मसूर की फसल से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए उन्नत प्रजाति का चयन करना आवश्यक है| इसके साथ-साथ प्रजाति अपने क्षेत्र की प्रचलित और अधिक पैदावार देने वाली तथा विकार रोधी होनी चाहिए| हमारे देश में मसूर की दो प्रकार की अनेक किस्मे उपलब्ध है| पहली छोटे दाने वाली और दूसरी बड़े दाने वाली [Read More] …
Agriculture
जौ की उन्नत किस्में | जौ की सबसे अच्छी किस्में कौन सी है?
जौ प्राचीन और रबी मौषम की प्रमुख फसल है| जौ की फसल से अधिक उत्पादन पाने के लिए अपने क्षेत्र के हिसाब से विकसित उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए| पिछले कुछ वर्षों में बाजार में जौ की मांग बढ़ने से किसानों को इसकी खेती से फायदा भी हो रहा है| इसलिए जौ की उन्नत [Read More] …
सोवा की खेती: किस्में, बुवाई, सिंचाई, पोषक तत्व, देखभाल, पैदावार
सोवा (सुवा) को मसाला फसल के रूप में जाना जाता है| इसकी खेती समूचे मध्य भारत में की जाती है| सोवा (सुवा) में एक विशेष सुगंध पाई जाती है| इसकी हरी सुगंधित पत्तियों का उपयोग चटनी, आलू, बैंगन, पालक व दूसरी सब्जियों के साथ में किया जाता है| सोवा के बीज से दाल, सब्जी, व [Read More] …
पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व और उनकी कमी के लक्षण
पौधों की उचित बढ़वार और जीवन-चक्र सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए मुख्य तौर पर 16 तत्वों की आवश्यकता होती है, जिसमें से कार्बन, आक्सीजन व हाइड्रोजन वायु तथा पानी से, शेष 13 तत्व भूमि से प्राप्त करते हैं| पोषक तत्वों को पौधों के लिये आवश्यक मात्रा के अनुसार निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाता है, जैसे- [Read More] …
ग्वार फसल के कीट व रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें
ग्वार फसल पर विभिन्न प्रकार के रोग व कीटों का प्रकोप होता है| जिसके कारण इसकी पैदावार व उसकी गुणवत्ता में कमी आती है| इसलिए इनकी रोकथाम के लिए समय पर जरूरी फसल सुरक्षा उपाय अपनाना चाहिए| इस लेख में ग्वार फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण कैसे करें का उल्लेख किया गया [Read More] …
ग्वार की उन्नत किस्में | ग्वार की सबसे अच्छी किस्में कौन सी है?
ग्वार की उन्नत किस्मों की क्षमता के अनुसार उत्पादन ले पाना तभी संभव है| जब उसके लिए उचित प्रबंधन तथा अनुकूल जल व मिटटी और अपने क्षेत्र की प्रचलित किस्म उपलब्ध हो| ग्वार बुआई के समय बीज ग्वार एवं मिटटी में उत्तम सम्पर्क होना चाहिए| ताकि बीज का अंकुरण अच्छा हो जिससे किसान बन्धुओं को [Read More] …
रिंग-पिट विधि से गन्ने की खेती: रोपाई, सिंचाई, खाद, देखभाल, पैदावार
रिंग-पिट विधि (गड्ढा विधि) से गन्ने की खेती वर्तमान की आवश्कता है| क्योंकि गन्ने की क्षमता लगभग 474 टन प्रति हेक्टेयर होने के बावजूद भी शोध परीक्षणों में गन्ने की पैदावार 110 टन प्रति हेक्टेयर से अधिक नहीं मिलती तथा वास्तव में भारत में औसत पैदावार 62 टन प्रति हेक्टेयर ही है| इन आँकड़ों और [Read More] …
पेड़ी गन्ना से अधिक उत्पादन की आधुनिक लाभकारी तकनीक
गन्ना उत्पादन में पेड़ी का विशेष महत्व है| गन्ने का 50 से 55 प्रतिशत क्षेत्र इसके अन्तर्गत आता है और शीघ्र परिपक्य होने के कारण पेड़ी फसल की कटाई तथा पेराई सत्र को प्रारभिक चरण में होती है| पेड़ी गन्ने की चीनी का परता अधिक होता है| परन्तु पेड़ी पैदावार कुल गन्ने का उत्पादन कम [Read More] …
ट्रेंच विधि से गन्ने की खेती: किस्में, रोपाई, सिंचाई, देखभाल, पैदावार
ट्रेंच जैसी आधुनिक विधि हमारी कृषि के लिए आवश्यक है| क्योंकि देश की बढ़ती जनसंख्या और कृषि योग्य भूमि के क्षेत्रफल में हो रही कमी की समस्या ने वैज्ञानिकों को गन्ना तथा चीनी उत्पादन बढ़ाने हेतु सोचने को विवश कर दिया है| चीनी उद्योग तथा कृषकों के हितों को ध्यान में रखते हुये गन्ना शोध [Read More] …
गन्ने के साथ अंतरवर्ती खेती से बढ़ाएं आमदनी; जाने उपयोगी तकनीक
गन्ने के साथ अंतरवर्ती खेती का अपना महत्व है| गन्ने की बढवार शुरू के 4 से 5 महीने तक धीमी गति से होती है| इससे गन्ने की दो कतारों के बीच का स्थान काफी समय तक खाली रहता है| इस बात को ध्यान में रखकर गन्ने के साथ यदि कम अवधि की फसलों को अंतरवर्ती [Read More] …