हैं| सरसों का तेल स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है| सरसों की खेती अधिकतर वर्षा सिंचित नमी अथवा सीमित सिंचाई सुविधा वाले क्षेत्रों … [Read more...] about सरसों फसल में समेकित नाशीजीव प्रबंधन (आई पी एम) कैसे करें